26 दिसंबर 2012
निवेशकों को मिलेगी एक साल से 'अटकी' रकम
जिंस वायदा बाजार में निवेशकों और कारोबारियों की रकम सुरक्षित होने का अहम संकेत देते हुए दो अग्रणी एक्सचेंज जल्द ही निवेशकों की वह रकम वापस करना शुरू करेंगे, जो ब्रोकर के डिफॉल्ट होने के चलते एक साल से अटकी पड़ी थी।
एक साल पहले एमसीएक्स व एनसीडीईएक्स के सदस्य भविष्य एडवाइजरी ऐंड कॉमट्रेड प्राइवेट लिमिटेड को डिफॉल्टर घोषित किया गया था। उनके क्लाइंट ने भी रकम गंवा दी थी। चूंकि जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग ने पहल करते हुए निवेशक सुरक्षा कोष को औपचारिक रूप देने की बात कही थी, लिहाजा ब्रोकर के डिफॉल्ट के कारण रकम गंवाने वाले निवेशकों को अब इस कोष के जरिए भुगतान करना संभव होगा। अब एमसीएक्स व एनसीडीईएक्स जल्द ही निवेशकों को भुगतान शुरू करेंगे।
दोनों एक्सचेंजों के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि अभी मध्यस्थता की जाती है और इसके बाद निवेशकों को भुगतान किया जाता है। हालांकि यह शायद पहला ऐसा मामला होगा। एफएमसी के अधिकारियों ने कहा कि निवेशक सुरक्षा कोष की तर्ज पर एक्सचेंजों से सही मायने में निपटान व गारंटी फंड बनाने को कहा गया है और इसमें उस रकम को जमा करने को कहा गया है जो इस मकसद के लिए सामान्य कारोबार के दौरान इकट्ठा की गई हो। इस समय जिंस एक्सचेंजों के कोलेटरल सदस्य ब्रोकर जो कुछ मुहैया कराते हैं, उसे उनकी खरीद के लिए मार्जिन माना जाता है। ब्रोकर के डिफॉल्ट की सूरत में क्लाइंट को होने वाले नुकसान के लिए कुछ भी देने को नहीं रहता। एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा कि एक्सचेंज के सदस्यों के लिए हम पूंजी पर्याप्तता के नए नियम को अंतिम रूप दे रहे हैं, जिसमें पूंजी के एक हिस्से को खरीद के लिए दिए जाने वाले मार्जिन में शामिल नहीं किया जाएगा। इस न्यूनतम आधार पूंजी को एक्सचेंज के पास नकद व सावधि जमा के तौर पर रखना होगा और सदस्यता की समाप्ति पर इसे वापस किया जाएगा।
एक ओर जहां सदस्यों को अतिरिक्त पूंजी के लिए समय दिया जाएगा, वहीं ऐसे करने में नाकाम रहने पर उनके मौजूदा कोलेटरल को न्यूनतम आधार पूंजी में तब्दील कर दिया जाएगा और खरीद के लिए दिए जाने वाले मार्जिन का आकलन करने में इस रकम को शामिल नहीं किया जाएगा।
एफएमसी ने एक्सचेंजों से कहा है कि वह सदस्यों की तरफ से किए जाने वाले कारोबार आदि के बारे में निवेशकों को एसएमएस या ईमेल अलर्ट रोजाना भेजने की व्यवस्था करे। ऐसा पाया गया था कि क्लाइंट अपने खाते में होने वाले कारोबार के बारे में अनभिज्ञ था, क्योंकि उसे ऐसा अलर्ट नहीं मिल रहा था वरना वह तुरंत ही ब्रोकर से बातचीत कर सकता था। (BS Hindi)
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