केंद्र सरकार ने अगले पेराई सत्र २०११-१२ के लिए गन्ने का फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) ४.२ फीसदी बढ़ाने का फैसला किया है। इस बढ़ोतरी के साथ आगामी पेराई सीजन में गन्ने का एफआरपी १४५ रुपये प्रति क्ंिवटल होगा। चालू पेराई सीजन 2010-11 में एफआरपी १३९.१२ रुपये प्रति क्विंटल है।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा महाराष्ट्र और दूसरे गन्ना उत्पादक राज्यों को लिखे पत्र में बताया है कि पेराई सत्र २०११-१२ के लिए एफआरपी की दर १४५ रुपये प्रति क्ंिवटल तय की गई है। यह निर्णय आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की पिछले सप्ताह आयोजित हुई बैठक में लिया गया। एफआरपी वैधानिक रूप से किसानों को दिए जाने वाला गन्ने का न्यूनतम मूल्य होता है।
हालांकि चीनी मिल इससे ज्यादा दाम दे सकते हैं। सरकार ने एफआरपी की व्यवस्था वर्ष २००९-१० से लागू की थी। इससे पहले केंद्र सरकार गन्ने का एसएमपी तय करती थी। एफआरपी को गन्ने की रिकवरी के आधार पर तय किया जाता है। सरकार गन्ने की ९.५ फीसदी रिकवरी के आधार पर एफआरपी तय करती है। इसके साथ ही प्रति ०.१ फीसदी अतिरिक्त रिकवरी के अनुसार किसानों को १.४६ रुपये अतिरिक्त मूल्य देने का प्रावधान है।
सरकार एफआरपी तय करने से पहले किसानों की लागत और उनके लाभ के बारे में भी विचार करती है। साथ ही गन्ने की ढुलाई लागत को भी ध्यान में रखा जाता है। इसमें अखिल भारतीय स्तर पर गन्ना उत्पादन की औसत लागत के साथ ४५ फीसदी तक लाभ जोड़कर एफआरपी तय होता है। साथ ही इसमें मिल गेट तक गन्ने की ढुलाई की कीमत भी शामिल होती है। (Business Bhaskar)
18 मार्च 2011
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