31 अक्तूबर 2013
जिंस एक्सचेंज में शेयरधारिता के लिए 15 फीसदी की सीमा
जिंस बाजार नियामक जिंस एक्सचेंजों के लिए स्वामित्व मानकों में बदलाव पर विचार कर रहा है और नए मानकों में किसी निवेशक द्वारा अधिकतम शेयरधारिता 15 फीसदी हो सकती है।
वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के मौजूदा मानकों में जिंस एक्सचेंजों के लिए प्रमुख निवेशक की अवधारणा की अनुमति दी गई है जिसमें प्रमुख निवेशकों की हिस्सेदारी एक्सचेंज में 5 साल के परिचालन के बाद 26 फीसदी हो सकती है। इसके अलावा कुछ उप-सीमाएं हैं, जैसे स्टॉक एक्सचेंज किसी कमोडिटी एक्सचेंज में 5 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी नहीं रख सकता। एफआईआई भी जिंस एक्सचेंज में 5 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी नहीं रख सकते।
उस समय प्रमुख निवेशकों को अनुमति दिए जाने की प्रमुख वजह यह भी थी कि जिंस बाजार शुरुआती अवस्था में था और तब हिस्सेदारी की जरूरत थी। अब बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है और नियामक सूत्रों के अनुसार, 'नियामकों के बीच समकालिक नीतियों के मामले में शुरुआत हुई है और इस पहल के तहत एफएमसी भी स्वामित्व से संबद्घ मानकों की समीक्षा पर विचार कर रहा है।Ó
अधिकारियों ने बताया कि 15 फीसदी की सीमा का प्रस्ताव विदेशी निवेशकों को छोड़ कर सभी निवेशकों के लिए रखा जा सकता है। विदेशी निवेशकों के लिए यह सीमा 5 फीसदी पर है। 6 में से 5 एक्सचेंजों के पास प्रमुख निवेशक हैं और यदि प्रस्तावित बदलाव पर अमल होता है तो वे उन्हें अपनी पूंजी हिस्सेदारी घटाने के लिए समय देंगे। एसीई एक्सचेंज जैसे नए एक्सचेंजों का प्रबंधन कोटक समूह और यूसीएक्स का प्रबंधन केतन शाह नियंत्रित कॉमेक्स टेक्नोलॉजीज द्वारा किया जाता है और मौजूदा मानकों के अनुसार इन निवेशकों की हिस्सेदारी 40 फीसदी है जिसे परिचालन के पांच वर्ष पूरे होने पर घटा कर 26 फीसदी पर लाना होगा। रिलायंस एडीएजी समूह के आई-सीईएक्स में दो प्रमुख निवेशक हैं और इनकी 26 फीसदी की हिस्सेदारी है।
इनमें एमएमटीसी और रिलायंस एडीएजी समूह की कंपनी आर-नेक्स्ट शामिल हैं। वहीं अपने परिचालन के लगभग 10 साल पूरे कर चुके पुराने एक्सचेंजों की बात की जाए तो जिग्नेश शाह प्रवर्तित फाइनैंशियल टेक्नोलॉजीज (एफटीआईएल) की मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में 26 फीसदी की हिस्सेदारी है। हालांकि एनएसईएल भुगतान संकट के बाद उसे एफएमसी की तरफ से फिट ऐंड प्रॉपर टेस्ट का सामना करना पड़ रहा है। (BS Hindi)
निर्यात मांग से बासमती धान में और तेजी संभव
आर एस राणा नई दिल्ली | Oct 31, 2013, 00:17AM IST
दस दिनों में पूसा 1121 के दाम 25 फीसदी बढ़कर 3900-400 रुपये प्रति क्विंटल
बासमती चावल में निर्यात मांग अच्छी होने से धान की कीमतों में तेजी बनी हुई है। उत्पादक मंडियों में पिछले दस दिनों में पूसा-1121 बासमती धान की कीमतों में 20 से 25 फीसदी की तेजी आकर भाव 3,900 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। चालू वित्त वर्ष 2013-14 के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) के दौरान बासमती चावल का निर्यात मात्रा के हिसाब से 16.6 फीसदी और मूल्य के हिसाब से 18.24 फीसदी तक बढ़ चुका है।
खुरानिया एग्रो के प्रबंधक रामविलास खुरानिया ने बताया कि बासमती चावल में निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है, जिससे धान के भाव बढ़ रहे हैं। पिछले दस दिनों में पूसा-1,121 बासमती धान की कीमतों में 800 रुपये की तेजी आकर भाव 3,900-4,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। बासमती नं. वन धान की कीमतें बढ़कर 5,500 रुपये और डुप्लीकेट बासमती धान की कीमतें बढ़कर 3,700 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।
बासमती चावल का पुराना स्टॉक कम है जबकि निर्यात मांग अच्छी है, ऐसे में आगामी दिनों में बासमती धान की मौजूदा कीमतों में और भी 800 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने की संभावना है। हरियाणा की कैथल मंडी में बासमती धान की आवक बढ़कर एक लाख बोरी की हो गई है।
एपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2013-14 के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 16.6 फीसदी की तेजी आकर कुल निर्यात 17.50 लाख टन का हो चुका है। पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 15 लाख टन का हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अप्रैल से अगस्त के दौरान मूल्य के लिहाज से बासमती चावल के निर्यात में 18.24 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 14,452.47 करोड़ रुपये का हुआ है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 12,223.22 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था।
श्री बालाजी राइस ट्रेडर्स के प्रबंधक विनय अग्रवाल ने बताया कि बासमती चावल की कीमतों में तेजी बनी हुई है। पूसा-1,121 बासमती चावल सेला का भाव बढ़कर बुधवार को 7,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। पूसा नं. वन बासमती चावल का भाव बढ़कर 10,000 रुपये और डुप्लीकेट बासमती चावल का भाव बढ़कर 6,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।
रमेश कुमार एंड कंपनी के प्रबंधक राजेश अग्रवाल ने बताया कि नरेला मंडी में बासमती धान की आवक बढ़कर एक लाख बोरी और नजफगढ़ मंडी में 25,000 बोरियों की हो गई है। मंडी में पूसा-1,121 बासमती धान का भाव बढ़कर 3,900 रुपये और डुप्लीकेट बासमती का भाव बढ़कर 3,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। (Business Bhaskar....R S Rana)
'स्पॉट' को भुगतान के लिए मोहन इंडिया तैयार
संकट में फंसे नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) और उसके एक बकायेदार सदस्य मोहन इंडिया लिमिडेट के बीच भुगतान को लेकर एक समझौता हुआ है। इसके तहत मोहन इंडिया एनएसईल को साल भर में 771 करोड़ रुपये के भुगतान का करेगी। इसमें पहले चरण में 11 करोड़ रुपये का भुगतान होगा और बाकी रकम एक साल के अंदर देने की बात कही गई है।
एक्सचेंज की दूसरी सबसे बड़ी बकायेदार मोहन इंडिया पर कुल 908 करोड़ रुपये की देनदारी है यानी फिलहाल भुगतान का जो करार हुआ है, उसमें 20 फीसदी कम रकम दी जा रही है। करार की खबर से फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिज का शेयर 10.6 फीसदी चढ़कर 173.75 पर बंद हुआ। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) का शेयर भी 1.76 फीसदी बढ़त पर बंद हुआ।
एनएसईएल के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ साजी चेरियन ने कहा, 'एनएसईएल की नई टीम और एनएसईएल इन्वेस्टर्स फोरम (एनआईएफ) के प्रयासों के कारण सदस्यों से पैसे आने शुरू हो गए हैं। एक्सचेंज और निवेशकों के लिए यह सकारात्मक बात है। कुछ अन्य सदस्य भी अपने बकाया भुगतान के लिए जल्द ही आगे आ सकते हैं।
हम इस बारे में सभी तरह की जानकारी नियामकों एवं जांच अधिकारियोंं को उपलब्ध करा रहे हैं।Ó नई दिल्ली में एनआईएफ के संयोजक राजा विश्वनिधि डालमिया ने कहा, 'मोहन इंडिया के साथ एनएसईएल का करार निवेशकों का पैसा वापस लाने की दिशा में सकारात्मक कदम है।Ó मोहन इंडिया के निदेशक जगमोहन गर्ग ने कहा, 'बताई गई रकम का भुगतान साल भर के अंदर करने के लिए हम प्रतिबद्घ हैं।Ó
सूत्रों के मुताबिक मोहन इंडिया ने इस भुगतान के लिए बीकानेर में 500 एकड़ जमीन और नई दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में 14000 वर्ग गज का बंगला गिरवी रखा है। मोहन इंडिया दिल्ली की कंपनी है, जो चीनी, होटल और रियल एस्टेट कारोबार से जुड़ी है। कंपनी ने एक्सचेंज पर चीनी भंडारण में निवेश किया था।
सूत्रों ने बताया कि पीडी एग्रो के साथ 605 करोड़ रुपये का करार भी जल्द होने की उम्मीद है। अनुमान है कि पीडी एग्रो एक्सचेंज में 25 करोड़ रुपये का शुरुआती भुगतान करेगी और बाकी रकम एक साल के अंदर जमा करा सकती है। स्पिन कॉट भी 358 करोड़ रुपये में से 40 करोड़ रुपये दो महीने के अंदर देने को तैयार है। (BS Hindi)
Gold declines on increased stockist selling, global cues
New Delhi, Oct 31. Continuing its falling streak for
the fourth straight session, gold tumbled by Rs 260 to Rs
31,450 per ten grams in the national capital today on heavy
selling by stockists, triggered by weak global trend.
Silver also fell by Rs 550 to Rs 49,550 per kg on lack of
buying support from industrial units and coin manufacturers at
prevailing higher levels.
Traders said continued selling by stockists in tandem with
a weakening global trend, on speculation that the US Fed may
begin scaling back monetary stimulus as the economy improves,
mainly kept pressure on prices.
Gold in Singapore, which normally determines price trend
on the domestic front, fell by 0.7 per cent to USD 1,335.30 an
ounce and Silver by 1.9 per cent to USD 22.32 an ounce.
They said lower domestic demand at current levels and
investors shifting their funds to rising equities also
influenced the sentiment.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity remained under selling pressure and tumbled further by
Rs 260 each at Rs 31,450 and Rs 31,250 per ten grams,
respectively. It had lost Rs 860 in the last three sessions.
Sovereign, however, remained steady at Rs 25,300 per piece
of eight gram in restricted buying.
In line with a general weak trend, silver ready declined
by Rs 550 to Rs 49,550 per kg and weekly-based delivery by Rs
680 to Rs 49,120 per kg. The white metal had gained Rs 510
yesterday.
Silver coins also dropped by Rs 1,000 to Rs 87,000 for
buying and Rs 88,000 for selling of 100 pieces.
30 अक्तूबर 2013
एथेनॉल निविदा के लिए सुस्त प्रतिक्रिया
पहली निविदा के ऑर्डरों को अंतिम रूप देने में हुए विलंब की वजह से चीनी मिलों ने तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा तीन महीने पहले जारी की गई दूसरी एथेनॉल खरीद निविदा को लेकर धीमी प्रतिक्रिया दिखाई है।
पिछले साल के अंत में पेट्रोल के साथ 5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण को अनिवार्य बनाए जाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी के तहत ओएमसी ने चालू वित्त वर्ष में 105 करोड़ लीटर ईंधन की जरूरत के लिए पहली निविदा जारी की थी। लेकिन पेराई सत्र में सुस्ती की वजह से चीनी मिलों ने पहली निविदा के संदर्भ में सिर्फ 55 करोड़ लीटर की आपूर्ति की पेशकश की।
पहली निविदा के लिए आपूर्ति अंतर को पाटने की कोशिश में ओएमसी ने दिसंबर 2013 और नवंबर 2014 के बीच 133.5 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदने के लिए जुलाई में दूसरी निविदा जारी की थी। इसकी प्रतिक्रिया में चीनी मिलों ने महज 62 करोड़ लीटर की आपूर्ति की पेशकश की जो निविदा में निर्धारित मात्रा का लगभग 46 फीसदी है।
एथेनॉल आपूर्ति में कमी को चिंताजनक माना जा रहा है, क्योंकि चीनी मिलों ने इस साल स्वच्छ ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति का दावा किया था और तेल कंपनियां भी इसके लिए ऊंची कीमत चुकाने पर सहमत हो गई थीं।
इस उद्योग के एक सूत्र ने आपूर्ति को लेकर धीमी प्रतिक्रिया की पुष्टिï करते हुए कहा कि ओएमसी द्वारा निर्धारित कीमतें भी कम हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश में ओएमसी के लिए एथेनॉल आपूर्ति की एक्स-मिल कीमत 36 रुपये प्रति लीटर पर तय की गई थी, जबकि महाराष्टï्र और कर्नाटक में इसे 39-40 रुपये प्रति लीटर निर्धारित किया गया। पेट्रोल पम्पों पर हालांकि एथेनॉल कीमत 7 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ी, लेकिन ओएमसी को अभी भी 7-8 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा हो रहा है।
इस उद्योग के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'चीनी मिलों ने लगभग सात महीने के विलंब की वजह से असहजता महसूस की है। इस विलंब ने इस उद्योग को इतनी लंबी अवधि तक अनिश्चितता के घेरे में ला दिया। इसके अलावा पूरी पूंजी भी फंसी हुई थी जिस पर उद्योग को बैंकों के लिए लगातार ब्याज चुकाना पड़ रहा था।Ó
तेल विपणन कंपनियों ने अधिक कीमत की वजह से पहली निविदा में चीनी मिलों के 15 करोड़ लीटर एथेनॉल के ऑफर को ठुकरा दिया था। जुलाई में 40 करोड़ लीटर के ऑर्डरों के बावजूद तेल कंपनियां अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक मुश्किल से 8 करोड़ लीटर की खरीदारी में सफल रही हैं।
तकनीकी तौर पर दूसरी निविदा के लिए बोलियों को मौजूदा समय में खोला जा रहा है जिसके लिए ऑर्डरों को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निदेशक (मार्केटिंग) के के गुप्ता ने कहा, 'अभी इस मामले में कुछ भी तय नहीं किया गया है। मौजूदा समय में प्रक्रिया जारी है।Ó
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार दूसरी बोली प्रक्रिया के लिए औसतन कीमत ऑफर 36-38 रुपये प्रति लीटर (एक्स-मिल) के बीच तय किया गया है। चीनी उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, 'हम पर्याप्त मात्रा में एथेनॉल की आपूर्ति के लिए तैयार हैं। लेकिन ओएमसी को ऊंची कीमत चुकानी होगी। जब शोधित स्पिरिट को आराम से 40-42 रुपये प्रति लीटर और एक्सट्रा न्यूट्रल एल्कोहल (ईएनए) को 48 रुपये प्रति लीटर पर बेचा जा रहा है तो मिलों को एथेनॉल उत्पादन प्रक्रिया की लागत का वहन क्यों करना होगा और इसे नुकसान पर क्यों बेचना होगा? (BS Hindi)
सरकार ने आयातित सोने पर शुल्क मूल्य बढ़ाया
त्योहारी मौसम में घरेलू बाजार में सोने की आपूर्ति कम होने के बीच सरकार ने आज सोने की वैश्विक कीमत के मुताबिक इस पर आयात शुल्क बढ़ाकर 442 डॉलर प्रति 10 ग्राम कर दिया।
सोने का शुल्क मूल्य पिछले पखवाड़े 418 डॉलर प्रति 10 ग्राम था। शुल्क मूल्य के आधार पर वास्तविकता से कम का बिल पेश करने की प्रक्रिया पर लगाम लगाने के लिए सीमा शुल्क का निर्धारण किया जाता है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस संबंध में केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने एक अधिसूचना जारी कर दी है। हालांकि चांदी का आयात शुल्क मूल्य 699 डॉलर प्रति किलो पर अपरिवर्तित रखा गया है।
वैश्विक बाजार में सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए आयातित सोने के शुल्क मूल्य में संशोधन किया गया है। (BS Hindi)
विज्ञापन विदेशी प्याज के आयात में कीमत बनी बड़ी बाधा
विपरीत हाल - घरेलू भाव से ज्यादा कीमत पर प्याज आयात की बिड मिली
उम्मीद - मौसम साफ होने से प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में प्याज की आवक बढऩे लगी हैं। ऐसे में आगामी दिनों में प्याज की कीमतों में और भी गिरावट आने की संभावना है।
50 रुपये के भाव पर आयात के ऑफर मिले हैं नेफेड को
58 रुपये प्रति किलो लागत आएगी विदेशी प्याज की दिल्ली में
45 रुपये के उच्चतम भाव पर बिक रही है प्याज मंडियों में
नेफेड ने प्याज के आयात की निविदा पर फैसला फिलहाल टाला
आयातित प्याज महंगा होने की वजह से सरकारी संस्था नेफेड ने प्याज आयात करने का फैसला टाल दिया है। नेफेड को 50 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज आयात के लिए निविदा प्राप्त हुई हैं जबकि उत्पादक मंडियों में प्याज के दाम घटकर 40 से 45 रुपये प्रति किलो रह गए हैं।
नेफेड के चेयरमैन बिजेंद्र सिंह ने बिजनेस भास्कर को बताया कि प्याज आयात के लिए निगम को पांच निविदा मिली हैं, जिनमें दो निविदा ही निगम की शर्तों को पूरा कर रही थीं। इन कंपनियों ने मुंबई पहुंच 50 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज आयात के लिए ऑफर दिया है।
यह प्याज दिल्ली पहुंच 57 से 58 रुपये प्रति किलो होगा, जबकि घरेलू मंडियों महाराष्ट्र की नासिक और राजस्थान की अलवर तथा खैरथल में प्याज के दाम घटकर मंगलवार को 40 से 45 रुपये प्रति किलो रह गए हैं। ऐसे में ऊंचे भाव में प्याज के आयात का कोई औचित्य नहीं बनता। हालांकि नेफेड अगले दो-तीन दिन घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों की समीक्षा करेगी।
मुंबई स्थित नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम को मिली निविदा में आयातकों ने 50 रुपये प्रति किलो की दर का भाव ऑफर किया है जबकि मौसम साफ होने से प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में प्याज की आवक बढऩे लगी हैं।
ऐसे में आगामी दिनों में प्याज की कीमतों में और भी गिरावट आने की संभावना है। उन्होंने बताया कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्याज की कीमतों में तेजी कोई है क्योंकि इससे पहले नेफेड को 40 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज आयात के लिए निविदा प्राप्त हुई थीं।
गुजरात ओनियन कंपनी के प्रबंधक सुरेंद्र साहनी ने बताया कि आजादपुर मंडी में सप्ताहभर में प्याज की थोक कीमतों में करीब 400 से 500 रुपये प्रति 40 किलो की गिरावट आई है। मंगलवार को मंडी में प्याज के दाम घटकर 1,200 से 2,200 रुपये प्रति 40 किलो रह गए। प्याज की आवक आजादपुर मंडी में मंगलवार को करीब 60 ट्रक की हुई तथा राजस्थान से आवक बढ़कर 4,000 कट्टे (60 किलो) की हुई।
वर्ष 2012-13 में देश में प्याज की पैदावार 163 लाख टन होने का अनुमान है जो वर्ष 2011-12 के 175 लाख टन से थोड़ा कम है। नेफेड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में प्याज के निर्यात में 28.48 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 7.16 लाख टन का हुआ है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
Gold swings below five-week high before Fed meeting
London, Oct 30. Gold today swung between gains
and losses below a five-week high on speculation Federal
Reserve policymakers will maintain stimulus and as physical
demand slowed.
Gold added 0.2 per cent to USD 1,348.13 an ounce and
silver gained 0.8 per cent to USD 22.71 an ounce.
The US Dollar Index was little changed after climbing to
the highest in almost two weeks before the Fed ends a two-day
gathering today.
The central bank will pare its 85 billion dollar in
monthly bond buying at its March meeting, a Bloomberg News
survey of economists on October 17-18 showed.
Bullion reached USD 1,361.93 an ounce on October 28,
the highest since September 20.
Gold is set for the first annual drop in 13 years as some
investors lost faith in the metal as a store of value. US
policymakers last month refrained from slowing stimulus to
await further evidence of an economic recovery.
The 16-day US government shutdown earlier this month
reduced economic growth by 0.3 percentage point this quarter,
according to a survey of economists.
Holdings in gold-backed exchange-traded products increased
for a second day yesterday, rising 0.1 tonne to 1,881.8
tonnes.
Gold extends losses on stockists selling, global cues
New Delhi, Oct 30. Extending losses for the third
straight day, gold prices dropped Rs 220 to Rs 31,710 per ten
gram in the national capital today on sustained selling by
stockists amid sluggish demand coupled with weakening global
trend.
Silver, however, snapped two-day losing trend and gained
Rs 510 to Rs 50,100 per kg on increased offtake by industrial
units and coin makers.
Traders said sustained selling by stockists against
sluggish demand at current levels and a weakening global
trend, as the dollar's rally curbed demand for the metal as an
alternative investment, mainly kept pressure on gold prices.
Gold in New York, which normally sets price trend on the
domestic front, fell by 0.5 per cent to USD 1,345.50 an ounce
in last session.
Rising equity markets, luring investors to park funds into
stock markets for quick gains, also reduced the gold demand,
they said.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity plunged by Rs 220 each to Rs 31,710 and Rs 31,510 per
ten gram, respectively. It had lost Rs 640 in last two days.
Sovereign, however, held steady at Rs 25,300 per piece of
eight gram.
On the other hand, silver ready recovered by Rs 510 to Rs
50,100 per kg and weekly-based delivery by Rs 910 to Rs 49,800
per kg, after losing Rs 310 in the previous two sessions.
Silver coins spurted by Rs 1000 to Rs 88,000 for buying
and Rs 89,000 for selling of 100 pieces on upsurge in demand
because silver coins normally used for pooja on Diwali
festival.
Govt cuts wheat MEP to USD 260 a tonne
New Delhi, Oct 30. The government today reduced the
minimum export price of wheat by USD 40 per tonne to USD 260
per tonne as it found no buyer at the higher floor price of
USD 300.
The Food Ministry had moved a Cabinet note proposing a
reduction in the floor price of wheat to USD 260 a tonne from
USD 300/tonne to make exports viable and clear surplus stock.
"Wheat export price of USD 260 per tonne has been
approved by the Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA).
We hope exports will be viable now and shipments will take
place," Food Minister K V Thomas told PTI.
In tenders floated by MMTC, STC and PEC last month for
export of 1.6 lakh tonnes of wheat, global buyers had quoted
rates in the range of USD 260-267 a tonne against
government's benchmark price of USD 300 a tonne.
STC, MMTC and PEC had got 11 bids, which were opened
early this month.
In August, CCEA had approved 2 million tonne wheat
exports from FCI godowns for the current fiscal subject to a
floor price of USD 300 per tonne through STC, MMTC and PEC.
"Since the bids received were lower than USD 300 a tonne,
the Committee of Secretaries has recommended a reduction in
the floor price for wheat export to USD 260 a tonne," Thomas
had said earlier.
In 2012-13 fiscal, the government had earned USD 1.4
billion from export of 4.2 million tonnes of wheat by PSUs.
Indian wheat had fetched an average price of USD 311.38 per
tonne.
FCI has a huge stock of rice and wheat in its godowns and
it is under pressure to clear space for storage of new crop.
As on October 1, FCI had a wheat stock of 36 million tonnes
against the requirement of 21.2 million tonnes.
25 अक्तूबर 2013
कॉटन निर्यात पर ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव नामंजूर
जीओएम का नजरिया
सरप्लस कॉटन के निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए
ड्यूटी लगाने से कॉटन उत्पादक किसानों को होगा नुकसान
कपड़ा मंत्रालय ने घरेलू सप्लाई सुधारने के लिए प्रस्ताव भेजा था
इस साल 100 लाख गांठ कॉटन का निर्यात होने का अनुमान
पवार की अगुवाई वाले जीओएम ने निर्यात पर कोई पाबंदी न लगाने की सिफारिश की
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अगुवाई वाले मंत्री समूह (जीओएम) ने सरप्लस घोषित कॉटन के निर्यात पर दस फीसदी ड्यूटी लगाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। दस फीसदी ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव कपड़ा मंत्रालय ने रखा था।
कपड़ा मंत्रालय ने पिछले माह घरेलू बाजार में कॉटन की सुलभता सुनिश्चित करने के लिए ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव भेजा था। देश में कॉटन से वैल्यू एडेड प्रोडक्ट बनाकर निर्यात करने के लिए दिए गए इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने जीओएम के पास भेजा था।
पवार ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि देश में कॉटन का निर्यात हर साल बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में जीओएम ने कॉटन के निर्यात पर किसी तरह की पाबंदी या ड्यूटी न लगाने की सिफरिश की है। उन्होंने कहा कि जीएमओ ने कॉटन के फ्री ट्रेड की वकालत की है। अगर निर्यात पर किसी भी तरह की पाबंदी लगाई जाती है या ड्यूटी लगती है तो इससे किसानों को नुकसान होगा।
कपड़ा मंत्रालय ने कॉटन के निर्यात की एफओबी (फ्री ऑन बोर्ड) कीमत पर 10 फीसदी एड वेलोरम ड्यूटी (अधिकतम 10 हजार रुपये प्रति टन) लगाने का प्रस्ताव किया था। सरकार हर साल सितंबर में कॉटन एडवायजरी बोर्ड के साथ सप्लाई व मांग की स्थिति का जायजा लेने के बाद देश में उपलब्ध सरप्लस कॉटन को घोषणा करती है।
इस मात्रा में निर्यात के लिए अनुमति दी जाती है। मौजूदा अक्टूबर माह से शुरू हुए नए मार्केटिंग सीजन 2013-14 के दौरान कपड़ा मंत्रालय ने 370-375 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान लगाया है। इसमें से 100 लाख गांठ कॉटन का निर्यात होने का अनुमान है। (Business Bhaskar)
बेतहाशा मूल्य वृद्धि के बाद भी नहीं रुकेगा प्याज निर्यात
सरकार निर्यात नहीं रोकेगी लेकिन आयात के प्रयास होंगे : थॉमस
भले ही घरेलू बाजार में प्याज उपभोक्ताओं को 100 रुपये प्रति किलो तक के रिकॉर्ड भाव पर मिल रही है, लेकिन सरकार इसके निर्यात लगाने के मूड में नहीं है।
सरकार का कहना है कि खरीफ फसल के प्याज की आवक बढऩे से आगामी दस दिनों में कीमतों में गिरावट आ सकती है। इसलिए सरकार प्याज के निर्यात पर रोक नहीं लगायेगी। सरकार मिस्र, चीन और पाकिस्तान से प्याज के आयात पर विचार कर रही है। नेफेड ने आयात के लिए निविदा भी आमंत्रित की है।
खाद्य एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के. वी. थॉमस ने बताया कि महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में बेमौसमी बारिश से प्याज की नई फसल की आवक में हुई देरी से कीमतों में तेजी आई है। उन्होंने बताया कि प्याज के मुद्दे पर केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार से विचार-विमर्श हुआ है।
खरीफ प्याज की आवक अक्टूबर महीने में बननी थी लेकिन असमय हुई बारिश से नई फसल की आवक में देरी हुई है। प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को बढ़ाकर सरकार पहले ही 900 डॉलर प्रति टन कर चुकी है जिससे निर्यात नहीं के बराबर हो रहा है। इसलिए सरकार प्याज के निर्यात पर रोक नहीं लगायेगी।
कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव और राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) के प्रमुख संजीव चोपड़ा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि सरकार ने सितंबर महीने में प्याज के एमईपी को बढ़ाकर 900 डॉलर प्रति टन कर दिया था जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज का भाव 450-500 डॉलर प्रति टन चल रहा है। एमईपी में बढ़ोतरी से पिछले दो महीनों से प्याज का निर्यात नहीं के बराबर हो रहा है।
उन्होंने बताया कि औसतन हर महीने एक लाख टन प्याज का निर्यात होता है जबकि पिछले दो महीनों में केवल 19,000 टन का ही निर्यात हुआ। चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली छमाही में प्याज के निर्यात में 28.48 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 7.16 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 10 लाख टन का निर्यात हुआ था।
संजीव चोपड़ा ने बताया कि सरकार मिस्र, चीन और पाकिस्तान से प्याज आयात की संभावनाएं तलाश रही है। नेफेड ने प्याज आयात के लिए निविदा आमंत्रित की है तथा 29 अक्टूबर को निविदा खुलेंगी। उन्होंने बताया कि आयात की मात्रा पर 29 अक्टूबर को घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता और कीमतों के आंकलन के बाद ही निर्णय किया जायेगा।
चालू खरीफ में प्याज की पैदावार बढऩे का अनुमान है तथा आगामी आठ-दस दिनों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान से आवक बढऩे की संभावना है। वर्ष 2012-13 में प्याज की पैदावार 163 लाख टन होने का अनुमान है जो वर्ष 2011-12 के 175 लाख टन से थोड़ी कम है। (Business Bhaskar...R S Rana)
निर्यात की खातिर गेहूं के एमईपी में कटौती संभव
आर एस राणा नई दिल्ली | Oct 25, 2013, 00:03AM IST
260 डॉलर प्रति टन तक घट सकता है एमईपी
300 डॉलर न्यूनतम निर्यात मूल्य है गेहूं का
सीसीईए की अगली बैठक में प्रस्ताव पर फैसला होगा : अधिकारी
अंतरराष्ट्रीय बाजार के मूल्य स्तर के अनुरूप निर्यात कीमत लाने के लिए केंद्र सरकार गेहूं के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में कटौती कर सकती है। गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एमईपी घटाकर 260 से 270 डॉलर प्रति टन करने का प्रस्ताव है जबकि इस समय एमईपी 300 डॉलर प्रति टन है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि गेहूं की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम है जबकि एमईपी ज्यादा होने से निर्यात के सौदे नहीं हो पा रहे हैं।
सार्वजनिक कंपनियों द्वारा हाल ही में गेहूं निर्यात के लिए मांगी गई निविदा में 260 से 267 डॉलर प्रति टन का भाव मिला था, लेकिन एमईपी से नीचे दाम होने की वजह से सभी निविदा खारिज कर दी गई थीं। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एमईपी में कटौती करने का प्रस्ताव है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम 260 से 275 डॉलर प्रति टन चल रहे हैं। इसलिए इसके एमईपी को 300 डॉलर प्रति टन से घटाकर 260 से 270 डॉलर प्रति टन करने का प्रस्ताव है। इस फैसला आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की आगामी बैठक में होने की संभावना है।
गेहूं की निर्यातक फर्म के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अर्जेंटीना में मौसम प्रतिकूल चल रहा है जिससे गेहूं के उत्पादन में कमी आने की आशंका है। इसीलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में सप्ताहभर में गेहूं की कीमतों में सुधार आया है। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबॉट) में गेहूं की कीमतें बढ़कर 7.1 डॉलर प्रति बुशल से ऊपर हो गई हैं।
सीसीईए ने आठ अगस्त को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से 20 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दी गई है लेकिन अभी निर्यात शुरू भी नहीं हो पाया है।
निर्यात के लिए सार्वजनिक कंपनियां एक बार निविदा आमंत्रित कर चुकी है तथा दूसरी निविदा आगामी सप्ताह में आने की संभावना है। इससे पहले सरकार ने केंद्रीय पूल से 45 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दी थी जिसमें से करीब 42 लाख टन गेहूं का ही निर्यात हुआ है जिसकी कीमत करीब 7,000 करोड़ रुपये है।
केंद्रीय पूल में पहली अक्टूबर को 361 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद है जो तय मानकों 110 लाख टन बफर के मुकाबले ज्यादा है। चालू रबी विपणन सीजन 2013-14 में भारतीय खाद्य निगम केवल 250 लाख टन गेहूं की ही खरीद एमएसपी पर की है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
'20 mn tonne wheat wasted in India every year'
New Delhi, Oct 25. Around 20 million tonnes of wheat
is wasted in India every year due to inadequate storage
infrastructure, Institution of Mechanical Engineers said
today.
