27 अप्रैल 2013
फसलों की बुआई पर सूखे का असर
गुजरात के कई हिस्सों में पानी की भारी किल्लत से राज्य में ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई पर असर पड़ा है। राज्य कृषि विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2013 में गर्मी की फसलों की बुआई पिछले साल से करीब 30 फीसदी कम हुई है। उड़द, मूंगफली और धान की बुआई में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है।
अब तक राज्य में गर्मी की बुआई 9,02,000 हेक्टेयर हुई है, जो पिछले साल इस समय तक 12,91,800 हेक्टेयर थी। 5 अप्रैल तक बुआई तीन सालों के औसत 12,51,500 हेक्टेयर से करीब 28 फीसदी कम है। इस सीजन में अब तक उड़द की बुआई 95 फीसदी गिरकर 300 हेक्टेयर रही है, जो पिछले साल 6,800 हेक्टेयर थी। उड़द की बुआई तीन वर्षों के औसत 5,100 हेक्टेयर से करीब 94 फीसदी कम है। इसी तरह ग्रीष्मकालीन मूंगफली की बुआई तीन वर्षों के औसत 1,69,800 हेक्टेयर के मुकाबले 56 फीसदी से ज्यादा गिरकर 75,200 हेक्टेयर रही है। पिछले सीजन में मूंगफली की बुआई 1,87,400 हेक्टेयर में हुई थी।
गीष्मकालीन मूंगफली की फसल की बुआई फरवरी-मार्च में शुरू होती है, जबकि कटाई मई-जून से। सौराष्ट्र ऑयल मिल्स एसोसिएशन (सोमा) के मानद सचिव किशोरभाई पटेल ने कहा, 'सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की कमी से सौराष्ट्र क्षेत्र में मूंगफली की बुआई पर असर पड़ा है। इससे इस साल मूंगफली के उत्पादन में करीब 50 फीसदी गिरावट आएगी।Ó उनके अनुसार पिछले साल ग्रीष्मकालीन मूंगफली का उत्पादन 2,25,000 से 2,50,000 टन रहा था, जो इस साल घटकर 1,25,000 टन पर आ सकता है। उन्होंने कहा, 'मूंगफली की कीमतों में पहले ही तेजी आनी शुरू हो चुकी है। मूंगफली (छिलके सहित) का भाव 1,000 से 1,100 रुपये प्रति 20 किलोग्राम है, जो पिछले साल से करीब 30 फीसदी ज्यादा है।Ó राज्य कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'बुआई में गिरावट मुख्य रूप से पानी की किल्लत के कारण आई है। मूंगफली की बुआई मुख्य रूप से सौराष्ट्र क्षेत्र में होती है, जो सूखे के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।Ó इस साल धान की बुआई भी तीन साल के औसत 65,000 हेक्टेयर से 50 फीसदी से ज्यादा गिरकर 29,300 हेक्टेयर रही है।
एक किसान संगठन भारतीय किसान संघ (बीकेएस) हंसमुख डाभी ने कहा, 'नर्मदा नहर से पानी लेने की स्वीकृति नहीं दी जा रही है। अगर किसान नहर से पानी लेते हैं तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इससे बुआई पर बहुत असर पड़ा है।Ó कम बुआई इसलिए हुई है, क्योंकि ग्रीष्मकालीन सीजन के मध्य में हालिया बारिश से कृषि क्षेत्र को मदद नहीं मिली है। किसानों के मुताबिक इस सीजन की बारिश से मूंगफली और अनाज सहित गर्मी की फसलों को फायदा होता है, क्योंकि इससे गर्मी की फसलों को आवश्यक नमी और पानी मिलता है।
सुरेंद्रनगर के एक किसान ने कहा, 'गर्मी में होने वाली बारिश को गर्मी की फसलों के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन इस बार इससे ज्यादा फायदा नहीं हुआ है। बुआई कम हुई है, इसलिए अगर गर्मियों में बारिश भी होती है तो बंपर फसल उत्पादन नहीं होगा।Ó
ग्रीष्मकालीन फसलों में उड़द, मक्का, मूंग, धान, बाजरा, तिल, मूंगफली और सब्जियां शामिल होती हैं (BS Hindi)
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