मुंबई March 25, 2011
महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्टांप ड्यूटी में प्रस्तावित बढ़ोतरी की वजह से जिंस वायदा से जुड़ी ब्रोकिंग कंपनियां अपने पंजीकृत कार्यालय राज्य से बाहर स्थापित करने पर विचार कर रही हैं। कांग्रेस की अगुआई वाली राज्य सरकार ने बुधवार को घोषित बजट 2011-12 में कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स में 400 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है। अगर बजट पारित हो जाता है तो स्टांप ड्यूटी मौजूदा प्रति करोड़ 100 रुपये से बढ़कर 500 रुपये प्रति करोड़ हो जाएगा।ऐंजल ब्रोकिंग के सहायक निदेशक (कमोडिटीज ऐंड करेंसी) नवीन माथुर ने कहा - ट्रांजेक्शन लागत में बढ़ोतरी से ब्रोकिंग कंपनियां अपने पंजीकृत कार्यालय दूसरी जगह स्थापित करने के लिए बाध्य हो सकती हैं, हालांकि उनका फैसला क्लाइंट के प्रोफाइल पर भी निर्भर करेगा। उन्होंने कहा किस्टांप ड््यूटी बढ़ाने का फैसला कुल मिलाकर जिंस वायदा कारोबार पर नकारात्मक असर डालेगा। स्टांप ड्यूटी में बढ़ोतरी से शुरुआती तौर पर जिंस एक्सचेंजों का कारोबार घटेगा। 200 रुपये के ट्रांजेक्शन शुल्क से महाराष्ट्र में क्लाइंट के हर कारोबार की लागत 300 रुपये बैठेगी। प्रस्तावित शुल्क से हालांकि प्रति करोड़ पर ट्रांजेक्शन लागत 700 रुपये हो जाएगा, यानी इसमें कुल 133 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाएगी।देश के सबसे बड़े जिंस एक्सचेंज एमसीएक्स के प्रबंध निदेशक लेमन रूटेन ने कहा - निश्चित तौर पर ट्रांजेक्शन लागत में बढ़ोतरी से कारोबारी महाराष्ट्र के आसपास के इलाके में चले जाएंगे। चूंकि स्टांप ड्यूटी का भुगतान उस राज्य को होता है, जहां मुख्यालय पंजीकृत होता है, ऐसे में इस बात की संभावना बन रही है कि छोटी व मध्यम आकार की ब्रोकिंग कंपनियां गुजरात जैसे राज्यों का रुख कर ले, जहां स्टांप ड््यूटी शून्य के करीब है। उन्होंने कहा कि ट्रांजेक्शन लागत में बढ़ोतरी से जिंसों में अवैध कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त एक ऐसे समय में कारोबार पड़ोसी राज्यों को स्थानांतरित हो जाएगा जब एमएसीक्स राज्य को इंटरनैशनल फाइनेंशल हब बनाने में मदद करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा - मुझे भरोसा है कि हमारे मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री को इसकी समझ है और वैश्विक अनुभव भी है, लिहाजा वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे।राज्य में 300 ब्रोकर सदस्य पंजीकृत हैं और यहां 30 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है। डेरिवेटिव एक्सचेंज में होने वाले कुल कारोबार में महाराष्ट्र करीब 25 फीसदी की भागीदारी करता है। पिछले कैलंडर वर्ष में सभी एक्सचेंजों का कुल टर्नओवर 107 लाख करोड़ रुपये रिकॉर्ड किया गया था।रूटेन के रुख का समर्थन करते हुए एस डेरिवेटिव ऐंड कमोडिटी एक्सचेंज के सीईओ दिलीप भाटिया ने कहा - चूंकि ब्रोकर दूसरे राज्यों का रुख करने के बारे में सोच रहे हैं, लिहाजा स्थानीय सरकार मौजूदा स्टांप ड््यूटी भी दूसरे राज्यों के हाथों गंवा देगी। गुजरात, दिल्ली और पश्चिम बंगाल को इस कदम से सबसे ज्यादा फायदा होने वाला है क्योंकि इन राज्यों में स्टांप ड्यूटी काफी कम है। दमन व सिल्वासा को छोड़कर (जहां स्टांप ड्यूटी कुछ भी नहीं है) गुजरात में स्टांप ड्यूटी शून्य के करीब है। पश्चिम बंगाल एक और राज्य है जहां स्टांप ड्यूटी नहीं चुकाना पड़ता है। इसलिए इन दोनोंं राज्यों में महाराष्ट्र से सबसे ज्यादा कारोबार का हस्तांतरण होने की संभावना है। दिल्ली ने कुछ साल पहले स्टांप ड््यूटी को शून्य से बढ़ाकर 130 रुपये प्रति करोड़ कर दिया था, इसके परिणामस्वरूप कमोडिटी कारोबार नजदीकी राज्य गुडग़ांव स्थानांतरित हो गया था। इस बीच, समाचार एजेंसी के मुताबिक देश के प्रमुख जिंस एक्सचेंज एमसीएक्स ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार के बजट में जिंसों के लेनदेन पर ऊंचा स्टांप शुल्क वसूलने के प्रस्ताव के बावजूद वह सौदों पर बाजार शुल्क कम नहीं करेगा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के प्रबंध निदेशक और सीईओ लेमन रूटेन ने कहा, 'स्टांप शुल्क में बढ़ोतरी जिंस एक्सचेंजों से विचार-विमर्श के बिना की गई है। अभी एमसीएक्स के सदस्यों से 250 करोड़ रुपये के कारोबार तक प्रति लाख 2.5 रुपये और 250 से 1,000 करोड़ रुपये तक के कारोबार पर 1.25 रुपये प्रति लाख शुल्क वसूला जाता है। (BS Hindi)
26 मार्च 2011
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