"Foodgrains are lost in India mainly due to lack of
facilities in storage and transportation. 20 million tonnes of
wheat is lost every year as a result of that," said Tim Fox,
Head of Environment at the UK-based body.
He released the report, 'Global Food: Waste not, Want
not'. It highlights the lack of infrastructure for appropriate
storage and logistics as one of the major factors contributing
to foodgrains wasted around the world.
According to the report, 1.2-2 billion tonne foodgrain is
wasted throughout the world and most of the wastage in
developing countries occurs between the farm and the
marketplace.
"Around 40 per cent of India's fruit and vegetable
production is lost between the farm and the consumer due to
lack of cold storage," Fox said.
The food being wasted could feed the growing population
globally and help one billion people who go hungry across the
world, he added.
On the genetically modified (GM) crops, Fox said: "In the
era of climate change, GM crops are required to maintain the
present level of production."
The Institution of Mechanical Engineers is based in UK,
and promotes, advances and updates knowledge, business and
practises of mechanical engineering professionals. It
represents over one lake members in 139 countries.
NSEL's godowns not regulated properly: Thomas
New Delhi, Oct 25. Lack of proper supervision at the
troubled NSEL's accredited godowns led to irregularities and
the Rs 5,600 crore payment crisis at the bourse, Food Minister
K V Thomas said today.
"We have burnt our hands in the NSEL case...None of the
warehouses accredited with NSEL was registered with the WDRA
and were not properly regulated," Thomas said here.
"You are aware that large-scale irregularities have been
reported in the operations of the NSEL," Thomas said at a
foundation day function of the Warehousing Development
Regulatory Authority (WDRA).
Jignesh Shah-led National Spot Exchange Ltd (NSEL) is
facing problems settling Rs 5,600 crore of dues to 13,000
investors after the bourse suspended trading in some contracts
in July on directions from the government. Three former NSEL
officials have been arrested by the Mumbai Police.
Thomas said the Forward Markets Commission (FMC), the
commodity markets regulator, has been instructed to make it
mandatory for all warehouses accredited with spot and futures
exchanges to get registered with the WDRA.
The FMC issued an order in this regard on August 30, the
minister said, and hoped that "future and spot exchanges will
not be indulging in irregularities if all warehouses are
maintained as per WDRA specifications."
As per norms, spot exchanges should ensure that physical
stocks of commodities are deposited at its accredited
warehouses before allowing traders to sell them on the bourse
so that there is no default on delivery.
A senior official of the Economic Offences Wing of the
Mumbai police said this month it raided 60 warehouses attached
with the NSEL and found half of them empty.
Thomas said: "Increased investment by the private sector
in warehousing/cold storage, particularly in rural areas, can
provide physical infrastructure and modern technology, thereby
increasing the efficiency in the handling, storage and
transportation of agri-commodities."
Food Secretary Sudhir Kumar emphasised the need to
strengthen warehousing operations in the country.
"In the NSEL case, godowns were not registered. We should
not face a similar situation. Accreditation and registration
of warehousing system needs to be strengthened to avoid NSEL
kind of situation," he said.
The system of warehousing registration, testing and
accreditation should be efficient and enthuse confidence in
the economy, he added.
Onion prices to come down in next 10 days: Thomas
New Delhi, Oct 25. Food Minister K V Thomas today
said onion prices will come down in the next 10 days with the
fresh arrival of domestic and imported stock, while asking the
traders not to "loot" consumers by charging more.
Onion prices have been ruling at Rs 70-90 per kg in most
parts of the country and even touched Rs 100 per kg in some
cities like Patna and Jammu.
Stating that there is no need to be "alarmed" about the
situation, Thomas said the decision on onion import tender
floated by the co-operative Nafed would be taken on October 29
following which shipments would arrive after 3-4 days.
"Onion prices will come down in next 10 days. Traders
should take legitimate margin and not loot consumers. Farmers
should get reasonable price and consumers should also get
onions at affordable rates.
The state governments have been asked to take strong
action against hoarders and few states have already taken
action, he said, adding that "We need not be alarmed about the
situation".
Thomas informed that he has discussed the supply situation
with Maharashtra, Rajasthan and Karnataka governments and the
onion arrivals are improving.
"Nafed has floated tender (to import onion) and the
decision will be taken on Oct 29. After the decision, onion
will arrive in 3-4 days," the Minister said.
"Our analysis is that production is as good and even
better than last year but the prices have remained higher," he
said.
Thomas emphasised on the need to balance the supply
situation in the case of onions, potatoes and tomatoes through
the help of cold storage facilities.
24 अक्तूबर 2013
विदेश में दाम बढऩे से चीनी के निर्यात सौदों में आई तेजी
लेकिन ज्यादा सप्लाई के चलते घरेलू बाजार में तेजी के आसार नहीं
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में आई तेजी से निर्यात सौदे बढ़े हैं। विदेशी बाजार में चीनी का दाम बढ़कर 520 डॉलर प्रति टन हो गया है तथा सप्ताहभर में करीब एक लाख टन चीनी के निर्यात हुए हैं। हालांकि इससे घरेलू बाजार में चीनी कीमतों में तेजी आने की संभावना नहीं है।
एसएनबी इंटरप्राइजेज के प्रबंधक सुधीर भालोटिया ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढऩे से भारत से चीनी के निर्यात सौदे बढ़े हैं। सप्ताहभर में करीब एक लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हुए हैं। उन्होंने बताया विश्व बाजार में चीनी के दाम बढ़कर 520 डॉलर प्रति टन हो गए है तथा ब्राजील में हुई बारिश से फसल में देरी होने की आशंका है। ऐसे में विश्व बाजार में चीनी के दाम तेज रह सकते हैं जिसका फायदा भारतीय चीनी मिलों को मिलेगा।
हालांकि इससे घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है क्योंकि घरेलू बाजार में चीनी का बकाया स्टॉक करीब 88 लाख टन बचा हुआ है तथा अक्टूबर से शुरू हुए नए पेराई सीजन में भी 250 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश में मध्य नवंबर के बाद ही चीनी मिलों में पेराई आरंभ होने की संभावना है।
हालांकि महाराष्ट्र में एक-दो चीनी मिलों में पेराई शुरू हो गई है तथा हाल ही में जो निर्यात सौदे हुए हैं, वह महाराष्ट्र की मिलों द्वारा ही किए गए हैं। बुधवार को उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव 2,925 से 2,975 रुपये और दिल्ली थोक बाजार में 3,150 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे। महाराष्ट्र में चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव 2,600 से 2,650 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार अक्टूबर से शुरू हुए नए पेराई सीजन 2013-14 (अक्टूबर से सितंबर) में 88 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है जबकि पेराई सीजन 2013-14 में 250 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है। देश में चीनी की खपत 230-240 लाख टन की होती है। ऐसे में आगामी पेराई सीजन में चीनी का बकाया स्टॉक 100 लाख टन से भी ज्यादा होगा। (Business Bhaskar....R S Rana)
प्याज व आलू की भारी तेजी से दिवाली बाद ही मिलेगी राहत
प्याज का हाल- सितंबर में बारिश होने से नए प्याज की खुदाई प्रभावित
प्याज - राजस्थान, एमपी और महाराष्ट्र में मौसम साफ हो गया है। प्याज की खुदाई में तेजी आई है। आगामी दिनों में राजस्थान, एमपी व महाराष्ट्र से आवक बढ़ेगी
आलू - असमय की बारिश से पंजाब में आलू की नई फसल में देरी हुई है, जिससे दाम बढ़े हैं। पंजाब से नए आलू की आवक दस नवंबर के बाद बढ़ जाएगी
आजादपुर मंडी में नए प्याज की आवक बढऩे से भाव में आई नरमी
प्याज और आलू की ऊंची कीमतों से उपभोक्ताओं को दिवाली के बाद ही राहत मिल पायेगी। नवंबर के पहले सप्ताह में राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से नए प्याज की आवक बढ़ेगी, जिससे कीमतों में गिरावट आने की संभावना है। उधर, पंजाब से नए आलू की आवक दस नवंबर के बाद बढ़ जाएगी।
गुजरात ओनियन कंपनी के प्रबंधक सुरेंद्र साहनी ने बताया कि सितंबर महीने के आखिर में हुई बारिश से नए प्याज की खुदाई प्रभावित हुई थी, जिसकी वजह से आवकों पर असर पड़ा। राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मौसम साफ हो गया है तथा प्याज की खुदाई में तेजी आई है। इसीलिए बुधवार को दिल्ली की आजादपुर मंडी में राजस्थान की अलवर लाइन से करीब 3,000 क्विंटल नए प्याज की आवक हुई।
साथ ही अन्य राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक से करीब 60 ट्रक प्याज की आवक हुई। राजस्थान से नए प्याज की आवक बनने से बुधवार को आजादपुर मंडी में इसकी कीमतों में 200 रुपये की गिरावट आकर भाव 2,000 से 2,400 रुपये प्रति 40 किलो रहे। उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में राजस्थान के अलवर और खैरथल के साथ ही मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से नए प्याज की आवक बढ़ेगी।
वर्ष 2012-13 में प्याज की पैदावार 163 लाख टन होने का अनुमान है जो वर्ष 2011-12 के 175 लाख टन से थोड़ा कम है। नेफेड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली छमाही में प्याज के निर्यात में 28.48 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 7.16 लाख टन का हुआ है।
बनवारी लाल एंड संस के प्रबंधक उमेश अग्रवाल ने बताया कि असमय की बारिश से पंजाब में आलू की नई फसल में देरी हुई है, जिसकी वजह से आलू के दाम बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि दस नवंबर के बाद पंजाब के होशियारपुर और जालंधर से नए आलू की आवक बढ़ेगी, जिससे कीमतों में गिरावट आनी निश्चित है।
बुधवार को आजादपुर मंडी में 110-115 ट्रक आलू की आवक हुई, जिसका भाव मंडी में 700 से 1,000 रुपये प्रति 50 किलो रहा। पहली अक्टूबर के बाद से आलू की थोक कीमतों में करीब 5 रुपये प्रति किलो की तेजी आई है।
आगरा कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष सुदर्शन सिंघल ने बताया कि कोल्ड स्टोर में इस समय करीब एक करोड़ कट्टे (एक कट्टा-40 किलो) आलू का स्टॉक बचा हुआ है। उन्होंने बताया कि बिहार, पश्चिमी बंगाल और उड़ीसा में तूफान की वजह से आलू की फसल प्रभावित हुई है तथा इन राज्यों की मांग भी उत्तर भारत से बढ़ी है जिसकी वजह से कीमतों में तेजी आई है।
लासलगांव में प्याज की आवक घटी
नासिक - महाराष्ट्र में बेमौसमी बारिश होने की वजह से प्याज की खुदाई में बाधा आई। इससे स्थानीय मंडियों में आवक घट गई है। देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में बुधवार को सिर्फ 510 क्विंटल प्याज की आवक हुई। पूरे नासिक जिले में 1950 क्विंटल आवक रही।
महाराष्ट्र में आवक जनवरी के बाद ही बढऩे की संभावना है क्योंकि इस साल फसल लेट हो गई है। लासलगांव में प्याज की नीलामी 5972 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर हुई। नए प्याज की आवक 4400-4500 रुपये प्रति क्विंटल पर हुई। (Business Bhaskar....R S Rana)
प्याज में उछाल से सरकार भी बेहाल
आसमान छूती प्याज की कीमतों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने राज्यों से प्याज की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। हालांकि उन्होंने इस बात के भी संकेत दिए कि प्याज के दाम में दो-तीन हफ्ते बाद ही कमी आ सकती है।
सरकार जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई के अलावा आयात के जरिये घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़ाकर दाम घटाने की योजना पर भी काम कर रही है। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारिता विपणन महासंघ (नेफेड) ने आज पाकिस्तान, ईरान, चीन और मिस्र से आयात के लिए निविदा भी जारी कर दी। हालांकि चीनी प्याज के आयात के संदर्भ में सरकार ने कहा है कि उसका स्वाद भारतीय प्याज जैसा नहीं है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को प्याज उत्पादक राज्यों के कृषि सचिव व कृषि मंत्रियों की बैठक बुलाई है, वहीं गुरुवार को खाद्य मंत्री के वी थॉमस कृषि मंत्री पवार से मुलाकात करेंगे। कैबिनेट सचिव भी इस मसले पर 25 अक्टूबर को बैठक कर सकते हैं।
सरकार के कड़े रुख के बावजूद दिल्ली, पिंपलगांव, इंदौर और बेंगलूर में आज प्याज की कीमतों में तेजी का रुख रहा जबकि हुबली, लासलगांव, महुआ और भोपाल में भाव गिर गए। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के चलते भोपाल में महाराष्टï्र से हल्की गुणवत्ता वाले प्याज की आवक अचानक बढऩे से कीमतों में भारी कमी आई। कारोबारियों ने आगे भाव घटने के डर से इसे 15 से 20 रुपये किलोग्राम के हिसाब से ही बेच दिया।
नेफेड द्वारा जारी निविदा में कहा गया है कि पाकिस्तान, ईरान, चीन और मिस्र से प्याज का आयात कर इसकी आपूर्ति नई दिल्ली में लॉरेंस रोड स्थित नेफेड के भंडारगृह पर करनी होगी। निविदा में नेफेड ने ताजा गुणवत्ता वाले बेहतर प्याज की मांग की गई है। जल्द आपूर्ति के लिए कुछ जांच में रियायत भी दी गई है।
पाकिस्तान, ईरान और चीन के प्याज की लागत करीब 200 डॉलर से 250 डॉलर प्रति टन (12318 से 15397.5 रुपये प्रति टन के आधार पर) होगी, जबकि मिस्र के प्याज की लागत 350 डॉलर प्रति टन (21,556.50 रुपये प्रति टन) होगी। भारतीय प्याज का निर्यात मूल्य 900 डॉलर (55,431 रुपये प्रति टन) टन है। आवेदन करने की अंतिम तारीख 29 अक्टूबर है।
संयुक्त सचिव कृषि संजीव चोपड़ा ने कहा कि दिल्ली समेत अन्य राज्यों द्वारा कृषि उपज विपणन समिति कानून में संशोधन न किए जाने से जमाखोरी बढ़ रही है, जिससे कीमतों में तेजी को बल मिल रहा है। राष्टï्रीय बागवानी एवं अनुसंधान विकास प्रतिष्ठïान के आंकड़ों के अनुसार आज दिल्ली की आजादपुर मंडी में प्याज का अधिकतम थोक भाव आज 500 रुपये बढ़कर 6,500 रुपये, इंदौर में 300 रुपये बढ़कर 5,500 रुपये, पिंपलगांव में 125 रुपये बढ़कर 5,825 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इन मंडियों में प्याज की आवक में भी कमी देखी गई। (BS Hindi)
प्राइम व चोकसी एनएसई में कर सकेंगे कारोबार
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज ने तीन महीने तक बंद रखने के बाद प्राइम ब्रोकिंग और गीतांजलि जेम्स के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक मेहुल चोकसी समेत 26 क्लाइंटों के यूनिक क्लाइंट कोड (यूसीसी) बहाल कर दिया है।
मंगलवार देर शाम एनएसई की वेबसाइट पर जारी सर्कुलर में कहा गया है कि 26 यूसीसी बहाल कर दिए गए हैं, जिनमें मेहुल चोकसी और प्राइम ब्रोकिंग की सूची से संबद्ध पहचाने जाने वाले तीन नाम शामिल हैं। प्राइम रिसर्च ऐंड एडवाइजरी लिमिटेड, प्राइम सिक्योरिटीज लिमिटेड और प्राइमसेक इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के कोड बहाल कर दिए गए हैं।
इसके साथ ही प्राइम ब्रोकिंग समूह की ये इकाइयां और गीतांजलि जेम्स के प्रवर्तक मेहुल चोकसी एनएसई पर शेयरों का कारोबार कर पाएंगे। चोकसी और प्राइम ब्रोकिंग के बीच कथित जुड़ाव पर एनएसई व सेबी की तरफ से चल रही जांच के चलते (जिसके चलते गीतांजलि का शेयर 90 फीसदी तक टूटा था) 18 जुलाई को इन इकाइयों व चोकसी को एनएसई पर कारोबार से रोक दिया गया था। इन यूसीसी पर छह महीने तक या जांच पूरा होने तक (जो भी पहले हो) पाबंदी लगाई गई थी।
एनएसई के अधिकारी ने कहा, यूसीसी बहाल किए जाने का मतलब यह नहीं है कि हमने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। हमने जांच रिपोर्ट सेबी को सौंप दी है। अब सेबी को इस पर फैसला लेना है। सेबी जो भी कार्रवाई करेगा, हम उसे लागू करेंगे।
एनएसई पहले ही प्राइम ब्रोकिंग को डिफॉल्टर घोषित कर चुका है, जिसकी वजह से ब्रोकिंग फर्म के प्रवर्तक एन जयकुमार ने एनएसई को अदालत में घसीट लिया है। बंबई उच्च न्यायालय में दायर याचिका में प्राइम ब्रोकिंग ने एनएसई पर 95 करोड़ रुपये का दावा ठोका है। फर्म का कहना है कि यूसीसी के बंद किए जाने और भुगतान के ब्लॉक होने से उन्हें इतना नुकसान हुआ है। एक अलग कदम के तहत प्राइम ने सैट का भी दरवाजा खटखटाया है, जहां इसने एनएसई की तरफ से भुगतान को ब्लॉक करने के फैसले को चुनौती दी है। इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी।
एनएसई के अधिकारी ने कहा कि अदालती लड़ाई से बचने के लिए हमने इसे बहाल किया है क्योंकि लंबी अवधि तक इसे बंद रखने पर क्लाइंट हमारे खिलाफ अदालत में याचिका दाखिल करने को बाध्य हो सकते थे। अब सेबी इस पर फैसला लेगा। उधर, चोकसी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। (BS Hindi)
Onion shortage temporary: Govt
New Delhi, Oct 24. Government today asserted the
onion shortage was only "temporary" and prices are expected to
fall in the next 2-3 weeks as production of the kitchen staple
is unlikely to drop despite damages due to excessive rains.
