05 दिसंबर 2012
कपास उत्पादन घटने के आसार
कपास की नई फसल की घटती आवक पर नजर डालने से पता चलता है कि साल 2012-13 के लिए कपास उत्पादन अनुमान में संशोधन हो सकता है। दो महीने पहले कपास सलाहकार बोर्ड ने 334 लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान जाहिर किया था, लेकिन इस महीने होने वाली बोर्ड की बैठक में उत्पादन अनुमान घटाया जा सकता है। बाजार का अनुमान है कि इस साल कुल उत्पादन 332-333 लाख गांठ के आसपास रहेगा।
कपास के एक बड़े कारोबारी व निर्यातक ने कहा, इस वक्त कम आवक चिंता का विषय है और इससे संकेत मिलता है कि पूर्व अनुमान के मुकाबले उत्पादन कम रहेगा। इस वक्त बाजार में कपास की आवक सामान्यत: दो लाख गांठ रोजाना होती रही है, लेकिन मौजूदा समय में 1.5-1.8 लाख गांठ कपास की आवक हो रही है।
फिलहाल कपास का भाव करीब 33,000 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) है और डॉलर के मुकाबले रुपया 55-54 होने के चलते निर्यात अभी उपयुक्त है, लेकिन इसमें मुनाफा काफी कम है। अहमदाबाद के कारोबारी और निर्यातक अरुण दलाल ने कहा, दिसंबर के मध्य तक निर्यात 15 लाख गांठ पर पहुंच सकता है। हालांकि निर्यात प्रतिस्पर्धी है और इससे सिर्फ नकदी हासिल करने में मदद मिल रही है क्योंकि मुनाफा काफी कम है। उन्होंने कहा कि पिछले सीजन में शुरू हुआ कपास का आयात फिलहाल बंद है क्योंकि स्थानीय फसल की आवक हो रही है और रुपये में कमजोरी ने इसे अनुपयुक्त बना दिया है।
न सिर्फ भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी कपास उत्पादन के अनुमान में कटौती होगी क्योंकि सोया जैसी प्रतिस्पर्धी फसल ने किसानों को बेहतर प्रतिफल दिया है। वॉशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार कमेटी (आईसीएसी) के मुताबिक, 2013-14 में वैश्विक स्तर पर कपास का उत्पादन 11 फीसदी घटकर 232 लाख टन रह जाएगा क्योंकि कपास की कीमतें कम हैं और प्रतिस्पर्धी फसलों की तरफ किसानों का झुकाव है।
यह लगातार दूसरा साल है जब कपास उत्पादन में गिरावट आएगी और कुल उत्पादन पिछले चार साल में न्यूनतम होगा। अमेरिका और तुर्की में उत्पादन में भारी गिरावट का अनुमान है, जहां अनाज व सोयाबीन के साथ इसकी कड़ी प्रतिस्पर्धा है। चीन, पाकिस्तान, मध्य एशिया और अफ्रीका में भी कपास का उत्पादन घटने का अनुमान है। आईसीएसी ने यह भी कहा है कि भारत में उत्पादन के अनुमान में मामूली कमी होगी।
वैश्विक आर्थिक विकास में जारी सुधार के चलते साल 2013-14 में वैश्विक स्तर पर कपास मिलों में इस्तेमाल में बढ़ोतरी धीरे-धीरे होती रहेगी। अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर मिलों में कपास की खपत 3 फीसदी बढ़कर 242 लाख टन पर पहुंच जाएगी और इसकी अगुआई दक्षिण एशिया करेगा। वैश्विक स्तर पर कपास का कारोबार 78 लाख टन पर स्थिर रहने का अनुमान है, क्योंकि चीन की तरफ से आयात में गिरावट के अनुमान की भरपाई दुनिया के बाकी हिस्सों में बढऩे वाली मांग से हो सकती है।
लगातार तीन साल तक बढ़त के बाद वैश्विक स्तर पर स्टॉक 166 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर से 6 फीसदी घटकर जुलाई 2014 में 156 लाख टन रह जाएगा। कपास के भंडार में होने वाली कमी ज्यादातर चीन के बाहर होने की संभावना है।
कपास के बाजार में चीन बड़ा खिलाड़ी है और खुद के उत्पादन के अलावा देश कपास का बड़ा आयातक है और यह भारत के लिए बड़ा बाजार है। आने वाले महीनों में चीन के अगले कदम के प्रति बाजार उत्सुक है क्योंकि यह कपास के बड़े भंडार पर बैठा हुआ है।
आईसीएसी ने कहा, अल्पावधि में वैश्विक स्तर कपास की आपूर्ति और अनुमानित खपत का अनुमान की बाबत अनिश्चितता चीन की नीतियों पर निर्भर करेगी। चीन की सरकार ने पिछले 14 महीने में देश-विदेश में खरीदारी के जरिए 70 लाख टन से ज्यादा कपास का भंडार खड़ा किया है। मार्च 2013 तक चीन में कपास का भंडार बढ़ते रहने की संभावना है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसके बाद वहां इसका प्रबंधन कैसे किया जाएगा। वैश्विक स्तर पर कपास की कीमतें फिलहाल चीन की नीतियों से स्थिर है, लेकिन इन नीतियों में बदलाव से विपरीत परिणाम मिल सकते हैं। (BS Hindi)
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