24 दिसंबर 2012
लेवी चीनी के बिक्री नियमों में मिलों को राहत देने की तैयारी
बिजनेस भास्कर नई दिल्ली | Dec 24, 2012
छूट धीरे-धीरे
मिलों को लेवी चीनी बेचने की अनुमति मिलने से फायदा होगा
खुले बाजार के लिए मासिक कोटे के बजाय चार माह का एकसाथ कोटा
अब मिलों के लिए छह माह का बिक्री कोटा तय करने की तैयारी
रॉ शुगर पर आयात शुल्क बढ़ाने पर भी खाद्य मंत्रालय ने सलाह मांगी
आयात शुल्क बढ़ा तो घरेलू बाजार में दाम बढऩे से भी मिलों को लाभ
चीनी उद्योग को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने लेवी चीनी के बिक्री नियमों में छूट देने की तैयारी कर ली है। वर्तमान में चीनी मिलें बची हुई लेवी चीनी की बिक्री दो साल तक नहीं कर सकती है। खाद्य मंत्रालय ने इस अवधि को घटाकर छह महीने करने की योजना बनाई है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में मिलें बची हुई लेवी चीनी की दो साल तक बिक्री नहीं सकती है। खाद्य मंत्रालय ने लेवी चीनी की बची हुई मात्रा की बिक्री की अवधि को दो साल से कम करके छह महीने करने की योजना बनाई है। चीनी मिलों को इस समय कुल उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा लेवी चीनी में देना अनिवार्य है।
उन्होंने बताया कि लेवी चीनी के बिक्री नियमों में छूट मिलने से चीनी मिलों को फायदा होगा। इससे पहले खाद्य मंत्रालय ने चीनी बिक्री के मासिक कोटे को भी चार महीने कर दिया था। उन्होंने बताया कि इसे चार महीने से बढ़ाकर छह महीने करने की योजना है।
देश में लेवी चीनी की सालाना खपत करीब 27 लाख टन की होती है। पेराई सीजन 2011-12 (अक्टूबर से सितंबर) में लेवी चीनी की खरीद का दाम सरकार ने बढ़ाकर 19.50 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन 2012-13 के लिए लेवी चीनी के खरीद मूल्य में भी बढ़ोतरी की जाएगी। जल्दी ही इसके दाम तय किए जाने की संभावना है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में चीनी का आवंटन 13.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किया जाता है।
उन्होंने बताया कि रंगराजन समिति द्वारा चीनी डिकंट्रोल के लिए की गई कुछ सिफारिशों पर खाद्य मंत्रालय विचार कर रहा है। इनमें से कुछ सिफारिशों पर जल्द ही अमल किया जाएगा। उद्योग की रॉ-शुगर पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर खाद्य मंत्रालय ने संबंधित मंत्रालयों को पत्र लिख दिया है।
चीनी की घटती कीमतों के कारण उद्योग ने रॉ-शुगर के आयात पर शुल्क बढ़ाने की मांग की है। इस समय रॉ-शुगर पर अभी 10 फीसदी आयात शुल्क लगता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम कम होने के कारण दक्षिण भारत की चीनी मिलें रॉ-शुगर का आयात कर रही है। इससे घरेलू बाजार में चीनी के मूल्यों पर अंकुश लगा हुआ है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में 240 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जो वर्ष 2011-12 के 263 लाख टन से कम है। चीनी के दाम थोक बाजार में 3,300 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि उत्तर प्रदेश में एक्स-फैक्ट्री चीनी के दाम 3,100 से 3,520 रुपये प्रति क्विंटल हैं। (Business Bhaskar....R S Rana)
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