17 अप्रैल 2013
लुढ़कते सोने से डब्बा ट्रेडरों की बढ़ी आफत
सोने के भाव में तेज गिरावट से मुंबई के जवेरी बाजार में खरीदार उमड़ रहे हैं और ज्वैलरों के वारे-न्यारे हैं। लेकिन इसी बाजार में कुछ ऐसे ज्वैलर भी हैं, जिनके चेहरों से मुस्कान गायब है। उनकी परेशानी की असल वजह डब्बा ट्रेडिंग है, जिसका जाल पूरे बाजार में फैला है। डब्बा ट्रेडिंग में लगे सटोरियों का धंधा ही इस गिरावट के कारण बैठ गया है और करोड़ों रुपये डुबाकर वे भाग खड़े हुए हैं।
सोना-चांदी कारोबारियों की एक प्रमुख संस्था के एक पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, 'पिछले हफ्ते से आई गिरावट में डब्बा ट्रेडरों को ही ज्यादा नुकसान हुआ है। वहां खरीदारी करने वाले घाटे की चोट खाकर भाग गए हैं। दरअसल माल लेने वाले उनके पास तकादा कर रहे हैं, लेकिन वे सोन दें तो कहां से दें। इसलिए दुकानें बंद कर फरार हो गए हैं।Ó
दरअसल जवेरी बाजार डब्बा ट्रेडिंग का सबसे बड़ा बाजार है और यहां डब्बा एक्सचेंजों में रोजाना 200 से 500 करोड़ रुपये का कारोबार होने की बात कही जाती है। मुंबई के अलावा गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब में भी बड़े पैमाने पर यह ट्रेडिंग होती है। राजकोट, वडोदरा, जयपुर, लुधियाना, दिल्ली, कानपुर, हैदराबाद जैसे शहरों में बेरोकटोक यह धंधा चल रहा है।
हालांकि यह गैरकानूनी कारोबार है, जिसे रोकन के लिए वायदा बाजार आयोग कदम उठाता रहता है। लेकिन सोने-चांदी में इस पर अंकुश नहीं लग रहा क्योंकि यह कारोबार खामोशी से किया जाता है। बाजार जानकारों के मुताबिक इसके सही आंकड़े तो नहीं हैं, लेकिन देश भर में करीब 200 डब्बा एक्सचेंजों में रोजाना करीब 1,000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है, जिसमें 90 फीसदी सोना और चांदी का ही होता है। मुंबई में सोना-चांदी के डब्बा ट्रेडर अंतरराष्टï्रीय एक्सचेंजों और मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर चल रहे भाव के मुताबिक कच्चे चि_ïे पर खरीदफरोख्त करते हैं।
एक डब्बा ट्रेडर ने बताया कि सोने का भाव ज्यादा होने के कारण लोग डब्बा ट्रेडिंग का सहारा लेते हैं। किसी भी एक्सचेंज से 1 करोड़ रुपये का सोना खरीदने पर 1,500 रुपये खर्च आता है और आयकर विभाग की नजर भी आप पर गड़ जाती है। इसमें एक्सचेंज को पैसा पहले ही देना होता है। दूसरी ओर डब्बा ट्रेडिंग में महज 200-300 रुपये खर्च होते हैं और पैसा भी सेटलमेंट के वक्त दिया जाता है।
कीमतें गिरने पर डब्बा कारोबारियों के भागने की बात पर एक कारोबारी ने कहा कि यह कारोबार हमेशा के लिए बंद नहीं होगा और आपसी भरोसे के कारण पैसा कुछ समय में मिल ही जाएगा। लेकिन कारोबारी यह भी कबूल कर रहे हैं कि गुजरात या उत्तर प्रदेश के कारोबारियों से पैसा वसूलना टेढ़ी खीर होगी क्योंकि इसमें कानून का सहारा नहीं लिया जा सकता।
क्या है डब्बा कारोबार?
लाइसेंस और कानूनी नियम कायदों के बाहर कारोबार करने वाले डब्बा ट्रेडर कहलाते हैं। डब्बा एक्सचेंज पर सौदा करने वाले कारोबारी किसी भी सरकारी मान्यता प्राप्त एक्सचेंज पर चल रहे भाव को आधार बनाते हैं। इसमें हर हफ्ते कारोबार का सेटलमेंट होता है और पैसे का लेनदेन उसी दिन नकद में किया जाता है। हफ्ते भर का लेखा-जोखा एक पन्ने पर लिखा होता है, जिसमें ट्रेडर का नाम कोड में लिखा रहता है। सेटलमेंट के बाद वह पेज फाड़ या जला दिया जाता है ताकि कोई सबूत न रहे। इसमें शुल्क बेहद कम होता है और दूसरे कर भी नहीं लगते। वायदा अनुबंध (नियमन) अधिनियम, 1952 में ऐसी ट्रेडिंग के लिए जेल का प्रावधान है। (BS Hindi)
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