आर एस राणा
नई
दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
को मिली शिकस्त के बाद अब मोदी सरकार किसानों को लुभाने के लिए कोई कसर
नहीं छोड़ना चाहती है। इसी के लिए प्रधानमंत्री ने 26 दिसंबर को अहम बैठक
बुलाई थी। इस बैठक में भावांतर योजना और कर्ज माफी समेत पट्टे पर खेती करने
वाले किसानों को भी लोन/बीमा का लाभ देने का ऐलान कर सकती है।
सूत्रों
के अनुसार अब सरकार उन किसानों को भी फसल बीमा और कर्ज माफी का फायदा
पहुंचाना चाहती है जिनके पास अपनी जमीन नहीं है यानि कि बटाईदार और छोटे
किसानों को राहत देना है। पट्टे पर खेती करने वाले किसानों को भी लोन/बीमा
का लाभ देने के लिए फसल बीमा योजना और किसान कर्ज देने वाली स्कीम में
बदलाव कर सकती है।
कर्ज नहीं लेने वाले किसानों को भी लाभ देने की तैयारी
नए
नियमों के तहत मंडी रजिस्ट्रेशन के आधार पर कर्ज देने की योजना है। कर्ज
ना लेने वाले किसानों को भी ये लाभ देने की योजना है। हर ब्लॉक में क्रॉप
कलेक्शन सेन्टर खोले जा सकते हैं जहां किसान तय एमएसपी पर अपनी पैदावार बेच
सकेंगे। पीएमओ ने कृषि मंत्रालय, नीति आयोग से इस पर जानकारी मांगी है।
बटाईदार किसानों को भी मिलें लाभ
सरकारी
आंकड़े के मुताबिक देश में बटाईदार किसान करीब 15 फीसदी हैं। हालांकि
जानकारों का मानना है कि देश में बंटाईदार या टेनेंट किसानों की संख्या 30
फीसदी से ज्यादा है। आंध्रप्रदेश में करीब 50 फीसदी जबकि पंजाब में 25
फीसदी खेती बटाई पर होती है।
फसलों की खरीद के लिए कई मॉडलों पर विचार
केंद्र
सरकार फसलों की खरीद के लिए भावांतर के तर्ज पर किसानों के खाते में पैसा
जमा करा सकती है। इसमें एमएसपी और बाजार भाव का अंतर किसान को सीधे खाते
में मिलेगा। इसके अलावा एक विकल्प ये है कि तेलंगाना मॉडल के तहत फसलों की
बुवाई से पहले प्रति एकड़ तय राशि किसान को मिले। सूत्रों के अनुसार देशभर
में इस योजना पर सालाना करीब 1 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।
इसके अलावा एक विकल्प यह है कि 1 लाख तक के फसल लोन माफ कर दिए जाए। इस पर
करीब 3.3 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।.... आर एस राणा
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