"Onion shortage is a temporary situation. Heavy rains has
affected crops in Karnataka and Maharashtra. Total area under
the crop is higher than last year. No drop in production
expected," Agriculture Minister Sharad Pawar told reporters.
Echoing similar views, Commerce Minister Anand Sharma
said there is no "real" scarcity of onions in the country and
prices are expected to stabilise in the coming few weeks.
Onion prices touched Rs 100 per kg yesterday in some
major cities as supplies remained tight.
The prices are expected to come down in the next 2-3
weeks with arrival likely to increase from Maharashtra,
Karnataka and Rajasthan, Pawar said here.
"Production is good. The question is when the crop will
come in a big way to the markets," he said, adding the
situation will improve in the coming days.
On reasons for sharp spike in retail prices, Pawar said:
"In Nashik, farmers are getting Rs 45 per kg. I don't
understand why it should sell at Rs 90 per kg here. Government
does not control onions and does not sell onions. Prices are
determined by the market."
Stating that there is no real shortage of onions, Sharma
said: "I expect prices to stabilise in coming few weeks. We
cannot blame exports because Minimum Export Price (MEP) has
been raised and there are hardly any exports."
There was crop loss due to heavy rains and this has
encouraged hoarding, he added.
Meanwhile, Delhi Chief Minister Sheila Dikshit held a
meeting with Pawar and Food Minister K V Thomas on the crisis.
"The situation is serious. We are trying to stabilise
the prices. We will write to Election Commission to allow us
to restart sale of onions through tempos (mobile vans)," she
said after the meeting.
"Traders and hoarders are taking advantage of the
situation. Nafed has been asked to improve supplies on a
no-profit no-loss basis," Dikshit said
Onion woes: Dikshit says situation serious, asks central help
New Delhi, Oct 24. Mindful of possible impact of
rocketing onion prices on assembly polls which are just six
weeks away, a worried Chief Minister Sheila Dikshit today
asked the Centre to take immediate measure to rein in the
rates and sought Election Commission's permission for sale of
the bulb at a reasonable price.
Dikshit, eyeing an unprecedented fourth victory in the
December 4 polls, met Agriculture Minister Sharad Pawar and
Food Minister K V Thomas and requested them to improve supply
of the kitchen staple to Delhi.
"The situation is very serious. We are trying to
stabilise the prices," she said.
The Chief Minister specifically requested Pawar to direct
National Agricultural Cooperative Marketing Federation of
India (NAFED) to make available adequate quantity of onions
for Delhi on no-profit no-loss basis so that its price, which
is hovering around Rs 100 a kg in retail market, comes down.
Co-operative major NAFED yesterday floated tender for
import of the bulb from Pakistan, Iran, China and Egypt.
In 1998, Congress had come to power in Delhi defeating
the incumbent BJP government riding on high onion prices.
"We are also exploring the possibility of procuring
onions at wholesale rate from major onion producing states
preferably from the cities of Nasik and Pune to improve
supply," the Chief Minister said.
Dikshit said government has approached the Election
Commission requesting it to allow sale of onion at reasonable
price across the city. The model code of conduct restricts the
government from going ahead with the initiative.
"The situation is serious. That is why we have requested
the Election Commission to allow us to sell onion at
reasonable prices so that people can be insulated," she said,
adding 8,000 quintals of onions have arrived in the city
which could help ease prices.
"So far, prolonged rains have affected supplies. We hope
in next 2-3 days prices will come down. Even though the crop
is good, but a lot of it got damaged due to prolonged and
heavy rains. We are trying our best to see prices come down. I
request traders to stop black marketing and hoarding," she
said.
She said that a team of officials has been sent to
Maharashtra to negotiate price and get onions.
"We will soon amend APMC (Agriculture Produce Marketing
Committee) Act. Delhi is not a producing state but a consuming
and trading state. Control of prices has to be there in
producing states," she added
Officials said traders have started selling onions
through 55 mobile vans across the city at reasonable price.
To mitigate the effect of soaring onion prices, Delhi
government had last month started selling onions at reasonable
rates through 50 mobile vans across the city but discontinued
it when the prices came down.
Meanwhile, BJP stepped up its attack on Delhi Government
accusing it of doing nothing to bring down the prices.
Former BJP president and party's election in-charge of
Delhi Nitin Gadkari said "onion is definitely going to bring
tears to Sheila Dikshit."
Gadkari also rejected Dikshit's observation that hoarding
in Madhya Pradesh and Maharashtra has resulted in rise in
onion prices in Delhi.
"There is no system available in the country for storage
of onion," he said.
The party's chief ministerial candidate Harsh Vardhan
also slammed the government, terming it as "totally
insensitive" towards people's plight.
"This government is totally insensitive. It is not only
price of onion. The prices of all vegetables and fruits have
been skyrocketing. People are really fed up with the
government," Vardhan said.
Rejecting BJP's criticism, Dikshit came down hard on BJP
and said nobody should play politics on the issue when people
are being hit hard.
Dikshit had yesterday said going by the price of onion
under BJP rule in Delhi 15 years ago, it should have "risen to
Rs 400 per kg" by now.
Gold regains 32-k level on seasonal demand, global cues
New Delhi, Oct 24. Amid rising domestic demand and a
firming global trend, gold prices today regained Rs 32,000 per
ten gram level after seven weeks in the national capital.
Gold prices spurted by Rs 480 to Rs 32,410 per ten gram,
a level last seen on September 4, while silver held steady at
Rs 50,200 per kg on lack of support from industrial units.
Traders said increased buying of gold by stockists and
jewellers to meet the rising festive and marriage season
demand, amid firming global trend, influenced the sentiment.
While gold gained in domestic markets for the coming
Diwali festival demand, a rising trend in global markets as
the dollar fell against the euro, boosting demand for precious
metals as an alternative investment, remained positive factors
for the market.
Gold in London, which normally sets price trend on the
domestic front, rose 0.6 per cent to USD 1,341.90 an ounce.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity soared by Rs 480 each to Rs 32,410 and Rs 32,210 per
ten gram, respectively. The metal had gained Rs 305 yesterday.
Sovereign held steady at Rs 25,300 per piece of eight gram.
On the other hand, silver ready and weekly-based delivery
held unchanged at Rs 50,200 and Rs 50,000 per kg,
respectively.
Silver coins, which normally used for "Puja" on Diwali
festival and gifting during marriage celebrations, spurted by
Rs 1,000 to Rs 88,000 for buying and Rs 89,000 for selling of
100 pieces on hectic demand.
23 अक्तूबर 2013
Onion arrival at Lasalgaon APMC shrinks, new production hit
Nashik, Oct 23. With production of new onions
taking a hit due to rains and rates of the old variety of the
bulb continuing at a record high, the common man may have to
endure the double whammy as there's no respite in sight ahead
of Diwali.
While only 510 quintals of old onions arrived today in
the country's largest Lasalgaon agricultural market produce
committee (APMC) in the district, the arrival of the new red
onions stood at 1950 quintals, sources said, adding the
delayed Kharip crop is expected only by January 2014.
With the supply shrinking at major APMCs at Lasalgaon,
Pimpalgaon (Baswant) and Yeola APMCs, the old onion was
auctioned at Rs 5972 per quintal at Lasalgaon and the new bulb
at Rs 4400-4500 per quintal.
Sources said the arrival of new onions was affected
due to rains during just-concluded Navratri festival, and this
has sent the retail rate of the old variety of bulb at
Rs 70-80 per kg.
In Pimpalgaon APMC, onions (old variety) were sold at
Rs 6200 and in Yeola APMC at Rs 5852 a quintal.
21 अक्तूबर 2013
India's rice exports may fall to 9.3 mn tons in 2013-14: USDA
New Delhi, Oct 21. Rice exports from India, the
world's largest producer and exporter, are estimated to fall
marginally to 9.3 million tonnes in 2013-14 marketing year
that started this month, a latest report said.
India re-entered the rice exports market in September
2011 after a four-year ban on exports of non-basmati rice. It
had emerged as the world's largest rice exporter in 2012
ahead of its Asian counterpart Thailand.
According to the US Department of Agriculture (USDA),
rice exports are pegged at 9.3 million tonnes for the 2013-14
marketing year (October-September), slightly lower than 10
million tonnes in the same period last year.
The report did not give reasons for projecting a likely
drop in rice shipments for this year.
However, the USDA noted that the Indian government is
unlikely to impose any export restrictions in the near future
with the forecast of near-record production and
"more-than-sufficient" government-held rice stocks this year.
Stating that strong exports may affect domestic price
movement, the report said the government has enough rice
stocks to control any significant flare up in domestic prices
due to the upcoming general elections in 2014.
Assuming normal weather conditions during the harvesting
period, the USDA said that the country's total rice production
is projected to remain near-record 105 million tonnes, as
against 104.4 million tonnes last year. A record rice output
of 105.3 million tonnes was achieved in 2011-12.
Earlier, the USDA had forecast rice output of a record
108 million tonnes this year. It has now lowered the rice
output projections considering lower planting due to deficient
rains in eastern states, the major rice growing region where
most of the rice is not irrigated, the report said.
Continued dryness in October in eastern India and the
'normal' cyclones in October-November period across
coastal India could damage the standing crop and further
temper the prospects of summer-sown rice production, it added.
USDA has pegged overall India's consumption to rise
marginally to 96.70 million tonnes during 2013-14, while
estimating the total grain availability at 130.5 million
tonnes for the same period.
Onion back at Rs 80/kg in Delhi
New Delhi, Oct 21. Onion prices continue to remain
volatile with the rates shooting up again to Rs 80/kg level in
the retail markets of the national capital.
Onion prices have risen again to Rs 75-80 per kg, up by
about 30 per cent from Rs 60/kg level in the last week.
Traders attributed the increase in onion prices to
limited supplies from producing states especially Maharashtra,
Gujarat, Karnataka and Andhra Pradesh.
Onion prices in the national capital have been seesawing
between Rs 60/kg and Rs 80/kg in the last two months despite
government measures like curbing exports and allowing imports.
"Prices are high because supplies have slowed down due
to unseasonal rains at the time of harvesting. Rains have
damaged the crop in key growing states," said Rajendra Sharma,
Chairman of Agricultural Produce Marketing Committee (APMC),
Azadpur mandi.
Onion prices in the retail markets would be high as the
wholesale rates are ruling at Rs 25-60/kg at Azadpur, he said.
Stating that the high price situation in onions will
continue for some more days, Sharma observed: "Prices are
likely to cool down by the weekend with more quantity of
onions expected to arrive from Rajasthan."
Delhi's onion consumption is about 800 tonne per day.
Not only Delhi, consumers in other parts of the country
are affected by onion price rise. In major cities, onions are
sold at over Rs 60 per kg in retail markets.
Nashik-based onion expert Satish Bhonde said the kharif
crop that was ready for harvesting in Maharashtra, the largest
onion growing state, has got damaged and hence supplies could
not be transported from here to consuming states.
Currently, onion supplies are less than 50 per cent of
the country's monthly estimated total demand of 9-10 lakh
tonne. Adding to price volatility is that the storage onions
have also got exhausted now.
Due to exports curbs, onion shipments fell by 28.48 per
cent to to 7,16,246 tonne in the first six months of the
current fiscal. India produced 16.3 million tonnes of onion in
2012-13 crop year (July-June).
Gold, silver surge on domestic demand, firm global cues
New Delhi, Oct 21. Gold prices rose further by Rs
240 to Rs 31,890 per ten gram in the national capital today
on sustained buying by stockists for the festival and marriage
season amid a firming global trend.
Silver also rebounded by Rs 850 to Rs 49,350 per kg on
increased offtake by industrial units and coin makers.
Traders said sustained buying by stockists to meet the
festive and marriage season demand mainly helped gold prices
to extend gains for the second session.
Firm global trend where gold climbed to two-week high also
supported the upsurge in both gold and silver prices, they
said.
Gold in Singapore, which normally sets price trend on the
domestic front, rose by 0.4 per cent to USD 1,322.05 an ounce
and silver by 1.6 per cent to USD 22.28 an ounce.
In addition, shifting of funds from weakening equity to
rising bullion also influenced the sentiment to some extent,
they added.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity climbed by Rs 240 each to Rs 31,890 and Rs 31,690 per
ten gram, respectively. It had gained Rs 150 in the previous
session.
Although, sovereign remained steady at Rs 25,200 per piece
of eight gram in limited deals.
In line with a general firm trend, silver ready rebounded
by Rs 850 to Rs 49,350 per kg and weekly-based delivery by
Rs 900 to Rs 49,100 per kg. The white metal had lost Rs 300 in
Saturday's trade.
Silver coins also spurted by Rs 1,000 to Rs 87,000 for
buying and Rs 88,000 for selling of 100 pieces on hectic
festival as well as wedding season demand.
एनएसईएल घोटाले की जांच तेज, जब्त होगी संपत्ति!
नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) घोटाले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) को बोर्ड की लापरवाही के कई सबूत मिले है। सूत्रों के मुताबिक ईओडब्ल्यू ने बोर्ड के सदस्यों की संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
सूत्रों का कहना है कि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज का सॉफ्टवेयर संदेह के घेरे में है। किसी को सरकारी गवाह नहीं बनाया जाएगा। प्रॉपर्टी जब्त करने के लिए कुछ संपत्तियों की पहचान की गई। रिकवरी के लिए कोई भी अचल संपत्ति जब्त की जा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक अमित मुखर्जी की कार पहले ही जब्त कर ली गई है। ईओडब्ल्यू जल्द ही संपत्ति जब्त करने के आदेश देगा। एनएसईएल घोटाले में ईडी खास तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है।
वहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनएसईएल मामले की सुनवाई 25 अक्टूबर तक टाल दी है। केतन शाह, किरीट सौमेया समेत एनएसईएल इन्वेस्टर फोरम की अर्जी पर सुनवाई होने वाली थी।
दूसरी ओर इनकम टैक्स विभाग ने एनएसईएल निवेशकों को नोटिस जारी किया है। इनकम टैक्स विभाग एनएसईएल मामले में पैसे की हेरा फेरी की जांच में जुटा हुआ है। लिहाजा निवेशकों को इनकम टैक्स विभाग को अपना जवाब सौंपना होगा। (Hindi>moneycantorl.com)
19 अक्तूबर 2013
एफएमसी ने एमसीएक्स को दिया ज्यादा वक्त
एफएमसी ने एमसीएक्स के प्रमोटरों को फिट एंड प्रॉपर नोटिस पर जवाब देने की मियाद बढ़ा दी है। एक्सचेंज के प्रोमोटरों को अब 31 अक्टूबर तक अपना पक्ष आयोग के सामने रखना होगा।
एनएमसईएल मामले के बाद एफएमसी ने एमसीएक्स के प्रोमोटरों को नोटिस जारी कर उनके कमोडिटी एक्सचेंज चलाने की योग्यता पर सवाल उठाए थे। साथ ही ये कहा था कि वे इस बात का जवाब दें कि वे अब कमोडिटी एक्सचेंज चलाने के लिए फिट एंड प्रॉपर क्यों हैं।
दरअसल जिग्नेश शाह एमसीएक्स और एनएसईएल दोनों ही एक्सचेंजों के प्रोमोटर हैं। इसलिए एनएसईएल मामले की आंच अब एमसीएक्स पर भी पड़ने लगी है। (Hindi>moneycantorl.com)
धान उत्पादन के अनुमान पर बाढ़ और ओले
खरीफ 2013-14 में चावल के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद की खुशी जल्द ही खत्म हो सकती है, क्योंकि पाइलिन तूफान के चलते ओडिशा के कुछ हिस्सों में बाढ़ और पंजाब व हरियाणा में ओले गिरने से चावल उत्पादन पर असर पडऩे की आशंका है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के चौथे संशोधित अनुमानों (2013-14) में 9.23 करोड़ टन चावल उत्पादन का अनुमान जताया गया था। लेकिन ओडिशा के तूफान और बाढ़ प्रभावित जिलों में फसल को काफी नुकसान पहुंचने से अब यह दूर की कौड़ी नजर आ रहा है।
कटक स्थित चावल शोध संस्थान के निदेशक त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि वर्ष 2012-13 के दौरान ओडिशा में करीब 85 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था।
ओडिशा में इस साल खरीफ सीजन में 36 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हुई है, जिसमें से 5 लाख हेक्टेयर में फसल प्रभावित हुई है। इस साल राज्य में उत्पादन 10 लाख टन तक कम हो सकता है। उन्होंने कहा कि 10.7 करोड़ टन (खरीफ और रबी दोनों में) चावल उत्पादन का पूर्व अनुमान हासिल नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि ओडिशा में तूफान से और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में ओलों और बारिश से फसल खराब हुई है।
सतनाम ओवरसीज लिमिटेड (कोहिनूर ब्रांड राइस) के संयुक्त प्रंबध निदेशक सतनाम अरोड़ा ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में धान की फसल को थोड़ा नुकसान हो सकता है और यह नुकसान 2 फीसदी से 4 फीसदी तक हो सकता है। एल टी ओवरसीज के निदेशक अश्विनी अरोड़ा ने कहा कि देर से बारिश के कारण फसल में देरी हुई है, लेकिन उत्पादन 4 फीसदी तक कम हो सकता है। वर्ष 2012-13 के खरीफ सीजन में पंजाब में 1.6 करोड़ टन और हरियाणा में 80 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था।
उन्होंने बताया कि चावल शोध संस्थान ने विभिन्न राज्यों के प्रभावित क्षेत्रों में अपनी टीमें भेजी हैं और फसल की वास्तविक स्थिति का ब्योरा एक-दो सप्ताह में मिल जाएगा। महापात्र ने कहा कि मौसमी घटनाओं का खरीफ सीजन के चावल उत्पादन पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा।
देश के कुल चावल उत्पादन में खरीफ का हिस्सा करीब 88 फीसदी है, इसलिए खरीफ में चावल की फसल को नुकसान पहुंचने से कुल उत्पादन पर बड़ा असर पड़ेगा। किसानों के मुताबिक बाढ़ ने तूफान से फसल को नुकसान पहुंचाया है। पकने से पूर्व या पकने की स्थिति वाली धान की फसल को नुकसान पहुंचा है, लेकिन जल्दी बुआई वाला धान बच सकता है। ओडिशा में खेतों में एक मीटर तक पानी जमा होने से फसल को नुकसान पहुंचा है।
एक किसान ने कहा कि किसान इस साल अच्छी फसल की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन तूफान ने उन्हें परेशानी में डाल दिया है। उन्हें सरकार से कुछ हर्जाना मिल सकता है और रबी फसलों की जल्द बुआई कर इस नुुकसान को कम कर सकते हैं। लेकिन आगे की स्थिति के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। (BS Hindi)
अंजनी पलटे, शाह की मुश्किलें बढ़ीं
भुगतान संकट से जूझ रही नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अंजनी सिन्हा ने सभी को हैरान करते हुए अपने बयान से पलटी मार ली। सिन्हा ने 5,600 करोड़ रुपये के भुगतान घोटाले के लिए एक्सचेंज के पूरे निदेशक मंडल को जिम्मेदार ठहराया।
सिन्हा ने 14 अगस्त को हलफनामा दायर कर इस पूरे घोटाले के लिए खुद को और अपनी प्रबंधन टीम को जिम्मेदार ठहराया था। लेकिन आज नया हलफनामा दायर करते हुए सिन्हा ने कहा कि 14 अगस्त को हलफनामा दायर किया गया वह 'दबाव के तहतÓ था और एनएसईएल के निदेशक मंडल ने उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया था। सिन्हा ने कहा कि निदेशक मंडल को इस पूरे मामले की जानकारी थी। सिन्हा ने कहा कि वह हलफनामा 'एक्सचेंज के कार्यालय में तैयार किया गया थाÓ और अकेले उन्हें ही इस घोटाले के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
हालांकि मुंबई पुलिस ने कहा कि नया हलफनामा 'सबूत के तौर पर बहुत मजबूत नहीं हैÓ लेकिन सिन्हा के नए बयान से जिग्नेश शाह और जोसेफ मैसी समेत एनएसईएल के बोर्ड की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालांकि एक्सचेंज के प्रवक्ता ने कहा, 'जिग्नेश शाह और जोसेफ मैसी पर लगाए गए सिन्हा के आरोपों को बहुत अहमियत नहीं दी जानी चाहिए। मामले की जांच चल रही है और हम इससे ज्यादा कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।Ó गुरुवार को गिरफ्तार किए गए सिन्हा को आज मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया और उन्हें पूछताछ के लिए 31 अक्टूबर तक हिरासत में रखा जाएगा। अदालत ने एनएसईएल के पूर्व सहायक उपाध्यक्ष (गोदाम)जय बहुखंडी और पूर्व सहायक उपाध्यक्ष (कारोबारी विकास) अमित मुखर्जी की हिरासत अवधि भी 23 अक्टूबर तक बढ़ा दी।
मुखर्जी के वकील ने अदालत को बताया कि इस घोटाले का प्रमुख 'षड्यंत्रकर्ताÓ शाह है और उसके मुवक्किल को घोटाले की जिम्मेदारी लेने के लिए मजबूर किया गया है क्योंकि इस घोटाले में कई अन्य 'प्रभावशाली व्यक्तिÓ शामिल हैं। सिन्हा ने दावा किया है कि इस घोटाले से निजी तौर पर उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ है लेकिन मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा का कहना है कि सिन्हा के इस दावे को गलत साबित करने के लिए उसके पास कई सबूत हैं।
नए हलफनामे में सिन्हा ने कहा, 'प्रवर्तक, निदेशक और प्रबंधन के अहम पदाधिकारी ही सही तंत्र नहीं होने के लिए जिम्मेदार हैं। सॉफ्टवेयर ऐप्लिकेशन को पूरी तरह फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिज ने डिजाइन किया था।Ó सिन्हा ने यह भी बताया कि निदेशकों को इस बढ़ते जोखिम की जानकारी थी। सिन्हा ने दावा किया कि उसके पास एक्सचेंज के परिचालन से जुड़े महत्त्वपूर्ण फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं था।
आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त आयुक्त राजवर्धन ने कहा कि एमसीएक्स एसएक्स के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी जोसेफ मैसी ने उनसे मुलाकात कर इस भुगतान संकट के बारे में कुछ अहम जानकारी दी है। उन्होंने बताया, 'हमारी मुलाकात में मैंने सिन्हा को भी शामिल किया। उन दोनों ने काफी लंबे समय तक साथ में काम किया है।Ó राजवर्धन ने कहा कि पुलिस एक या दो दिन में एनएसईएल के प्रवर्तकों, बकाया नहीं चुकाने वाले खरीदारों और कर्जदारों के खिलााफ महाराष्टï्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स अधिनियम 1999 भी लागू कर सकती है। (BS Hindi)
Gold recovers on retail buying; silver falls
New Delhi, Oct 19. Gold recovered by Rs 150 to Rs
31,650 per ten grams at the national capital today, mainly due
to seasonal demand and retail buying.
On the other hand, Silver fell by Rs 300 to Rs 48,500 per
kg on reduced offtake at higher levels.
Traders said retail buying for the festive and marriage
season helped gold to recover while reduced offtake by
industrial units at prevailing higher levels kept silver
lower.
In the national capital, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity recovered by Rs 150 each to Rs 31,650 and Rs 31,450 per
ten grams, respectively. It had lost Rs 120 yesterday.
Sovereign held steady at Rs 25,200 per piece of eight gram
in restricted buying activity.
On the other hand, silver ready fell by Rs 300 to Rs
48,500 per kg and weekly-based delivery by the same margin to
Rs 48,200 per kg. The white metal had gained Rs 1,750 in last
three sessions.
However, silver coins spurted by Rs 1,000 to Rs 86,000 for
buying and Rs 87,000 for selling of 100 pieces on fresh
buying. The coins are normally used in pooja on 'Diwali' and
gifting purpose during marriages.
18 अक्तूबर 2013
एथेनॉल खरीद पर नहीं लगेगी रोक : सीसीआई
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के खिलाफ आई शिकायत खारिज कर दी है। इस शिकायत में तेल कंपनियों के एथेनॉल खरीदने पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
जुबिलंट लाइफ साइंसेज लिमिटेड (जेएलएसएल) और पोंटी चड्ढा समूह की वेव डिस्टीलरीज ऐंड ब्रुअरीज लिमिटेड (बीडीबीएल) ने अपनी शिकायत में मांग की थी कि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) और एथेनॉल विनिर्माताओं को जनवरी 2013 में खुली निविदा या अन्य ताजा निविदा के लिए अनुबंधों को को पूरा करने से रोका जाए। जेएलएसएल ने अपनी शिकायत में तर्क दिया है कि तेल विपणन कंपनियों के एथेनॉल खरीदने से शराब और रसायन उद्योग को इसकी आपूर्ति नहीं मिल पाएगी। इसके अलावा प्रतिस्पर्धा बढऩे से एथेनॉल की कीमतें भी बढ़ेंगी।
सीसीआई के आदेश में कहा गया है, 'एथेनॉल की मांग में बढ़ोतरी से एथेनॉल बाजार में प्रतिस्पर्धा प्रभावित होने की शिकायतकर्ताओं (जेएलएसएल और डब्ल्यूडीबीएल) की चिंता वाजिब नहीं है। सीसीआई इस आधार पर नए उपभोक्ताओं उद्योगों को एक उत्पाद की आपूर्ति नहीं रोका सकता कि इससे वर्तमान उपभोक्ता उद्योगों के लिए कीमत बढ़ जाएगी। इसलिए इस संबंध में आए आवेदनों को खारिज किया जाता है।Ó
इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के निदेशक (विपणन) के के गुप्ता ने कहा, 'यह बहुत ही अच्छा है कि सीसीआई ने एथेनॉल की खरीद नहीं रोकी। एथेनॉल मिश्रण के कार्यक्रम का फैसला कैबिनेट ने राष्ट्रीय हित में लिया है। हम पेट्रोल में मिलाने के लिए एथेनॉल की खरीद जारी रखेंगे।Ó गौरतलब है कि बीपीसीएल ने ही सभी तेल विपणन कंपनियों के पक्ष में एक संयुक्त निविदा जारी की थी।
शिकायत में यह भी कहा गया था कि चीनी मिलों एथेनॉल की ऊंची कीमतें तय करने के लिए गुटबंदी कर ली है। इस पर सीसीआई ने यह पाया है, 'सीसीआई को गुटबंदी के बारे में कोई पक्का सबूत नहीं मिला है।Ó इस्मा के अधिकारियों ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
कैबिनेट के आदेश का पालन करते हुए तेल विपणन कंपनियों ने चालू सीजन के लिए 55 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदने के लिए संयुक्त निविदा जारी की थी, जिसमें से 40 करोड़ लीटर के लिए ऑर्डर दिए गए थे। तेल विपणन कंपनियों ने अगले सीजन के लिए 133 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदने के लिए भी संयुक्त निविदा जारी की थी, जिसमें चीनी मिलों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। अगला सीजन दिसंबर 2013 से शुरू हो रहा है। अभी इन बोलियों का मूल्यांकन जारी है और चीनी मिलों को ऑर्डर जल्द दिए जाएंगे।
जेएलएसएल जैसी बहुत सी कंपनियों को यह चिंता पैदा हो गई थी कि शराब और रसायन उद्योग को एथेनॉल खरीदने के लिए बाजार निर्धारित कीमतों पर तेल विपणन कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। (BS Hindi)
आभूषण कारोबार, त्योहारी मौसम में भी नहीं गुलजार!
