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05 सितंबर 2008

'समय पर समाप्त हो जाएगी वायदा पर लगी पाबंदी'

मुंबई September 04, 2008
उपभोक्ता मामलों से संबंधित विभाग के सचिव यशवंत भावे वायदा कारोबार पर मई में लगी पाबंदी को स्वत: हटाए जाने के पक्ष में हैं।
मई के स्थगन आदेश के बाद चार कृषि जिसों को अचानक असूचीबध्द किए जाने से बाजार के प्रतिभागी चकित थे। भावे ने टेलीफोन पर बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि, 'यह मामला जिंस बाजार के नियामक, फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी), के न्याय क्षेत्र में आता है। इसलिए इस मामले में एफएमसी को आवश्यक कदम उठाना चाहिए।मुझे विश्वास है कि यह पाबंदी स्वत: समाप्त हो जाएगी क्योंकि जहां तक मैं जानता हूं इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई है। सरकार ने अभी तक कोई आदेश नहीं दिया है और न ही एफएमसी से इस संदर्भ में बातचीत हुई है।'एफएमसी ने रबर, चना, सोया तेल और आलू के कारोबार पर चार महीने के लिए रोक लगा दी थी। इससे पहले वायदा कारोबार के लिए चार जिंसों को असूचीबध्द कर दिया गया और इनके पुन: शुरू किए जाने के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की अनुमति लेने की जरूरत है। मई में उठाया गया नया कदम स्थगन के रूप में था और इसलिए जब स्थगन अवधि की समाप्ति होती है तो वायदा कारोबार स्वत: शुरू हो जाना चाहिए, अगर स्थगन अवधि में बढ़ोतरी नहीं की जाती है तो। यद्यपि, चार स्थगित जिसों के वायदा कारोबार की शुरुआत अपने आप शुरू हो सकती है लेकिन नये सौदों के लिए एक्सचेंजों को एफएमसी की अनुमति लेनी होगी। उस समय वामपंथी पार्टियों के दबाव के कारण सरकार को वायदा कारोबार को रोकने जैसा कदम उठाना पड़ा था। वामपंथी पार्टियों का मानना था कि वायदा कारोबार के कारण हाजिर बाजार में जिंसों की कीमतें बढ़ रही हैं और फलस्वरूप महंगाई भी।लेकिन, अब वामपंथी पार्टियां सरकार का समर्थन नहीं कर रही हैं इसलिए इन जिंसों के वायदा कारोबार के फिर से शुरू होने की उम्मीद है। एफएमसी ने सरकार को दाल और अनाजों पर लगी पाबंदी को हटाने के संदर्भ में पहले ही लिख चुका है।एफएमसी को अपने इस कदम के लिए किसानों, कारोबारियों तथा कमोडिटी एक्सचेंजों के सदस्यों और ग्राहकों का विरोध सहना पड़ा था। लेकिन वैश्विक बाजार में आवश्यक जिंसों की कीमतों में नरमी आई है और इस बात की संभावना अधिक है कि नियामक प्रतिबंधित जिंसों के वायदा कारोबार के पुन: शुरुआत की अनुमति देगा। (BS Hindi)

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