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17 दिसंबर 2018

कमजोर रुपये से फास्फोरस, पोटाश निर्माताओं की लागत बढ़ेगी-रिपोर्ट

आर एस राणा
नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने से पी एंड के (फास्फोरस और पोटाश) के कच्चे माल की लागत बढ़ने से इनके निर्माताओं पर दबाव बढ़ेगा, जिसका असर किसानों पर पड़ने की आशंका है। 
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पी एंड के के निर्माता कच्चे माल की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर हैं और हाल ही में डॉलर की तुलना में रुपये में गिरावट आई है। जिससे फॉस्फोरिक एसिड की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के कारण इनकी लागत बढ़ी है। इसलिए कंपनी अपनी लागत को कम करने के लिए फास्फोरस और पोटाश की कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती है जिसका असर किसानों पर पड़ेगा। 
एजेंसी के मुताबिक देश के कुछ इलाकों में कमजोर मानसून के कारण कई कंपनियों को डीलरों को अधिक छूट देनी पड़ेगी। साथ ही, लागत में बढ़ोतरी का बोझ स्वयं वहन करने से कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा। हालांकि जिन इलाकों में मानसूनी बारिश अच्छी हुई है उन क्षेत्र के निर्माताओं पर असर पर कम पड़ेगा।
एजेंसी के अनुसार आगे यूरिया की मांग में 2 से 3 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इसलिए, संशोधित निश्चित लागत मुद्दे पर समय से किया गया हस्तक्षेप, निकट अवधि में यूरिया कंपनियों के अप्रैल 2014 से लंबित वास्तविक नकद भुगतान (31 मार्च, 2018 को 4,500 करोड़ रुपये) का मामला, निकट अवधि में महत्वपूर्ण है। इस भुगतान के कारण इन कंपनियों में से कई की वित्तीय स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार होगा। एजेंसी के अनुसार बढ़ती प्राकृतिक गैस की कीमतों के परिणामस्वरूप यूरिया कंपनियों के लिए सब्सिडी बढ़ रही है।
इक्रा ने कहा, उर्वरक बिक्री में वित्त वर्ष 2018-19 में अब तक अच्छी वृद्धि हुई है। इसमें मात्रा के लिहाज से कुल मिलाकर 6 फीसदी वृद्धि रही है। यूरिया की बिक्री सालाना तीन फीसदी की दर से बढ़ी है और अगले चार वर्षों में भारत लगभग 75 लाख टन क्षमता की बढ़ोतरी करेगा, जो आयात पर निर्भरता को कम करेगी।............  आर एस राणा

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