आर एस राणा
नई
दिल्ली। गन्ना किसानों के ब्याज के बकाया भुगतान पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने
योगी सरकार को एक बार फिर झटका दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरूवार को
अपने फैसले में कहा कि या तो तीन सप्ताह में ब्याज के बकाया भुगतान के
फैसले पर अमल किया जाए, नहीं तो 4 फरवरी को राज्य के केन कमिश्नर संजय
भूसरेड्डी अदालत में हाजिर हो।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान
राज्य सरकार ने इस मामले में और 6 महीने का समय देने की मांग की थी, जिसका
वीएम सिंह ने कड़ा विरोध किया। वीएम सिंह ने कहा कि वर्ष 2019 में लोकसभा
चुनाव है, इसलिए राज्य सरकार मामले को लटकाना चाहती है। उन्होंने कहा कि
राज्य सरकार मिल मालिकों के साथ मिली हुई है, जबकि किसानों को इसका नुकसान
झेलना पड़ रहा है।
राज्य सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में कहा गया
कि एक-एक किसान के बकाया का आकलन किया जा रहा है, इस पर वीएम सिंह ने कहा
कि किसान फसल की बुवाई के लिए लोन लेता है, ट्रेक्टर पर लोन लेता है तथा
फसल की कटाई तक वह लोन नहीं चुका पाता क्योंकि चीनी मिलों ने उसके बकाया का
भुगतान नहीं किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह किसानों का मामला है इसलिए वह
किसानों के साथ है। वीएम सिंह ने कहा कि राज्य की 121 चीनी मिलों में 23
चीनी मिलें तो राज्य सरकार की है, अत: राज्य सरकार पहले उनका तो भुगतान
करे।
मामले में वीएम सिंह द्वारा अवमानना याचिका दाखिल कर बताया
गया कि मार्च 2017 में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक आदेश जारी कर उत्तर
प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाया भुगतान ब्याज समेत किए जाने का आदेश दिया
था और इस बारे में तत्कालीन अखिलेश सरकार के कैबिनेट के फैसले को रद्द कर
दिया था।
लगभग 40 से 42 लाख किसान परिवारों का है बकाया
वी
एम सिंह ने बताया कि राज्य के करीब 40 से 42 लाख किसान परिवारों का बकाया
का ब्याज है। अदालत ने साल 2012-13 और 2013-14 तथा 2014-15 के जिस बकाये पर
ब्याज देने को कहा है वह रकम करीब 2,500 करोड़ रुपये होती है। उन्होंने
कहा कि तत्कालीन अखिलेश सरकार ने कैबिनेट में बकाया भुगतान नहीं करने का
प्रस्ताव पारित किया था, जिस कारण अखिलेश सरकार को किसानों की नाराजगी
झेलनी पड़ी, और उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। उन्होंने कहा कि अगर योगी
सरकार ने भी किसानों के ब्याज के बकाया भुगतान पर टालमटौल का रवैया जारी
रखा, तो उन्हें भी इसका खामियाजा भुगतान पड़ेगा।
इलाहाबाद
हाईकोर्ट ने साल 2014 और 2015 में आदेश जारी कर गन्ना किसानों के उनके
बकाया का भुगतान ब्याज समेत किये जाने का आदेश दिया था, लेकिन तत्कालीन
अखिलेश सरकार ने इसके खिलाफ कैबिनेट में प्रस्ताव पास कर दिया था, जिसे
हाईकोर्ट ने मार्च 2017 में रद्द कर दिया था। ..........आर एस राणा
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