26 मार्च 2011
दाल निर्यात पर रोक की अवधि बढ़ी
वर्ष २०११-१२ के दौरान १६५.१ लाख टन दाल उत्पादन की संभावना है।सरकार ने दाल निर्यात पर लगी रोक को एक साल के लिए बढ़ाकर, मार्च २०१२ तक कर दिया है। डीजीएफटी द्वारा जारी नोटिफि केशन के मुताबिक दाल निर्यात पर रोक की अवधि ३१ मार्च २०११ को समाप्त हो रही है। घरेलू मांग के चलते अब तक ३४ लाख टन दाल का आयात किया जा चुका है। दाल निर्यात पर जून २००६ में प्रतिबंध लगा दिया गया था। उस समय घरेलू सप्लाई प्रभावित होने के कारण दाल के दामों में तेजी आ गई थी। होलसेल आधारित मंहगाई दर में फरवरी माह के दौरान दाल की महंगाई दर १.८९ फीसदी पर रही। बीते वर्ष की समान अवधि में यह दर १२.७२ फीसदी थी। हालांकि यह रोक काबुली चने और १० हजार टन ऑर्गेनिक दालों पर लागू नहीं है। सरकार ने हाल ही में कहा था कि वर्ष २०११-१२ के दौरान देश में बंपर दाल उत्पादन होने की संभावना है। बावजूद इसके ३४ लाख टन दाल का आयात किया जा चुका है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे एडवांस इस्टीमेट के अनुसार वर्ष २०११-१२ के दौरान देश का दाल उत्पादन १६५.१ लाख टन होने का अनुमान लगाया है। हालांकि योजना आयोग ने इस अवधि के दौरान १९१.१ लाख टन दालों की खपत होने का अनुमान लगाया है। उधर आईसीआरआईएसएटी के निदेशक विलियम डार का कहना है कि भारत आने वाले ३-५ वर्षों में दाल के मामलें में आत्मनिर्भर हो जाएगा। अभी भारत विश्व का सबसे बड़ा दाल आयातक देश है। यह आत्मनिर्भरता अच्छी गुणवत्ता युक्त बीजों और सरकारी योजनाओं के कारण आएगी। देश में उत्पादन और मांग के बीच अंतर के चलते हर साल दालों का आयात किया जाता है। उन्होने कहा कि संस्थान दालों के इस तरह के बीजों का विकास कर रहा जो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सहने में सक्षम हो। (Business Bhaskar....R S Rana)
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