22 अप्रैल 2013
सोने की कीमतों में अगले साल ही थमेगी गिरावट!
22 मार्च के बाद से सोने की कीमतों में 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और अब यह 1350 डॉलर रह गया है
मैंने 24 मार्च को सोने की कीमतों में गिरावट की संभावना के बारे में लिखा था। तब सोना न्यू यॉर्क में करीब 1600 डॉलर प्रति औंस पर था। 22 मार्च के बाद से ही सोने की कीमतों में करीब 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और अब यह 1350 डॉलर रह गया है।
सोने की कीमतों में अगले साल ही थमेगी गिरावट!
22 मार्च के बाद से सोने की कीमतों में 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और अब यह 1350 डॉलर रह गया है
देवांग्शु दत्ता / मुंबई April 21, 2013
Ads by Google
Commodity Market : Trade in Gold, Silver &Agricultural Products.Open Commodity A/C !
www.angelbroking.com/
मैंने 24 मार्च को सोने की कीमतों में गिरावट की संभावना के बारे में लिखा था। तब सोना न्यू यॉर्क में करीब 1600 डॉलर प्रति औंस पर था। 22 मार्च के बाद से ही सोने की कीमतों में करीब 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और अब यह 1350 डॉलर रह गया है।
संबंधित खबरें
गोल्ड लोन कंपनियों की चमक घटी
इस गिरावट के बाद भी भारतीयों के लिए सोना बेचना मनोवैज्ञानिक तौर पर मुश्किल है। दरअसल सोने से भारतीयों का परंपरागत जुड़ाव है। साथ ही पिछले 10 सालों से सोने में तेजी बरकरार है। सोने का भाव 2002 में 300 डॉलर प्रति औंस था जो 2012 में 1900 डॉलर पर पहुंच गया।
तकनीकी तौर पर बात करें तो सोने की कीमत 1900 डॉलर से 1600 डॉलर पर आने से यह साफ संकेत नहीं मिलते हैं कि तेजी का दौर थम चुका है और सोने की कीमतें अब उलटी चल रही हैं। या फिर यह कि कीमतों में तेज बढ़ोतरी के बाद यह महज मुनाफवसूली का दौर है। मगर पिछले 15 सत्रों में सोने की कीमतें जिस तरह से लुढ़की हैं उससे संकेत मिलते हैं कि सोने में तेजी अब वास्तव में पूरी हो चुकी है।
जब तक मांग और आपूर्ति में बड़ा असंतुलन न आए या फिर बुनियादी कारकों में कोई खास बदलाव न आए तब तक किसी जिंस में 25 फीसदी से अधिक की गिरावट नहीं आती है। महज इस आशंका से सोने में तेज गिरावट आ गई कि साइप्रस 14 टन सोना बेचेगा। यह काफी कम है। न्यू यॉर्क और लंदन दोनों मिलकर रोजाना 300 टन से ऊपर सोने का कारोबार करते हैं। यह तो तब है जब वे मध्य पूर्व और एशिया से किए गए कारोबार को इसमें शामिल न करें। आम दिनों में तो 14 टन की आपूर्ति पर किसी का ध्यान भी नहीं गया होता।
डर की दूसरी वजह संस्थागत और हेज फंडों के रवैये में बदलाव है। जॉर्ज सोरोस ने सोने में अपना निवेश कम कर दिया है और ऐलानिया कह चुके हैं कि सोने से उनका विश्वास उठचुका है। कई संस्थागत कंपनियां सोने में गिरावट की आशंका जता चुकी हैं। ऐसी खबरें फैलाई जा रही हैं कि केंद्रीय बैंक भी सोने को बेचने की तैयारी कर रहे हैं।
बुनियाद के बारे में सोना महंगाई और मुद्रा में कमजोरी से मुकाबले का एक जरिया है। अमेरिका में महंगाई और घट सकती है अगर फेडरल रिजर्व राहत पैकेज में कमी लाए। यूरोप में भी महंगाई कम है, चीन में महंगाई घट रही है जापान अपस्फीति से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। भारत में भी थोक महंगाई में कमी आ रही है।
महंगाई घटने का मतलब है कि सोने की कीमतों में गिरावट का दबाव, मगर मुद्रा की कमजोरी इसे संतुलित कर सकती है क्योंकि मुद्रा में कमजोरी साफ तौर पर नजर आ रही है। यूरोप अब भी संकट में है और साइप्रस इसका नया उदाहरण है। जापान ने केंद्रीय बैंक के बही खाते को दोगुना कर के बड़ा जुआ खेला है क्योंकि यह चाल पूरी तरह से उलटी भी पड़ सकती है क्योंकि जापान का कर्ज जीडीपी का 250 फीसदी है। अमेरिकी डॉलर मजबूत होने की सिर्फ एक ही वजह है कि बाकी सभी मुद्राओं में कमजोरी है।
कीमतों में गिरावट की एक वजह सटोरियों का अपने नुकसान को कम करने की कवायद भी है। जो भी हो, मगर सोने की कीमतों में गिरावट अगले साल ही खत्म होने की संभावना नजर आती है। हालांकि अगर यहां से सोने के भाव चढ़ते हैं तो उनकी वजह इनमें से एक होगी: महंगाई में बढ़ोतरी, मुद्रा को लेकर और डर, युद्घ, भूकंप या आतंकवादी हमला जैसी कोई त्रासदी।
सोने का गिरता भाव भारत के चालू खाते के घाटे के लिए अच्छा है। ऊर्जा के बाद सोने का ही सबसे अधिक आयात होता है। सोने में भारी गिरावट के कारण भारत में सोने के खरीदार भी डरे हुए हैं। सोना दशकों तक 240 से 400 डॉलर के बीच कारोबार करता रहा है। अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में पूर्ण बदलाव आता है तो अगले दो से तीन सालों में सोना गिरकर वापस इसी स्तर पर आ सकता है। खतरनाक बात यह है कि भारतीय घरों में 22,000 से 25,000 टन सोना है (रिजर्व बैंक के पास करीब 550 टन सोना)। अगर सोने के भाव में गिरावट आती है तो सोने में किया निवेश भी औंधे मुंह गिर जाएगा।
इससे जिन लोगों ने सोना खरीद रखा है उनकी संपत्ति में अच्छी खासी गिरावट आ सकती है। अगर सोने की कीमतों में भारी गिरावट आती है तो बैंकों के लिए भी समस्या हो सकती है। आईसीआईसीआई बैंक और एसबीआई पर खासतौर पर इसका असर पड़ सकता है जो सोने के बदले अच्छा खासा कर्ज देते रहे हैं। जिन आभूषण निर्माताओं ने ऊंची कीमत पर सोना खरीद कर रखा है वे भी संकट में फंस सकते हैं।भारत में भौतिक सोना और गोल्ड फ्यूचर्स को लेकर भी खासी असमानता है। भौतिक सोना 5 से 6 फीसदी महंगा बिक रहा है जिससे पता चलता है कि भारतीय अब तक सोने में निवेश को लेकर सजग नहीं हुए हैं। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें