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05 दिसंबर 2012

सुधर रहा है बासमती चावल का बाजार

ईरान की तरफ से रियाल के अवमूल्यन के बाद बासमती चावल की कीमतों में शुरू हुई गिरावट अब थमने लगी है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोट्र्स एसोसिएशन (एआईआरईए) के सूत्रों के मुताबिक, ईरान की तरफ से रियाल में 50 फीसदी अवमूल्यन की खबर के बाद पूसा-1121 (ईरान इस चावल का प्रमुख आयातक है) की कीमतें पिछले एक हफ्ते से लुढ़क रही थी। निर्यातकों को लगा कि इससे ईरान के लिए बासमती चावल का आयात मूल्य 50 फीसदी बढ़ जाएगा क्योंकि दोनों देशों के बीच कारोबार का निपटान भारतीय रुपये में होता है। पूसा-1121 की कीमतें एक हफ्ते में 2700 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2550 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई क्योंकि अवमूल्यन की खबर के बाद बाजार का मूड बिगड़ गया। उन्होंने कहा कि निर्यातकों ने इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण के लिए ईरानी दूतावास के अधिकारियों के साथ बैठक की। निर्यातकों को बताया गया कि अवमूल्यन से कुछ निश्चित श्रेणी के आयात प्रभावित होंगे, लेकिन इससे चावल के आयात पर असर नहीं पड़ेगा। एआईआरईए के अध्यक्ष महिंदर पाल जिंदल ने कहा, भारत से होने वाले बासमती निर्यात में ईरान की बड़ी हिस्सेदारी है। पूसा-1121 को बासमती का दर्जा मिलने के बाद देश से चावल के निर्यात में भारी उछाल आई है और इस किस्म के चावल के लिए ईरान सबसे बड़ा बाजार है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पूसा-1121 की बढ़ती स्वीकार्यता के चलते निर्यातकों को उम्मीद है कि कुल निर्यात 35 लाख टन के आसपास रहेगा। इस साल पूसा-1121 की कीमतें देसी बाजार में औसतन 2000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2900 रुपये प्रति क्विंटल पर जा पहुंची हैं। वैश्विक बाजार में करीब 300 डॉलर प्रति टन का संशोधन हुआ है। सेतिया ने कहा, पूसा बासमती की कीमतें इस साल यह 1100 डॉलर प्रति टन के आसपास है। सूत्रों के मुताबिक, पाबंदी के बाद ईरान अमेरिकी डॉलर की किल्लत से जूझ रहा है। (BS Hindi)

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