15 दिसंबर 2012
खेती की नई तकनीक चुनने का अधिकार दें : किसान
किसान संगठनों ने जीएम फसलों की वकालत की
खेती में नई तकनीक अपनाने का अधिकार किसानों को मिलना चाहिए। साथ ही खेती को लाभकारी बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर पहल करनी चाहिए। सरकार की नीतियों का लाभ किसानों को मिलें, साथ ही प्रमाणित बीज, खाद और कीटनाशकों की उपलब्धता हर किसान तक सुनिश्चित की जानी चाहिए।
आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि खेती में नई तकनीकों को अपनाने का अधिकार किसानों को मिलना चाहिए। फसलों की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को प्रमाणित बीज, खाद और कीटनाशकों की उपलब्धता हर किसान तक सुनिश्चित करनी चाहिए। जैसे बीटी कॉटन से किसानों की आय में इजाफा हुआ है, उसी तरह से अन्य फसलों में बीटी बीजों को अपनाने का अधिकार किसान को मिलना चाहिए।
आंध्र प्रदेश के प्रताप रुद्र किसान संघ के अध्यक्ष एस. जयपाल रेड्डी ने बताया कि भारतीय किसान मौसम की अनिश्चितता से पीडि़त हैं जबकि खाद्य सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें फसल विकसित करने का हक है। कृषि में जैव प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को आमतौर पर जीएम क्रॉप के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण समृद्धि में वृद्धि होगी।
प्रोग्रेसिव प्रो-टैक्नोलॉजी फारमर्स फैडरेशन (तमिलनाडु) के अध्यक्ष डी. वाल्टर ने कहा कि किसानों को यह चुनने का हक दिया जाना चाहिए, उनके हित में क्या है। वैज्ञानिक समुदाय ने कितनी ही बार यह कहा है कि जीएम फसलें सुरक्षित हैं और केवल उन्हीं से भावी खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
किसान क्लब, हरियाणा के बजरंग तारद ने कहा कि सरकारी नीतियों का लाभ किसानों तक नहीं पहुंचता है, सब्सिडी के नाम पर किसानों के साथ ठगी होती है, आज देश के करोड़ों किसानों की जमीन बैंकों के पास गिरवी रखी है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर ऐसी नीतियां बनाने की आवश्यकता है, जिसका लाभ सीधा किसानों तक पहुंचे।
बीज, खाद, डीजल और कीटनाशकों के बढ़ते दाम से खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। यही कारण है कि किसानों का खेती से मोहभंग हो रहा है। केंद्र सरकार ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे। (Business Bhaskar)
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