त्योहारी मौसम में बिक्री बढ़ाने के लिए आभूषण निर्माताओं ने कई आकर्षक योजनाएं पेश की हैं, वहीं सोना भी करीब 15 फीसदी से ज्यादा सस्ता हुआ है। इसके बावजूद ग्राहकों में खरीदारी को लेकर उत्साह नहीं देखा जा रहा है। जानकारों का कहना है कि सोने पर आयात शुल्क की ऊंची दर के कारण सोना अब भी महंगा है, जिससे बिक्री में तेजी नहीं आ रही है। कारोबारियों को नवंबर में बिक्री बढऩे की उम्मीद है।
दीवाली नजदीक होने के बावजूद मुंबई के जवेरी बाजार में इस बार ग्राहकों की खास रौनक देखने को नहीं मिल रही है। हालांकि छोटे-बड़े सभी ज्वैलरों के शोरूम के बाहर छूट और ऑफर के बड़े-बड़े बोर्ड टंगे हैं। ज्वैलरी के बड़े रिटेल ब्रांड लकी ड्रा, आभूषणों की गढ़ाई शुल्क में छूट, अधिक खरीदारी पर सोने के सिक्के और चांदी का उपहार देने का वादा कर रहे हैं, वहीं छोटे ज्वैलर भी ग्राहकों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते। इस सबके बावजूद ग्राहकों का टोटा बना हुआ है। बंबई बुलियन एसोसिएशन के प्रवक्ता कुमार जैन ने कहा कि गणपति से दीवाली तक त्योहारी मौसम में ज्वैलर अपने ग्राहकों के लिए कुछ आकर्षक योजनाएं पेश करते हैं लेकिन इस बार छूट के बावजूद ग्राहक बाजार से नदारद हैं।
त्योहारी मौसम में सोने की कीमतें घटने का भी ज्वैलरों को फायदा होता है लेकिन इस बार कीमतें घटने के बाद भी खरीदारी में तेजी नहीं आ रही है। संगम ज्वैलर्स के निदेशक रमन सोलंकी कहते हैं कि सितंबर से शुरू हुए त्योहारी सीजन में अब तक कोई खास कारोबार नहीं हुआ है जबकि हर साल सितंबर और अक्टूबर में साल भर के कुल कारोबार का करीब 20 फीसदी बिक्री होती है। सोलांकी इसके लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें कम होने पर भी भारतीय ग्राहकों को खास फायदा नहीं मिल पाता है क्योंकि सोने पर 15 फीसदी तक कर लग रहा है।
गणेशोत्सव और नवरात्र के समय प्रवासी भारतीय लाखों की तादाद में अपने घर हैं और इस दौरान सोने की खरीदारी भी करते हैं लेकिन इस बार उनकी ओर से भी आभूषणों की मांग कम रही। ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन हरेश सोनी कहते हैं कि सोने पर आयात शुल्क ज्यादा होने के कारण लोग दुबई में खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वहां 1 फीसदी ही शुल्क लगता है।
ज्यादा शुल्क के कारण विदेशी बाजारों में भी भारतीय आभूषणों की मांग घटी है। चालू वित्त वर्ष में अब तक आभूषणों के निर्यात में करीब 57.12 फीसदी की गिरावट आई है। अप्रैल से अगस्त तक 15609.54 करोड़ रुपये का आभूषण निर्यात किया गया जबकि पिछले साल इस दौरान 36404.17 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था।
ज्वैलरों का मानना है कि फिलहाल सोने की कीमतों में ज्यादा गिरावट की उम्मीद नहीं है। हाल के दिनों में सोने की कीमतों में करीब 2,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की कमी आई है। हाजिर बाजार में सोना 32,510 रुपये प्रति 10 ग्राम से गिरकर 30,264 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहा है। हालांकि ग्राहक सोने की कीमतों में और गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। दिल्ली बुलियन ऐंड ज्वैलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष और गोयल ज्वैलर्स के मालिक विमल कुमार गोयल कहते हैं कि पिछले महीने तक ग्राहक बाजार से गायब थे लेकिन अब थोड़ी-बहुत खरीदारी हो रही है लेकिन त्योहारों जैसा माहौल नहीं है। (BS HIndi)
स्पॉट' में सिन्हा गिरफ्तार
नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराधा शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एनएसईएल के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अंजनी सिन्हा को गिरफ्तार कर लिया है। मुंबई पुलिस ने 7 से 8 घंटे तक गहन पूछताछ के बाद शाम 6 बजे सिन्हा को गिरफ्तार कर लिया। ईओडब्ल्यू के अनुसार सिन्हा इस घोटाले के प्रमुख आरोपी हैं।
पुलिस ने सिन्हा पर धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का आरोप लगाया है। सिन्हा को शुक्रवार को मेट्रोपोलिटन कोर्ट में पेश किया जा सकता है। सिन्हा को बुधवार को ईओडब्ल्यू के समक्ष पेश होना था लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी शालिनी सिन्हा के हाथ आवेदन भिजवाया कि वह गुरुवार को पूछताछ के लिए हाजिर होंगे। इससे पहले दिन में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने सिन्हा से एक्सचेंज में मनी लॉन्डरिंग गतिविधियों की आशंका पर पूछताछ की। निदेशालय ने संकटग्रस्त इस एक्सचेंज में बड़े पैमाने पर मनी लॉन्डरिंग की आशंका देखते हुए सोमवार को ही मनी लॉन्डरिंग रोधी अधिनियम के तहत प्राथमिक जांच दर्ज की है।
सिन्हा को 20 अगस्त को एनएसईएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी पद से हटा दिया गया था। यह पहला मौका था, जब एक्सचेंज अपना साप्ताहिक भुगतान निपटाने में असफल रहा था। इससे एक सप्ताह पहले ही सिन्हा ने एक बयान जारी कर कहा था कि एक्सचेंज में जो कुछ भी हुआ उसके लिए वह व उनकी टीम जिम्मेदार हैं और प्रवर्तकों का इससे कुछ लेना देना नहीं है।
एनएसईएल अभी 5,600 करोड़ रुपये के भुगतान संकट से जूझ रही है। पिछले करीब ढाई महीने से एनएसईएल पर कारोबार नहीं हो रहा है और इस दौरान एक्सचेंज अपने 24 कर्जदारों से कुल रकम का 5 फीसदी भी बकाया नहीं वसूल पाया है। विभाग सिन्हा से पहले एनएसईएल के पूर्व सहायक उपाध्यक्ष जय बहुखंडी और पूर्व सहायक उपाध्यक्ष (कारोबारी विकास) अमित मुखर्जी को रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार कर चुका है। (BS Hindi)
सरकार ने घटाया सोने-चांदी का इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू
गोल्ड का इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू 436 डॉलर प्रति दस ग्राम से घटाकर 418 डॉलर प्रति दस ग्राम कर दिया गया है। इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू असल में वह आधार कीमत होती है जिसके आधार पर इन धातुओं पर सीमा शुल्क तय किया जाता है
सरकार ने सोने-चांदी का इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू घटा दिया है। गोल्ड का इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू 436 डॉलर प्रति दस ग्राम से घटाकर 418 डॉलर प्रति दस ग्राम कर दिया गया है। इन कीमती धातुओं के अंतरराष्ट्रीय कीमत के अनुरूप टैरिफ वैल्यू लाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू असल में वह आधार कीमत होती है जिसके आधार इन धातुओं पर सीमा शुल्क तय किया जाता है।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उत्पादक है और वर्ष 2012 में यहां करीब 860 टन सोने का आयात किया गया था। इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू इसलिए तय किया जाता है ताकि आयातक आयात बिल कम दिखाकर टैक्स की चोरी न कर पाएं। सरकार ने इससे पहले सोने के आयात पर अंकुश लगाने के लिए तमाम उपाय किए हैं।
इसके अलावा सरकार ने पीतल के स्क्रैप का इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू 3,860 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 3,933 डॉलर प्रति टन कर दिया है। कच्चे पाम तेल का इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू 809 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 811 डॉलर प्रति टन किया गया है। इसी प्रकार आरबीडी पाम तेल के लिए टैरिफ वैल्यू 862 डॉलर प्रति टन पर यथावत रखा गया है।
इसके अलावा क्रूड पामोलिन के लिए इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू 883 डॉलर प्रति टन से घटाकर 866 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है। कच्चे सोयाबीन तेल के लिए इम्पोर्ट टैरिफ वैल्यू 966 डॉलर प्रति टन से घटाकर 952 डॉलर प्रति टन किया गया है। (Business Bhaskar)
सरकारी सहयोग के बिना मिलें चलाना मुश्किल
वजह
चीनी मिलों को चीनी की बिक्री 2,650 से 2,950 रुपये प्रति क्विंटल (एक्स-फैक्ट्री) पर करनी पड़ रही है जबकि मिलों की लागत 3,200 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल आ रही है। इससे चीनी मिलों पर किसानों के बकाया भुगतान का भार लगातार बढ़ रहा है
मिलों को चीनी की बिक्री लागत से भी नीचे दाम पर करनी पड़ रही है जिससे मिलों पर किसानों की बकाया राशि का बोझ लगातार बढ़ रही है। हाल ही में समाप्त हुए पेराई सीज़न 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) में उत्तर प्रदेश में ही मिलों पर करीब 2,400 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम कम होने से चीनी के निर्यात पड़ते भी नहीं लग रहे हैं। उधर बैंकों ने चीनी मिलों को नेगेटिव लिस्ट में डाल दिया है। ऐसे में अक्टूबर से शुरू हुए पेराई सीज़न में केंद्र और राज्य सरकारों की सहायता के बिना चीनी मिलों को चलाना मुश्किल है।
इंडियन शूगर मिल्स एसोसिएशन (एस्मा) और नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शूगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) द्वारा गुरुवार को जारी संवाददाता सम्मेलन में एस्मा के अध्यक्ष एम श्रीनिवासन ने बताया कि चीनी मिलों को चीनी की बिक्री 2,650 से 2,950 रुपये प्रति क्विंटल (एक्स-फैक्ट्री) पर करनी पड़ रही है जबकि मिलों की लागत 3,200 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल आ रही है।
इससे चीनी मिलों पर किसानों के बकाया भुगतान का भार लगातार बढ़ रहा है। अक्टूबर से नया पेराई सीज़न शुरू हो गया है लेकिन भारी घाटे में होने की वजह से मिलों को चलाना मुश्किल हो रहा है।
एस्मा के उपाध्यक्ष अजीत एस श्रीराम ने बताया कि अक्टूबर से शुरू हुए नए पेराई सीज़न के समय करीब 88 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है जबकि पेराई सीज़न 2013-14 में 251 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है। देश में चीनी की खपत 230-240 लाख टन की होती है। ऐसे में आगामी पेराई सीज़न में चीनी का बकाया स्टॉक 100 लाख टन से भी ज्यादा होगा।
ऐसे में चीनी के दाम लगातार घट रहे है जिससे मिलों को घाटा हो रहा है। उत्तर प्रदेश में मिलों पर किसानों का करीब 2,400 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है। ऐसे में बैंकों ने भी चीनी मिलों को ऋण देना बंद कर दिया है। इसलिए हमने केंद्र सरकार से मांग की है कि चीनी के आयात पर शुल्क को 15 फीसदी से बढ़कर 40 या फिर 60 फीसदी किया जाये।
रंगराजन समिति की सिफारिशों के आधार पर गन्ने की कीमत को तार्किक बनाया जाए। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम कम है ऐसे में केंद्र सरकार निर्यात करने में सहायता प्रदान करे। राज्य सरकारें किसानों के बकाया भुगतान में मिलों की सहायता करे तथा बैंकों को गारंटी दी जाए, ताकि मिलों को ऋण उपलब्ध हो सके।
एनएफसीएसएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर एम जी जोशी ने कहा कि सरकार ने 2009 में पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिलाने के बीआईएस मानक तय किए था लेकिन फिलहाल 5 प्रतिशत मिश्रण की पूर्ति के लिए खरीदा जा रहा है जिसकी आपूर्ति सी-भारी शीरे से बने एथनॉल से की जा रही है। चीनी का स्टॉक ज्यादा है इसलिए शीरे के साथ गन्ने के रस से भी एथनॉल बनाने की अनुमति दी जाए। (Business Bhaskar....R S Rana)
महंगाई की चिंता में सिर्फ 50 बढ़ा गेहूं का एमएसपी
अनदेखी - न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने में कृषि मंत्रालय की नहीं चली
विरोध - गेहूं के एमएसपी में मात्र 50 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,400 रुपये, चने के एमएसपी में 100 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,100 रुपये और सरसों के एमएसपी में भी 50 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,050 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, इससे किसानों में रोष है
केंद्र सरकार ने महंगाई को देखते हुए रबी विपणन सीजन 2014-15 के लिए गेहूं, चना और सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में मामूली बढ़ोतरी की है।
गेहूं के एमएसपी में मात्र 50 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,400 रुपये, चने के एमएसपी में 100 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,100 रुपये और सरसों के एमएसपी में भी 50 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,050 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। इससे किसानों में भारी रोष है तथा भारतीय किसान यूनियन इसके विरोध में आंदोलन की तैयारी कर रही है।
गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,350 रुपये से बढ़ाकर 1,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर गेहूं के एमएसपी में बढ़ोतरी की गई है तथा कृषि मंत्रालय की सिफारिशों को दरकिनार किया गया है।
कृषि मंत्रालय ने लागत में हुई बढ़ोतरी के आधार पर गेहूं के एमएसपी में 100 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,450 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की थी।
भारतीय किसान यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि डीजल, खाद, कीटनाशक और बीज की कीमतों में सालभर में भारी बढ़ोतरी हुई है, इसके एवज में गेहूं के एमएसपी में मात्र 50 रुपये की मामूली बढ़ोतरी कर सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है।
भारतीय किसान यूनियन इसके खिलाफ आंदोलन करेगी, तथा जल्द ही दिल्ली में बैठक कर आंदोलन की तारीख तय की जायेगी।
कृषि मंत्रालय दलहन और तिलहनों की घरेलू पैदावार बढ़ाकर आयात बिल में कमी करना चाहता है लेकिन सरकार ने इनके एमएसपी में भी मामूली बढ़ोतरी की है।
रबी दलहन की प्रमुख फसल चने के एमएसपी में मात्र 100 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,100 रुपये और तिलहन की प्रमुख फसल सरसों के एमएसपी में 50 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,050 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। हालांकि कृषि मंत्रालय ने इनके एमएसपी में क्रमश: 200-150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी।
मसूर के एमएसपी में भी मात्र 50 रुपये की बढ़ोतरी कर दाम 2,950 रुपये प्रति क्विंटल तय किए है।
सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर मोटे अनाजों की प्रमुख फसल जौ के एमएसपी में 120 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,100 रुपये प्रति क्विंटल तय किए गए है जबकि सनफ्लॉवर के एमएसपी को 200 रुपये बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। (Business Bhaskar....R S Rana)
3,000 रु के प्रीमियम पर मिल रहा है सोना
2,500-3,000 रुपये का प्रीमियम देकर भी सोना खरीदने में दिक्कत हो रही है। बुलियन कारोबारियों और जौहरियों के लिए इस त्योहारी सीजन और शादी में बढ़ती मांग को पूरा करने में मुश्किल हो रही है।
देश के सभी जौहरी और बुलियन कारोबारी इन दिनों परेशान हैं, उन्हें सोना सप्लाई करने वाली कंपनियां एमएमटीसी, एसटीसी, एक्सिस बैंक और एसबीआई हर 10 ग्राम पर 2,500-3,000 रुपये का प्रीमियम वसूल रही हैं।
इतना ही नहीं छोटे जौहरियों की दिक्कत ये है की उन्हें रिटेल में 1-2 किलो सोना खरीदना हो तो, कंपनियां इससे इनकार कर देती हैं। कारोबारियों का ये भी आरोप है कि ज्वेलरी के बिजनेस में बड़ी कंपनियां ऊंचा प्रीमियम देकर सोना खरीद लेती हैं।
नवरात्रि के बाद धीरे-धीरे सोने की खरीदारी बढ़ रही है। कुछ ही दिनों बाद दिवाली है और इसके बाद शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा। अकेले अहमदाबाद में ही रोज 100 किलो सोने की मांग है और ज्वेलर्स को उम्मीद है कि ये मांग अगले कुछ दिनों में 1.5 गुना बढ़ जाएगी। ऐसे में ऊंचे प्रीमियम देने पर भी उन्हें 15 दिनों के बाद सोने की डिलीवरी मिल रही है।
केंद्र सरकार ने 10 फीसदी ड्यूटी पहले ही लगा दी है ऊपर से अब 10 फीसदी प्रीमियम नोडल एजेंसीज वसूल कर रही हैं इसके बावजूद भी सोने के खरीदार कम नहीं हो रहे हैं। ऐसे में ज्वेलर्स की समस्या यह है कि आने वाले समय में वो अपना कारोबार कैसे कर पाएंगे। (Hindi.Moneycantorl.com)
कमोडिटी बाजारः एग्री में आगे क्या करें
एनसीडीईएक्स पर चना 1 फीसदी की गिरावट के साथ 3,000 रुपये के आसपास बंद हुआ है। सोयाबीन में जरूर तेजी दिखी है। एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन करीब 1 फीसदी की उछाल के साथ 3,600 रुपये के ऊपर बंद हुआ है।
जीरे में दबाव बढ़ता जा रहा है। आज जीरा 2 फीसदी से ज्यादा गिरकर 12,370 रुपये पर बंद हुआ है। जीरे की एक्सपोर्ट डिमांड काफी कम हो गई है इस वजह से दबाव है।
एनसीडीईएक्स पर सरसों का नवंबर वायदा करीब 1 फीसदी की गिरावट के साथ 3,650 रुपये पर बंद हुआ है। साथ ही कैस्टर सीड 2 फीसदी की कमजोरी के साथ 3,700 रुपये के नीचे बंद हुआ है।
इंडिया इंफोलाइन की निवेश सलाह
सरसों एनसीडीईएक्स (नवंबर वायदा) : खरीदें - 3645, स्टॉपलॉस - 3611 और लक्ष्य - 3700
कैस्टर सीड एनसीडीईएक्स (नवंबर वायदा) : बेचें - 3710, स्टॉपलॉस - 3761 और लक्ष्य - 3620
एसएसजे फाइनेंस की निवेश सलाह
चांदी एमसीएक्स (दिसंबर वायदा) : खरीदें - 48000-47800, स्टॉपलॉस - 47200 और लक्ष्य - 49000/49500
लेड एमसीएक्स (अक्टूबर वायदा) : खरीदें - 131.5, स्टॉपलॉस - 130 और लक्ष्य - 134
रुपये में उतार चढ़ाव का असर घरेलू बाजार में सोने-चांदी पर दिखा है। दिन के कारोबार में तेजी दिखाने के बाद सोने की चमक फीकी पड़ गई है। चांदी में भी पहले से कम तेजी दिख रही है। फिलहाल एमसीएक्स पर सोना सपाट होकर 29,540 रुपये के नीचे कारोबार कर रहा है। वहीं चांदी मामूली गिरावट के साथ 48,100 रुपये के आसपास कारोबार कर रही है।
नायमैक्स पर क्रूड खुद को 100 डॉलर के ऊपर होल्ड कर रहा है। वहीं घरेलू बाजार में कच्चे तेल में 1 फीसदी की तेजी दिख रही है। एमसीएक्स पर कच्चा तेल 1.25 फीसदी की उछाल के साथ 6,220 रुपये पर कारोबार कर रहा है। नैचुरल गैस में 1 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और इसका भाव 230 रुपये आ चुका है।
बेस मेटल्स में आज तेजी आई है। एमसीएक्स पर कॉपर समेत सारे मेटल्स करीब 1 फीसदी तक उछल गए हैं। दरअसल चीन में जीडीपी के अच्छे आंकड़ों से लंदन मेटल एक्सचेंज पर मेटल को अच्छा सपोर्ट मिला है।
एमसीएक्स पर कॉपर करीब 1 फीसदी चढ़कर 451.5 रुपये पर पहुंच गया है। एल्युमिनियम में 0.5 फीसदी, लेड में 0.9 फीसदी, निकेल में 1.7 फीसदी और जिंक में 1 फीसदी की मजबूती आई है। (Hindi>moneycantorl.com)
अंजनी सिन्हा ने दायर किया नया हलफनामा
एनएसईएल के पूर्व एमडी और सीईओ अंजनी सिन्हा ने अपने बयान से पलटने के बाद नया हलफनामा दायर कर दिया है। अंजनी सिन्हा ने आरोप लगाया है कि एनएसईएल बोर्ड के दबाव में आकर उन्होंने अपना पहला बयान दिया था।
अंजनी सिन्हा को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने गुरुवार शाम गिरफ्तार किया था। अब तक इस मामले में 3 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और तीनों की आज कोर्ट में पेशी थी जिसके बाद अंजनी सिन्हा को 31 अक्टूबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। साथ ही अमित मुखर्जी और जय बहुखंडी की पुलिस हिरासत भी 23 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है।
अंजनी सिन्हा पर एनएसईएल के 13,000 निवेशकों के साथ धोखाधड़ी और घपले बाजी के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हम आपको अंजनी सिन्हा के बारे में बता दें वो एनएसईएल के पूर्व एमडी और सीईओ हैं। एनएसईएल के पहले अंजनी सिन्हा एमसीएक्स के सीईओ रह चुके हैं। एमसीएक्स से पहले अहमदाबाद स्टॉक एक्सचेंज के ईडी भी रह चुके हैं। साथ ही बॉम्बे कमोडिटी एक्सचेंज में 2000 से 2002 तक सीईओ का कामकाज देखा।
अंजनी सिन्हा ने आईएसई में ऑपरेशन के मार्केट हेड के पद पर भी काम किया है। मगध स्टॉक एक्सचेंज में सीजीएम का काम भी किया है। अंजनी सिन्हा ने कानून की पढ़ाई की है, और उनके पास सीए और एमबीए की डिग्री भी है। (Hindi.moneycantorl.com)
NSPOT partners Central Bank to give loan against farm stocks
New Delhi, Oct 18. NCDEX Spot Exchange (NSPOT) today
announced its tie up with Central Bank of India to give loan
against agri-commodities as collateral to farmers and
processors in Andhra Pradesh and Karnataka.
