कुल पेज दृश्य

02 दिसंबर 2018

जीएसटी के लिए आधी रात को संसद चल सकती है तो किसानों के लिए क्यो नहीं -वीएम सिंह

आर एस राणा
जीएसटी बिल को पास कराने के लिए केंद्र सरकार आधी रात को संसद चला सकती है लेकिन देश का पेट भरने वाले किसानों के निजी बिलो के लिए सरकार के समय नहीं है इससे साफ हो जाता है कि सरकार किसानों की कितनी हितैषी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार—बार यह बात दोहराते हैं कि उन्होंने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) डेढ़ गुना तय कर दिया, तो फिर किसानों के निजी बिलो को पास करने में क्यों दिक्कत आ रही है?
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के संयोजक वीएम सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि किसानों के सम्पूर्ण कर्ज मुक्ति बिल और कृषि उपज लाभकारी मूल्य गारंटी बिल को पास कराने के लिए देशभर के लाखों किसान 29-30 नवंबर को दिल्ली पहुंच रहे हैं। किसान अपनी ताकत व एकजुटता दिखा कर सरकार को हक देने पर मजबूर करेगा। उन्होंने कहा कि देशभर के 200 से ज्यादा किसान संगठन एक हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसानों के दो बिल संसद में पहुंचे हैं और देश की 21 प्रमुख पार्टियों का इन दोनों बिलो को समर्थन हासिल है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के समय किसानों से फसलों की लागत का डेढ़ गुना मूल्य और सबका ऋण माफ करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा न करके किसानों के साथ वादाखिलाफी की है। अब पूरे देश का किसान एकजुट होकर मोदी से अपने साथ हुए धोखे का हिसाब मांगेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को हक प्यार से नहीं मिला तो छीनना भी जानते हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा कि मध्य प्रदेश में कल चुनाव हैं, तथा राज्य सरकार स्वामीनाथन रिपोर्ट की अपने घोषणापत्र में बात ही नहीं कर रही है, केवल भावांतर की बात करती है। जबकि सबको पता है कि भावांतर योजना पहले ही फेल हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर किसानों को लूटा जा रहा है अत: खेती किसानी को बचाने के लिए देशभर के किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं।
कृषि विशेषज्ञ पी साईनाथ ने कहा कि वर्ष 2015 के बाद से मोदी सरकार ने किसानों की आत्महताएं की रिपोर्ट को जारी करना ही बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि आज देश का किसान ही नहीं हर वर्ग संकट के दौर से गुजर रहा है। इसलिए किसानों के इन दोनों बिलो को पास कराना बहुत जरुरी है।
जय जवान-जय किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले रिटायर्ड मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि देश में जवानों और किसानों को मिलाकर कुल 70 फीसदी आबादी है तथा किसान का बेटा ही जवान बनता है लेकिन मोदी सरकार ने किसानों के साथ ही जवानों से भी झूठे वादे किए हैं। अत: अब समय आ गया है उनका जवाब देने का। 
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार देशभर के 200 किसान संगठन एकजूट हुए हैं। उन्होंने कहा कि 29-30 नवंबर को देशभर से लाखों किसान तो दिल्ली पहुंच ही रहे हैं, और जो किसान दिल्ली नहीं पहुंच पायेंगे वह देशभर के दर्जनों शहरों में विरोध-प्रदर्शन करेंगे।
उन्होंने बताया कि 29 नवंबर को देश के अलग-अलग हिस्सों से किसान दिल्ली के रामलीला मैदान पहुचेंगे, तथा 30 नवंबर को रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक रैली निकाली जायेगी। रैली में किसानों के साथ ही किसान के दोनों बिलो को समर्थन दे रही विपक्षी पार्टियों के नेता भी भाग लेंगे।
अखिल भारतीय किसान सभा के नेता आशीष मित्तल ने बताया कि कृषि प्रधान देश में पहली बार किसान नाइट मेले का आयोजन बड़े स्तर पर 29 नवंबर को रामलीला मैदान में किया जाएगा। मेले में गायक जसवीर सिंह जस्सी व वरिष्ठ कवि हरिओम पवार आदि के अलावा अन्य कलाकार अपनी अपनी रचनाएं प्रस्तुत करेंगे।......आर एस राणा

कोई टिप्पणी नहीं: