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05 अप्रैल 2013

बाजार के हवाले हुई चीनी, जल्द बढ़ सकते हैं दाम

नए कदम - चीनी मिलों पर लेवी चीनी की बाध्यता खत्म, रिलीज मैकेनिज्म भी समाप्त, घरेलू बाजार में चीनी बेचने की मिलों को आजादी क्या असर - उद्योग को सालाना 3,000 करोड़ रुपये का फायदा, केंद्र पर पड़ेगा 5,300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त सब्सिडी बोझ केंद्र सरकार ने शर्तों के साथ चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त कर दिया है। चीनी मिलों से लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त कर दी गई है जिससे उद्योग को तो सालाना करीब 3,000 करोड़ रुपये का फायदा होगा लेकिन इससे केंद्र सरकार पर 5,300 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी का भार पड़ेगा। घरेलू बाजार में चीनी बेचने की आजादी मिलों को होगी, लेकिन चीनी निर्यात के लिए सरकार की मौजूदा नीति ही जारी रहेगी। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की गुरुवार को हुई बैठक के बाद खाद्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मिलों से लेवी चीनी की बाध्यता अब समाप्त कर दी गई है। इसके साथ ही रिलीज मैकेनिज्म को भी समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि लेवी में चीनी की खरीद खुले बाजार से की जाएगी तथा इसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी जिससे केंद्र पर करीब 5,300 करोड़ रुपये की सब्सिडी का भार पड़ेगा। उन्होंने कहा कि रिलीज मैकेनिज्म समाप्त होने से खुले बाजार में चीनी की बिक्री का फैसला मिलें स्वयं कर सकेंगी। थॉमस ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन के लिए राज्य सरकारें चीनी की खरीद खुले बाजार से कर सकेंगी। खुले बाजार से चीनी खरीदने का अगले दो साल तक दाम 3,200 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है तथा पीडीएस में चीनी का आवंटन 13.50 रुपये प्रति किलो की दर से ही किया जाएगा। थॉमस ने कहा कि गन्ने का दाम तय करने का अधिकार राज्य सरकारों का होगा। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने चीनी उद्योग को डीकंट्रोल करने का स्वागत किया है। इस्मा के अनुसार, लेवी चीनी की बाध्यता हटने से उद्योग को सालाना करीब 3,000 करोड़ रुपये का फायदा होगा जिससे किसानों को गन्ने का भुगतान समय पर करने में मदद मिलेगी। अभी तक चीनी मिलों को चीनी के कुल उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा लेवी चीनी के रुप में देना अनिवार्य था तथा देश में लेवी चीनी की सालाना खपत करीब 27 लाख टन की होती है। लेवी चीनी का वितरण राज्य सरकारों द्वारा पीडीएस के माध्यम से किया जाता है। (Business Bhaskar)

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