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01 दिसंबर 2012

आभूषण निर्यातकों को 'बड़े दिन' की आस

इस साल आभूषण निर्यात में गिरावट का सिलसिले तोडऩे के लिए रत्न एवं आभूषण निर्यातक क्रिसमस मांग पर दांव लगा रहे हैं। चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में निर्यात केवल 3.5 फीसदी बढ़ा है, जो अप्रैल-सितंबर के दौरान कुल निर्यात की वृद्धि दर 6.5 फीसदी से भी कम है। आभूषणों के निर्यात में गिरावट की मुख्य वजह अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में अनिश्चितताएं रहीं। अमेरिका भारतीय स्वर्ण आभूषण और हीरों का सबसे बड़ा बाजार है। हाल में रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के नए चेयरमैन विपुल शाह बने हैं। उन्होंने कहा, 'अमेरिका और अन्य देशों को होने वाले निर्यात में फिर से सुधार की उम्मीद है। अमेरिकी आंकड़ों से पता चलता है कि ग्राहकों का विश्वास बहाल हो रहा है। सितंबर में घोषित तीसरे राहत पैकेज से संकेत मिलने लगे हैं कि ग्राहक खर्च करने लगे हैं।' उन्होंने कहा कि अब तक आए और डिलिवरी किए गए क्रिसमस ऑर्डरों से पता चलता है कि गिरावट का रुझान खत्म हो रहा है। आभूषण निर्यातकों के लिए क्रिसमस पर निकलने वाली मांग बहुत अहम है। रत्न एवं आभूषण निर्यात परिषद के आंकड़ों के मुताबिक देश से कटे और पॉलिश हुए हीरों के निर्यात में गिरावट का रुझान अक्टूबर में भी जारी रहा। लेकिन वर्ष दर वर्ष आधार पर गिरावट डॉलर और रुपये के लिहाज से पिछले महीने की तुलना में कम रही। रुपये में गिरावट से भी निर्यातकों को सहारा मिल रहा है। कैपिटालाइन के विश्लेषण में कहा गया है, 'रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के निर्यात में पिछले 6-8 महीनों से गिरावट आ रही थी। लेकिन अब अमेरिका में क्रिसमस सीजन से पहले हीरों की निर्यात मांग में कुछ सुधार आने की संभावना है। हालांकि मांग बहुत अधिक नहीं रहेगी, क्योंकि अमेरिका में रिकवरी धीरे-धीरे हो रही है और यूरोजोन देशों में ऋण संकट बरकरार है।' कैपिटालाइन ने यह भी कहा है, 'निर्यात क्षेत्र में जिन निर्यातकों ने विदेशी मुद्रा में अपने सौदों की हेजिंग नहीं की और ऊंचे मार्जिन वाले आभूषणों की हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं, वे ज्यादा बेहतर स्थिति में हैं। घरेलू मांग पर केंद्रित कारोबारियों की मांग आगामी वैवाहिक सीजन में बढ़ेगी।' रत्न एवं आभूषण निर्यात परिषद के आंकड़ों के मुताबिक कटे और पॉलिश हुए हीरों के सेगमेंट में कुछ सुधार देखा गया है। देश से इनके निर्यात में अक्टूबर में भी गिरावट का रुझान रहा, लेकिन वर्ष दर वर्ष आधार पर गिरावट डॉलर और रुपये के लिहाज से पिछले महीने की तुलना में कम रही। कटे और पॉलिश हुए हीरों का निर्यात अक्टूबर में 28 फीसदी गिरकर 1,33.92 करोड़ डॉलर रहा, जो सितंबर में 39 फीसदी गिरावट के साथ 1,50.73 करोड़ डॉलर रहा था। पॉलिश किए हुए हीरों के एक बड़े हिस्से का निर्यात संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, हॉन्ग कॉन्ग और यूरोपीय देशों को किया जाता है। सोने के आभूषणों का निर्यात संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग को किया जाता है। हालांकि भारत में इसका विनिर्माण मुख्य रूप से घरेलू खपत के लिए होता है।चांदी के आभूषणों का निर्यात अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, हॉन्ग कॉन्ग और ब्रिटेन को किया जाता है। भारत सोने और कच्चे हीरों सहित कीमती धातुओं का आयात करता है। सोने का आयात स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त अरब अमीरात से किया जाता है। कच्चे हीरे हॉन्ग कॉन्ग, बेल्जियम, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और अमेरिका से खरीदे जाते हैं। कीमती रत्नों की खरीद थाईलैंड, हॉन्ग कॉन्ग, जांबिया, श्रीलंका और जर्मनी से की जाती है। मोतियों की खरीद जापान, चीन और हॉन्ग कॉन्ग से की जाती है। चांदी का आयात ब्रिटेन, चीन, रूस, स्विटजरलैंड और हॉन्ग कॉन्ग से किया जाता है। (BS Hindi)

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