This initiative will benefit existing customers of NCDEX
Spot Exchange and depositors of NSPOT-accredited warehouses as
they can avail loan against their produce from the bank, it
said in a statement.
"This would increase their (farmers, processors and
aggregators) holding powers and freedom to decide the
appropriate time to sell their product and get better price,"
NSPOT Executive Vice President Rajesh Sinha said.
Under the agreement, customers keen to avail this facility
will have to deposit their goods in NSPOT accredited
warehouses. The banks would provide loans against the
deposited goods, the exchange said.
When the goods are sold, the proceeds directly flow to the
banks. After retaining their share of liability the remaining
amount is released to the farmers, it added.
Central Bank of India Field General K Balakrishnan said:
"This association will promote financial inclusion and bring
in transparency and efficiency towards lending operation
benefiting farmers, traders and SMEs."
He emphasised on educating market participants and their
branch managers about this scheme by arranging seminars in
association with NCSPOT to leverage the potential of this
facility.
Two new collateral managers Navjyoti Commodities and
Origo Commodities had joined hands with NSPOT and Central Bank
of India in this new initiative for financial inclusion.
NSPOT provides various services related to market
information to the banks and helps them in risk management.
AIKS criticises govt for fixing lower MSP for rabi crops
New Delhi, Oct 18. The minimum support price for
wheat and other rabi crop announced by the government is a
"mockery of the plight of farmers", All India Kisan Sabha, the
peasants wing of CPI(M) party, said today.
It warned the government that peasants will protest
against this move unless the MSP for the 2014-15 marketing
year is not revised upward taking into account rising input
costs, said an official statement.
"AIKS condemns the insensitive Congress-led government
for making mockery of the plight of farmers and announcing
only a meagre increase in MSP of wheat... This latest move
will adversely affect the acreage under cultivation of wheat
and other crops," the statement said.
The MSP fixed for barley, gram, masur, mustardseed and
safflower are also way below farmers' expectations, it added.
The Cabinet Committee on Economic Affairs yesterday
approved an increase in wheat MSP by only Rs 50 per quintal to
Rs 1,400 per quintal for 2014-15 marketing year (April-March).
It approved a marginal hike for all rabi crops.
Stating that both CCEA and the government's advisory body
CACP have "betrayed" interest of farmers, AIKS said the
Commission for Agricultural Costs and Price (CACP) "has not
done justice to its role".
The support price announced for 2014-15 citing "bogey of
inflation" is lower than the cost of production. AIKS had
sought wheat MSP of Rs 1800 per quintal, it noted.
As rising prices of fertiliser, diesel and electricity
among others, have made farming activity very costly, MSP
announced will not boost confidence of farmers and does not
provide a reasonable margin over cost of production as
suggested by the Swaminathan Commission, it said.
AIKS further said: "Continuous announcement of unfair and
un-remunerative MSP coupled with the anti-farmer policies of
the centre and different state governments will further
slowdown agricultural growth.
Gold falls on slackened demand; silver rises
New Delhi, Oct 18. Snapping a two-day rising trend,
gold prices fell by Rs 120 to Rs 31,500 per ten grams in the
national capital today on slackened demand at existing higher
levels amid weak global cues.
However, silver rose for the third straight session by
adding Rs 375 to Rs 48,800 per kg on increased offtake by
industrial units and coin makers.
Traders said besides sluggish demand at existing higher
levels, a weak global trend mainly kept pressure on gold
prices.
Gold in London, which normally sets price trend on the
domestic front, fell by USD 3 to USD 1,317.10 an ounce.
Sentiment also weakened as rising equity market lured
investors to shift funds from bullion to stocks for quick
gains, they said.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity fell by Rs 120 each to Rs 31,500 and Rs 31,300 per ten
grams, respectively after gaining Rs 1,070 in last two days.
Sovereign held steady at Rs 25,200 per piece of eight
grams.
On the other hand, silver ready advanced by Rs 375 to Rs
48,800 per kg and weekly-based delivery by the same margin to
Rs 48,500 per kg. The white metal had gained Rs 1,375 in the
previous two sessions.
On the other hand, silver coins lacked necessary buying
support and tumbled by Rs 1,000 to Rs 85,000 for buying and Rs
86,000 for selling of 100 pieces.
17 अक्तूबर 2013
NSEL घोटाले में पूर्व सीईओ अंजनि सिन्हा गिरफ्तार
मुंबई।। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 6000 करोड़ रुपये के नैशनल स्टॉक एक्सचेंज लि. (एनएसईएल) स्कैम में पूर्व सीईओ और एमडी अंजनि सिन्हा को अरेस्ट कर लिया है। गौरतलब है कि इस घोटाले में पुलिस एनएसईएल के बिजनेस डिवेलपमेंट डिपार्टमेंट के प्रमुख अमित मुखर्जी को भी अरेस्ट कर चुकी है।
सिन्हा को जॉइंट पुलिस कमिश्नर (ईओडब्ल्यू) के ऑफिस ले जाया गया है, जहां उनसे आगे की पूछताछ होगी। सिन्हा की गिरफ्तारी उनके उस हलफनामे के एक महीने बाद हुई है जिसमे उन्होंने NSEL में हुई वित्तीय गड़बड़ी की जिम्मेदारी कबूल की थी। सिन्हा ने कबूल किया था कि उन्होंने इस बारे में मैनेजमेंट को अंधेरे में रखा था।
पिछले हफ्ते ईओडब्ल्यू ने एनएसईएल के पूर्व एमडी-सीईओ अंजनि समेत सहित 6 अधिकारियों को समन जारी कर पांच दिन में रिपोर्ट करने को कहा था। जिन दूसरे अधिकारियों को समन जारी हुए हैं, उनमें मनीषचंद्र पांडे फरार है। पांडे एनएसईएल का हरियाणा में वेयरहाउस मैनेजर था। उसके द्वारा इन्ट्रोडप्यूस किए सबसे ज्यादा लोग डिफॉल्ट हुए हैं।
ईओडब्ल्यू ने सोमवार को एनएसईएल ग्रुप की एक अन्य कंपनी एफटी के चेयरमैन और एमडी जिग्नेश शाह, एमसीएक्स स्टॉक एक्सचेंज के एमडी-सीईओ जॉसेफ मैसी और अन्य प्रमोटर, डायरेक्टर और डिफॉल्टरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर उनसे पूछताछ की थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भी इस घोटाले की जांच कर रही है और घोटाले से जुड़े लोगों के विदेश भाग जाने की आशंका को देखते हुए सभी एयरपोर्ट और खुफिया एजेंसियों को लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है।
ईडी को आशंका है कि इस घोटाले का बहुत बड़ा हिस्सा आरोपियों ने हवाला की मार्फत विदेश भेज दिया है। इसलिए इन सभी आरोपियों पर लॉन्ड्रिंग ऐंड फॉरेन एक्सचेंज उल्लघंन के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) के तहत जांच हो सकती है(Navbharat Times)
NSEL के MD की पत्नी शालिनी सिन्हा मार्जिन फ्री ट्रेड में शामिल
NSEL के MD की पत्नी शालिनी सिन्हा मार्जिन फ्री ट्रेड में शामिल
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Shalini Sinha
शालिनी सिन्हा
ईटी | Oct 17, 2013, 09.02AM IST
राम सहगल,पलक शाह
मुंबई।। ऐसे समय में जब एनएसईएल में फ्रॉड को लेकर शोर मचा था, इस एक्सचेंज के हेड की पत्नी कमोडिटी फ्यूचर्स एक्सचेंज एमसीएक्स पर हजारों करोड़ रुपए के मार्जिन-फ्री ट्रेड कर रही थीं। एमसीएक्स उस ग्रुप का हिस्सा है, जिसकी एनएसईएल में मेजॉरिटी होल्डिंग है।
एसएनपी डिजाइंस प्राइवेट लिमिटेड (एसएनपी) और इसकी मैनेजिंग डायरेक्टर शालिनी सिन्हा एनएसईएल के पूर्व एमडी एंड सीईओ अंजनी सिन्हा की पत्नी हैं। ग्रांट थॉर्नटन की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि एसएनपी के भारी नुकसान में होने के बावजूद इससे कोई मार्जिन नहीं लिया गया और इसने पिछले साल अप्रैल से करीब 40,000 करोड़ रुपए के कर्ज वाले ट्रेड किए। इस बारे में अंजनी सिन्हा को भेजे गए टेक्स्ट मेसेज और फोन कॉल्स का जवाब नहीं मिला। इकनॉमिक टाइम्स ने ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट की कॉपी देखी है।
एसएनपी ने एमसीएक्स पर एनएसईएल की सब्सिडियरी इंडियन बुलियन एसोसिएशन (आईबीएमए) के जरिए ट्रेड किए। रिपोर्ट में कहा गया है, '20 सितंबर 2013 तक आईबीएमए को एसएनपी की ओर से किए गए ट्रेड से हुए नुकसान की मद में 77 करोड़ रुपए मिलने थे। बड़ी रकम बकाया होने के बावजूद एसएनपी से कोई पैसा नहीं मिला।'
सबूतों से पता चलता है कि एनएसईएल के सबसे बड़ी बॉरोअर्स में शामिल मोहन इंडिया से 10 करोड़ रुपए मिले, जिन्हें आईबीएमए के एकाउंट में क्रेडिट किया गया। ग्रांट थॉर्नटन का कहना है, 'अंजनी सिन्हा के निर्देश के मुताबिक इसे एसएनपी पर बकाया रकम के बदले एडजस्ट किया जाना था।' रिपोर्ट में अंजनी सिन्हा का आईबीएमए के राकेश शेट्टी को लिखा गया पत्र शामिल है, जिसमें निर्देश दिया गया है कि गोल्ड और एग्री कमोडिटीज में सभी स्पेकुलेटिव ट्रेड्स एसएनपी डिजाइंस में रिकॉर्ड किए जाने चाहिए। इसमें कहा गया था, 'आईबीएमए के प्रॉपराइटरी एकाउंट में कोई स्पेकुलेटिव ट्रेड नहीं होना चाहिए।'
कमोडिटी मार्केट के रेगुलेशंस शेयरहोल्डर्स पर एक्सचेंजों पर मेंबर्स या क्लाइंट्स के तौर पर ट्रेड करने की अनुमति नहीं देते। एमसीएक्स पर कार्वी कॉमट्रेड के क्लाइंट के तौर पर आईबीएमए की ट्रेडिंग पर कमोडिटी मार्केट रेगुलेटर फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) ने कड़ा ऐतराज जताया था। एफएमसी ने एनएसईएल पर जाली ट्रेड के एमसीएक्स के वॉल्यूम पर असर पड़ने की जांच के लिए एमसीएक्स का स्पेशल ऑडिट कराने की योजना बनाई थी।
ग्रांट थॉर्नटन ने एफएमसी के कहने पर एनएसईएल का स्पेशल ऑडिट किया था। ऑडिट रिपोर्ट का पहला हिस्सा 1 अप्रैल 2012 से 31 जुलाई 2013 की अवधि का है, जब एनएसईएल ने विवादास्पद कॉन्ट्रैक्ट्स की ट्रेडिंग पर रोक लगा दी थी। (ET Hindi)
Govt hikes wheat MSP by Rs 50 per quintal
New Delhi, Oct 17. The government today raised the
minimum support price (MSP) for wheat by Rs 50 to Rs 1,400 per
quintal to encourage farmers to cover more area under the crop
in the ongoing rabi season.
The increase in wheat MSP by Rs 50 per quintal is the
same as recommended by the government advisory body,
Commission for Agriculture Costs and Prices (CACP), but lower
than what was proposed by the Agriculture Ministry due to
concern over inflation.
"Wheat MSP has been increased by Rs 50 per quintal to Rs
1,400 for 2013-14 crop year as against Rs 1,350 last year",
Food Minister K V Thomas said.
The Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA) has also
approved the MSP of other rabi crops for 2013-14 crop year
(Jule-June) to be marketed in the 2014-15.
The agriculture ministry had proposed an increase of Rs
100 per quintal to Rs 1,450 per quintal in wheat MSP for the
2014-15 marketing year (April-March).
When asked for the reasons for rejecting the Agriculture
Ministry proposal, Thomas said: "We are concerned about
inflation and we can control prices of foodgrains which we
procure"
The increase in wheat MSP is likely to lead to a rise in
the government food subsidy bill in the next fiscal and may
also put pressure on inflation.
The government procures wheat from farmers at MSP during
April-June. Wheat is the main crop grown in the rabi
(winter) season.
Wheat MSP is the rate at which government buys the grain
from farmers.
Wheat's sowing begins in October and harvesting starts
from April onwards.
Ensure food, nutrition security: Pawar
New Delhi, Oct 17. Increasing crop productivity and
production with efficient use of scarce resources are the only
long-term solutions to ensure food and nutritional security of
the country, Agriculture Minister Sharad Pawar said today.
In his message on the World Food Day, which is observed
all over the world on October 16 every year, Pawar asked all
stakeholders to take a resolve of eradicating malnutrition and
hunger in the country.
"The only long term solution to ensuring food and
nutritional security in the country lies in increasing
production and productivity in the agriculture sector with
diverse and integrated farming systems to provide nutritious
diets to each and every citizen," Pawar said in a statement.
He said rapid industrialisation and urbanisation have
reduced the availability of natural resources such as land and
water for growing food and it is imperative to utilise the
limited resources for sustainable supply of food to the ever
increasing population through effective policies.
"While ensuring the sustainability of our food systems,
we have to not only produce nutritious food for our present
population but also protect the capacity to feed the future
generations," Pawar said.
The sustainable food systems require a commitment from
food producers as well as food consumers to use resources
efficiently at every stage, he added.
The sustainability can also be improved by turning waste
products into valuable fertiliser or energy and also by
minimisation of food losses and waste.
"The future of sustainable agricultural growth and food
security in India is dependent to a great degree on the
performance of small and marginal farmers," Pawar said.
The government has launched a number of schemes keeping
in view these farmers and other beneficiaries especially women
and children, he highlighted.
"On this (world food) day, let us all resolve to use the
scarce and limited resources at our disposal to ensure
complete eradication of malnutrition and hunger in our
country," Pawar said.
He urged renewed commitment from all stakeholders to
ensure food and nutrition security of the people through
concerted action for sustainable food systems.
16 अक्तूबर 2013
Private Trades May Buy Wheat From Malwa Region Despite Increased Reserve Price
New OMSS price applicable from 1st Oct. 2013 for M.Phas been revised up from Rs 1414 to Rs 1635 per qtl. Despite hefty increase of 15.62 percent in reserve price traders may opt for buying wheat from FCI stock through tender. Wheat for M.P gets premium over other varieties and local traders will start taking part in auction after mid Oct.FCI has allocated two lakh tonnes of wheat to gauge the market temperament.
Wheat in local market is available at around Rs 1550/Q .However, traders’ interest to buy wheat from government stock at higher price is taking ground now as stock in private hands is shrinking and traders will start getting parity in Malwa region at this price. They can deliver it in south India in between Rs 1850-1900/Q. Lower freight from Malwa region to south Indian destination would make off take viable from Malwa region given the current market scenario and seasonal factors. We expect wheat market to move slightly up from current level as new reserve prices for various states would lend support to cash wheat market to some extent in the weeks ahead.
एनएसईएल में था लाभ बंटवारा करार
चंडीगढ़ की एलईएएफ के साथ समझौते से लाभ बराबर बांटने का चलता है पता
नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) और इसके खरीदारों के बीच संबंध कुछ ज्यादा ही गहरा था। एक सामान्य एक्सचेंज में एक सदस्य का नामांकन फीस लेकर किया जाता है और उसे प्लेटफॉर्म पर कारोबार करने की स्वीकृति दी जाती है। एक्सचेंज सदस्य के कारोबार में कोई रुचि नहीं लेता है।
हालांकि एनएसईएल में स्थिति कुछ अलग थी। मुश्किल में फंसे एक्सचेंज के अपने 24 खरीदार सदस्यों के साथ वाणिज्यिक शर्तों के करार थे, जिनमें लाभ का बंटवारा और धन की व्यवस्था करना आदि शामिल थे। इन समझौतों में दोनों पार्टियों पर कारोबारी जिम्मेदारी तय की गई थीं। जहां खरीदार खरीद और भंडारण आदि के लिए जिम्मेदार था, वहीं एनएसईएल वित्तीय व्यवस्था, गोदाम और बिक्री के लिए जिम्मेदार था। चंडीगढ़ की लक्ष्मी एनर्जी ऐंड फूड्स (एलईएएफ) और एनएसईएल के बीच समझौते को बिज़नेस स्टैंडर्ड ने देखा तो पता चला, 'शुद्ध बिक्री में से परिचालन के दौरान आई लागत को घटाने के बाद बचे लाभ का बंटवारा एलईएएफ और एनएसईएल में बराबर-बराबर किया जाएगा।Ó
इस समझौते पर हस्ताक्षर अक्टूबर, 2012 में एनएसईएल के पूर्व प्रमुख अंजनी सिन्हा और एलईएएफ के एमडी बलबीर सिंह उप्पल द्वारा किए गए थे। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने यह भी पाया कि इसी तरह का करार मुंबई की लोटस फार्मा केमिकल्स के साथ भी किया गया था। लोटस ने बकाये के निपटान को लेकर बंबई उच्च न्यायालय में एनएसईएल के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। समझौतों में यह भी कहा गया है कि एनएसईएल माल की खरीद के लिए धन की व्यवस्था करेगा। यह धन बैंक, ऑफलाइन बल्क डील और ऑनलाइन ट्रेडिंग के जरिये जुटाया जाएगा।
समझौते की एक धारा में यह भी कहा गया है, 'एनएसईएल और एलईएएफ संयुक्त रूप से बासमती धान की संपूर्ण खरीद के लिए धन की व्यवस्था निम्न स्रोतों से करेंगी। (क) एनएसईएल द्वारा जारी भंडारण रसीद के आधार पर बैंकों से। (ख) एनएसईएल के पास रखे स्टॉक पर ऑनलाइन ट्रेडिंग के जरिये। (ग) अन्य (ऑफलाइन बड़े सौदों के जरिये।)Ó समझौते में किसी विवाद की स्थिति में तीसरी पार्टी के हस्तक्षेप को रोकने का भी प्रावधान है। ये समझौते इन आरोपों को मजबूत करते हैं कि एक्सचेंज और इसके कर्जदारों के बीच वित्तीय व्यवस्था को लेकर स्पष्ट सहमति थी, जबकि इसे किसानों, कारोबारियों और मिल मालिकों के बीच एक प्लेटफॉर्म के रूप में पेश किया गया था।
एनएसईएल के एक प्रवक्ता ने कहा, 'लोटस के संबंध में हम यह स्पष्ट करना चाहेंगे कि हमें एनएसईएल के पक्ष में पूर्व प्रबंधन द्वारा किए गए ऐसे समझौतों का पता नहीं है। एनएसईएल के कारोबार के बारे में आपके अन्य सवालों पर हम टिप्पणी नहीं कर सकते, क्योंकि यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है और जांच चल रही है।Ó इस समझौतों को देखने वाले एनएसईएल निवेश समूह के एक अधिकारी ने कहा, 'एक्सचेंज ने संयुक्त रूप से धन की व्यवस्था की। यह धन एनएसईएल द्वारा जारी भंडारण रसीद के आधार पर बैंकों से या एनएसईएल के पास रखे स्टॉक पर ऑनलाइन ट्रेडिंग के तहत जुटाया गया। यह दर्शाता है कि ऐसे समझौते नियमों और एक्सचेंज की प्रक्रिया के खिलाफ हैं।Ó
इसके अलावा एलईएएफ जैसे खरीदारों को किसानों से खरीद में केवल सहायक का काम करना था और किसानों का ब्योरा एनएसईएल को रखना था। लेकिन हकीकत में किसानों से कोई भी जिंस सीधे नहीं खरीदी गई और एनएसईएल के पास किसानों का कोई ब्योरा नहीं था। (BS Hindi)
जिग्नेश नहीं रहेंगे स्थायी निदेशक
जिंस बाजार नियामक ने अब एमसीएक्स बोर्ड में जिग्नेश शाह की स्थायी सीट पर उंगली उठाई है। वायदा बाजार आयोग ने मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) से एक्सचेंज के बोर्ड में किसी भी व्यक्ति को स्थायी निदेशक के रूप में नहीं रखने को कहा है। वर्ष 2006 में एक्सचेंज के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन (एओए) में संशोधन कर जिग्नेश शाह को स्थायी निदेशक बनाया गया था। एमसीएक्स के बोर्ड में जिग्नेश शाह ही एकमात्र स्थायी निदेशक हैं।
एमसीएक्स के प्रवक्ता ने कहा, 'एफएमसी ने 12 अगस्त, 2013 और 13 सितंबर, 2013 को जिंस एक्सचेंजों के निदेशक मंडल के पुनर्गठन के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए थे। एमसीएक्स में इन्हें लागू करने की प्रक्रिया चल रही है। एमसीएक्स के बोर्ड में एक स्थायी सदस्य हैं और अब एफएमसी द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों के मुताबिक हम एक्सचेंज के संगठन के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में संशोधन करेंगे।Ó इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि एक्सचेंज के नियमित कंपनी होने के नाते एफएमसी चाहता है कि बोर्ड में नियुक्त किए जाने वाला निदेशक 'फिट ऐंड प्रॉपर पर्सनÓ होना चाहिए और इसकी जांच-पड़ताल की जानी चााहिए। इसलिए जिंस एक्सचेंज में कोई भी हिस्सेदार निदेशक स्थायी निदेशक नहीं होना चाहिए।
यह मसला एमसीएक्स के लिए और भी अहम है, क्योंकि महज एक पखवाड़े पहले ही एफएमसी ने जिग्नेश शाह और अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उनसे पूछा गया है कि एनएसईएल मामले के बाद उनके 'फिट ऐंड प्रॉपर पर्सनÓ के दर्जे को क्यों न समाप्त किया जाए। पिछले सप्ताह जिग्नेश शाह एमसीएक्स-एसएक्स के बोर्ड से त्यागपत्र देने को बाध्य किया गया था। उनके साथ ही एमसीएक्स-एसएक्स के एमडी को भी त्यागपत्र देना पड़ा था।
पिछले सप्ताह एफएमसी ने बोर्ड स्तर की नियुक्तियों के संबंध में जिंस एक्सचेंजों के लिए नए नियम जारी किए थे। इन नए नियमों से बोर्ड में एफटी को केवल एक ही सीट मिलेगी। एफटी एमसीएक्स की प्रवर्तक और प्रमुख हिस्सेदार है। वर्तमान में एक्सचेंज के बोर्ड में जिग्नेश शाह (नॉन एक्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन) और पारस अजमेरा दो हिस्सेदार निदेशक हैं। शाह एक्सचेंज के एमडी थे और एक्सचेंज को सफल बनाने में उनका प्रमुख योगदान रहा है। उन्होंने एमसीएक्स को सबसे बड़ा एक्सचेंज बना दिया। वर्ष 2006 में जोसेफ मैसी ने एमडी का पदभार संभाला था और उस समय जिग्नेश शाह को आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन (एओए) में संशोधन कर निदेशक बना दिया गया था। एफएमसी ने अपने निर्देशों को लागू करने के लिए एक्सचेंज से एओए में फिर से संशोधन करने को कहा है। देश में छह जिंस एक्सचेंज हैं, जिनमें से दो में स्थायी निदेशक हैं। एक अन्य एक्सचेंज हाल में शुरू हुआ यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज (यूसीएक्स) हैं, जिसके प्रवर्तक केतन सेठ स्थायी निदेशक हैं। एफएमसी के निर्देशों के पालन के लिए उन्हें भी एओए में संशोधन करना होगा। (BS HIndi)
भारत के अनाज निर्यात पर दबाव
गेहूं, मक्का और चावल जैसे अनाज के निर्यात को शुरुआत में अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी, लेकिन वर्ष की शेष अवधि के दौरान ज्यादा वैश्विक आपूर्ति और कम कीमत मिलने के अनुमान से देश से निर्यात नरम रहने की संभावना है।
कृषि एवं और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान भारत के निजी निर्यातकों और सरकारी एजेंसियों ने 32.9 लाख टन से ज्यादा गेहूं का निर्यात किया है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में गेहूं निर्यात 15.2 लाख टन रहा था। इसी तरह बासमती और गैर-बासमती चावल के निर्यात भी अच्छी बढ़ोतरी हुई है। यह क्रमश: 17.5 लाख टन और 27.6 लाख टन रहा है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 15 लाख टन और 25.4 लाख टन रहा था। इसी तरह मक्के सहित अन्य अनाजों का निर्यात भी 19.9 लाख टन से बढ़कर 24.1 लाख टन रहा है। हालांकि यह रुझान आगे जारी नहीं रहने की संभावना है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ (एआईआरईए) के अध्यक्ष एम पी जिंदल ने कहा, 'वैश्विक अति आपूर्ति के चलते कीमतें गिर रही हैं, जिससे आगे यह रुझान पलट सकता है।Ó
आपूर्ति बढऩे से पिछले एक साल के दौरान अनाज सहित कृषि जिंसों की कीमतें कम से कम 42 फीसदी गिरी हैं। पिछले एक साल के दौरान शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में गेहूं और मक्के का नजदीकी महीने का अनुबंध क्रमश: 33.48 फीसदी और 40.67 फीसदी गिरकर 9 डॉलर प्रति बुशल और 4.41 डॉलर प्रति बुशल पर आ गया है। हालांकि चावल में केवल 2.23 फीसदी गिरावट आई है और यह 15.13 डॉलर प्रति 100 पौंड है। वैश्विक कीमतों में गिरावट से भारत के अनाज निर्यात के लिए संभावनाएं सीमित हो गई हैं।
]जिंदल का अनुमान है कि इस साल भारत का अनाज निर्यात 15 से 20 फीसदी घटेगा। संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपनी हाल की रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि वैश्विक अनाज उत्पादन चालू वर्ष के विपणन सत्र (जुलाई-जून) में 7.7 फीसदी बढ़कर 248.91 करोड़ टन रहेगा, जो पिछले साल 231.17 करोड़ टन रहा था। इससे भी अनाज की वैश्विक कीमतों पर दबाव बढ़ा है। वहीं, अनाज की वैश्विक खपत 3.3 फीसदी बढ़कर 241.55 करोड़ रह सकती है। इससे वैश्विक स्तर पर 2013-14 के दौरान अनाज का स्टॉक 12.4 फीसदी बढ़कर 55.89 करोड़ टन हो जाएगा, जो पिछले साल 49.73 करोड़ टन था।
एपीडा के सलाहकार ए के गुप्ता ने कहा, 'इस साल गेहूं और मक्के के निर्यात में गिरावट आ सकती है, लेकिन इसकी भरपाई बासमती चावल के निर्यात से हो जाएगी। इसलिए मूल्य लिहाज से अनाज का कुल निर्यात पिछले साल जितना ही रहेगा।Ó हम यह मानें कि अनाज निर्यात से आमदनी पिछले साल जितनी रहेगी तो डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के अनुपात में निर्यातित मात्रा में भी कमी आएगी।
इस साल भारत से बासमती चावल का निर्यात बढ़़कर 40 लाख टन हो सकता है, जो पिछले साल 35 लाख टन रहा था। एआईआरईए के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया के मुताबिक भारतीय चावल की कीमत पाकिस्तान, थाईलैंड और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों से ज्यादा मिल रही है। पाकिस्तान करीब 65 लाख टन चावल का उत्पादन करता है और इसकी आधी मात्रा का निर्यात करता है। भारत में हर साल करीब 11 करोड़ टन चावल उत्पादन होता है, जिसमें से करीब 1 करोड़ टन का निर्यात किया जाता है। (BS HIndi)
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