09 अप्रैल 2013
राज्यों के लिए चीनी खरीद का गढ़ बना महाराष्ट्र
चीनी को आंशिक तौर पर नियंत्रण मुक्त करने का फायदा महाराष्टï्र की चीनी मिलों को मिल सकता है। दरअसल, अन्य चीनी उत्पादक राज्यों की तुलना में महाराष्टï्र में चीनी के दाम कम हैं जिससे यह राज्य सरकारों के लिए पसंदीदा खरीद स्थल के तौर पर सामने आया है। इसके साथ ही यहां चीनी की उपलब्धता भी पर्याप्त है।
केंद्र के रिलीज प्रणाली और 10 फीसदी लेवी अनिवार्यता को समाप्त करने के फैसले के बाद महाराष्ट्र चीनी खरीद के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। अब पीडीएस के लिए खुले बाजार से चीनी खरीदने की जिम्मेदारी सरकार पर आ गई है।
राज्य सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'महाराष्ट्र में सूखे के बावजूद 19.5 लाख टन के पिछले साल के बचे हुए स्टॉक सहित चीनी उत्पादन 80 लाख टन रहेगा। इसके अलावा महाराष्ट्र में चीनी की एक्स मिल कीमत (शुल्क रहित) 2,800-2,900 रुपये प्रति क्विंटल है, जो कर्नाटक मेंं 2800-2,850 रुपये, उत्तर प्रदेश में 3,200-3,250 रुपये और गुजरात में 2,900-3,000 रुपये प्रति क्विंटल है। अधिकारी ने कहा कि राज्य की चीनी की गुणवत्ता काफी बेहतर है। अधिकारी ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में केवल 62 मिलों ने हिस्सा लिया है। इसके इतर महाराष्ट्र में 108 सहकारी मिलें कुल उत्पादन के 75 फीसदी हिस्से का उत्पादन करती हैं।Ó
फैडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य की फैक्टरियों से चीनी की संभावित खरीद के लिए विभिन्न राज्यों और कारोबारियों द्वारा पूछताछ की जा रही है।
महाराष्ट्र शुगर मर्चेन्ट ऐंड ब्रोकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश पांडे ने कहा कि देश के कुल उत्पादन में महाराष्ट्र का करीब 33 फीसदी योगदान होता है। उन्होंने कहा, 'राज्य का चीनी उत्पादन सभी राज्यों से ज्यादा है। महाराष्ट्र में चीनी के भाव अन्य राज्यों से कम हैं। हालांकि कर्नाटक में कीमतें लगभग समान ही हैं। लेकिन महाराष्ट्र की तुलना में कर्नाटक का चीनी उत्पादन बहुत कम है।Ó उन्होंने कहा कि अन्य राज्य आगामी त्योहारी सीजन के लिए चीनी का स्टॉक करना शुरू करेंगे। (BS Hindi)
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