नई दिल्ली. यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के तीसरे बजट से जनता निराश है। सोमवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वित्त वर्ष 2011-12 के लिए बजट पेश किया। dainikbhaskar.com के सर्वे में हिस्सा लेते हुए 34 फीसदी लोगों ने कहा कि इस बजट से महंगाई बढ़ेगी, हमारी बचत पर भी चपत लगेगी। वहीं, 33 फीसदी लोगों ने प्रणब मुखर्जी के बजट को चालाकी भरा करार देते हुए कहा कि अभी इसे समझना होगा।dainikbhaskar.com ने एक सर्वे के तहत अपने पाठकों से सोमवार को बजट के बाद पूछा, 'आपके लिए यह बजट कैसा रहा?' इस सवाल के जवाब में सबसे ज़्यादा (34% ) पाठकों ने बजट को महंगाई बढ़ाने वाला और उनकी बचत को चूना लगाने वाला बताया। वहीं, 33 फीसदी पाठकों ने बजट को चालाकी भरा बताते हुए इसे अभी समझने की बात कही है। 20 प्रतिशत पाठकों का कहना है कि इस बजट से आयकर में जितनी राहत की उम्मीद थी, वह नहीं मिली। जबकि 7 फीसदी पाठक यह मानते हैं कि मनरेगा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं पर और ज़्यादा खर्च किया जाना चाहिए था। उनका मानना है कि जनता की भलाई के काम पर मौजूदा बजट में जितनी राशि तय की गई है, वह नाकाफी है। जबकि पाठकों ने इस बजट को एक तरह से नकार दिया है। महज 6 फीसदी पाठकों का मानना है कि यह बजट विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाएगा।
महंगाई बढ़ेगी, हमारी बचत पर भी लगेगी चपत केंद्रीय वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2011-12 के लिए बजट पेश करते हुए कई ऐसी घोषणाएं की हैं, जिससे आम आदमी को लगता है कि पहले से ही उनकी जेब पर पहले से ही भारी पड़ रही महंगाई और बढ़ेगी। बजट में कस्टम और एक्साइज ड्यूटी कम करने की मांग को अनदेखा कर दिया गया है, जिसके चलते पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने की उम्मीद है। कच्चे तेल पर 5 फीसदी जबकि पेट्रोल व डीजल पर 7.5 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगती रहेगी। इसी तरह पेट्रोल पर 14.35 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4.60 रुपये एक्साइज ड्यूटी जारी रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें 110 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल को छू गई हैं जो पिछले दो वर्षों के दौरान सबसे अधिक है। वहीं, बजट में किए गए प्रावधानों की वजह से ब्रैंडेड कपड़े, महंगे अस्पतालों में इलाज, हवाई सफर और एसी रेस्तरां में खाना-पीना महंगा होगा।
चालाकी भरा है बजट, अभी समझना पड़ेगावित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के आयकर का दायरा महज २० हजार बढ़ाकर १.८० किए जाने पर लोग ज़्यादा खुश नहीं हैं। लोगों को लगता है कि सरकार ने बड़ी ही चालाकी से आयकर का दायरा थोड़ा बढ़ा दिया है ताकि वह यह तर्क दे सके कि हमने आम आदमी को कर से राहत देने की कोशिश की है। लेकिन हिसाब लगाने पर यह राहत महज दो हजार रुपये सालाना ही निकलती है। मतलब साफ है कि प्रणब मुखर्जी ने बेहद चालाकी से लोगों को खुश करने की कोशिश भी की है और इस बात की भी खयाल रखा है कि सरकारी खजाने पर इसका ज़्यादा असर न पड़े। वहीं, ८० साल या उससे ज़्यादा उम्र के लोगों को आयकर में मिली छूट को भी ज़्यादातर लोग सहमत दिखाई नहीं देते हैं। हवाई किराया, महंगे अस्पतालों में चेकअप और इलाज, रेस्तरां और होटलों को महंगा करने के सरकार के ऐलान से मध्य वर्ग खासकर शहरी मध्य वर्ग ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
इनकम टैक्स में जरूरी राहत नहीं१. ६० लाख रुपये सालाना वेतन पाने वाले लोग इस बजट से पहले आयकर के दायरे से बाहर थे। लेकिन सोमवार को सरकार ने इस दायरे को बढ़ाकर १.८० कर दिया। लोगों को कई आर्थिक विशेषज्ञ यह अंदाजा लगा रहे थे कि यह दायरा बढ़कर दो लाख कर दिया जाएगा। कई आर्थिक जानकारों को उम्मीद थी कि प्रणब मुखर्जी यह आयकर का दायरा १.६० से बढ़ाकर दो लाख कर देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, प्रणब मुखर्जी ने महिलाओं के आयकर स्लैब को पहले जितना ही रखा है। उन्होंने सीनियर सिटीजन का दिल जीतने की कोशिश जरूरी की है। जनता की भलाई के काम पर ज़्यादा खर्च किया जाना चाहिए थावित्त मंत्री ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए इस बार इस मद में 24 फीसदी बढ़ोतरी करते हुए अब इसे 52,057 करोड़ कर दिया है। वहीं, स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी वित्त मंत्री ने पिछले साल की तुलना में 20 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे में मनरेगा के मजदूरों और खदानों और बीड़ी उद्योगों से जुड़े मजदूरों को लाने के ऐलान को भी सराहा गया है। लेकिन फिर भी शिक्षा के लिए कर्ज को लेकर राहत नहीं देने, लोक कल्याण की नई योजनाओं के ऐलान न होने से लोग निराश भी हैं। लोगों को लगता है कि सरकार लोककल्याण का दायरा बढ़ाकर शहरी गरीबों के लिए भी नई योजनाओं का ऐलान कर सकती थी। विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाएगा यह बजट प्रणब मुखर्जी के बजट को उद्योग जगत के अलावा आम आदमी की तरफ से बहुत तारीफ नहीं मिल रही है। लेकिन फिर भी कई लोग मानते हैं कि इससे भारत की 'आर्थिक तरक्की की कहानी' थमेगी नहीं और बल्कि वह तेजी से आगे बढ़ेगी। वित्त मंत्री को उम्मीद है कि 2012 में देश 9 फीसदी की आर्थिक तरक्की के साथ आगे बढ़ेगा। गौरतलब है कि पिछले दो-तीन सालों में दुनिया के कई देशों में आर्थिक मंदी के चलते आर्थिक तरक्की थम सी गई है। लेकिन भारत ने इस दौरान न सिर्फ आर्थिक तरक्की की रफ्तार बनाए रखी बल्कि दुनिया के कई देशों के लिए नजीर भी बना। एफडीआई को ज़्यादा आसाना बनाए जाने, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कर मुक्त बॉन्ड जैसे कदम भारत को आर्थिक तरक्की के रास्ते पर ले जाएंगे। (Dainik Bhaskar)
01 मार्च 2011
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