07 दिसंबर 2012
एथेनॉल विनिर्माताओं ने मांगा 40 रुपये प्रति लीटर का भाव
एथेनॉल विनिर्माताओं ने पेट्रोल में अनिवार्य रूप से 5 फीसदी एथेनॉल मिलाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी जोड़ दी है। इन्होंने एथेनॉल के लिए 40 रुपये प्रति लीटर का भाव मांगा है क्योंकि अल्कोहल की मौजूदा कीमतें 37 रुपये प्रति लीटर है जबकि शीरे की कीमतें 5500-6000 रुपये प्रति टन है। इसके अतिरिक्त एथेनॉल विनिर्माता तेल विपणन कंपनियों की तरफ से लगातार खरीद चाहते हैं।
राज्य के एथेनॉल विनिर्माता संघ ने पहले ही तेल विपणन कंपनियों को संदेश भेज दिया है कि वे अगले साल अक्टूबर तक 101.66 करोड़ लीटर की आपूर्ति करने में सक्षम होंगे। एसोसिएशन के अध्यक्ष विजयसिंह मोहिते पाटिल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, देश भर में 162 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादन की क्षमता है और इसमें महाराष्ट्र में अधिकतम यानी 92.80 करोड़ लीटर उत्पादन की क्षमता है। सरकार के फैसले के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर एथेनॉल की कुल जरूरत अगले अक्टूबर तक 101.66 करोड़ लीटर की दरकार होगी। यह संभावी है। हालांकि हम चाहते हैं कि तेल विपणन कंपनियां हमें 40 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से भुगतान करे। हम इन कंपनियों के सामने कीमतों में बढ़ोतरी की लगातार मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि साल 2011-12 में एथेनॉल उत्पादकों ने 5 रुपये प्रति लीटर का नुकसान उïठाया था क्योंकि उत्पादन लागत बढ़कर 32 रुपये हो गई थी जबकि खरीद की कीमत 27 रुपये प्रति लीटर थी।
मोहिते पाटिल ने कहा, खास तौर से महाराष्ट्र में अल्कोहल व शीरे की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं क्योंकि सूखे के चलते राज्य में गन्ने का उत्पादन घटा है। ऐसे में न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि दूसरे राज्यों के एथेनॉल विनिर्माताओं के लिए इसकी आपूर्ति 27 रुपये प्रति लीटर पर करना संभव होगा, खास तौर से तब जबकि इसकी उत्पादन लागत बढ़कर करीब 37 रुपये प्रति लीटर हो गई है। ऐसे में विपणन कंपनियों को 40 रुपये प्रति लीटर की दर से भुगतान करना चाहिए।
पाटिल ने कहा कि करीब 35 विनिर्माताओं ने 2012-13 में 37 रुपये प्रति लीटर के भाव पर 4.82 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की इच्छा जताई है। तेल विपणन कंपनियों ने एथेनॉल विनिर्माताओं की मांग से आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को अवगत करा दिया है।
तेल विपणन कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, सभी कंपनियां संयुक्त रूप से एथेनॉल मिश्रण की कार्यक्रम की समीक्षा करेंगे और फिर भविष्य की रणनीति का फैसला करेंगे। सरकार का फैसला सही दिशा में है। विगत में कई तरह के अवरोध थे, लेकिन इसका क्रियान्वयन होगा क्योंकि कई मुद्दों का समाधान हो चुका है। ओएमसी संयुक्त रूप से केंद्र के फैसले की समीक्षा करेगी और अगर जरूरी हुआ तो निविदा जारी करेगी। अधिकारी ने कहा, इस निविदा में कीमतों का भी जिक्र होगा।
(BS Hindi)
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