लखनऊ March 25, 2011
गन्ना आपूर्ति में कमी के चलते 50 चीनी मिलों के बंद रहने के बावजूद इस पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन करीब 56 लाख टन पर पहुंच गया है। पिछले सीजन में 51.8 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।पेराई सीजन धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, खास तौर से पूर्वी उत्तर प्रदेश में। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ मिलों का संचालन 15 अप्रैल तक जारी रहने की संभावना है, हालांकि यह गन्ने की वास्तविक आपूर्ति पर निर्भर करेगी।गन्ने की कम उपलब्धता की वजह से पिछले साल 15 मार्च के आसपास पेराई सत्र समाप्त हो गया था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस साल पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश में अब तक 125 मिलों ने भागीदारी की है और यहां 613 लाख टन गन्ने की पेराई हुई है। इस पेराई से शुगर रिकवरी 9.10 फीसदी की हुई है।इस बीच, राज्य के किसानों को मौजूदा सीजन में किया गया भुगतान 11000 करोड़ रुपये को पार कर गया है जबकि उनकी संयुक्त बकाया रकम 12372 करोड़ रुपये है। नियमों के मुताबिक, मिलें बिना किसी अर्थदंड के भुगतान में 14 दिन का समय ले सकते हैं।साल 2008-09 और 2009-10 में क्रमश: 5900 करोड़ रुपये और 13000 करोड़ रुपये (रिकॉर्ड स्तर) का भुगतान गन्ना किसानों को किया गया था। गन्ना के भुगतान में बढ़ोतरी की वजह से पिछले कुछ सालों में गन्ने का रकबा बढ़ा है। चीनी उïद्योग के एक प्रवक्ता ने कहा - इस साल गन्ने का भुगतान बेहतर व जल्दी हुआ है, जो किसानों को गन्ने की खेती जारी रखने के लिए उत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि अगर किसान उत्साहित होंगे तो गन्ने का रकबा भी बढ़ेगा।इस साल राज्य सरकार ने गन्ने के लिए प्रदेश परामर्श मूल्य (एसएपी) में 40 रुपये की बढ़ोतरी की है। साल 2010-11 में गन्ने का रकबा और उत्पादन क्रमश: 20 लाख हेक्टेयर और 1.2 करोड़ टन रहने का अनुमान है।प्रदेश में करीब 40 लाख किसान गन्ना उत्पादन से जुड़े हैं, जो गन्ने की उपज के मामले में देश में सबसे बड़ा है और चीनी उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र के बाद दूसरे सबसे बड़ा प्रदेश है। उत्तर प्रदेश में गन्ने की सालाना खपत 50 लाख टन है। (BS Hindi)
26 मार्च 2011
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