22 दिसंबर 2012
खाद्य सुरक्षा विधेयक बनाने वाला पहला राज्य बना छत्तीसगढ़
यपुर । राज्य शासन द्वारा प्रस्तुत छत्तीसगढ़ खाद्य विधेयक 2012 आज यहां विधान सभा में सर्वसम्मति से पारित होने के साथ ही प्रदेश के 56 लाख परिवारों में से गरीब और जरूरतमंद 50 लाख परिवारों को भोजन का कानूनी अधिकार मिल गया। केवल आयकर दाता और आर्थिक रूप से सशक्त छह लाख परिवार इसके दायरे से बाहर रहेंगे। राज्य सरकार द्वारा इन 50 लाख परिवारों को रियायती खाद्यान्न देने के लिए हर साल दो हजार 311 करोड़ रूपए की अनुदान राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यह देश का पहला खाद्य सुरक्षा कानून है, जिसे बनाने का श्रेय छत्तीसगढ़ विधान सभा को मिला है। विधेयक पर सदन में पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि हिन्दुस्तान के राजनीतिक इतिहास में छत्तीसगढ़ आज एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। यह देश का पहला खाद्य सुरक्षा कानून है, जिसे बनाकर छत्तीसगढ़ ने एक नया इतिहास रचा है। उन्होंने कहा कि संसद सहित देश की किसी भी विधान सभा में गरीबों और जरूरतमंद परिवारों को भोजन का अधिकार देने का कानून नहीं बना है, जबकि छत्तीसगढ़ विधान सभा में राय के 50 लाख परिवारों को इस विधेयक के माध्यम से कानून बनाकर हम यह शक्ति दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विधान सभा के इस सदन में खाद्य सुरक्षा विधेयक पारित करके देश में क्रांतिकारी परिवर्तन की आधारशिला रखी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक 2011 जब कभी पारित होगा तो उस समय भी पूरे देश में यह उल्लेख अवश्य होगा कि छत्तीसगढ़ ने सबसे पहले अपने राय में ऐसा कानून बना लिया है।
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि विधान सभा में पारित किए जा रहे छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा विधेयक 2012 के अनुसार राय में ग्यारह लाख अंत्योदय परिवारों मात्र एक रूपए और 31 लाख बीपीएल परिवारों को मात्र दो रूपए प्रति किलो की दर से हर महीने प्रति राशन कार्ड 35 किलो अनाज और दो किलो नि:शुल्क नमक दिया जाएगा। इनमें से अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को पांच रूपए प्रति किलो की दर से हर महीने दो किलो चना और गैर अनुसूचित विकासखण्डों में रहने वाले परिवारों को दस रूपए प्रति किलो की दर से दो किलो दाल का वितरण किया जाएगा, जबकि आठ लाख ए पी एल परिवारों को 9.50 रूपए प्रति किलो की दर से हर महीने 15 किलो चावल देने का प्रावधान किया गया है। (Deshbhandhu)
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