19 दिसंबर 2012
दालों का आयात सात फीसदी बढऩे का अनुमान
चालू वित्त वर्ष में 30 लाख टन दालों का आयात संभव : सर्वे
निर्यात पर निर्भरता
चालू फसल वर्ष के खरीफ सीजन में दलहन उत्पादन 14 फीसदी गिरा
पिछले फसल वर्ष में दलहन का उत्पादन 5.6' कम रहा था
दालों की कमी होने से इस साल आयात खासा आकर्षक
दलहन उत्पादन बढ़ाने के सरकारी प्रयास अभी तक विफल रहे
देश में दलहन का उत्पादन बढ़ाने के तमाम प्रयासों के बावजूद घरेलू मांग पूरी करने के लिए इसका आयात चालू वित्त वर्ष 2012-13 में बढऩे का अनुमान है। आयातकों और कारोबारियों का कहना है कि इस साल दालों का आयात करीब सात फीसदी बढ़ सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
देश में करीब 200 लाख टन दलहन की खपत होती है जबकि उत्पादन 170-180 लाख टन के बीच रहता है। दुनिया भर में करीब 600 लाख टन दलहन का कारोबार होता है। इसमें से करीब 200 लाख टन यानि एक तिहाई कारोबार भारत में होता है। इंटरनेशनल पल्सेस ट्रेड एंड इंडस्ट्री कन्फेडरेशन के अनुमान के अनुसार विश्व भर में करीब 100 अरब डॉलर का दलहन कारोबार होता है। भारत के थोक मूल्य सूचकांक में दालों का वेटेज करीब 0.72 फीसदी है।
दालें महंगी होने से महंगाई की दर ऊंची बनी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक 5 फीसदी तक महंगाई की दर सामान्य मानता है। लेकिन यह दर इससे कहीं ऊपर है। देश में दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने इनका न्यूनतम समर्थ मूल्य करीब 26 फीसदी तक बढ़ा है। पिछले फसल वर्ष 2011-12 के दौरान दलहन का उत्पादन करीब 5.6 फीसदी घट गया था। जबकि इस साल खरीफ सीजन में दलहन का उत्पादन 14.6 फीसदी घटकर 52.6 लाख टन रह गया।
दुबई की हाकन एग्रो डीएमसीसी के भारत में बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर विवेक अग्रवाल का कहना है कि पिछले फसल और चालू फसल वर्ष के खरीफ सीजन में दलहन का उत्पादन घटने से दालों का आयात फायदेमंद हो गया है। रॉयटर्स द्वारा किए गए सर्वे में 10 आयातकों और व्यापारियों ने दलहन आयात का जो अनुमान लगाया है।
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