कुल पेज दृश्य

01 दिसंबर 2012

काली मिर्च वायदा पर कसा फंदा!

ग्वार के बाद अब काली मिर्च केवायदा कारोबार में गड़बड़ी की बू आने लगी है। दामन बचाने के लिए एनसीडीईएक्स ने 10 कमोडिटी ब्रोकरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ब्रोकरों के जवाब के बाद वायदा बाजार आयोग और एक्सचेंज आगे की कार्रवाई करेंगे। कमोडिटी ब्रोकरों का कहना है कि यह पूरा बखेड़ा एक्सचेंज के गोदामों में जमा काली मिर्च की खराब गुणवत्ता के कारण शुरु हुआ है। काली मिर्च वायदा में हेराफेरी की आशंका को देखते हुए एनसीडीईएक्स ने बैतूल ऑयल सहित 10 कमोडिटी एक्सचेंजों को कारण बताओ नोटिस भेजा है। एनसीडीईएक्स के प्रमुख (कॉरपोरेट सर्विसेज) आनंद कुमार के अनुसार कुछ ब्रोकरों ने अपनी क्षमता से ज्यादा काली मिर्च की होल्डिंग की है जो वायदा बाजार नियमों के विपरीत है। इसलिए 10 बोक्ररों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। आयोग के अध्यक्ष रमेश अभिषेक का कहना है कि यह जांच का हिस्सा है। आयोग कई स्तरों से जांच कर रहा है लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। कमोडिटी सूत्रों के अनुुसार इन ब्रोकरों में बैतूल ऑयल, अरिहंत फ्यूचर्स एंड कमोडिटीज, नाइन स्टार कमोडिटीज, आरबीजी कमोडिटीज, सेंसर कमोडिटीज एंड डेरिवेटिव मॉकेट, एसएसजे कमोडिटीज, परमार्थ कमोडिटीज आदि शामिल हैं। बैतूल ऑयल ने 3487 टन काली मिर्च की सबसे ज्यादा होल्डिंग कर रखी है। एफएमसी सूत्रों का कहना है कि 10 कमोडिटी ब्रोकरों ने देश की 12 फीसदी काली मिर्च जमा कर रखी है क्योंकि इस समय काली मिर्च की कीमतें काफी कम है और वे कीमतें बढऩे का इंतजार कर रहे हैं। गौरतलब है कि वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने इसी साल एनसीडीईएक्स को निर्देश दिया था कि वह काली मिर्च की फाइनल एक्सपायरी अवधि 6 महीने से घटाकर 4 महीने कर दे। इसके बाद एनसीडीईएक्स ने मई में इसे 4 महीने कर दिया था। एक्सचेंज ने एक्सपायरी तारीख के बाद 4 महीने के अंदर कालीमिर्च की डिलीवरी भी अनिवार्य कर दी। नोटिस पाने वाले कुछ ब्रोकरों ने इस मामले में कुछ भी बोलने से मना कर दिया। उनका कहना है कि वे नोटिस का जवाब देंगे और इसके लिए वे नहीं, एनसीडीईएक्स जिम्मेदार है क्योंकि वेयरहाउसों में रखी काली मिर्च खराब क्वालटी की है जिसका बाजार में कोई खरीदार नहीं है। जब कीमत अच्छी काली मिर्च के लिए भरी गई है तो खराब काली मिर्च की डिलिवरी कैसे ली जाए। काली मिर्च वायदा में एक्सचेंज और एफएमसी की सख्ती की वजह से इसकी कीमतें गिरने लगी हैं। चालू महीने में काली मिर्च की कीमतें 15 फीसदी से ज्यादा लुढ़क चुकी हैं। नवंबर की शुरुआत में एनसीडीईएक्स में काली मिर्च के दिसंबर अनुबंध में प्रति क्विंटल की कीमत 43810 रुपये थी जो 30 नवंबर को गिरकर 37090 रुपये रह गई। फिलहाल काली मिर्च के दिन सुधरने वाले भी नहीं हैं। एंजेल कमोडिटी की वेदिका नार्वेकर कहती हैं कि नई फसल आने तक काली मिर्च में सुधार की गुंजाइश नहीं है क्योंकि घरेलू और वैश्विक बाजार में स्टॉक की कोई कमी नहीं हैं। घरेलू बाजार में कीमतें गिरने के बावजूद वैश्विक बाजार में अभी भी भारतीय काली मिर्च की कीमतें दूसरे प्रतिस्पर्धी देशों- वियतनाम और इंडोनेशिया की तुलना में अधिक हैं। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: