13 दिसंबर 2012
सरकारी गोदाम से 25 लाख टन और गेहूं निर्यात प्रस्तावित
केंद्रीय पूल से सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से अभी तक 18 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए निविदा जारी हो चुकी है। जबकि सरकार ने केंद्रीय पूल से 20 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दी थी। खाद्य मंत्रालय ने केंद्रीय पूल से और 25 लाख टन और गेहूं के निर्यात का प्रस्ताव किया है जिस पर फैसला आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) की अगली बैठक में होने की संभावना है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय पूल से सार्वजनिक कपंनियों एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी द्वारा अभी तक करीब 18 लाख टन गेहूं निर्यात की निविदा को अंतिम रूप दिया जा चुका है। जबकि सरकार ने 20 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दी थी।
केंद्रीय पूल में गेहूं के भारी-भरकम स्टॉक और अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे भाव को देखते हुए मंत्रालय ने और 25 लाख टन गेहूं के निर्यात का प्रस्ताव तैयार किया है। इस पर फैसला आगामी कैबिनेट कमेटी की बैठक में होने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की सप्लाई तंग होने से दाम ऊंचे बने हुए हैं। भारतीय गेहूं का निर्यात 296 डॉलर से 322 डॉलर प्रति टन के बीच हो रहा है। इस समय बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, यमन, थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया और ओमान की गेहूं में आयात मांग अच्छी बनी हुई है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार पहली दिसंबर को केंद्रीय पूल में 376.52 लाख टन का भारी-भरकम स्टॉक बचा हुआ है जो तय बफर मानकों के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। बफर मानक के अनुसार पहली जनवरी को सरकारी गोदामों में 82 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए। वैसे भी अप्रैल 2013 में गेहूं की नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2011-12 में 939 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एफसीआई ने गेहूं की रिकॉर्ड खरीद 380.23 लाख टन की थी। कृषि मंत्रालय ने चालू रबी में गेहूं की पैदावार 860 लाख टन होने का लक्ष्य तय किया है। हालांकि चालू रबी में अभी तक देशभर में 183.35 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी है जो पिछले साल की समान अवधि के 181.67 लाख टन से ज्यादा है।
(Business Bhaskar....R S Rana)
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