20 दिसंबर 2012
गन्ना महंगा, आयात के दबाव में चीनी सस्ती
गन्ना 17 फीसदी महंगा होने के बावजूद चीनी के दाम गिर रहे हैं। आयातित चीनी सस्ती होने से ऐसा हुआ है। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक चीनी उत्पादक कंपनी रेणुका शुगर्स ने 9 लाख टन कच्ची चीनी के आयात के सौदे किए हैं, जिसमें से करीब 3 लाख टन आयातित चीनी को रिफाइंड कर घरेलू बाजार में बेचा जा चुका है। आयात कांडला व हल्दिया बंदरगाह के ज़रिये हो रहा है। इससे पश्चिम बंगाल में आयातित चीनी का दबाव बढऩे से उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र से वहां चीनी की आपूर्ति कम हो गई है। पेराई सत्र के कारण भी चीनी की कीमतों में कमजोरी आई है।
चीनी विक्रेता कंपनी एसएनबी एंटरप्राइजेज के मालिक सुधीर भालोटिया का कहना है कि एक माह पहले यूपी वाली चीनी का भाव 3,650-3,700 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन इसके बाद आयातित चीनी 3,300-3,350 रुपये क्विंटल मिलने लगी।
इससे महीने भर में देसी चीनी का एक्स-फैक्ट्री भाव (यूपी) 250 रुपये घटकर 3,400-3,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। भालोटिया ने कहा कि बंगाल में यूपी से चीनी की आपूर्ति कम हो गई है। चीनी कारोबारी आर पी गर्ग कहते हैं कि पिछले साल बंपर उत्पादन से पुरानी चीनी का स्टॉक काफी है। ऐसे में पेराई सत्र में आपूर्ति बढऩे से भी चीनी के दाम घटे हैं। कमोडिटीइनसाइट डॉटकॉम के वरिष्ठï जिंस विश्लेषक प्रशांत कपूर भी मानते हैं कि आयातित चीनी सस्ती होने से दक्षिण भारत में इसका खूब आयात हो रहा है।
उधर, गन्ना महंगा होने के बीच दाम कम मिलने से चीनी मिलों की हालत पतली हो रही है। कपूर बताते हैं कि वर्तमान गन्ना भाव पर चीनी की उत्पादन लागत 3,800 रुपये है, जबकि भाव 3,400 रुपये क्विंटल। बड़ी मिलें तो उपोत्पाद (शीरा आदि) के ज़रिये फिर भी लागत निकाल पा रही हैं, लेकिन छोटी मिलों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुमान के मुताबिक 15 दिसंबर तक 49.6 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2 फीसदी ज्यादा है। (BS Hindi)
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