नई दिल्ली March 11, 2011
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की किल्लत को देखते हुए गेहूं पर लगी पाबंदी हटाई जा सकती है। रूस में सूखा पडऩे के बाद वैश्विक बाजार में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। गौरतलब है कि साल 2007 से गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगी हुई है। खाद्य मंत्रालय गेहूं निर्यात को फिर से खोलने की बाबत क्षमता का आकलन कर रहा है, लेकिन इस पर अंतिम फैसला इस साल की पैदावार की सही तस्वीर आने के बाद ही लिया जाएगा। खाद्यान्न की महंगाई पर वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु की अगुआई में प्रधानमंत्री द्वारा गठित अंतर-मंत्रालय समूह (आईएमजी) गेहूं निर्यात की अनुमति देने के मामले में इच्छित प्रभाव की खातिर विभिन्न सरकारी मंत्रालयों से सूचना मांग रहा है। आईएमजी का गठन बढ़ती कीमतों की पृष्ठभूमि में दिसंबर महीने में हुआ था।खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा - आईएमजी को यह मामला सुपुर्द करने से पहले हम स्टॉक और उपलब्धता की बाबत सभी जरूरी सूचनाएं इकट्ठा करने की प्रक्रिया में हैं और उसके बाद आईएमजी सचिवों की समिति को सिफारिश करेगा कि निर्यात की अनुमति दी जा सकती है या नहीं। उन्होंने कहा कि इस महीने मौजूदा फसल की कटाई शुरू होगी और जल्दी ही रफ्तार पकड़ लेगी। अधिकारी ने कहा कि फसल का आकलन निर्यात की बाबत फैसले लेने में मदद करेगा।इससे पहले खाद्य मंत्री प्रो. के. वी. थॉमस ने कृषि मंत्री शरद पवार के साथ रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान के बाद गेहूं निर्यात से पाबंदी हटाने की वकालत की थी। वाणिज्य मंत्रालय ने भी मौजूदा कटाई सीजन में अंतरराष्ट्रीय बाजार की उच्च कीमतों का लाभ उठाने की गरज से गेहूं निर्यात की वकालत की है। भारत ने साल 2007 में तब गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी जब कम उपज के चलते सरकारी खरीद में कमी आई थी। वास्तव में स्थानीय स्तर पर खरीद में कमी के चलते सरकार साल को 2006 व 2007 में करीब 73 लाख टन गेहूं आयात करना पड़ा था। कारोबारी सूत्रों ने कहा कि 10 से 30 लाख टन गेहूं का निर्यात भारत आसानी से कर सकता है और इससे सरकारी अनाज भंडार और अनाज की उपलब्धता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि गेहूं निर्यात की अनुमति देने का यह सही समय है क्योंकि भारतीय गेहूं की तुलना ऑस्ट्रेलियाई गेहूं से की जा सकती है और इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 15 से 16 रुपये प्रति किलोग्राम मिलेगी, जबकि घरेलू बाजार में कीमतें 12 रुपये प्रति किलोग्राम है। उन्होंने कहा कि रूस में सूखे के चलते वैश्विक बाजार में गेहूं की किल्लत हो गई है, लिहाजा भारत से गेहूं निर्यात होने पर वैश्विक बाजार इसे हाथोंहाथ लेगा। कृषि मंत्रालय ने साल 2010-11 के फसल विपणन वर्ष में रिकॉर्ड 814.7 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान जताया है। पिछले साल करीब 808 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2007 में गेहूं निर्यात पर पाबंदी से पहले देश ने 2006-07 में 47000 टन गेहूं का निर्यात किया था जबकि 2004-05 में 20 लाख टन गेहूं का निर्यात हुआ था। अनुमान है कि 1 मार्च को 172 लाख टन गेहूं का स्टॉक था, जो पिछले साल इस दौरान 82 लाख टन के स्टॉक की जरूरत से ज्यादा है। (BS Hindi)
14 मार्च 2011
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