27 अप्रैल 2013
रबर के भाव हुए और लचीले
प्राकृतिक रबर की कीमतें गिर कर मंगलवार को 160 रुपये प्रति किलोग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे आ गईं जिससे आने वाले महीनों में रबर कीमतों में मंदी के चरण का रास्ता साफ होता दिख रहा है। कोच्चि और कोट्टïायम के स्थानीय बाजारों में रबर के भाव आज आरएसएस-4 ग्रेड के लिए 158 रुपये प्रति किलोग्राम पर थे।
विश्लेषकों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि रबर की कीमतें 150 रुपये से नीचे आ सकती हैं और कुछ कारोबारियों का यह भी मानना है कि रबर के भाव गिर कर 140 रुपये के स्तर पर भी आ सकते हैं। स्थानीय बाजार में रबर ने फरवरी 2011 में 245 रुपये की ऊंचाई को छुआ था।
हालांकि इंडियन स्टैंडर्ड नैचुरल रबर (आईएसएनआर) ने बैंकॉक बाजार में रबर के लिए कीमत टैग 130 रुपये प्रति किलोग्राम पर निर्धारित किया है। आईएसएनआर की दर की तुलना में भारतीय कीमत अभी भी ऊपर बनी हुई है। इसलिए आने वाले महीनों में आयात में इजाफा होने की संभावना है, क्योंकि स्थानीय टायर उद्योग भारतीय बाजार से रबर जुटाने की स्थिति में नहीं है।
कोचीन रबर मर्चेंट्ïस एसोसिएशन (सीआरएमए) के पूर्व अध्यक्ष एन राधाकृष्णन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पूरी दुनिया में मंद आर्थिक विकास और वाहन उद्योग का कमजोर प्रदर्शन दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में रबर बागान उद्योग के लिए प्रमुख चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत में कुल खपत में लगभग 45 फीसदी का योगदान टायर कंपनियों का है और इस क्षेत्र में धीमी वृद्घि की वजह से मांग बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इसलिए बाजार में मंदी का दौर बरकरार रहने की आशंका है।
घरेलू रबर खपत 2012-13 के दौरान पूर्ववर्ती वित्त वर्ष की तुलना में महज 0.8 फीसदी बढ़ी। हालांकि 2011-12 में खपत में 1.8 फीसदी का इजाफा हुआ था। रबर बोर्ड के अनुमानों के अनुसार टायर क्षेत्र की खपत 2012-13 में 0.01 फीसदी की मामूली वृद्घि के साथ सपाट बनी रही जबकि गैर-टायर क्षेत्र में खपत में 2.3 फीसदी की वृद्घि दर्ज की गई। मासिक खपत पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में सुस्त बनी रही।
विश्लेषकों का कहना है कि प्राकृतिक रबर बाजार में तेजी तभी आने की संभावना है जब वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कुछ सुधार संभव हो। इस जिंस के लिए दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता चीन में मांग में गिरावट प्राकृतिक रबर सेगमेंट की प्रमुख चिंताओं में से एक है। इंटरनैशनल रबर स्टडी गु्रप (आईआरएसजी) के आंकड़े के अनुसार टायरों का वैश्विक उत्पादन 2012 में महज 0.7 फीसदी तक बढ़ा जबकि 2011 में यह वृद्घि 3.8 फीसदी थी। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें