आर एस राणा
नई
दिल्ली। खाद्यान्न की बर्बादी पर चिन्ता व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति राम
नाथ कोविंद ने कहा कि फसलों के तैयार होने के बाद होने वाले नुकसान को
बेहतर प्रौद्योगिकी के प्रयोग से रोका जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने गुरुवार
को दिल्ली के विज्ञान भवन में आल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन
(एआईएफपीए) के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए भोजन की
बर्बादी पर चिन्ता व्यक्त की और कहा कि बेहतर तरीकों के उपयोग और वितरण से
इसे रोका जा सकता है।
उन्होंने कहा कि देश में खाद्यान्न की कमी
नहीं है लेकिन इसकी बर्बादी नैतिक तौर पर ठीक नहीं है। उन्होंने इसी प्रकार
फसलों के तैयार होने के बाद होने वाले नुकसान पर भी चिन्ता व्यक्त करते
हुए कहा देश में इससे सालाना एक लाख करोड़ रुपये की क्षति होती है।
उन्होंने इसे एक त्रासदी करार देते हुए कहा कि आधारभूत सुविधाओं और भंडारण
के अभाव में यह नुकसान होता है। इस क्षति को रोकने में खाद्य प्रसंस्करण
उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
देश में 42 मेगा फूड पार्क और 274 कोल्ड चेन स्थापित करने का निर्णय
राष्ट्रपति
ने खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के विकास तथा कोल्ड
चेन की स्थापना के लिए निवेश पर जोर देते हुए कहा कि सरकार इस दिशा में कई
कदम उठा रही है। देश में 42 मेगा फूड पार्क की स्थापना का निर्णय लिया गया
है जिनमें से कइयों में कामकाज शुरु हो गया है। इसके साथ ही 274 काेल्ड चेन
स्थापित की जायेंगी, जिनमें से 129 कोल्ड चेन चालू हो गई है। प्रधानमंत्री
किसान सम्पदा योजना के माध्यम से भी फसलों के नुकसान को कम करने का प्रयास
किया गया है।
खाद्य वस्तुओं की पैकेजिंग में आधुनिक प्रौद्योगिकी का हो उपयोग
राष्ट्रपति
ने कहा कि बदलती जीवन शैली और स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता को देखते हुए
लोग प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं की ओर आकर्षित होने लगे हैं। ऐसी वस्तुओं की
पैकेजिंग में आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए जोकि जैविक रूप
से नष्ट हो सकें। उन्होंने कहा कि देश में खाद्य सुरक्षा को ध्यान में
रखकर 190 खाद्य जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना की गयी है।
छोटे—छोटे कोल्ड स्टोरेज के निर्माण पर जोर
उन्होंने
कहा कि जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं को बचाने के लिए छोटे-छोटे कोल्ड
स्टोरेज के निर्माण पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा इनका निर्माण इस
प्रकार से किया जाना चाहिए जिससे वे सौर ऊर्जा से चलाये जा सकें। उन्होंने
छोटे से छोटे स्तर पर प्रसंस्करण सुविधा का विस्तार करने पर जोर देते हुए
कहा कि इसकी पहुंच साधारण परिवारों तक हो ताकि वह प्रसंस्करण कर जैसे अचार
या फिर कुछ अन्य खाद्य वस्तुओं की पैकिंग और ग्रेडिंग आदि कर सकें।
सालाना एक लाख चार हजार टन खाद्य प्रसंस्करण क्षमता
इस
अवसर पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य प्रसंस्करण के महत्व को देखते हुए
इसके लिए अलग से मंत्री रखा। उन्होंने बताया कि पिछले पांच साल के दौरान इस
उद्योग में पांच लाख लोगों को रोजगार मिला है और देश में सालाना एक लाख
चार हजार टन प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार किया गया है।
कुल उत्पादन के 10 फीसदी का होता है प्रसंस्करण
उन्होंने
कहा कि देश में कृषि के कुल उत्पादन के केवल 10 फीसदी हिस्से का ही
प्रसंस्करण हो पाता है जिसे बढ़ाना जरुरी है तथा खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय
इसी कड़ी में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण में आ रही
बाधाओं को काफी हद तक दूर किया गया है और बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आया
है। उन्होंने कहा कि दुनिया की बढ़ती आबादी के लिए भोजन एक चुनौती है और इस
चुनौती का मुकाबला करने के लिए लोग भारत और चीन की ओर देख रहे हैं।
किसानों और महिलाओं को सशक्त बनाना
इस
अवसर पर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुबोध जिंदल ने कहा कि उनके संगठन का
उद्देश्य देश को खाद्य उद्योग का विश्व बाजार बनाना है और अंतिम रुप से
किसानों और महिलाओं को शक्तिशाली बनाना तथा रोजगार सृजित करना है। एआईएफपीए
देश में खाद्य प्रसंस्करण के संवर्धन के लिए समर्पित है। इस उद्देदश्य से
यह सक्षम तकनीकियों, अभिनव प्रयोगों, नए उत्पादों के विकास, उद्यमशीलता,
कानूनों एवं नियमों के अनुकूलन को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा
कि इसका मिशन कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार और जल्द खराब होने वाले खाद्य
पदार्थों का संरक्षण है। साथ ही, प्राकृतिक उत्पादों के पूर्ण सदुपयोग तथा
उपभोक्ताओं को पोषण युक्त खाद्य सामग्रियां उपलब्ध कराने पर जोर देता है। ............ आर एस राणा
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