08 अप्रैल 2013
बासमती निर्यात की बढ़ी खुशबू
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती चावल की बढ़ती स्वीकार्यता से 2012-13 में निर्यात मात्रा में 10 फीसदी और इससे होने वाली आमदनी में 30 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। निर्यातकों को इस साल भी यह रुख रहने की उम्मीद है। निर्यातकों को इस ज्यादा मात्रा में चावल बिक्री करने का विश्वास है, क्योंकि ज्यादा पैदावार वाली किस्म पूसा 1509 से उन्हें वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
हरियाणा के प्रमुख निर्यातक विजय सेतिया ने कहा कि पिछले साल आपूर्ति मांग से कम पड़ गई थी, लेकिन पूसा 1121 की उन्नत किस्म पूसा 1509 के आने के भारतीय बासमती निर्यातकों को आने वाले वर्षों में बढ़ती निर्यात मांग पूरी करने में मदद मिलेगी। नई स्मि पूसा 1509 पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना ने विकसित की है। यह किस्म कम अवधि की है और 20 दिन जल्दी पकेगी। पूसा 1509 बीज का भाव 100 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि पूसा 1121 का 50 रुपये प्रति किलोग्राम था। लेकिन नई किस्म से पैदावार 6 टन प्रति हेक्टेयर मिलने का अनुमान है, जबकि पूसा 1121 की उत्पादकता 4 टन प्रति हेक्टेयर ही थी। बेहतर उत्पादकता के साथ ही नई किस्म से सिंचाई लागत घटेगी, क्योंकि कम अवधि की फसल के लिए कम पानी की जरूरत मिलेगी और मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी। विनिमय दर में उतार-चढ़ाव से प्रति टन औसत आमदनी 2011-12 में इससे पिछले साल की तुलना में कम रही।
वर्ष 2009 के बाद भारत से बासमती के निर्यात में भारी तेजी आई है। 2009 में पूसा 1121 किस्म को केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बासमती का दर्जा दिया गया था। वर्ष 2011-12 में गैर-बासमती चावल का निर्यात 58 लाख टन जबकि बासमती का निर्यात 32 लाख टन रहा। चावल निर्यातक अबकी निर्यात में 10 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष महेंद्र पाल ने कहा, 'निर्यात में 10 फीसदी वृद्धि काफी यर्थाथवादी है।Ó सेतिया ने कहा कि अगले वर्ष निर्यात आय बढ़ेगी, क्योंकि ईरान के साथ भुगतान समस्या हल हो गई है। ईरान भारत से अच्छी खासी मात्रा में बासमती चावल का आयात करता है।
एल टी फूड्स लिमिटेड के संयुक्त प्रंबध निदेशक अश्विनी अरोड़ा ने कहा कि मध्य-पूर्व के देशों का भारतीय बासमती उद्योग की वृद्धि में अहम योगदान रहा और वह अपनी कंपनी के बासमती निर्यात में 15-20 फीसदी वृद्धि की उम्मीद लगा रहे हैं। एल टी फूड्स गैर-बासमती चावल का भी निर्यात करती है, जिसकी बिक्री मुख्य रूप से अफ्रीकी देशों को होती है। (BS Hindi)
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