15 दिसंबर 2012
देश से 45 लाख टन सोया खली निर्यात का अनुमान
प्रसंस्करणकर्ताओं के एक प्रमुख औद्योगिक संगठन ने अनुमान लगाया है कि जारी तिलहन वर्ष में देश का सोया खली निर्यात लगभग 24 फीसद की बढ़त के साथ करीब 45 लाख टन के स्तर पर पहुंच सकता है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल ने आज बताया, 'अंतरराष्ट्रीय मांग के मौजूदा रुझान को देखते हुए लगता है कि इस तिलहन वर्ष में देश का सोया खली निर्यात 45 लाख टन के आस-पास पहुंच सकता है।'
अग्रवाल ने बताया कि इस अनुमानित आंकड़े में पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी मुल्कों को रेल या सड़क मार्ग से होने वाला सोया खली निर्यात शामिल नहीं है। तिलहन वर्ष 2011-12 (अक्टूबर 2011-सितंबर 2012) के दौरान देश का सोया खली निर्यात पिछले साल के मुकाबले 12.21 फीसदी की गिरावट के साथ 36,22,909 टन पर पहुंच गया था।
बहरहाल, मौजूदा तिलहन वर्ष (अक्टूबर 2012-सितंबर 2013) में देश के सोया खली निर्यात का शुरूआती हिसाब-किताब उत्साहजनक नहीं रहा है। सोपा के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अक्तूबर से नवंबर के बीच देश के सोया खली निर्यात में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में लगभग 18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह 5,68,154 टन के स्तर पर पहुंच गया। पिछले तिलहन वर्ष में अक्तूबर से नवंबर के बीच 6,90,838 टन सोया खली का निर्यात किया गया था।
अग्रवाल ने बताया, 'आलोच्य अवधि के दौरान भारतीय सोया खली के निर्यात में गिरावट का बड़ा कारण मंडियों में सोयाबीन की घटती आवक से प्रसंस्करण संयंत्रों में कम पेराई शामिल है।' सोपा संयोजक के मुताबिक किसानों को उम्मीद है कि उन्हें भविष्य में सोयाबीन के अपेक्षाकृत ऊंचे भाव मिलेंगे। इसलिए इन दिनों वे तिलहन फसल के संग्रह को बेचने के लिए मंडियों तक उतनी तेजी से नहीं ला रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि देश के घरेलू बाजार में सोया खली की खपत बढ़ी है, जिसका सीधा असर इस उत्पाद के निर्यात पर पड़ा है।
सोया खली प्रोटीन का बड़ा स्रोत है और इसका इस्तेमाल मुख्यत: पशु आहार के रूप में होता है। भारत, एशिया में सोया खली का सबसे बड़ा निर्यातक है। वियतनाम, जापान, चीन, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देश भारतीय सोया खली के बड़े खरीदार हैं। (BS Hindi)
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