नई दिल्ली March 07, 2011
न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तय किए बिना सरकार द्वारा गैर बासमती चावल सोना मसूरी, पोनी सांबा एवं मत्ता किस्मों को निर्यात मंजूरी दिए जाने से चावल निर्यातकों में रोष व्याप्त है।
निर्यातकों का कहना है कि सरकार के इस कदम से केवल घटिया गुणवत्ता वाला चावल ही निर्यात होगा। इससे विदेशों में देश की बदनामी तो होगी ही साथ ही बाजार भी खराब होगा। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ ने विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) की हालिया अधिसूचना पर प्रधानमंत्री को दिए गए ज्ञापन में कहा कि यह खाद्य पर अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह की सिफारिशों के अनुरूप नहीं है।
इसमें मंजूरी दिए जाने वाली चावल की तीनों किस्मों के लिए 850 डॉलर प्रतिटन के न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त नहीं रखी गई है। चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष ने कहा कि अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह ने सोना मसूरी, पोनी सांबा ओर मत्ता को 850 डॉलर न्यूनतम निर्यात मूल्य पर निर्यात करने की मंजूरी दी थी, लेकिन डीजीएफटी द्वारा 10 फरवरी को जारी अधिसूचना में इसका जिक्र नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की अधिसूचना से खराब गुणवत्ता वाला चावल निर्यात होगा, जिससे निर्यातकों के साथ साथ देश की छवि भी खराब होगी। (BS HIndi)
07 मार्च 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें