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04 अप्रैल 2013

सूखे ने बंद की चीनी मिलों की चिमनियां

महाराष्ट्र में भीषण सूखे का असर अब उद्योग धंधों पर भी दिखने लगा है। राज्य की लगभग सभी चीनी मिलों में काम बंद हो गया है, जबकि हर साल अप्रैल के अंत तक मिलों में गन्ने की पेराई का काम चलता था। सूखे का असर चीनी के उत्पादन पर भी पड़ा है जिसमें तकरीबन 15 लाख टन की कमी आ सकती है। राज्य की 170 से अधिक चीनी मिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले महाराष्ट्र सहकारी चीनी मिल संघ के अनुसार, राज्य में गन्ने की पेराई पूरी तरह बंद हो चुकी है। संघ के चेयरमैन विजय सिंह मोहिते पाटिल ने बताया कि आमतौर पर राज्य में गन्ने की पेराई अप्रैल के अंत तक चलती है लेकिन इस बार सूखे के कारण मिलों में कम गन्ना आया जिसके कारण मिलों में पेराई पूरी तरह बंद हो चुकी है। सूखे की वजह से गन्ने में नमी कम होने के कारण चीनी के उत्पादन में भी कमी आई है। पिछले साल राज्य में गन्ने से चीनी की औसत उपलब्धता करीब 12 फीसदी थी जो इस बार कम होकर 11.50 फीसदी रह गई। मोहिते-पाटिल के मुताबिक इस पेराई सत्र में चीनी का उत्पादन कम होकर 75 लाख टन रह सकता है जबकि पिछले सत्र में 90 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन (इस्मा) के आंकड़ों से भी कम उत्पादन होने का पता चलता है। इस्मा के अनुसार सालाना आधार पर अक्टूबर-मार्च के दौरान महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 4 फीसदी घटकर 77 लाख टन रहा। इस्मा ने बताया कि 31 मार्च तक महाराष्ट्र में 116 चीनी मिलों में पेराई बंद हो चुकी है, जबकि पिछले सत्र में इस समय तक महज 51 मिलों में पेराई का काम बंद हुआ था। कर्नाटक में भी कुछ ऐसा ही हाल है। वहां भी गन्ने की पेराई जल्दी खत्म हो रही है और उत्पादन भी कम हुआ है। इस्मा के अनुसार इस सत्र में देश भर में 520 चीनी मिलों में गन्ना पेराई का काम शुरू हुआ था जिनमें से 255 चीनी मिलों में काम बंद हो चुका है जबकि पिछले साल 31 मार्च तक तकरीबन 47 चीनी मिलों में पेराई हो पाई थी। महाराष्ट्र में गन्ने की कटाई दशहरे से शुरू हो जाती है और 1 नवंबर से पेराई चालू होती है लेकिन इस बार गन्ना किसानों के आंदोलन की वजह से मिलों में पेराई तकरीबन 20 दिन देरी से शुरू हुई थी लेकिन समय से पहले ही खत्म हो गई। राजाराम सहकारी साखर कारखाना लिमिटेड चीनी मिल के प्रबंध निदेशक पीजी मेडे के अनुसार गन्ने के दाम पर किसानों और चीनी मिलों के बीच असहमति के कारण पेराई देरी से शुरू हुई, जबकि सूखे के कारण पेराई का काम जल्दी खत्म हो गया। राज्य में गन्ने की पेराई हर साल औसतन 170-180 दिन तक चलती है लेकिन इस बार यह काम मुश्किल से 120-130 दिनों तक ही हो पाया है। चीनी मिल मालिकों का कहना है कि इस बार उत्पादन कम होने का असर कीमतों पर भी पड़ सकता है क्योंकि एक तरफ उत्पादन कम हुआ है, वहीं दूसरी ओर उत्पादन लागत में इजाफा हुआ है। ऐसे में चीनी मिलें कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती हैं। हालांकि इसके लिए चीनी मिलें सरकारी नियंत्रण में छूट का इंतजार कर रही हैं। (BS Hindi)

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