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02 अक्तूबर 2013

गन्ने की कीमत 327 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग

किसानों के एक अग्रणी संगठन ने उत्तर प्रदेश चीनी उद्योग पर गन्ने की कीमतें नहीं बढ़ाने के लिए राज्य सरकार पर दबाव डालने का आरोप लगाया है। किसान जागृति मंच के अध्यक्ष सुधीर पंवार ने आरोप लगाया कि चीनी मिल मालिक राज्य सरकार से गन्ने की 240 रुपये प्रति क्विंटल कीमत पर अतिरिक्त सब्सिडी की मांग कर रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश से गन्ने कीमतें पिछले साल के 280 रुपये प्रति क्विंटल के बजाय 327 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है। इनका कहना है कि ऐसा नहीं होने की स्थिति में वे मिलें नहीं चलाएंगे। पंवार ने बताया कि मिल मालिक हाल की गन्ना आरक्षण बैठक का भी बहिष्कार कर चुके है। चीनी मिल मालिक राज्य सरकार को पिछले साल का 2,400 करोड़ रुपये का बकाया देने में अपनी असमर्थता जाहिर कर चुके हैं। हाल में ही उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ (यूपीएसएमए) ने अखबारों में एक विज्ञापन प्रकाशित किया था, जिसमें चीनी उद्योग के बड़े संकट में होने और दयनीय आर्थिक हालत होने का दावा किया गया था। पंवार ने कहा, 'पिछले साल के मुकाबले कृषि लागत 20 प्रतिशत बढ़ चुकी है और किसानों को इसी आधार पर भुगतान होना चाहिए।Ó पंवार ने दावा किया कि चीनी उद्योग की सही तस्वीर पेश नहीं की जा रही है और सभी लोग चीनी के खुदरा मूल्य की बात कर रहे हैं। उन्होंने माना कि खुदरा मूल्य उत्तर प्रदेश में गन्ना की कीमतों के साथ ताल-मेल नहीं बैठा पाया है। उन्होंने कहा, 'पिछले साल केंद्र सरकार चीनी उद्योग की लगभग सभी मांगे मान ली थी। इनमें सुगर लेवी की समाप्ति, खरीद कर में छूट और शिरा विनियंत्रण शामिल जैसी मांगे शामिल थीं। इसके अलावा एथेनॉल की कीमतें 27 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 38 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया था। ये सभी बातें चीनी मिल के हित में गई हैं।Ó पंवार ने दावा किया कि सुगर लेवी समाप्ति से चीनी उद्योग को 900 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। इस बीच, राज्य सरकार ने चीनी मिलों के साथ किसी टकराव की बात से इनकार किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव (चीनी उद्योग और गन्ना विकास) राहुल भटनागर ने कहा, 'चीनी मिल उद्योग के साथ हमारा कोई टकराव नहीं है। हमने उन्हें सभी बैठकों में आमंत्रित किया है। (BS Hindi_)

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