भोपाल March 02, 2011
मंडियों में नए लहसुन के भारी आवक के चलते इसका दम निकलना शुरू हो गया है। पिछले 1 महीने में दाम में 7 से 10 हज़ार रुपये तक की कमी आई है। हालांकि इससे आम आदमी को राहत जरूर मिली है, लेकिन किसानों और व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है। 28 फरवरी को प्रदेश की अधिकतर मंडियों में 13 से 15 हज़ार कट्टïे लहसुन की आवक हुई। हालांकि जनवरी के शुरुआती दिनों में यह संख्या 1000 कट्टïे से भी कम थी। अभी लहसुन के दाम 1500 रुपये से लेकर 4000 रुपये तक बने हुए हैं। लहसुन के जानकार आने वाले दिनों में दाम में और कमी की आशंका जता रहे हैं।इंदौर के लहसुन व्यापारी अवंति दास ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि लहसुन को लेकर मंडियों में अकाल अब खत्म हो गया है। कुछ समय पहले तक 200-300 कट्टïा लहसुन ही मंडियों में आ पाता था। हालांकि अभी आवक हर दिन 15 हज़ार कट्टïे से अधिक हो रही है। इसके चलते अच्छी गुणवत्ता का लहसुन भी आसानी से 3500 रुपये में मिल रहा है। ऐसे में नई फसल ने किसानों को रोने पर मजबूर कर दिया है। बढ़ी आवक का सिलसिला जारी रहने पर दाम और भी टूटने की आशंका है।आंकड़ों के मुताबिक इंदौर, भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर और जबलपुर जैसी बड़ी मंडियों में प्रति दिन 12 से 15 हज़ार कट्टïों की आवक हो रही है। साथ ही अन्य मंडियों में भी 10 हज़ार कट्टïे लहसुन बिक्री के लिए पहुंच रहा है। बढिय़ा क्वॉलिटी वाला लहसुन 3000-3500 रुपये के आस-पास है, जबकि छोटे और मीडियम लहसुन के लिए क्रमश: 2500 और 1500 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।लहसुन की बुआई सत्र से लेकर जनवरी अंत तक देश में लहसुन की आपूर्ति कम ही रह रही है। साथ ही मांग आसमान पर बनी हुई थी। इससे दाम 20 हज़ार रुपये तक पहुंच गये थे। विदेशी मांग से भी कीमतों पर असर हुआ था। इनमें बंाग्लादेश और मलयेशिया जैसे देश प्रमुख हैं। हालांकि अब आवक में सुधार से ज्यादा आपूर्ति की स्थिति बन गई है। इंदौर के लहसुन निर्यातक हरि चौरसिया ने बताया कि पिछले सत्र में लहसुन का उत्पादन कुछ ज्यादा खास नहीं रहा था। विदेशों से भी मांग अधिक होने से अच्छे लहसुन को विदेश निर्यात कर दिया गया था। मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्टï्र, राजस्थान, कर्नाटक, उड़ीसा आदि राज्यों में लहसुन उत्पादन होता है। (BS Hindi)
03 मार्च 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें