अहमदाबाद March 11, 2011
जापान में आए भीषण भूकंप से न सिर्फ वहां के रबर निवेशकों में घबराहट फैली है बल्कि इससे भारत में भी रबर के निवेशक प्रभावित हुए हैं। जापान की परिस्थितियों को देखते हुए देश में रबर के निवेशकों ने बिकवाली शुरू कर दी, लिहाजा नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) में कारोबार के दौरान कीमतें करीब 3 फीसदी फिसल गई।जापान के जिंस बाजार से संकेत लेते हुए भारत में एनएमसीई पर रबर की कीमतों में कारोबारी सत्र के दौरान 890 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। भारतीय रबर बाजार इसकी कीमतों की बाबत जापान के टोक्यो कमोडिटी एक्सचेंज से संकेत लेता है। जापान के जिंस एक्सचेंज में जब रबर की कीमतों में गिरावट शुरू हुई तो भारतीय बाजार में भी रबर की कीमतों में फिसलन देखी गई।टोक्यो कमोडिटी एक्सचेंज (रबर के कारोबार के मामले में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा एक्सचेंज) में अप्रैल वायदा में शुरुआत में 410 येन प्रति किलो से गिरकर 396 येन पर आ गया और इस तरह से दोपहर तक इसमें कुल मिलाकर 14 येन की गिरावट दर्ज की गई जो विगत में हुई गिरावट में सबसे बड़ी है। एनएमसीई में अप्रैल वायदा शुक्रवार को 21409 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया, जबकि गुरुवार को यह 22301 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था।एनएमसीई के प्रबंध निदेशक अनिल मिश्रा ने कहा - ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भारतीय रबर बाजार टोक्यो कमोडिटी एक्सचेंज से कीमत की बाबत संकेत ग्रहण करता है और भारत में भी कीमतें दोपहर तक करीब 3 फीसदी तक लुढ़क गई। उन्होंने कहा कि यह स्थिति किसी खास जिंस तक सीमित नहीं रह सकती है, लेकिन घबराहट का वातावरण दूसरे बाजारोंं में भी देखा जा सकता है।मिश्रा ने कहा कि भूकंप जैसे संकट का असर व्यवस्था में मौजूद नकदी पर ज्यादा पड़ता है। इसलिए लोग वित्तीय सुरक्षा के लिए दौड़ पड़ते हैं और जिंस बाजार जैसे वित्तीय बाजारों से बाहर निकलना शुरू कर देते हैं। भूकंप और सुनामी ने निवेशकों में घबराहट पैदा की है और इन चीजों ने रबर की कीमतों को काफी नीचे धकेल दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने साल 2009-10 में 777.32 करोड़ रुपये का रबर व इससे बने उत्पादों का आयात किया, जो साल 2008-09 के 499.11 करोड़ रुपये के मुकाबले 55.74 फीसदी ज्यादा है। निर्यात के मोर्चे पर भारत ने साल 2009-10 में जापान को 25.61 करोड़ रुपये के रबर और रबर उत्पादों का निर्यात किया। (BS Hindi)
14 मार्च 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें