30 अप्रैल 2013
Govt may reduce export price of FCI wheat: Thomas
New Delhi, Apr 30. Amid poor response from private
traders for wheat export bids, Food Minister K V Thomas today
said the government may consider reducing the benchmark price
of the grain to make exports viable and clear surplus stocks.
Last month, the Centre had allowed an extra 5 million
tonnes of wheat exports from its godowns in Punjab and Haryana
through private traders. The Food Corporation of India (FCI)
has invited two bids at a floor price of Rs 1,484 per quintal.
"There was no participation in the first tender because
of higher floor price... We will move a proposal in a week's
time before the Group of Ministers (GoM) to consider reduction
in the price," Thomas told PTI.
The GoM, headed by Agriculture Minister Sharad Pawar,
may also extend the deadline for export of wheat beyond June
30, he said.
Asked if the government would allow more wheat exports
from its godowns, Thomas said, "We have more wheat stocks than
required and an additional exports may be allowed after the
shipment of the existing 5 million tonnes is completed."
As on April 1, the government had wheat stocks of 24.20
million tonnes, as against the requirement of 7 million
tonnes.
On the ongoing wheat procurement, the Minister said the
government is expected to purchase 40 million tonnes in the
2013-14 marketing year starting April, slightly lower than the
targeted 44 million tonnes for the same period.
So far, wheat procurement has touched 19.41 million
tonnes in the current year.
"Wheat procurement will be below our target. It will
reach around 40 million tonnes this year as private traders
are buying in Madhya Pradesh and Uttar Pradesh," he said.
Wheat stocks have risen in the FCI godowns due to
record procurement following bumper crops in the last two
consecutive years. Wheat output is expected to be 92.30
million tonnes in the 2012-13 crop year (July-June)
पुराने गेहूं के लिए नई बोलियां
भारतीय खाद्य निगम ने अपने भंडार से 9,50,000 टन की गेहूं की बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। बोली की न्यूनतम कीमत 1,484 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है, जिसमें पंजाब और हरियाणा से परिवहन लागत शामिल नहीं है। यह गेहूं खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत निर्यात के लिए है।
गेहूं करीब दो साल पुराना है, जिसकी खरीद 31 मार्च 2012 को समाप्त फसल विपणन वर्ष 2011-12 में की गई थी। आज जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक हरियाणा में निगम के गोदामों से निर्यात के लिए करीब 4,09,826 टन और पंजाब के गोदामों से 5,40,000 टन गेहूं बिक्री की पेशकश की गई है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि खाद्य निगम ने अपने गोदामों में भंडारित गेहूं के निर्यात के लिए निजी कारोबारियों से बोलियां आमंत्रित की हैं।
इससे पहले केवल सरकार द्वारा संचालित ट्रेडिंग कंपनियों जैसे एसटीसी, पीईसी और एमएमटीसी को एफसीआई के गोदामों से गेहूं बेचने की स्वीकृति दी जाती थी। कुल मिलाकर सरकार ने इस तरीके से करीब 50 लाख टन गेहूं निर्यात की योजना बनाई है। इससे पहले एफसीआई ने अपने स्टॉक से 45 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था, लेकिन यह निर्यात सरकार की ट्रेडिंग कंपनियों के जरिये किया गया था।
एफसीआई के लिए निर्यात करना जरूरी हो गया है, क्योंकि निगम के पास अप्रैल 2013 तक खाद्यान्न का स्टॉक 600 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जबकि जरूरत 212 लाख टन की थी।
एक दिग्गज बहुराष्ट्रीय अनाज कारोबारी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'नियम और शर्तें तर्कसंगत न होने से निविदा में भाग लेने वाले कारोबारियों का रुझान सुस्त है।Ó कारण कि सरकार द्वारा तय कीमतों और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बीच कोई समानता नहीं है।
अधिकारी ने कहा, 'इस समय वैश्विक बाजारों में गेहूं की कीमत 300 डॉलर प्रति टन से नीचे है, जबकि सरकार से गेहूं खरीदने की लागत (1,484 रुपये प्रति क्विंटल, परिवहन और अन्य लागत जोड़कर) 320 डॉलर प्रति टन होगी। इसलिए दो साल पुराने गेहूं को ऊंची कीमत पर खरीदकर कम कीमत पर कौन इसका निर्यात करेगा?Ó उन्होंने कहा कि सरकारी गोदामों से गेहूं के निर्यात में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को गेहूं की कीमत कम
करनी चाहिए। (BS Hindi)
मॉनसून अच्छा तो कीमतों को झटका
इस साल सामान्य मॉनसून के अनुमान के बाद वायदा बाजारों में कृषि जिंसों की कीमतें कमजोर पड़ी हैं। पहले एक निजी एजेंसी और पिछले सप्ताह भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के बेहतर मॉनसून के अनुमान के बाद से प्रमुख कृषि जिंसों का संकेतक एनसीडीईएक्स का धान्य सूचकांक 2 फीसदी लुढ़क चुका है।
पिछले साल सामान्य बारिश नहीं हुई थी और कुछ राज्यों में सूखा भी पड़ा था। इससे बुआई में देरी हुई और उत्पादन में गिरावट आई। अगर इस साल मॉनसून सामान्य रहा तो फसलों की स्थिति बेहतर रह सकती है। इसी कारण कीमतों पर असर पड़ रहा है। भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि इस साल चार महीनों का दक्षिण-पश्चिम मॉनसून लंबी अवधि के औसत (एलपीए) का 98 फीसदी रहेगा। एलपीए की 96 से 104 फीसदी के बीच होने वाली बारिश को सामान्य माना जाता है। मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि देश के तटवर्ती हिस्सों में बारिश सामान्य रहेगी। इन तटवर्ती इलाकों में महाराष्ट्र और गुजरात के सूखा प्रभावित क्षेत्र शामिल हैं।
रेलिगेयर कमोडिटीज के एक विश्लेषक ने कहा, 'भारतीय मौसम विभाग का अनुमान न केवल आश्चर्य है बल्कि यह ऊंची कीमत और महंगाई से जूझ रहे लोगों के लिए राहत लेकर आया है। पिछले कुछ सप्ताहों में हमने देखा है कि ज्यादातर कृषि जिंसों की कीमतें हाजिर और वायदा बाजार में कम हो रही हैं।Ó
पूर्वानुमानों के बाद एनसीडीईएक्स का धान्य सूचकांक 19 अप्रैल को 2421 अंक से गिरकर आज 2,360 अंक पर आ गया। सबसे ज्यादा गिरावट हल्दी, चना, जीरे और मिर्च में आई है। वायदा में आलू और कपास की कीमतें भी नरम पड़ी हैं, लेकिन बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग ने आलू पर अतिरिक्त मार्जिन लगा दिया है, जबकि अमेरिका में कपास की कीमतों में गिरावट के बाद घरेलू स्तर पर इसकी कीमतें लुढ़की हैं। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'आईएमडी ने कोई राइडर या अल नीनो या ला नीनो जैसे जोखिमों की संभावना नहीं जताई है और इसलिए वास्तव में यह बहुत अच्छी खबर है।Ó
कीमतों की चाल इस पर निर्भर करेगी कि बुआई कैसी रहती है और बाजार में नई फसल की आवक तक प्रत्येक जिंस की स्टॉक पॉजिशन किस तरह खत्म होती है। हालांकि ये बहुत जल्दी के पूर्वानुमान हैं और हाल के वर्षों में मॉनसून के बदलते रुझान को देखते हुए कुछ भी हो सकता है। रेलिगेयर के विश्लेषक ने कहा, 'शुरुआती संकेत न केवल भारतीय कृषि क्षेत्र बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक हैं।Ó
कम बारिश के कारण 2012-13 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर बहुत कम 1.80 फीसदी रही है। इससे पिछले साल पूरी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पर असर पड़ा और मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में पहुंच गई। इस साल जून में समय से बारिश आने से सभी को राहत मिलेगी। पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढऩे से आमतौर पर कृषि जिंसों की कीमतें भी बढ़ती हैं। खरीफ फसलों की बेहतर बुआई से खाद्यान्न और दलहन का बेहतर उत्पादन होगा, जिससे इनकी कीमतों में कमी आएगी। (BS Hindi)
पंजाब-हरियाणा से केंद्रीय पूल में गेहूं खरीद घटने के आसार
सरकारी खरीद पंजाब में 10 फीसदी और हरियाणा में 20 फीसदी घटने का अनुमान
नतीजा - मार्च-अप्रैल में बारिश व कम तापमान से गेहूं फसल पर असर
खरीद सीजन
पंजाब में 140 लाख टन लक्ष्य के विपरीत 125 लाख टन खरीद संभव
हरियाणा में 87 लाख टन की बजाय 70 लाख टन गेहूं खरीद का अनुमान
गेहूं की उत्पादकता घटने के चलते इस साल पंजाब व हरियाणा से केंद्रीय पूल में गेहूं की खरीद घटने के आसार हैं। पंजाब में गेहूं की खरीद लक्ष्य से 10 फीसदी और हरियाणा में 20 फीसदी घटने की संभावना है।
हालांकि बंपर फसल की उम्मीद में सरकारी खरीद एजेंसियों ने चालू रबी सीजन दौरान पंजाब में 140 लाख टन और हरियाणा में 87 लाख टन गेहूं खरीदने की तैयारियां की थी लेकिन पंजाब में खरीद घटकर 125 लाख टन और हरियाणा में 70 लाख टन रहने की संभावना है। 2012 के रबी सीजन में पंजाब में 129 और हरियाणा में 70 लाख टन गेहूं की खरीद केंद्रीय पूल के लिए की गई थी।
हरियाणा में अभी तक केंद्रीय पूल के लिए 51 लाख टन और पंजाब में 60 लाख टन गेहूं की खरीदारी हो चुकी है। कृषि विभाग का कहना है कि गेहूं की फसल पकने के समय मार्च और अप्रैल में हुई बारिश के चलते इस साल गेहूं की उत्पादकता घटी है।
पंजाब के कृषि विभाग के निदेशक मंगल सिंह संधु का कहना है कि पिछले रबी सीजन दौरान पंजाब में प्रति हैक्टेयर औसतन 50.97 क्विंटल गेहूं की उपज रही थी, जबकि चालू रबी सीजन में यह घटकर 47 क्विंटल प्रति हैक्टेयर रहने का अनुमान है।
हालांकि प्रदेश में गेहूं का रकबा पिछले रबी सीजन के बराबर 35.12 लाख हैक्टेयर है। उधर, हरियाणा में भी प्रतिकूल मौसम के चलते गेहूं का उत्पादन घटने के आसार हैं। हालांकि रकबा पिछले साल के बराबर 25 लाख हैक्टेयर रहा। लेकिन इस राज्य में गेहूं की उत्पादकता पिछले साल के 52 क्विंटल से घटकर 49 क्विंटल प्रति हैक्टेयर रहने का अनुमान है।
हरियाणा कृषि विभाग के सयुंक्त निदेशक आर. एस. सोलंकी के मुताबिक गेहूं की फसल पकने के समय वर्षा और तापमान में कमी के चलते गेहूं के दाने वजन में हल्के रह गए हैं, जिसके चलते उत्पादकता घटी है।
पैदावार कम होने से केंद्रीय पूल में पंजाब व हरियाणा से गेहूं की खरीद भी घटने से सरकारी एजेंसियों पर गेहूं खरीद का दबाव कुछ कम होगा।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि चालू रबी सीजन में पंजाब से 140 लाख टन गेहूं खरीदारी के प्रबंध किए गए हैं। गेहूं की उत्पादकता घटने से पंजाब से 125 लाख टन गेहूं खरीद की संभावना है। (Business Bhaskar)
विदेश में दाम घटने से कपास निर्यात मुश्किल
आर एस राणा नई दिल्ली | Apr 30, 2013, 01:22AM IST
विदेश में कपास के दाम 92 सेंट से गिरकर 81 सेंट प्रति पाउंड रह गए
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में आई गिरावट से कपास का निर्यात अब फायदे का सौदा नहीं रह गया है। सवा महीने में विश्व बाजार में कपास की कीमतों में करीब 12 फीसदी की गिरावट आकर 27 अप्रैल को भाव 81.33 सेंट प्रति पाउंड रह गए। इस दौरान घरेलू बाजार में भी कपास के दाम 2,200 रुपये प्रति घटकर 37,500 से 37,800 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रह गए हैं।
कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विश्व बाजार में कपास की कीमतों में आई गिरावट से निगम के लिए निर्यात का सौदा अब फायदेमंद नहीं रह गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में 15 मार्च को कपास का भाव 92.50 सेंट प्रति पाउंड था जबकि 27 अप्रैल को इसका भाव घटकर 81.33 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ।
सीसीआई ने टेक्सटाइल मंत्रालय के पास 15 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास बेचने का प्रस्ताव भेजा था जिसमें से 5 लाख गांठ की बिक्री घरेलू बाजार में और 10 लाख गांठ निर्यात करने का प्रस्ताव था। सरकार ने घरेलू बाजार में 2.25 लाख गांठ कपास की बिक्री की अनुमति तो दे दी है लेकिन निर्यात पर अभी फैसला नहीं किया है।
उन्होंने बताया कि महीने भर में घरेलू बाजार में भी कपास की कीमतों में करीब 2,200 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट आ चुकी है। चालू महीने के शुरू में अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव बढ़कर 39,500 से 40,000 रुपये प्रति कैंडी हो गया था जबकि सोमवार को भाव घटकर 37,200 से 37,500 रुपये प्रति कैंडी रह गए।
केंद्र सरकार ने चालू विपणन सीजन 2012-13 के लिए मीडियम स्टेपल की कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,600 रुपये और लांग स्टेपल वाली किस्म की कपास का एमएसपी 3,900 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। चालू सीजन में निगम ने 23 लाख गांठ कपास की खरीद की है इसमें 47,746 गांठ की हिस्सेदारी व्यावसायिक है, बाकी खरीद एमएसपी पर हुई है।
टेक्सटाइल मंत्रालय के अनुसार चालू कपास सीजन में अक्टूबर-12 से मार्च-13 के दौरान 79.25 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ है। फरवरी के मुकाबले मार्च में निर्यात घटा है। फरवरी महीने में 20.67 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था जबकि मार्च में 13.07 लाख गांठ का ही निर्यात हुआ है।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2012-13 में देश में 338 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 352 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
Gold declines by Rs 250 on weak global cues
New Delhi, Apr 30. Gold prices tumbled by Rs 250 to
Rs 27,950 per ten grams in the national capital today on
stockists and investors selling against reduced offtake amid a
weak global trend.
Silver also declined by Rs 265 to Rs 46,735 per kg on
reduced offtake by industrial units and coin makers.
Traders said stockists selling on the back of sluggish
demand at prevailing higher levels mainly kept pressure on
both gold and silver prices.
Sentiment also turned bearish as investors offloaded their
positions in futures trade driven by a weakening global trend,
they said.
Gold in Singapore fell by one per cent to USD 1,461 an
ounce, recording the biggest monthly loss since December 2011
as assets in bullion-backed exchange-traded products shrank
by the most on record.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity fell by Rs 250 each to Rs 27,950 and Rs 27,750 per ten
grams, respectively. It had gained Rs 200 in last two days.
Sovereign followed suit and shed Rs 100 to Rs 24,200 per piece
of eight gram.
In line with a general weak trend, silver ready declined
by Rs 265 to Rs 46,735 per kg and weekly-base delivery by Rs
185 to Rs 44,960 per kg. Silver coins also plunged by Rs 1,000
to Rs 76,000 for buying and Rs 77,000 for selling of 100
pieces.
29 अप्रैल 2013
केंद्रीय पूल से गेहूं निर्यात के लिए प्राइवेट निर्यातकों से निविदा मांगीं
आर एस राणा नई दिल्ली | Apr 29, 2013, 00:07AM IST
शर्त -रजिस्ट्रेशन करा चुके निर्यातक ही भर सकेंगे निविदा
निर्यात पर संशय
न्यूनतम 1,480 रुपये प्रति क्ंिवटल की दर पर भरी जाएगी निविदा
सभी खर्च जोड़कर बंदरगाह पर गेहूं पड़ेगा 1705 रुपये प्रति क्विंटल
निर्यातकों को उत्तर प्रदेश में गेहूं 1,300 रुपये प्रति क्विंटल पर उपलब्ध
यह गेहूं कांडला पोर्ट पर पड़ेगा 1,580 रुपये प्रति क्ंिवटल तक
इस वजह से एफसीआई का गेहूं निर्यातकों को महंगा पड़ेगा
पंजाब व हरियाणा से गेहूं निर्यात के लिए निविदा 29 मई तक भरी जाएंगी
केंद्रीय पूल से गेहूं निर्यात के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने प्राइवेट निर्यातकों से निविदा मांगी है। पंजाब और हरियाणा में एफसीआई के पास रजिस्ट्रेशन करा चुकी कंपनियां ही निविदा में भाग ले सकेंगी तथा निजी निर्यातक 29 मई तक निविदा भर सकेंगे।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय पूल से निजी निर्यातकों के माध्यम से गेहूं निर्यात के लिए एफसीआई ने निर्यातकों से निविदा आमंत्रित की हैं। एफसीआई के पास रजिस्ट्रेशन करा चुके निजी निर्यातक ही निविदा में भाग ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि एफसीआई के पंजाब और हरियाणा स्थित गोदामों से निर्याताकों को रबी विपणन सीजन 2011-12 का गेहूं दिया जाएगा।
निजी निर्यातक 29 मई तक गेहूं निर्यात के लिए निविदा भर सकेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में गठित उच्च अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) ने 7 मार्च को प्राइवेट निर्यातकों को केंद्रीय पूल से 50 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दी थी।
उन्होंने बताया कि प्राइवेट निर्यातक पंजाब और हरियाणा स्थित भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से गेहूं खरीदने के लिए निविदा में न्यूनतम भाव 1,480 रुपये प्रति क्विंटल भर सकेंगे।
निजी निर्यातकों को पंजाब और हरियाणा स्थित एफसीआई के गोदामों से बंदरगाह तक पहुंच परिवहन लागत और अन्य खर्च स्वयं वहन करने पड़ेंगे। हालांकि कारोबारियों का मानना है कि सरकार ने गेहूं निर्यात के लिए निविदा भरने का दाम ऊंचा तय किया है इसलिए निजी निर्यातकों की निर्यात में रुचि कम रहेगी।
प्रवीन कॉमर्शियल कंपनी के प्रबंधक नवीन गुप्ता ने बताया कि पंजाब और हरियाणा के गोदामों से 1,480 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदने के बाद कांडला बंदरगाह पहुंच 150 रुपये प्रति क्विंटल की परिवहन लागत और 75 रुपये प्रति क्विंटल का बंदरगाह पर खर्च (लोडिंग, स्टोरेज और अन्य खर्च) को मिलाकर भाव 1,705 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगा।
जबकि इस समय प्राइवेट निर्यातकों को उत्तर प्रदेश से 1,300-1325 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर गेहूं मिल रहा है जो चालू रबी सीजन का है। निर्यातक कांडला बदरगाह पहुंच 1,560-1,580 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीद रहे हैं जो एफसीआई द्वारा दिए जाने वाले गेहूं के मुकाबले काफी सस्ता है।
केंद्रीय पूल से सार्वजनिक कंपनियों पीईसी, एमएमटीसी और एसटीसी को सरकार पहले ही 45 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दे चुकी है जिसमें से करीब 38.7 लाख टन के निर्यात सौदे हो चुके हैं। पहली अप्रैल को केंद्रीय पूल में 242.07 लाख टन गेहूं का भारी-भरकम स्टॉक जमा है। (Business Bhaskar....R S Rana)
Over 51 lakh tonnes wheat arrive in Haryana so far
Chandigarh, Apr 29. More than 51.36 lakh tonnes of
wheat has so far arrived in the mandis of Haryana during the
current procurement season.
Out of it, over 51.31 lakh tonnes of wheat was procured by
government agencies at the minimum support price and 5,631
tonnes of wheat has been purchased by the private millers and
traders, a spokesman of the Food and Supplies Department said
here today.
He said that HAFED had procured over 19.43 lakh tonnes of
wheat, Food and Supplies Department over 12.81 lakh tonnes,
Food Corporation of India over 6.70 lakh tonnes, Haryana Agro
Industries Corporation over 5.03 lakh tonnes, Haryana
Warehousing Corporation over 4.73 lakh tonnes and CONFED had
purchased 2.58 lakh tonnes of wheat.
Govt floats financial bids for 1 mn tons wheat export
New Delhi, Apr 29. The government today said it has
invited financial bids from private traders for export of
nearly one million tonnes of wheat stored in the FCI godowns
in Punjab and Haryana.
Last month, the Centre had allowed export of an extra 5
million tonnes (MT) wheat of 2011-12 crop from its godowns via
private trade to ease storage burden.
"Food Corporation of India (FCI) has invited the financial
bids for sale of wheat of crop year 2011-12," an official
release said.
The base price of the wheat to be exported Under Open
General Licence (OGL) from the Punjab and Haryana will be Rs
1,484 per quintal, it said.
The financial bids have been invited for 5,40,000 tonnes
of wheat in Punjab and 4,09,826 tonnes in Haryana.
Meanwhile in a reply to the Rajya Sabha today, Food
Minister K V Thomas said that FCI had invited technical bids
for empanelment of private exporters.
FCI has received four technical bids for Punjab and 10
technical bids for Haryana, he said.
"The government has recently allowed sale of up to five
million tonnes of wheat till June 30, 2013 from the central
pool stock in Punjab and Haryana pertaining to the stock of
2011-12 through private traders for export purposes," he said.
This channel has been opened to speed up evacuation of
surplus old stock of wheat in central pool, he added.
Thomas also said there is no proposal to export rice from
the central pool.
The Minister also informed that nearly 3 MT of wheat has
been exported from the first two tranches of 4.5 MT allowed
last year through PSUs.
"No import of wheat and rice has taken place on government
account during the last two years," he said.
As on April 1, the government had wheat stock of 24.20 MT,
as against the requirement of 7 MT. In case of rice, the stock
was 35.46 MT, as compared to the buffer norm of 14.2 MT.
Wheat stocks have risen in the FCI godowns due to record
procurement followed by bumper crops in the last two
consecutive years. Wheat output is expected to be 92.30 MT in
the 2012-13 crop year (July-June).
Gold, silver up on seasonal demand, global cues
New Delhi, Apr 29. Both the precious metals, gold and
silver prices, rose here today on increased buying by
stockists and retailers to meet the ongoing marriage season
demand amid a firm global trend.
While gold rose by Rs 100 to Rs 28,200 per 10 grams,
silver moved up by Rs 100 to Rs 47,000 per kg on increased
offtake by jewellers and industrial units.
Traders said increased buying by stockists and retailers
for the ongoing marriage season mainly pushed up precious
metals prices.
They said the uptrend was further supported by a firm
global trend.
In Singapore, gold rose 0.7 per cent to USD 1,472.78 an
ounce and silver by one per cent to USD 24.23 an ounce.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity rose by Rs 100 each to Rs 28,200 and Rs 28,000 per 10
grams, respectively. Sovereigns followed suit and moved up
by Rs 100 to Rs 24,300 per piece of eight grams.
In line with a general firm trend, silver ready moved up
by Rs 100 to Rs 47,000 per kg and weekly-based delivery by Rs
145 to Rs 45,145 per kg.
However, silver coins held steady at Rs 77,000 for buying
and Rs 78,000 for selling of 100 pieces.
27 अप्रैल 2013
इस साल सामान्य मॉनसून का अनुमान
अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की उम्मीद लगाए नीति नियंताओं को आज बड़ी राहत मिली, जब भारतीय मौसम विभाग ने इस साल मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान जताया। हालांकि वैश्विक मौसम एजेसियों ने केरल और दक्षिण तमिलनाडु समेत कुछ सुदूर दक्षिणी इलाकों में बारिश सामान्य से कम रहने के आसार भी जताए हैं।
मौसम विभाग ने कहा कि 2013 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सत्र के चार महीनों में दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 98 फीसदी तक बारिश होने की संभावना है। एलपीए के 95 से 105 फीसदी बारिश को सामान्य मॉनसून माना जाता है। मौसम विभाग के अनुमान में 5 फीसदी कमीबेशी हो सकती है।
मौसम विभाग के महानिदेशक एल एस राठौड़ ने कहा कि भारतीय प्रायद्वीप के आंतरिक इलाकों में बारिश सामान्य रहेगी। इनमें महाराष्टï्र और गुजरात के सूखाग्रस्त इलाके भी शामिल हैं, जहां मॉनसून सामान्य रहेगा।
मौसम विभाग अगला अनुमान जून में जारी करेगा और उससे पहले मई में मॉनसून आने की तारीख बताएगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और भू-विज्ञान मंत्री जयपाल रेड्डïी ने कहा, 'इस साल मॉनसून सामान्य रहने की संभावना है, जो किसानों और सभी के लिए अच्छी खबर है।Ó उन्होंने कहा कि मॉनसून के सामान्य रहने की 45 फीसदी और सामान्य से कम रहने की 27 फीसदी संभावना है। पिछले साल मौसम विभाग ने मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान जताया था लेकिन मॉनसून सामान्य से कम रहा था लेकिन बाद में इसमें थोड़ा सुधार हुआ था। (BS Hindi)
मौसमी मांग के चलते सोना मजबूत, चांदी टूटी
नई दिल्ली: मौजूदा शादी-विवाह सीजन के मद्देनजर स्टॉकिस्टों और फुटकर ग्राहकों की लिवाली के चलते दिल्ली सर्राफा बाजार में शनिवार को सोने के भाव 100 रुपये की तेजी के साथ 28,100 रुपये प्रति 10 ग्राम बोले गए।
वही लिवाली समर्थन के अभाव में चांदी के भाव 500 रुपये की गिरावट के साथ 46,900 रूपये प्रति किलो रहे। घरेलू बाजार में सोना 99.9 और 99.5 शुद्ध के भाव 100 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 28,100 रुपये ओर 27,900 रुपये प्रति 10 ग्राम बंद हुए।
वहीं मौजूदा उच्चस्तर पर मांग कमजोर पड़ने से गिन्नी के भाव 150 रुपये टूट कर 24,200 रुपये प्रति आठ ग्राम बंद हुए। चांदी तैयार के भाव 500 रुपये की गिरावट के साथ 46,900 रुपये ओर चांदी साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 100 रुपये टूटकर 45,000 रुपये किलो बंद हुए। चांदी सिक्का के भाव पूर्वस्तर 77,000- 78,000 रुपये प्रति सैकड़ा अपरिवर्तित बंद हुए।
Market Update (Metals & Energy)
Bullions:
Bullion counter is expected to remain sideways with some profit booking can be seen at higher levels. Gold can trade in range of 26700-27200 while silver can trade in range of 44400-45300 in near term. Gold futures fell, trimming the biggest weekly gain in 15 months, as the U.S. economy expanded less than forecast, driving commodities lower and crimping demand for the precious metal as a hedge against inflation. Investors cut assets in gold-backed exchange-traded products to 2,294.5 metric tons yesterday, the lowest since October 2011. The dollar fell versus the majority of its 16 most-traded peers after U.S. gross domestic product increased less than forecast in the first quarter, adding to concern the world’s biggest economy is struggling to grow.
Base Metals:
Base metals complex may also remain choppy on mixed note. Copper fell more than 2 percent on Friday after two days of gains as some investors closed their positions ahead of a holiday in China next week and after U.S. first-quarter growth numbers missed analysts' Forecasts. There's also a lot of holiday next week in China, so there would have been some profit-taking." China's markets will be closed on Monday, Tuesday and Wednesday next week for Labour Day holidays. Copper may trade in range of 375-385 in MCX while zinc may trade in range of 100-102 and Lead can also trade in range of 108-110. Nickel may trade in range of 815-830 in MCX and while Aluminum can move in range of 99-103. Recent weak economic data have affected the market in two separate ways capping gains due to uncertainty about demand from a sluggish global economy but also providing some support recently after signals that the European Central Bank could cut rates as soon as next week.
Energy
Crude oil counter may witness some profit booking as it can trade in range of 5040-5100 in MCX. West Texas Intermediate crude fell, trimming the biggest weekly increase since June, as the U.S. economy grew less than expected in the first quarter. The U.S. grew at a faster pace in the first quarter than the fourth, when it gained 0.4 percent. Consumer spending, the biggest part of the economy, climbed by the most since the three months ending in December 2010.Natural gas can trade sideways on mixed fundamentals as it can trade in range of 225-232 in MCX. The number of gas rigs in the U.S. fell for the first time in three weeks, declining by 13 to 366, according to Baker Hughes Inc.
Market Update (Agro) spices, oilsessd & others futures
Spices:
Pepper futures (May) is expected to trade with a downside bias owing to selling pressure. Spot prices remained unchanged at previous levels of Rs 34,200 (ungarbled) and Rs 35,700 (MG 1) a quintal on matching demand and supply. Indian parity in the international market was at $6,800 a tonne (c&f) for prompt shipments and $6,700 a tonne (c&f) for May shipments. Jeera futures are likely to extend its downtrend following weak quotes of spot markets. Spot cumin seed quoted down Rs 20 per 20 kg at Unjhha market in Gujarat on Friday. In the second largest cumin seed producer Syria cumin seed sowing is around 10 per cent. However, due to civil war in the country the situation is not clear. Meanwhile, yield in Turkey may be normal and it may around 8,000-10,000 tons. Turmeric futures (May) will possibly consolidate in the range of 6300-6600 levels. Turmeric traded up by Rs 100 a quintal in Erode, while kaddapa variety was up Rs 200 a quintal in Sangli. Nizamabad market was closed due to workers’ strike and financial difficulties.
Oilseeds:
Oilseeds complex are expected to trade sideways with an upside bias. On the domestic market, Local refineries have raised palmolein rates and soyabean oil by Rs 3-5 tracking firm foreign markets. Imported palmolein and soyabean oil rose by Rs 2 and Rs 10 each tracking firm foreign market and decline in soyabean arrivals in Madhya Pradesh. Arrivals of soyabean in Madhya Pradesh declined to 10,000 bags. Mandi price has increased by Rs 25 to Rs 3,900-3,950 and by Rs 50 to Rs 4,000-4,050. Mustard arrivals were 4.65 lakh bags and its prices were Rs 3,350-3,625. U.S May Soybeans finished up 7 1/4 at 1430 ¾. Basis in the Gulf had a softer tone and interior processor bids held mostly steady. Soybean meal basis levels continue to firm up across the Corn Belt with some processors indicating they may delay their scheduled downtime as crush margins improve. Malaysian palm oil futures climbed to a two-week high on Friday, posting its first weekly gain out of five, as encouraging export data buoyed investor hopes for resilient global demand.
Other commodities:
Sugar futures are likely to trade with a bearish bias on reports that production is seen satisfactory for the next three years as output is expected to be above the domestic demand. At the spot market, Sugar prices dropped further by Rs 10-15 due to slack demand. Cotton prices may trade range bound with upside being capped. The Cotton Corporation of India began selling its stocks built through market intervention operations as part of the Government efforts to hold the natural fibre’s price line. CCI has started selling its stocks from Friday through e-auction. It offered to sell 25,000 bales. Chana futures (May) is expected to face resistance near 3565 levels. Desi chana stayed steady at many mandis of Maharashtra, MP, Karnataka, Chhattisgarh, UP and Rajasthan on sluggish physical demand.
सोयाबीन पर महीने में दूसरी बार बढ़ा मार्जिनर
सोयाबीन के भाव जब साल के उच्च स्तर पर पहुंच गए तो वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने इस महीने आज दूसरी बार 10 फीसदी विशेष मार्जिन बढ़ा दिया जो 30 अप्रैल से लागू होगा। इससे पहले 8 अप्रैल को 10 फीसदी विशेष मार्जिन बढ़ाया गया था। घरेलू व विदेशी बाजार में मांग कमजोर होने से इस तेजी पर सवाल उठ रहे हैं। जानकार बताते हैं कि पिछले साल की तरह इस साल भी कुछ बड़े कारोबारी सोयाबीन रोक कर भाव बढ़ा रहे हैं। किसान भी मुुनाफे की आस में मंडियों में सोयाबीन कम ला रहे हैं। मसलन सोयाबीन की कीमतें बढऩे के पीछे सटोरियों के खेल से इंकार नही किया जा सकता है। इस साल देश में रिकॉर्ड 126 लाख टन सोयाबीन पैदा हुआ है।
सप्ताह भर में एनसीडीईएक्स में सोयाबीन मई अनुबंध ने 3,854 रुपये से बढ़कर आज 4,182 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर साल का उच्च स्तर छू लिया। हालांकि बाद में इसमें गिरावट दर्ज की गई। इस साल सोयाबीन 25 फीसदी महंगा हो चुका है।
कमोडिटी इनसाइट डॉटकॉम के वरिष्ठï जिंस विश्लेषक प्रशांत कपूर ने कहा कि पिछले माह तक तो ईरान सोयाबीन खरीद रहा था, लेकिन इस माह ऊंचा भाव देखते हुए ईरान के कारोबारियोंं ने खरीद घटा दी है। घरेलू बाजार में भी सोया प्लांट वालों की ओर मांग घटी है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के संयोजक राजेश अग्रवाल कहते हैं कि वर्तमान भाव पर मिल वालों को तेल निकालने पर कम से कम 50 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा हो रहा हैं। ऐसे में खरीद घटना स्वभाविक हैं। अग्रवाल ने कहा कि लगता बाजार कुछ बड़े खरीदारों के हाथ में चला गया हैं, वरना बंपर पैदावार के मद्देनजर मंडियों में करीब 70,000 बोरी (क्विंटल) की आवक बहुत कम है। उन्होने कहा कि विदेशी बाजार काफी गिरने के बाद थोड़े से सुधरे जरूर हैं।
इंडियाबुल्स कमोडिटी के सह उपाध्यक्ष(शोध) बदरुद्दीन ने कहा कि किसान भी मुनाफे की आस में मंडियों में माल कम ला रहे हैं। गुरुवार को अर्जेंटीना में सोयाबीन का उत्पादन घटने की खबर के बाद विदेशी बाजार में सोयाबीन 1.5 फीसदी महंगा हुआ था। उनके मुताबिक अगले कुछ दिनों तक तेजी बरकरार रह सकती है। कपूर का मानना है कि मौसम सामान्य रहने से भाव गिर सकते हैं। (BS Hindi)
रबर के भाव हुए और लचीले
प्राकृतिक रबर की कीमतें गिर कर मंगलवार को 160 रुपये प्रति किलोग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे आ गईं जिससे आने वाले महीनों में रबर कीमतों में मंदी के चरण का रास्ता साफ होता दिख रहा है। कोच्चि और कोट्टïायम के स्थानीय बाजारों में रबर के भाव आज आरएसएस-4 ग्रेड के लिए 158 रुपये प्रति किलोग्राम पर थे।
विश्लेषकों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि रबर की कीमतें 150 रुपये से नीचे आ सकती हैं और कुछ कारोबारियों का यह भी मानना है कि रबर के भाव गिर कर 140 रुपये के स्तर पर भी आ सकते हैं। स्थानीय बाजार में रबर ने फरवरी 2011 में 245 रुपये की ऊंचाई को छुआ था।
हालांकि इंडियन स्टैंडर्ड नैचुरल रबर (आईएसएनआर) ने बैंकॉक बाजार में रबर के लिए कीमत टैग 130 रुपये प्रति किलोग्राम पर निर्धारित किया है। आईएसएनआर की दर की तुलना में भारतीय कीमत अभी भी ऊपर बनी हुई है। इसलिए आने वाले महीनों में आयात में इजाफा होने की संभावना है, क्योंकि स्थानीय टायर उद्योग भारतीय बाजार से रबर जुटाने की स्थिति में नहीं है।
कोचीन रबर मर्चेंट्ïस एसोसिएशन (सीआरएमए) के पूर्व अध्यक्ष एन राधाकृष्णन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पूरी दुनिया में मंद आर्थिक विकास और वाहन उद्योग का कमजोर प्रदर्शन दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में रबर बागान उद्योग के लिए प्रमुख चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत में कुल खपत में लगभग 45 फीसदी का योगदान टायर कंपनियों का है और इस क्षेत्र में धीमी वृद्घि की वजह से मांग बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इसलिए बाजार में मंदी का दौर बरकरार रहने की आशंका है।
घरेलू रबर खपत 2012-13 के दौरान पूर्ववर्ती वित्त वर्ष की तुलना में महज 0.8 फीसदी बढ़ी। हालांकि 2011-12 में खपत में 1.8 फीसदी का इजाफा हुआ था। रबर बोर्ड के अनुमानों के अनुसार टायर क्षेत्र की खपत 2012-13 में 0.01 फीसदी की मामूली वृद्घि के साथ सपाट बनी रही जबकि गैर-टायर क्षेत्र में खपत में 2.3 फीसदी की वृद्घि दर्ज की गई। मासिक खपत पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में सुस्त बनी रही।
विश्लेषकों का कहना है कि प्राकृतिक रबर बाजार में तेजी तभी आने की संभावना है जब वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कुछ सुधार संभव हो। इस जिंस के लिए दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता चीन में मांग में गिरावट प्राकृतिक रबर सेगमेंट की प्रमुख चिंताओं में से एक है। इंटरनैशनल रबर स्टडी गु्रप (आईआरएसजी) के आंकड़े के अनुसार टायरों का वैश्विक उत्पादन 2012 में महज 0.7 फीसदी तक बढ़ा जबकि 2011 में यह वृद्घि 3.8 फीसदी थी। (BS Hindi)
तांबा लुढ़क सकता है 6000 डॉलर तक
आर्थिक विकास की चिंताओं की वजह से तांबे की कीमतें फरवरी के मध्य से लगभग 14 फीसदी नीचे आ चुकी हैं। ये कीमतें 8,350 डॉलर से गिर कर 7,000 डॉलर प्रति टन रह गई हैं। सप्ताह के दौरान एलएमई तांबा कीमतें गिर कर 6,811 डॉलर रह गईं।
क्रेडिट सुइस ने तांबे पर अपनी एक शोध रिपोर्ट में कहा, 'हालांकि पिछले कुछ वर्षों में कई बार तांबे की कीमतें गिर कर इस स्तर पर आई हैं और प्रत्येक बार गिरावट अपेक्षाकृत अस्थायी साबित हुई है। लेकिन हमारा मानना है कि इस बार गिरावट बरकरार रह सकती है। 2006 के बाद से 6,000 से 9,000 डॉलर के शीर्ष स्तर के आसपास कारोबार के बाद अब हम यह उम्मीद कर रहे हैं कि कीमतें नीचे आएंगी।Ó
आनंद राठी में ईडी (कमोडिटीज) प्रीति गुप्ता ने कहा, 'तांबा कमजोर है और हमारा मानना है कि यह कमजोरी कुछ और समय तक बनी रहेगी।Ó सोने जैसे जिंस में पिछले कुछ दिनों में वापसी देखी गई है, लेकिन तांबा गिर रहा है और इसमें सुधार काफी कम है। हालांकि आर्थिक आंकड़े अनुकूल नहीं नजर आ रहे हैं, और एलएमई और शांघाई एक्सचेंजों पर पर स्टॉक की स्थिति भी खराब है, क्योंकि यह स्टॉक कई वर्षों के ऊंचे स्तर पर है और इसलिए प्रत्येक तेजी पर बिकवाली से इस धातु को और नीचे जाने में मदद मिल रही है।
कॉमट्रेंडï्ïस रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'तांबे के लिए यह दोहरी मार है, क्योंकि मांग कर रही है जबकि प्रमुख एक्सचेंजों पर भंडार बढ़
रहा है।'
उन्होंने यह भी कहा कि यदि तकनीकी तौर पर तांबा अपने 6500 डॉलर के टेक्नीकल सपोर्ट से नीचे आता है तो यह और अधिक लुढ़क कर 6,000 डॉलर प्रति टन तक आ सकता है। क्रेडिट सुइस ने कहा, 'तांबा खनिकों को उत्पादन बढ़ाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है और परिचालन से जुड़ी चुनौतियों और निवेश जोखिम की समस्या भी बरकरार है। (BS Hindi)
फसलों की बुआई पर सूखे का असर
गुजरात के कई हिस्सों में पानी की भारी किल्लत से राज्य में ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई पर असर पड़ा है। राज्य कृषि विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2013 में गर्मी की फसलों की बुआई पिछले साल से करीब 30 फीसदी कम हुई है। उड़द, मूंगफली और धान की बुआई में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है।
अब तक राज्य में गर्मी की बुआई 9,02,000 हेक्टेयर हुई है, जो पिछले साल इस समय तक 12,91,800 हेक्टेयर थी। 5 अप्रैल तक बुआई तीन सालों के औसत 12,51,500 हेक्टेयर से करीब 28 फीसदी कम है। इस सीजन में अब तक उड़द की बुआई 95 फीसदी गिरकर 300 हेक्टेयर रही है, जो पिछले साल 6,800 हेक्टेयर थी। उड़द की बुआई तीन वर्षों के औसत 5,100 हेक्टेयर से करीब 94 फीसदी कम है। इसी तरह ग्रीष्मकालीन मूंगफली की बुआई तीन वर्षों के औसत 1,69,800 हेक्टेयर के मुकाबले 56 फीसदी से ज्यादा गिरकर 75,200 हेक्टेयर रही है। पिछले सीजन में मूंगफली की बुआई 1,87,400 हेक्टेयर में हुई थी।
गीष्मकालीन मूंगफली की फसल की बुआई फरवरी-मार्च में शुरू होती है, जबकि कटाई मई-जून से। सौराष्ट्र ऑयल मिल्स एसोसिएशन (सोमा) के मानद सचिव किशोरभाई पटेल ने कहा, 'सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की कमी से सौराष्ट्र क्षेत्र में मूंगफली की बुआई पर असर पड़ा है। इससे इस साल मूंगफली के उत्पादन में करीब 50 फीसदी गिरावट आएगी।Ó उनके अनुसार पिछले साल ग्रीष्मकालीन मूंगफली का उत्पादन 2,25,000 से 2,50,000 टन रहा था, जो इस साल घटकर 1,25,000 टन पर आ सकता है। उन्होंने कहा, 'मूंगफली की कीमतों में पहले ही तेजी आनी शुरू हो चुकी है। मूंगफली (छिलके सहित) का भाव 1,000 से 1,100 रुपये प्रति 20 किलोग्राम है, जो पिछले साल से करीब 30 फीसदी ज्यादा है।Ó राज्य कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'बुआई में गिरावट मुख्य रूप से पानी की किल्लत के कारण आई है। मूंगफली की बुआई मुख्य रूप से सौराष्ट्र क्षेत्र में होती है, जो सूखे के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।Ó इस साल धान की बुआई भी तीन साल के औसत 65,000 हेक्टेयर से 50 फीसदी से ज्यादा गिरकर 29,300 हेक्टेयर रही है।
एक किसान संगठन भारतीय किसान संघ (बीकेएस) हंसमुख डाभी ने कहा, 'नर्मदा नहर से पानी लेने की स्वीकृति नहीं दी जा रही है। अगर किसान नहर से पानी लेते हैं तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इससे बुआई पर बहुत असर पड़ा है।Ó कम बुआई इसलिए हुई है, क्योंकि ग्रीष्मकालीन सीजन के मध्य में हालिया बारिश से कृषि क्षेत्र को मदद नहीं मिली है। किसानों के मुताबिक इस सीजन की बारिश से मूंगफली और अनाज सहित गर्मी की फसलों को फायदा होता है, क्योंकि इससे गर्मी की फसलों को आवश्यक नमी और पानी मिलता है।
सुरेंद्रनगर के एक किसान ने कहा, 'गर्मी में होने वाली बारिश को गर्मी की फसलों के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन इस बार इससे ज्यादा फायदा नहीं हुआ है। बुआई कम हुई है, इसलिए अगर गर्मियों में बारिश भी होती है तो बंपर फसल उत्पादन नहीं होगा।Ó
ग्रीष्मकालीन फसलों में उड़द, मक्का, मूंग, धान, बाजरा, तिल, मूंगफली और सब्जियां शामिल होती हैं (BS Hindi)
चने में बिकवाली से कमाएं मुनाफा
आर एस राणा नई दिल्ली | Apr 27, 2013, 02:32AM IST
चालू रबी में पैदावार 11.2 फीसदी बढऩे से उत्पादक मंडियों में चने की दैनिक आवक अच्छी हो रही है जबकि मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग पहले की तुलना में कम हुई है। मौसम विभाग ने चालू खरीफ में मानसून सामान्य रहने की उम्मीद जताई है जिससे एग्री जिंसों की कीमतों पर दबाव बना है।
वायदा बाजार में पिछले दस दिनों में चने की कीमतों में 5.9 फीसदी और हाजिर बाजार में 150 से 175 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। ऐसे में वायदा में निवेशक चने में बिकवाली करके ही मुनाफा कमा सकते हैं।
एनसीडीईएक्स पर मई महीने के वायदा अनुबंध में चने की कीमतों में पिछले दस दिनों में 5.9 फीसदी की गिरावट आई है। 16 अप्रैल को चने का भाव मई महीने के वायदा अनुबंध में 3,712 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि निवेशकों की मुनाफावसूली से शुक्रवार को भाव घटकर 3,491 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला।
ब्रोकिंग फर्म इंडियाबुल्स कमोडिटी लिमिटेड के अस्सिटेंट वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी) बद्दरूदीन ने बताया कि चालू रबी सीजन में चने की पैदावार में बढ़ोतरी हुई है जबकि इस समय दाल मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर चल रही है। इसलिए वायदा बाजार में निवेशकों को चने की मौजूदा कीमतों पर बिकवाली ही करनी चाहिए।
शाकम्भरी खाद्य भंडार के प्रबंधक राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में चने की दैनिक आवक करीब 100 मोटरों की हो रही है लेकिन मांग कमजोर है। लारेंस रोड पर सप्ताह भर में ही चने की कीमतों में करीब 150 से 175 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आकर शुक्रवार को भाव 3,425 से 3,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
उन्होंने बताया कि प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस समय चने की दैनिक आवक करीब 80 से 90 हजार क्विंटल की हो रही है। उत्पादक मंडियों में चने की दैनिक आवक मई महीने में बराबर बनी रहने की संभावना है जिससे कीमतों में गिरावट को बल मिल रहा है।
अजय इंडस्ट्रीज के प्रबंधक सुनिल अग्रवाल ने बताया कि भारतीय मौसम विभाग ने शुक्रवार जारी किए अनुमान में खरीफ सीजन में सामान्य मानसून रहने की संभावना जताई है जिसका एग्री जिंसों की कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव रहेगा। दाल एंड बेसन मिलर्स इस समय जरूरत के आधार पर ही चने की खरीद कर रहे हैं जबकि स्टॉकिस्टों की मांग कम हो गई है।
इसलिए चने की कीमतों में और 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने की संभावना है। मध्य प्रदेश और राजस्थान की उत्पादक मंडियों में पिछले आठ-दस दिनों में चने की कीमतों में करीब 150 रुपये की गिरावट आकर औसतन भाव 3,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। आयातित चने की कीमतों में इस दौरान गिरावट दर्ज की गई।
आस्ट्रेलिया से आयातित चने की कीमतों में सप्ताहभर में ही लगभग 125 रुपये की गिरावट आकर शुक्रवार को मुंबई में भाव 3,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में चने की पैदावार 11.2 फीसदी बढ़कर 85.7 लाख टन होने का अनुमान है। वर्ष 2011-12 में चने का उत्पादन 77 लाख टन का हुआ था। (Business Bhaskar.....R S Rana)
Gold prices rise on seasonal buying; silver rates ease
New Delhi, Apr 27. Gold prices rose by Rs 100 to Rs
28,100 per ten grams in the national capital today on buying
by stockists and retailers for the ongoing marriage season.
However, silver prices lacked demand support and declined
by Rs 500 to Rs 46,900 per kg.
Traders said gold prices rose on stockists and retail
customers buying for the ongoing marriage season, while silver
surrendered fresh ground on lack of necessary follow-up
support.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purities advanced by Rs 100 each to Rs 28,100 and Rs 27,900
per ten grams respectively. However, sovereigns met with
resistance at existing higher levels and fell by Rs 150 to Rs
24,200 per piece of eight gram.
On the other hand, silver (ready) declined by Rs 500 to Rs
46,900 per kg and weekly-based delivery by Rs 100 to Rs 45,000
per kg. Silver coins continued to be asked at last level of Rs
77,000 for buying and Rs 78,000 for selling of 100 pieces
26 अप्रैल 2013
सामान्य बारिश,बंपर उत्पादन
नयी दिल्ली:वर्ष 2013 में मॉनसून की बारिश सामान्य रहेगी और देश में बंपर उत्पादन होगा. फलस्वरूप दुनिया भर में खाद्य पदार्थो की कीमतों में कमी आयेगी. सूखे का सामना कर रहे गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी इस बार सामान्य बारिश की उम्मीद है. शुक्रवार को केंद्रीय धरती विज्ञान मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने राष्ट्रीय राजधानी नयी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी. वह मॉनसून पर सरकार की आधिकारिक रिपोर्ट जारी कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष औसतन 98 फीसदी बारिश होने का अनुमान है. 55 फीसदी कृषि क्षेत्र में मॉनसून की बारिश महत्वपूर्ण है. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 50 साल के दौरान यदि पूरे मौसम में 89 सीएम की बारिश होती है, तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है. वर्ष 2004 और 2009 में सामान्य से कम बारिश की वजह से देश में सूखा पड़ा था.
मानसून के संतोषजनक रहने की उम्मीद
दक्षिण पश्चिम मानसून की बारिश इस बार दक्षिण भारत के कुछ राज्यों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में संतोषजनक रहने की उम्मीद है. इस संबंध में आज आधिकारिक अनुमान जारी होने से पहले खाद्य मंत्री के वी थामस ने यह बात कही.
खाद्य मंत्री के वी थामस ने यहां एक समारोह के मौके पर संवाददाताओं से कहा ‘‘हमारे पास मानसून का एक आकलन है. सुदूर दक्षिणी राज्यों - केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु-को छोड़कर भारत के अन्य भागों में मानसून संतोषजनक रहेगा. ’’उन्होंने कहा कि उक्त दक्षिणी राज्यों में मानसूनी बारिश शुरु होने में देर हो सकती है या सामान्य से कम हो सकती है. पिछले सप्ताह कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा था कि भारत के मौसम विभग को सामान्य बारिश की उम्मीद है. निजी कंपनी स्कायमेट ने भी सामान्य बारिश का अनुमान लगाया है.
इस साल की जून-सितंबर की अवधि के लिए पहले मानसून संबंधी अनुमान आज जारी होना है. दक्षिण पश्चिम मानसून जून से शुरु होता है. इस मौसम में धान जैसी खरीफ की फसलों की बुवाई होती है. थामस ने कहा कि सामान्य बारिश देश के कृषि क्षेत्र के लिए शुभ संकेत है. उन्होंने कहा ‘‘आने वाले समय में हमारा खाद्य उत्पादन ठीक-ठाक रहेगा. गेहूं उत्पादन पिछले साल से कम नहीं होगा.’’ फसल वर्ष 2012-13 :जुलाई-जून: में खाद्य उत्पादन 25.01 करोड़ टन रहने का अनुमान है जिसमें से गेहूं का योगदान 9.23 करोड़ टन रहेगा.
अनाज भंडारण की स्थिति के बारे में थामस ने कहा कि गेहूं की खरीद की सारी व्यवस्था और भंडारण भी मानसून की बारिश शुर होने से पहले कर ली गई है. इस साल महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात के लिए इस साल का मानसून महत्वपूर्ण होगा. इन इलाकों में भयानक सूखा है.
India''s monsoon rainfall seen average in 2013 -minister
NEW DELHI, April 26. - India expects total monsoonrainfall to be average in 2013, a minister said on Friday,strengthening prospects for one of the world''s biggest grainsproducers to avoid widespread drought for a fourth straightyear. India''s first official forecast confirms a call by globalexperts last week, and points to bumper grain supplies thatwould swell huge current stockpiles and hold down world foodprices. "Most likely this year''s monsoon is expected to be withinthe normal range," Earth Sciences Minister S. Jaipal Reddy tolda news conference in the Indian capital. Monsoon rains are vital for the 55 percent of the country''sfarmland that lacks irrigation facilities, and can make thedifference between India being an exporter or importer ofstaples such as rice and sugar. Rainfall is expected to be 98 percent of the long-termaverage during the June to September season, Reddy said. Rainsbetween 96 percent and 104 percent of a 50-year average of 89 cmfor the entire season are considered normal, or average. The last time there was a drought with rainfall below thisrange was in 2009 and prior to that, in 2004. Agriculture accounts for 15 percent of gross domesticproduct in Asia''s third-largest economy, where more than 800million people live in rural areas. Ample harvests also helpkeep a lid on inflation, now running near 9 percent. Rain last year fell only about 7 percent below average inthe season, but drought ravaged an area in India''s southern andwestern states that is roughly the size of southern Europe, andwhich is still suffering. India will issue its final monsoon forecast in June, afterthe southwest monsoon has typically covered half the country.
Sugar output may exceed demand in next 3 yrs: Thomas
New Delhi, Apr 26. The country's sugar production is
expected to be "comfortable" and above the annual demand of 22
million tonnes during the next three years, Food Minister K V
Thomas said today.
Sugar production has touched 24 million tonnes in the
ongoing 2012-13 marketing year (September-October) against the
forecast of 24.6 million tonnes. The output is, however, lower
than 26 million tonnes achieved in the previous year.
"Out assessment is (that) 2013-14, 2014-15 and 2015-16
will be a comfortable year for India in the sugar sector,"
Thomas told reporters on the sidelines of an event here.
India's sugar demand is about 22 million tonnes, while
the output in the next three years is likely to be more than
the demand, he said.
The assessment on sugar output came out during a recent
discussion with the Agriculture Minister on ways to revive the
entire sugar sector in the coming years, he added.
Stressing the need to strengthen the sugar industry,
Thomas said his ministry has prepared a paper in this regard
in consultation with the Agriculture Ministry and will be
discussed with stakeholders next month in Kanpur.
"I think by third week of May, there will be a meeting at
a Sugar institute in Kanpur. All experts and stakeholders of
the industry will discuss and chalk out various programmes for
improvement of the sugar sector," he said.
Early this month, the government partially decontrolled
the sugar sector by giving sugar mills the freedom to sell in
the open market and unshackled them from the obligation of
supplying the sweetener at subsidised rates for ration shop.
India is the world's second biggest sugar producer after
Brazil.
Gold ends steady; silver up on stockists buying, global cues
New Delhi, Apr 26. Gold prices ended steady at Rs
28,000 per ten grams in the national capital today on
restricted buying at prevailing higher levels.
Silver spurted by Rs 1,900 to Rs 47,400 per kg on brisk
buying by stockists sparked by a firm global trend.
Traders said restricted buying activity at prevailing
higher levels mainly kept gold steady.
Brisk buying in silver for the marriage season amid a firm
trend in New York, where the metal climbed 5.35 per cent to
USD 24.40 an ounce mainly influenced the sentiment, traders
said.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity held steady at Rs 28,000 and Rs 27,800 per ten grams,
while sovereign enquired at last level of Rs 24,350 per piece
of eight gram.
On the other hand, silver ready spurted by Rs 1,900 to Rs
47,400 per kg and weekly-based delivery by Rs 1,790 to Rs
45,100 per kg.
Silver coins also flared up by Rs 1,000 to Rs 77,000 for
buying and Rs 78,000 for selling of 100 pieces.
25 अप्रैल 2013
वैश्विक बाजार में सोना तेज लेकिन निवेशकों की बेरुखी
विश्लेषकों को सोने की तेजी टिकने की संभावना पर अभी भी संदेह
अंतरराष्ट्रीय बाजार में बुधवार को सोने के दाम फिर बढ़ गए। स्थानीय हाजिर बाजार में सोने के दाम 7.80 डॉलर (0.55 फीसदी) बढ़कर 1421.40 डॉलर प्रति औंस हो गए।
सोने में तेजी हाजिर मांग सुधरने के कारण आई। लेकिन निवेशकों की खरीद अभी तक शुरू नहीं हुई है। उन्हें सोने में बड़ी तेजी आने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। दूसरी ओर दिल्ली के सराफा बाजार में अवकाश होने के कारण कोई कारोबार नहीं हुआ।
लंदन के हाजिर बाजार में सोने के दाम 1421.40 डॉलर प्रति औंस हो गए। दूसरी ओर चांदी के मूल्य में 0.22 फीसदी की तेजी रही और इसके भाव 22.99 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गए।
शंघाई गोल्ड एक्सचेंज के नकद बैंचमार्क कांट्रेक्ट में पिछले सप्ताह 150 टन सोने का कारोबार हुआ जबकि अमेरिका में ईगल बुलियन कॉयन का स्टॉक खत्म हो गया। दरअसल सोने का हाजिर बाजार कारोबार बढ़ रहा है। ग्राहकों की हाजिर में खरीद बढ़ रही है।
सोने के दाम अभी भी 11 अप्रैल के स्तर 1561.45 डॉलर प्रति औंस से करीब 8.8 फीसदी नीचे हैं। इसके बाद दो दिनों के कारोबार में भाव करीब 14 फीसदी घट गए थे। 1983 के बाद सोने में यह सबसे बड़ी गिरावट रही थी।
चालू वर्ष 2013 के दौरान सोने के मूल्य में 15 फीसदी गिरावट आई। 12 साल की निरंतर तेजी के बाद सोने में गिरावट आई थी और भाव दो साल के निचले स्तर 1321.95 डॉलर प्रति औंस रह गया था। सोने में निवेशकों की दिलचस्पी काफी कम हो गई है।
दुनिया की सबसे बड़े बुलियन एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एसपीडीआर में सोने की होल्डिंग (एसेट) 42 माह के निचले स्तर 1092.2 टन रह गया। पिछले माह इसकी होल्डिंग में दस फीसदी की गिरावट आई। वीटीबी केपिटल के एनालिस्ट एंड्री क्रुचेनकोव ने कहा कि सोने में आई मौजूदा तेजी दूसरे बेटमेटल्स के रुख के अनुरूप दिखाई दे रही है। इसे जर्मनी में उदार मौद्रिक नीति की संभावना से भी समर्थन मिला है।
डॉलर की कमजोरी से भी इसके दाम बढ़े हैं। लेकिन सोने के मामले में ये फंडामेंटल कितने प्रभावी होंगे, कहना मुश्किल है। खासकर पिछले सप्ताह आई गिरावट के बाद तेजी के स्थायित्व के बारे में कोई भविष्यवाणी करना आसान नहीं है। (Business Bhaskar)
कमजोर मांग से गुड़ में और गिरावट की संभावना
चीनी मिलें बंद होने से कोल्हुओं को मिल रहा है ज्यादा गन्ना, उत्पादन बढऩे का अनुमान
प्रमुख उत्पादक मंडी मुजफ्फरनगर में गुड़ का स्टॉक पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 2.80 लाख कट्टे (एक कट्टा-40 किलो) कम है लेकिन प्रमुख खपत राज्यों हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात की मांग कम हो गई है जबकि चीनी मिलें बंद होने से कोल्हू संचालकों को गन्ना ज्यादा मिल रहा है। इसलिए आगामी दिनों में गुड़ की मौजूदा कीमतों में और गिरावट की संभावना है।
फेडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने बताया कि गुड़ में खपत कम हो गई है। मंडी में गुड़ की दैनिक आवक 10,000 से 12,000 मन की बनी हुई है जबकि इस समय केवल तीन चीनी मिलें शामली, मोरना और देवबंद ही चल रही है जबकि गन्ना अभी बचा हुआ है।
ऐसे में मई के दूसरे पखवाड़े तक गुड़ की दैनिक आवक बनी रह सकती है जिससे गुड़ की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में मुजफ्फरनगर मंडी में अभी तक गुड़ का कुल स्टॉक 10.50 लाख कट्टों का ही हुआ है जो पिछले साल के मुकाबले 2.80 लाख कट्टे कम है। देशराज राजेंद्र कुमार के प्रबंधक देशराज ने बताया कि चीनी के दाम नीचे होने के कारण गुड़ में तेजी नहीं आ रही है। महाराष्ट्र में चीनी के दाम गुड़ से भी नीचे बने हुए हैं।
गुड़ में मई-जून में गुजरात की थोड़ी मांग रहेगी लेकिन मुजफ्फरनगर मंडी में इसकी आवक बराबर बनी रहने से स्टॉक में ज्यादा गुड़ जायेगा। दिल्ली में गुड़ चाकू का भाव बुधवार को 2,950-3,050 रुपये और गुड़ पेड़ी का भाव 3,000-3,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए तथा चालू महीने में इसके दाम करीब 100 रुपये प्रति क्विंटल तक घट चुके है।
गुड़ के थोक कारोबारी हरिशंकर मुंदड़ा ने बताया कि बुधवार को मुजफ्फरनगर मंडी में गुड़ की आवक 10,000 मन की हुई। पिछले साल गुड़ स्टॉकिस्टों को भारी घाटा हुआ था, जिसकी वजह से इस बार स्टॉकिस्टों की खरीद कम है।
मुजफ्फरनगर मंडी में बुधवार को गुड़ चाकू का भाव 1,080 से 1,190 रुपये, खुरपापाड़ का भाव 1,040 से 1,050 रुपये और लड्डू गुड़ का भाव 1,080 से 1,120 रुपये प्रति 40 किलो रह गया। चालू महीने में इसकी कीमतों में करीब 50 से 60 रुपये प्रति किलो की गिरावट आ चुकी है।
एनसीडीईएक्स पर जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में पिछले दस दिनों में गुड़ की कीमतों में 3.1 फीसदी की गिरावट आई है। 23 अगस्त को जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में गुड़ का भाव घटकर 1,305 रुपये प्रति 40 किलो रह गया जबकि 13 अगस्त को इसका भाव 1,347 रुपये प्रति 40 किलो था। (Business Bhaskar.....R S Rana)
सीसीआई कपास की बिक्री के लिए तय करेगी बेस प्राइस
आर एस राणा नई दिल्ली | Apr 25, 2013, 03:48AM IST
योजना - सरकारी गोदामों से 2.25 लाख गांठ कपास की बिक्री होगी
बाजार का रुख
ऊंचे भाव में निर्यातकों की मांग कम होने से नरमी
कीमतों में 2,000 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट आई
अहमदाबाद में दाम 37,500-38,000 रुपये प्रति कैंडी
न्यूयॉर्क में भाव घटकर 82.68 सेंट प्रति पाउंड पर रह गए
चालू सीजन में 23 लाख गांठ कपास की खरीद की गई है सरकार द्वारा
कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) घरेलू बाजार में कपास की बिक्री न्यूनतम दाम (बेस प्राइस) तय करके करेगी। सीसीआई द्वारा कपास की बिक्री 26 अप्रैल से ई-नीलामी के जरिए की जाएगी। केंद्र सराकर ने सीसीआई को घरेलू बाजार में 2.25 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की बिक्री करने अनुमति दी है।
सीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि घरेलू बाजार में कपास की बिक्री के लिए न्यूनतम दाम तय करने की योजना है। उन्होंने बताया कि कपास की खरीद के लिए अभी तक करीब 14-15 कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
सीसीआई 26 अप्रैल से ई-नीलामी के जरिए कपास की बिक्री शुरू करेगी तथा खरीददार न्यूनतम 500 गांठ और अधिकतम 2,500 गांठ कपास की खरीद कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि टैक्सटाइल मिलों की मांग को देखते हुए टेक्सटाइल मंत्रालय ने घरेलू बाजार में 2.25 लाख गांठ कपास की बिक्री की अनुमति दी है।
उन्होंने बताया कि चालू सीजन में सीसीआई ने 23 लाख गांठ कपास की खरीद की है। कुल खरीद में 47,746 गांठ की हिस्सेदारी व्यावसायिक है, बाकी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद हुई है।
केंद्र सरकार ने चालू विपणन सीजन 2012-13 के लिए मीडियम स्टेपल की कपास का एमएसपी 3,600 रुपये और लौंग स्टेपल वाली किस्म की कपास का एमएसपी 3,900 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
मुक्तसर कॉटन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर नवीन ग्रोवर ने बताया कि ऊंचे भाव में निर्यातकों की मांग कम होने और सीसीआई द्वारा घरेलू बाजार में कपास बेचने की संभावना से कीमतों में करीब 2,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की गिरावट आ चुकी है।
चालू महीने के शुरू में अहमदाबाद मंडी में शंकर-6 किस्म की कपास के दाम 39,500 से 40,000 रुपये प्रति कैंडी था जबकि 24 अप्रैल को इसका दाम घटकर 37,500 से 38,000 रुपये प्रति कैंडी रह गए।
विदेशी बाजार में भी महीने भर में कीमतों में गिरावट आई है। न्यूयॉर्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में मई महीने के वायदा अनुबंध में 18 मार्च को कॉटन का भाव बढ़कर 90.83 सेंट प्रति पाउंड हो गया था जबकि 23 अप्रैल को इसका भाव घटकर 82.68 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ। (Business Bhaskar.....R S Rana)
इस साल देश में होगा बंपर फसल उत्पादन!
इस साल के मॉनसून का पहला अनुमान अगर सही साबित होता है तो एक बार फिर भारत में बंपर फसल होगी। लेकिन दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में बारिश कम और देरी से हो सकती है, जो पहले ही चार दशक के सबसे भयंकर सूखे का सामना कर रहे हैं।
हालांकि पिछले साल बारिश सामान्य से 7 फीसदी कम रही, लेकिन प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और कपास उत्पादक गुजरात सहित इन राज्यों में बारिश कम रही। कुछ राज्यों में तो बारिश जरूरत से आधी ही हुई। इस साल भी सूखा पडऩे से रोजगार और पानी की जरूरत के लिए मुंबई जैसे शहरों में लोगों का पलायन बढ़ सकता है। इससे फसलों को भी नुकसान पहुंचेगा, कृषि आमदनी घटेगी, इन राज्यों की आर्थिक वृद्धि घटेगी और महंगाई में तेजी आएगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था सुधार के कुछ संकेत दिखा रही है, लेकिन कम बारिश से यह मुश्किल में पड़ सकती है। सूखे से आर्थिक वृद्धि 2 फीसदी तक घट सकती है, क्योंकि कृषि उत्पादन घटता है और खपत रुक जाती है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हीरो मोटरसाइकिल बेचने वाले रघुवीर मोटर्स के प्रबंधक कमलकांत देशमुख ने कहा, 'अगर मॉनसून सीजन अच्छा रहता है तो किसानों की आमदनी अच्छी होगी और वे अक्टूबर से खर्च करना शुरू करेंगे। तब तक हमें मंदी का सामना करना पड़ेगा।Ó
उनकी बिक्री 2013 के पहले तीन महीनों में पिछले एक साल की समान अवधि के मुकाबले आधी हो गई है, जबकि देश में मोटरसाइकिल की बिक्री में मार्च के दौरान 8.3 फीसदी वार्षिक गिरावट आई है। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा कि व्यापक सूखे से भारत की आर्थिक वृद्धि दर मार्च 2014 में समाप्त वित्त वर्ष में गिरकर 5.1 फीसदी पर आ सकती है, जबकि वर्तमान अनुमान 6 फीसदी है। (BS Hindi)
सोने का कर्ज हुआ खोटा!
आभूषण कंपनी विनसम को कर्ज देने वाले बैंकों को करीब 4,000 करोड़ रुपये की चपत लग सकती है। विनसम (पुराना नाम सूरज डायमंड्स) को सोना खरीदने के लिए बैंकों ने यह कर्ज दिया था, जो अब ने बैंकों के एक समूह से सोने की खरीद के लिए यह ऋण लिया था, जिसकी काफी रकम अब फंस सकती है।
बैंकरों के अनुसार कर्ज के बदले उनके पास कुछ परिसंपत्तियां गिरवी रखी गई थीं, लेकिन उनकी कीमत ज्यादा नहीं है। विनसम के भंडार भी बैंकों की देखरेख में हैं और ऋण देने वाले बैंकों की पिछले हफ्ते की बैठक में भंडार की जांच कराने का फैसला किया गया। हालांकि बैंकर कह रहे हैं कि हाल ही में सोने के भाव में आई गिरावट की वजह से सोने के भंडार की कीमत भी कम हो जाएगी। कुछ बैंकों का कहना है कि निर्यात पर जोर देने वाली इस कंपनी ने उन देशों को निर्यात किया होगा, जहां मंदी का असर है। वहां जेवरात मंगाने वालों ने कीमत चुकाने में देर कर दी होगी, जिसकी वजह से विनसम उन बैंकों को किस्त नहीं चुका सकी, जिनसे उसने सोना खरीदा था। किस्त नहीं आने पर उन बैंकों ने ऋण पत्र भुनाना शुरू कर दिए, जो भारतीय बैंकों ने जारी किए थे। ऐसी सूरत में अगर 90 दिन के भीतर कर्ज का भुगतान नहीं होता है तो कर्ज गैर-निष्पादित परिसंपत्ति बन जाता है।
एक बैंकर ने कहा, 'मुमकिन है कि सोने का भंडार धीमे-धीमे बाहर निकल रहा हो और इसकी वजह से कंपनी के लिए दिक्कतें आई हों।Ó निजी एवं विदेशी बैंकों के अलावा दर्जन भर सार्वजनिक बैंकों ने कंपनी को ऋण दिया है। विनसम को कर्ज देने वाले एक सरकारी बैंक के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया, 'हम सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। पहले हमें समझना होगा कि कंपनी के साथ क्या गलत हुआ। हम एक-दो दिन में विनसम डायमंड ऐंड ज्वैलरी लिमिटेड के प्रवर्तक जतिन मेहता के साथ मुलाकात कर सकते हैं।Ó
जिन बैंकों ने कंपनी के एलसी खोले हैं उनमें पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक, आईडीबीआई बैंक व अन्य बैंक हैं। इस समूह की अगुआई स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक कर रहा था।
स्टैंडर्ड बैंक ऑफ साउथ अफ्रीका, स्टैंडर्ड चार्टर्ड लंदन और स्कॉटिया बैंक ने भी एलसी प्रभावी कर दी है, जो बैंकों ने करार के समय विनसम के लिए जारी की थी। पिछले साल ही विनसम का नाम बदला गया और मदन बी खुर्जेकर को उसका गैर-कार्यकारी चेयरमैन नियुक्त किया गया था।
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार उसकी प्रमुख गतिविधियों में हीरा एवं कीमती पत्थर जडि़त सोने, चांदी और प्लेटिनम के आभूषणों व सादे आभूषणों का विनिर्माण और निर्यात शामिल है। कंपनी पॉलिश किए गए हीरों का भी निर्यात करती है। (BS Hindi)
CHANA, Mentha oil, Jeera & Pepper market report.
chana.......
Markets failed to pick up for Chana as demand remained low amidst moderate arrivals in the mandis. Overall Fundamen-tals remained slight weak with weather forecasters predict-ing a normal Monsoon this year and demand still not picking up significantly. Moderate arrivals continued to keep senti-ments weak for the commodity
Higher production prospects in Chana could however limit any significant uptrend for the commodity. Firmness in Tur and Urad could also support Chana rates to some extent.
Pulses exports banned till March 31, 2014 as per DGFT noti-fication.
As per 2nd Advanced Government Estimates, Pulses produc-tion is likely to rise to 17.58 million tonnes in 2012-13 —up from 17.09 million tonnes in 2011-12. Production of all ma-jor Pulses—Chana, Tur, Urad and Moong—are expected to rise this year. Pulses sown area has reportedly risen to 148.13 lakh ha in 2012-13 vs 147.42 lakh ha in 2011-12. Sown area for Chana has reportedly increased to 94.78 lakh ha vs 89.92 lakh ha in corresponding periods
Good weather conditions in growing areas in MP, Maharashtra and Rajasthan have been responsible for the improved productivity and production prospects
Regular imports are also preventing major uptrend for Chana rates. Raising of MSP for Chana last year has resulted in higher acreage for the Rabi crop this year in states of MP and Maharashtra. Conducive weather in growing states have been creating a Bearish impact on the commodity rates for last few months.
MENTHA OIL
After the recovery seen for Mentha Oil the earlier day, the higher levels were not sustainable as absence of demand at the higher levels and prospects of better production kept pressurizing the market sentiments. Traders expect high vol-atility in the short term. But new crop arrivals next month onwards could prevent rates from shooting up a lot. High stocks from last year too could keep pressure on the prices
Sentiments are likely to remain under pressure due to higher production prospects, high stock levels and better sowing area this year
Demand from Corporate sector though could support the prices to some extent but that has fallen somewhat as some more corrections are awaited for the commodity rates
As per latest reports, the total area under cultivation is ex-pected to rise by 20% at 2.1 lakh ha vs 1.75 lakh ha last year. Sowing is nearly complete. Production is estimated higher at 60-65,000 tonnes higher than ~53,000 tonnes pro-duced last year. It may be noted that last year’s figure too was on the higher side—resulting in higher stock levels this year
All these factors could result in prices getting pressurized in the near term
Traders expect that higher stocks amidst overall low demand and good sowing may not allow market to witness much upside movement in medium term.
Jeera
Higher arrivals and lack of strong demand in the mandis kept trend further weak for Jeera. Traders however feel rates have fallen a lot and are expecting some pick up in demand in the coming days. Higher arrivals of the new crop however prevented any significant rise in price for the commodity.
The coming day trend would depend on the export queries which are expected to rise—lending further strength to the rising rates for the commodity
Better crop expectations this year could temper the rising rates to some extent though. But traders anticipate present rates are on the lower side and there are expectations of exports too picking up in coming weeks. Stockists too were reportedly not willing to sell at these levels.
Higher Production prospects too are likely to keep pres-sure on market sentiments as good sowing reports from Gujarat and Rajasthan keep production prospects good
Medium to long term trend looks Bullish as exports are expected to pick up in coming months amidst lower production reports in Turkey and Syria. Indian production expected at 28-30 lakh bags translating to more than 1.5 lakh tons.
PEPPER
No strong movement was noted for Pepper as low trading activities in the mandis kept market sentiments weak. Lack of strong trading activities in the mandis gave no clear indication to the market trend. Short term senti-ments likely to remain volatile as low volumes noted in the Futures market also
From medium term point of view, it is anticipated by the traders that present rates being very low and there is pos-sibility of rise in domestic demand in near future. But short term no clear directions are noted
Reports of increased production prospects from Interna-tional Pepper Community pegging the global expected output for Pepper at 3.36 lakh tons kept sentiments weak for Indian as well as International markets. Indian output expected at 55000 tons in 2013 vs 43000 tons in 2012. Exports estimates at 25000 tons in 2013 vs 17500 tons in 2012
On the International front, better crop expectations from Indonesia and Sri Lanka and better crop and stock levels in Vietnam have also prevented the rates from rising a lot in the short term
Latest reports keep production estimates in Vietnam at 1.35-1.40 lakh tons vs 1.0-1.10 lakh tons of the earlier estimates. But higher export estimates as per Vietnam Pepper Association could perk up prices in medium to long term (exports expected at 120,000 tons—up more than 20% in value)
With Indian production expected lower due to adverse weather, lower acreage and a fall in productivity, any rise in exports could support the prices from a medium to long term point of view. (R S Rana)
प्रणब मुखर्जी- सहकारिता के लिए कानून में संशोधन हो
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय सहकारी संस्थाओं को पेशेवर बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए राज्यों के कानून में केन्द्रीय कानून के अनुरूप संशोधन करना होगा, ताकि देश की छह लाख सहकारी संस्थाएं स्वायत्त, आत्मनिर्भर और लोकतांत्रिक निकाय के रूप में काम कर सकें।
केन्द्र सरकार ने संविधान में 97वां संशोधन किया है, जो कि फरवरी 2012 से प्रभावी हो गया है। इसके जरिए सहकारी संस्थाओं को कामकाज में अधिक स्वायत्तता की पहल की गई है। प्रदेश सरकारों को केन्द्रीय कानून के अनुरूप अपने कानूनों को संशोधित करने के लिए फरवरी 2013 तक का एक साल का समय दिया गया है।
मुखर्जी ने यहां सहकारिता उत्कृष्टता के लिए एनसीडीसी अवॉर्ड देने के बाद कहा, हाल ही में केन्द्र सरकार ने सहकारिता क्षेत्र के लिए संविधान का 97वां संशोधन कर बड़ी पहल की है, जो इन संस्थाओं के लोकतांत्रिक और स्वायत्त परिचालन को सुनिश्चित करता है। इस संशोधन से सहकारिता बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इस पहल को आगे जमीनी स्तर तक ले जाने के लिए राज्य सरकारों को भी आवश्यकतानुसार राज्यों के कानून में संशोधन करते हुए उपयुक्त माहौल बनाने की जरुरत है।
मुखर्जी ने आगे कहा कि छह लाख सहकारी समितियों और 24 करोड़ सदस्यता के साथ सहकारिता के क्षेत्र ने समावेशी विकास में अहम योगदान किया है, लेकिन आज यह क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमारे देश में सहकारिता क्षेत्र कई चुनौतियों और समस्याओं का सामना कर रहा है। उनका प्रदर्शन और गतिविधियां विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हैं। उन्हें क्षमता में सुधार लाने और अपने मूल कार्यक्षेत्र की जरुरतों को पूरा करने के लिए खुद को पेशेवराना ढंग से विकसित करने की जरुरत है।
इसी तरह का समान दृष्टिकोण व्यक्त करते हुए कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा, इससे पहले कभी भी समेकित विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सहकारिता क्षेत्र के प्रति लोगों का विश्वास बहाल करने की इतनी आवश्यकता कभी महसूस नहीं की गई थी।
इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि बेहतर प्रशासन काफी महत्वपूर्ण हो चला है, क्योंकि बड़ी संख्या में सहकारी संस्थाएं कुप्रबंधन, वित्तीय विसंगतियों, सदस्यों और प्रबंधन के बीच बढ़ती दूरियों और कमजोर संसाधन इत्यादि जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही हैं।
कृषि मंत्री शरद पवार ने इस अवसर पर कहा, सहकारी क्षेत्र में सुधार की तुरंत आवश्यकता है, ताकि यह क्षेत्र पेशेवर ढंग से और स्वायत्तता के साथ काम कर सके।उन्होंने कहा कि भारतीय सहकारी आंदोलन दुनिया में सबसे बड़ा है। उर्वरक वितरण में सहकारी क्षेत्र का हिस्सा 35 प्रतिशत और चीनी उत्पादन में 46 प्रतिशत तक है।
पवार ने कहा कि इस योगदान को देखते हुए कमजोर वर्गों के जीवन स्तर में सुधार लाने में सहकारिता क्षेत्र की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने इससे पहले राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष में राष्ट्रीय पुरस्कार आवंटित किए। (Webdunia)
24 अप्रैल 2013
सोने का आयात होगा 900 टन से ज्यादा : रंगराजन
कीमतों में गिरावट के कारण 2013-14 में सोने का आयात बढ़ सकता है। हालांकि कीमत के लिहाज से आयात बिल में गिरावट आएगी। पिछले 10 दिनों में सोने की कीमतें करीब 10 फीसदी गिर चुकी हैं और ग्राहकों की खरीद से इसमें निचले स्तरों से मामूली सुधार ही आया है। अर्थशास्त्रियों और कारोबारियों का मानना है कि पिछले कुछ दिनों में निचले स्तरों पर निकल रही खरीदारी का रुझान आगे भी जारी रहेगा और चालू वित्त वर्ष में सोने का आयात 900 से 950 टन के बीच रहने की संभावना है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) ने आज अनुमान जताया कि सोने की वर्तमान कीमत पर इसका आयात करीब 900 टन रहेगा। हालांकि डॉ. सी रंगराजन की अध्यक्षता वाली परिषद ने कहा कि वर्तमान कीमत पर 2013-14 में सोने का आयात 900 टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2012-13 में सोने का आयात 850-870 टन रहने का अनुमान जताया गया था। सोने की कीमतों में गिरावट के चलते मूल्य के लिहाज से आयात के बारे में इसने कहा, 'परिषद को उम्मीद है कि सोने के आयात में थोड़ी गिरावट आएगी। वर्ष के दौरान कुल आयात घटकर 45 अरब डॉलर पर आ जाएगा। यह 2012-13 के आयात 56 अरब डॉलर से करीब 20 फीसदी कम है। 2011-12 में देश का स्वर्ण आयात 62 अरब डॉलर के सर्वोच्च स्तर पर रहा था।Ó
मांग के मोर्चे पर बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन ज्यादा आशावादी है। इसके अध्यक्ष मोहित कंबोज ने कहा, 'सोने की कीमतें इस समय काफी नीचे हैं और इस स्तर पर मांग काफी बढ़ी है, इसलिए हमारा अनुमान है कि 2013-14 में सोने का आयात 950-1000 टन रहेगा।Ó रोचक बात यह है कि विश्व स्वर्ण परिषद के अधिकारी ने चालू वर्ष में भारत का सोने का आयात 2012 से ज्यादा रहने का अनुमान जताया था। उन्होंने यह बात सोने की कीमतों में गिरावट से पहले कही थी। हालांकि पीएमईएसी ने सोने के आयात को 5 अरब डॉलर और कम रखने का सुझाव दिया था, जिससे यह 40 अरब डॉलर से ज्यादा न हो।
पीएमईएसी के मुताबिक सोने की मांग घट सकती है। नोमुरा की भारतीय अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा, '2009 से सोने की कीमतों और आयात के बीच सकारात्मक सहसंबंध रहा है, इसलिए सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ आयात भी बढ़ रहा था। लेकिन सोने की कीमतों में हालिया गिरावट से मांग में तेजी आई है, जो यह सहसंबंध उलट रहा है।Ó हालांकि उनका मानना है कि यह परिवर्तन थोड़े समय के लिए है, क्योंकि ग्राहकों ने गिरावट को खरीदारी के मौके के रूप में भुनाया है। हालांकि उन्होंने कहा, 'अगर सोने की कीमतों में गिरावट जारी रहती है तो हमारा अनुमान है कि मांग में हालिया बढ़ोतरी थम जाएगी, क्योंकि निवेश से संबंधित मांग में गिरावट आएगी।Ó
हालांकि पीएमईएसी ने रत्न एवं आभूषण निर्यात के बेहतर रहने की उम्मीद जताई है। 2012-13 में निर्यात 11 फीसदी गिरा था। परिषद को निर्यात आमदनी के लिहाज से तीसरे बड़े क्षेत्र के बेहतर दिन लौटने की उम्मीद है। इसने कहा, '2013-14 में रत्न एवं आभूषण निर्यात 12 फीसदी बढऩे की संभावना है और यह 45 अरब डॉलर के पार निकल जाएगा। 2011-12 का निर्यात भी इतना ही रहा था।Ó
उद्योग भी इस बात से सहमत है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के चेयरमैन विपुल शाह ने कहा, 'हमें लगता है कि 2013-14 में निर्यात 12 से 15 फीसदी बढ़ेगा, क्योंकि यूरोप को छोड़कर सभी बाजारों में सकारात्मक रुख है। (BS Hindi)
कालीमिर्च वायदा होगा शुरू!
विवादास्पद मिनरल ऑयल का मामला सुलझने पर विभिन्न जिंस एक्सचेंजों पर कालीमिर्च वायदा फिर शुरू हो सकता है। मिनरल ऑयल मामले की वजह से भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) में हड़कंप मच गया था, जिसकी वजह से कोच्चि में 8,000 टन कालीमिर्च सील कर दी गई और पिछले साल दिसंबर में कारोबार स्थगित कर दिया गया था।
वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) से कहा कि उसके अनुबंधों को फिर से शुरू करने की मंजूरी देने से पहले वह मामले को सुलझाए। इन अनुबंधों को कुछ महीने पहले अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया था।
एनसीडीईएक्स ने दिशानिर्देश मिलने के बाद एफएसएसएआई द्वारा सील की गई कालीमिर्च के नमूनों की जांच के लिए भुगतान कर दिया है और नए अनुबंधों के लिए नए सिरे से आवेदन किया है। जिंस बाजार नियामक ने अनुबंध ब्योरे में मिनरल ऑयल जांच का कोई विशेष जिक्र नहीं किया था, इसलिए एफएमसी ने विवाद से बचने के लिए अनुबंध को स्थगित करना बेहतर समझा।
इस बीच एफएसएसएआई द्वारा कोच्चि के विभिन्न गोदामों में मिनरल ऑयल के स्टॉक में मिनरल ऑयल पाए जाने के मुद्दे ने धीरे-धीरे अपनी प्रासंगिकता खो दी है, क्योंकि एक समय के बाद प्रतिबंधित पदार्थ स्वत: ही खत्म हो जाता है। मिनरल ऑयल का इस्तेमाल घटिया कालीमिर्च को पॉलिश करने के लिए किया जाता है, लेकिन यह अपने रासायनिक गुणों के चलते तीन महीने के बाद स्वत: ही वाष्पित होकर उड़ जाता है।
एफएसएसएआई सील की हुई कालीमिर्च को छोडऩे की जल्दी में नहीं है। यह इस तथ्य से साफ है कि फरवरी में 9 टन और 24 टन के दो लॉट में की गई औचक (रैंडम) जांच में मिनरल ऑयल के अंश नहीं मिले हैं। ये दो लॉट वास्तविक किसानों द्वारा भंडारित किए गए थे। विशेषज्ञों के अनुसार इन दोनों लॉटों के स्वामियों के पास मिनरल ऑयल की पॉलिश करने के लिए पर्याप्त संसाधन और कौशल नहीं था।
इसके बाद एफएसएसएआई के पास दो लॉट को डिलिवरी के लिए जारी करने के अलावा कोई चारा नहीं था। लेकिन अब एफएसएसएआई ने जांच का अपना तरीका बदल लिया है। पहले यह रैंडम जांच करता था, लेकिन अब स्टॉक का मूल्यांकन क्लेंजिंग पद्धति से करता है। इसका मतलब है कि एक स्वतंत्र प्रयोगशाला में जांच के लिए नमूने सभी पैकेट में से लिए जा रहे हैं।
एफएसएसएआई (त्रिवेंद्रम, केरल) के संयुक्त आयुक्त अनिल कुमार ने कहा, 'हमें यह पता है कि कालीमिर्च मिनरल ऑयल को सोख लेती है और इस बात की संभावना है कि अगर मिनरल ऑयल के अंश होंगे भी तो एक समय के बाद वाष्पित हो जाएंगे। इसलिए हमने पहले की रैंडम जांच के बजाय नमूनों के लिए क्लींजिंग पद्धति अपना रहे हैं, जिसमें सभी पैकेटों से आवश्यक रूप से नमूने लिए जाते हैं। (BS Hindi)
रिफाइंड पाम पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग
नई दिल्ली - सॉलवेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 12.5' करने की मांग की है। एसोसिएशन का कहना है कि सस्ते आयात के कारण वनस्पति तेल रिफाइन करने वाली घरेलू कंपनियों का बिजनेस प्रभावित हो रहा है। इस समय रिफाइंड पाम तेल पर 7.5' और कच्चे वनस्पति तेल पर 2.5' आयात शुल्क है। इस तरह दोनों के बीच शुल्क का अंतर सिर्फ 5' रह गया है।
मुंबई आधारित एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विजय डाटा ने बताया कि रिफाइंड पामोलीन और क्रूड पाम ऑयल के आयात शुल्क में अंतर कम होने के कारण रिफाइंड का आयात काफी बढ़ गया है। इससे भारतीय रिफाइनिंग कंपनियां अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं। एसोसिएशन के मुताबिक फरवरी में 1,16,237 टन रिफाइंड पामोलीन का आयात हुआ था जो मार्च में बढ़कर 1,37,407 टन हो गया।
उद्योग संगठन का तर्क है कि आयात शुल्क बढ़ाने से सरकार को ज्यादा राजस्व प्राप्त होगा जिसका इस्तेमाल वह राशन की दुकानों में पाम तेल की बिक्री पर सब्सिडी देने में कर सकती है। एसईए ने पशुचारे में इस्तेमाल होने वाली खली का शुल्क मुक्त आयात मार्च के बाद भी जारी रखने की मांग की। सरकार ने पिछले साल अगस्त में छह माह के लिए इसके शुल्क मुल्क आयात की इजाजत दी थी। (Business Bhaskar)
पीडीएस के लिए चीनी खरीद का जिम्मा राज्यों पर
आर एस राणा नई दिल्ली | Apr 24, 2013, 02:18AM IST
मीठी गोली - राज्य लेवी की खरीद बाजार से 32 रुपये के भाव
पर करेंगे - राशन में इसकी बिक्री 13.50 रुपये प्रति किलो की दर से
पीडीएस के लिए सालाना 27 लाख टन चीनी की जरूरत
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन के लिए चीनी की खरीद राज्य सरकारों को करनी होगी। केंद्र सरकार राज्यों सरकारों को पीडीएस में आवंटन के लिए खरीदी गई चीनी पर 18.50 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देगी। चीनी विनियंत्रण की अधिसूचना सरकार जल्द ही जारी करेगी।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में राज्य सरकारों को पत्र लिख दिया गया है। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2013-14 में लेवी चीनी की खरीद राज्य सरकारें करेंगी तथा खरीद पारदर्शी तरीके से खुले बाजार से किया जाएगा।
केंद्र सरकार राज्य सरकारों द्वारा खरीदी जाने वाली चीनी पर 18.50 रुपये प्रति किलो की दर से सब्सिडी का वहन करेगी। उन्होंने बताया कि राज्यों को मौजूदा बीपीएल कार्डधारकों की संख्या के आधार पर सब्सिडी का आवंटन किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने डॉ. सी रंगराजन समिति की सिफारिशों के आधार पर पीडीएस के लिए चीनी की खरीद का जिम्मा राज्यों पर डाला है। राज्य सरकारों द्वारा लेवी चीनी की खरीद के लिए 32 रुपये प्रति किलो का दाम दो साल के तय है।
राज्य सरकारें लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत लाभार्थियों को इसका आवंटन 13.50 रुपये प्रति किलो की पूर्व दर से ही करेंगी। देशभर में पीडीएस में आवंटन के लिए सालाना करीब 27 लाख टन चीनी की आवश्यकता होती है।
उन्होंने बताया कि चीनी विनियंत्रण की अधिसूचना भी सरकार जल्द ही जारी करेगी। केंद्र सरकार ने सितंबर 2012 के बाद से उत्पादित चीनी के लिए चीनी मिलों से ली जाने वाली 10 फीसदी की लेवी की बाध्यता को समाप्त करने के साथ ही खुले बाजार में चीनी रिलीज मैकेनिज्म को भी समाप्त कर दिया है।
इससे चीनी मिलों को सालाना करीब 3000 करोड़ रुपये का फायदा होगा लेकिन इससे केंद्र सरकार पर लगभग 5,300 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी का भार पड़ेगा।
चालू पेराई सीजन 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान 246 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 220 से 225 लाख टन की होती है। पिछले पेराई सीजन में देश में 263 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2012 से 15 अप्रैल 2013 के दौरान 241 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2 फीसदी कम है। पिछले साल की समान अवधि में 245 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar.....R S Rana)
इस वर्ष 3.5% रहेगी कृषि विकास दर
अनुमान- पिछले साल की वृद्धि दर 2% से अधिक नहीं
सशर्त विकास
ऊंची विकास दर के लिए सामान्य मानसून की रखी शर्त
मानसून खराब रहा तो इस दर को हासिल करना मुश्किल
पीएमईएसी का मशविरा
कृषि में तेज विकास के लिए मार्केटिंग और सप्लाई चेन दुरुस्त करें
सब्जी, फल, अंडे, मांस, मछली के लिए आधुनिक हो सप्लाई चेन
इससे कीमतें स्थिर रहेंगी जो किसानों और उपभोक्ताओं के हित में
वर्ष 2013-14 के दौरान कृषि एवं संबंधित क्षेत्र में 3.5 फीसदी की रफ्तार से विकास होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने यह अनुमान लगाया है।
सी. रंगराजन की अध्यक्षता वाली इस परिषद का कहना है कि अगर मानसून सामान्य रहा तो खेती में यह विकास दर हासिल की जा सकती है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने वर्ष 2012-13 के लिए 1.8 फीसदी विकास का अनुमान लगाया था। हालांकि इसमें अभी संशोधन होना है, फिर भी अंतिम आंकड़ों को दो फीसदी से ऊपर जाने की उम्मीद नहीं है।
'2012-13 की आर्थिक समीक्षा' में रंगराजन ने कहा है कि अगर मानसून की बारिश सामान्य से नीचे रहती है तो खेती में इस विकास को हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।
गौरतलब है कि भारत की खेती में मानसून की बारिश का अहम योगदान है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का योगदान 15 फीसदी है और खेती की सिर्फ 40 फीसदी जमीन में सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
पिछले हफ्ते कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा था कि मौसम विभाग इस वर्ष सामान्य बारिश की उम्मीद कर रहा है। विभाग की तरफ से मानसून की पहली भविष्यवाणी 26 अप्रैल को जारी होगी। आर्थिक सलाहकार परिषद ने कृषि क्षेत्र में तेज विकास के लिए मार्केटिंग और सप्लाई चेन दुरुस्त करने के कई उपाय बताए हैं।
इसका कहना है कि सब्जी, फल, अंडे, मांस और मछली जैसे जल्दी खराब होने वाले उत्पादों के लिए सप्लाई चेन को आधुनिक बनाने और नियामक संबंधी बाधाएं दूर करने की जरूरत है। इससे इन उत्पादों की कीमतें स्थिर रहेंगी जो किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में होगा। मौजूदा एपीएमसी एक्ट के तहत कई राज्यों में किसानों को सीधे अपने उत्पाद बेचने की इजाजत नहीं है।
इससे सप्लाई चेन का आधुनिकीकरण नहीं हो पा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक इससे किसानों को उनके उत्पादों की अच्छी कीमत नहीं मिल पाती है, लेकिन दूसरी तरफ वही चीजें शहरी उपभोक्ताओं को काफी महंगी मिलती हैं।
पिछले साल खेती के प्रदर्शन का विश्लेषण करते हुए परिषद ने कहा है कि कम बारिश के कारण 2012-13 में कृषि विकास दर दो फीसदी से अधिक नहीं हो सकती।
खासकर महाराष्ट्र और गुजरात में कम बारिश होने से मोटे अनाज समेत कई फसलों का उत्पादन प्रभावित हुआ। पिछले साल बागबानी फसलों के उत्पादन में भी गिरावट आई। (Business Bhaskar)
Gold up as physical purchases temper drop in holdings
London, Apr 24. Gold today rebounded from the
biggest drop in a week, as signs of increased physical
purchases tempered shrinking assets in exchange-traded
products.
The precious metal climbed USD 7,80, or 0.55 per cent, to
USD 1,421.40 an ounce, poised for a sixth gain in seven
sessions. Silver also increased 0.22 per cent to USD 22.99 an
ounce.
The volume for the Shanghai Gold Exchange's benchmark cash
contract exceeded 150 tonnes in the past week, while the US
Mint ran out of its smallest American Eagle bullion coin.
Gold is still 8.8 per cent below the April 11 close of USD
1,561.45 an ounce that preceded a 14 per cent slump in two
sessions through April 15, the biggest tumble since 1983.
Bullion is down 15 per cent in 2013 after 12 years of
advances and touched a two-year low of USD 1,321.95 on
April 16. Assets held in the SPDR Gold Trust, the largest
bullion exchange-traded fund, tumbled yesterday to a 42 month
low of 1,097.2 tonnes and have contracted 10 per cent this
month.
Indo-Bangla trade barriers coming in way of open trade:Experts
Kolkata, Apr 24. Bangladesh imports 90 per cent
of its requirement of rice seeds from China, though importing
it from India would have cost the country far less.
Experts from India and Bangladesh feel it is the trade
barriers between the two neighbours that are coming in the way
of open trade.
Supporting India as trade partner, Deputy High
Commissioner of Bangladesh to India Abida Islam said the
import of rice seeds from India would be cheaper, but for the
lack of formal trade.
"There exists informal trade in rice seeds between the
two neighbours and that needs to be formalised as farmers on
both sides are suffering from the lack of formal trade and
marketing channels," she said.
Under an initiative by the Jaipur-based CUTS
International, various organisations from India and Bangladesh
have come together on a joint platform to address trade
barriers and formalise informal trade in rice seeds which is
happening on both sides of the border.
Bangladesh is a net rice seed importer with an estimated
import market size of USD 5.9 million in 2010-11.
According to figures from the International Trade Centre,
China meets more than 90 per cent of rice seed orders from
Bangladesh.
India's exports to Bangladesh remain negligible,
accounting for less than 3 per cent of its total exports.
Sudhir Chandra Nath, Head of Agriculture and Food
Security Programme of BRAC Centre in Bangladesh, said they
are mostly importing hybrid rice seed varieties from China,
which has higher yield than Indian varieties.
However, many of those varieties are not suitable to
consumption patterns in Bangladesh.
12th plan allocation for agri-research insufficient: Par panel
New Delhi, Apr 24. A Parliamentary panel has pulled
up the government for allocating meagre budget of Rs 25,553
crore for agricultural research during the 12th Five Year Plan
(2012-17) saying the government has "failed to understand
the urgency of timely infusion of capital in the system".
The Department of Agricultural Research and Education
under the Agriculture Ministry had proposed Rs 57,887 crore
allocation for 12th plan, while the Working Group of the
Planning Commission had recommended Rs 55,000 crore.
But the gross budgetary support communicated to the
Department is Rs 25,553 crore for the 2012-17 period, it said.
"The Committee do not appreciate the downsizing of
allocation, if the communicated figure is taken on its face
value, which is less than 1 per cent of agriculture GDP," the
Parliamentary Standing Committee, headed by Basudeb Acharia,
said in the report on demands for grants for 2013-14 fiscal.
The proposed outlay of the Department has been reduced by
about 44 per cent for the 12th Plan and this will affect the
ongoing research projects and slacken new initiatives, it
said.
"It is a matter of deep concern that high-end research
projects such as agro-diversity, genomics, nanotechnology,
conservation agriculture, health foods, farm mechanisation etc
may either have to be shelved or postponed indefinitely," the
report said.
The panel further observed that both the Planning
Commission and government "failed to understand the urgency of
timely infusion of capital in the system so as to give an
impetus for developing technologies for emerging challenges."
Emphasising agriculture research is second to
none in the development process, the panel suggested the
Department should draw the attention of the government and
seek enhanced allocation for agri-research not only for this
fiscal but for the entire plan period.
It said the government's allocation for agriculture
research should be one per cent of the sector's GDP as several
studies reveal that higher investment will help in substantial
reduction in poverty by stimulating agri-growth and reducing
food prices.
"In the Indian context, results have shown that about Rs
13.5 are returned for every rupee invested in agriculture
research and development. Another study found that around 1/4
growth in wheat output and cotton, 1/5th in case of bajra and
13 per cent in paddy and maize, were due to R&D work".
Sustainable development, climate change, bio-security,
bio-safety are some of the upfront areas requiring detailed
research, it added.
23 अप्रैल 2013
जिंसों के घटते दाम, कंपनियां होंगी मालामाल
पिछले कुछ महीनों के दौरान सभी सेगमेंट की जिसों में भारी गिरावट से 2013-14 में भारतीय कंपनियों के घटते लाभ पर लगाम लग सकती है। सभी सेगमेंट की जिसों की कीमतें 15-20 फीसदी कम हुई हैं। इस दौरान देश में धातु की कीमतें 7-10 फीसदी गिरी हैं।
यूरोपीय ऋण संकट और अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के क्वांटिटिव ईजिंग कार्यक्रम को जल्द समाप्त करने की चिंताओं के बाद मध्य फरवरी से जिंस बाजार का रुझान उलट गया है। पिछले सप्ताह चीन की आर्थिक वृद्धि उम्मीद से कम रहने से जिंसों की कीमतों में गिरावट के रुझान को और बल मिला है। मूल धातुएं औसतन 15 फीसदी नीचे हैं, जबकि ब्रेंड क्रूड ऑयल 17 फीसदी गिर चुका है। रबर 23 फीसदी नीचे चला गया है।
एक स्वतंत्र आर्थिक चिंतक संस्था सीएमआई के एमडी महेश व्यास ने कहा, 'क्रूड तेल की कीमतों में भारी गिरावट समेत सभी जिंसों के लुढ़कने से भारतीय कंपनियों का शुद्ध लाभ मार्जिन नाटकीय रूप से सुधर सकता है। विनिर्माण कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि उनकी उत्पादन लागत में दो-तिहाई हिस्सा कच्चे माल का होता है।Ó उन्होंने कहा कि अगर जिंसों की कीमतें कम रहीं तो शुद्ध लाभ वर्तमान स्तर से दोगुना हो सकता है।
जिंसों की गिरती कीमतों पर नोमुरा के मुख्य अर्थशास्त्री (जापान के अलावा पूरा एशिया) रोब सुब्बारमन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा, 'यह मानते हुए कि जिंसों की कीमतों में हालिया गिरावट रहेगी तो भारत ऊंची वृद्धि, कम मुद्रास्फीति और बेहतर आर्थिक फंडामेंटल्स के लिहाज से प्रमुख देशों में शामिल होगा।Ó उन्होंने कहा, 'जिंसों की कीमतों में गिरावट से ऊर्जा और अन्य लागतों में कमी आती है, इसलिए एशिया की विनिर्माण लागत घट रही है। इससे लाभ मार्जिन बढ़ता है, जो स्पष्ट रूप से व्यावसायिक निवेश के लिए सकारात्मक है।Ó
मांग कम होने और तरलता खत्म होने की चिंताओं से दुनियाभर में जिंसों की कीमतें गिरी हैं। चीन की कम आर्थिक वृद्धि से जिंसों की मांग में गिरावट आएगी। पिछले कुछ वर्षों से जिंसों की मांग बढ़ाने में चीन का अहम योगदान रहा है। कच्चे माल की लागत में गिरावट से भारतीय कंपनियों को भी फायदा होगा।
नोमुरा के सुब्बारमन कहते हैं, 'जिंसों की कीमतों में हालिया गिरावट के लिए ऋणात्मक मांग का झटका ज्यादा विश्वसनीय व्याख्या लगती है।Ó हालांकि उन्हें उम्मीद है कि चालू कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में मांग सुधरेगी। उन्होंने कहा, 'हमें लगता है कि अगर दूसरी छमाही में वैश्विक मांग सुधरती भी है तो जिंसों की वैश्विक कीमतें इन्हीं स्तरों पर रहेंगी। इसकी वजह आपूर्ति में सकारात्मक सुधार होना है जैसे अच्छे मौसम से खाद्य कीमतों पर असर पड़ेगा। वहीं, अमेरिका में शेल गैस और ऑस्ट्रेलिया में एलपीजी के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है।Ó
विभिन्न कंपनियों और क्षेत्रों पर असर अलग-अलग होगा, लेकिन कच्चे माल की लागत में तेजी से गिरावट आएगी। ईंधन की कीमतों में गिरावट से ऊर्जा लागतों और क्रूड ऑयल के डेरिवेटिव अन्य कच्चे माल के लागत में कमी आएगी। सोने की कीमतों में गिरावट से निश्चित रूप से आभूषण कंपनियों पर चोट पड़ेगी। (BS hindi)
वैश्विक बाजार में तांबे की कीमत 7,000 डॉलर से नीचे
निराशाजनक वैश्विक वृद्धि और आपूर्ति में सुधार की संभावनाएं बढऩे से सोमवार को तांबे की कीमत 1 फीसदी से ज्यादा गिरकर पिछले डेढ़ साल के निचले स्तर के करीब पहुंच गई। हालांकि बाजार भागीदारों का अनुमान है कि कीमतें जल्द ही निचले स्तरों पर पहुंच जाएगी। अन्य बाजारों जैसे तेल, सोना और वैश्विक शेयर में उछाल के बावजूद तांबे में गिरावट रही। चीन की कमजोर वृद्धि दर और अमेरिका के बेरोजगारी के कमजोर दावों से इन बाजारों में पिछले सप्ताह भारी गिरावट रही थी।
डॉयचे बैंक के विश्लेषक डेनियल ब्रेबनर ने कहा, 'वृद्धि दर धीमी पडऩे से दबाव है और तांबे पर कारोबारियों का ध्यान केंद्रित हैं, क्योंकि यह अपनी स्वीकृत उचित मूल्य से काफी ऊपर कारोबार कर रहा है। हमारा अनुमान है कि इसकी कीमत अब से वर्ष के मध्य तक 6,500 डॉलर प्रति टन रहेगी। लेकिन अगर आप एक कारोबारी हैं तो इसे खरीद के मौके के रूप में देखें।Ó लंदन मेटल एक्सचेंज पर तीन महीने का तांबा अनुबंध 1.05 फीसदी गिरकर 6,916.75 डॉलर प्रति टन पर आ गया। पिछले गुरुवार को तांबा लुढ़ककर 6,815 डॉलर के स्तर पर आ गया था, जो डेढ़ साल के निचले स्तर से महज 15 डॉलर दूर था।
शांघाई फ्यूचर्स एक्सचेंज सबसे ज्यादा लेन-देन वाला अगस्त तांबा अनुबंध गिरकर तीन साल के निचले स्तर 48,970 युआन प्रति टन (7,900 डॉलर) पर पहुंच गया, जो उसका जून 2010 के बाद का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि तांबे के सबसे बड़े वैश्विक उपभोक्ता चीन से परिष्कृति तांबे का आयात मार्च में वर्ष दर वर्ष आधार पर 36.7 फीसदी गिरकर 2,18,823 टन रहा। जबकि परिष्कृत तांबे का निर्यात बढ़कर 60,642 टन रहा। यानी इसमें वर्ष दर वर्ष आधार पर 128.52 फीसदी बढ़ोतरी रही।
साथ ही, एमएमई पर तांबे का स्टॉक एक दशक के सर्वोच्च स्तर के आसपास पहुंच गया है। उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल तांबे का सरप्लस रहेगा। निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स पहले ही 2013 के लिए तांबे की कीमत के अपने अनुमान को 8,453 डॉलर से घटाकर 7,600 डॉलर कर चुका है।
तांबा डेढ़ साल के निचले भाव पर
आर्थिक सुस्ती में तांबे की मांग कमजोर होने से इस साल लंदन मेटल एक्सचेंज मेंं इसकी इंवेट्री 93 फीसदी बढ़ गई है। साल के पहले दो महीनों में तांबे का अधिशेष 1.30 लाख टन है, जो पिछले पूरे साल के अधिशेष 34,000 टन के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा है। भारी इंवेंट्री व अधिशेष के दबाव में इस साल तांबे की कीमत करीब 15 फीसदी घटकर डेढ़ साल के निचले स्तर पर आ गई है। जानकारों के मुताबिक मांग के मोर्चे पर फिलहाल कोई सकारात्मक संकेत नही मिल रहे हैं। ऐसे में निचले भाव पर थोड़ा सुधार तो संभव है, लेकिन ज्यादा तेजी की उम्मीद नही है।
लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में इस साल तांबा 8,111 डॉलर से घटकर 6,920 डॉलर प्रति टन और घरेलू मल्टीकमोडिटीएक्सचेंज (एमसीएक्स)में इस दौरान तांबा अप्रैल अनुबंध 448 रुपये से गिरकर 373 रुपये प्रति किलोग्राम पर 18 महीने के निचले भाव कारोबार कर रहा है। सप्ताह भर में तांबा 6 फीसदी सस्ता हुआ है।
कमोडिटीइनसाइटडॉटकॉम के वरिष्टï जिंस विश्लेषक अभिषेक शर्मा कहते हैं कि कुछ समय यूरोप व अमेरिका में आर्थिक पैकेज जैसी सकारात्मक खबरों से तांबे में मजबूती आई थी। लेकिन अब तक आर्थिक हालात खासकर यूरोपीय देशों में खराब ही रहे हैं। वैश्विक स्तर पर तांबे की मांग घटने से एलएमई में इसकी इंवेंट्री 93 फीसदी बढ़कर 6.14 लाख टन हो गई है। शर्मा ने वल्र्ड ब्यूरो ऑफ मेटल स्टेस्टिक्स(डब्ल्यूबीएमएस) की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि पिछले साल तांबे का अधिशेष 34,000 टन था, जबकि इसी साल जनवरी-फरवरी महीने में यह बढ़कर करीब 1.30 लाख टन हो गया है। ये आंकड़े दर्शाते है कि तांबे की मांग कितनी कमजोर है? (BS Hindi)
चीनी उद्योग के उपोत्पाद क्षेत्र में बढ़ सकता है निवेश
अब तक अनदेखी की शिकार रहीं गन्ना पेराई की सहायक गतिविधियों में ताजा निवेश का एक बड़ा हिस्सा आ सकता है, क्योंकि चीनी बिक्री के आंशिक विनियंत्रण और एथेनॉल की कीमतों में 30 फीसदी की भारी बढ़ोतरी से संभावनाओं के द्वार खुले हैं।
सीएमएआई के मुताबिक चीनी मिलें गन्ना पेराई क्षमता में 79,000 टन की अतिरिक्त बढ़ोतरी के लिए करीब 4,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बना सकती हैं। क्षमता विस्तार में गन्ना पेराई पर भी ध्यान रहेगा। लेकिन इसके साथ ही मिलें अन्य गतिविधियों की क्षमता में भी इजाफा करेंगी।
श्री रेणुका शुगर्स के प्रबंध निदेशक नरेंद्र मुरकुंबी ने कहा, 'चीनी बिक्री के आंशिक विनियंत्रण, एथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी और तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के पेट्रोल के साथ अनिवार्य मिश्रण के लिए ग्रीन फ्यूल की पूरी खरीद करने की प्रतिबद्धता जताने से अब रुझान पूरी तरह बदल गया है। ज्यादातर नया निवेश एथेनॉल और विद्युत उत्पादन सहित दूसरे गौण उत्पादों में होगा।Ó
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने इस महीने की शुरुआत में चीनी के विनियंत्रण पर रंगराजन समिति की रिपोर्ट को आंशिक रूप से स्वीकार किया था। इसने 10 फीसदी चीनी उत्पादन रियायती दरों पर मुहैया कराने की लेवी अनिवार्यता खत्म करने का फैसला लिया था। सीसीईए ने खुले बाजार में गैर-लेवी चीनी बेचने के लिए नियमित रिलीज प्रणाली भी खत्म कर दी। हालांकि रंगराजन समिति की अन्य सिफारिशों जैसे गन्ना क्षेत्राधिकार, न्यूनतम दूरी मानक और गन्ना कीमत को राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया है।
ओएमसी ने एथेनॉल आपूर्ति के लिए कम बोली लगाने वालों को आशय पत्र जारी करना शुरू कर दिया है, जिसकी आधार कीमत 34 से 36 रुपये प्रति लीटर है। यह पिछले साल से करीब 30 फीसदी ज्यादा है। ओएमसी ने नवंबर 2012 में 110 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदने के लिए निविदा जारी की थी। हालांकि चीनी मिलों ने 55 करोड़ लीटर एथेनॉल आपूर्ति की पेशकश की है। पहले 27 रुपये प्रति लीटर पर एथेनॉल की आपूर्ति आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं थी, इसलिए चीनी मिलें ज्यादा कीमत हासिल करने के लिए रेक्टिफाइड स्पिरिट की बिक्री कर रही थीं। (BS Hindi)
सोना सस्ता होने से ज्वैलरी निर्यात सुधरने के आसार
घरेलू मांग भी सुधरने से सोने के दाम बढ़कर 27,400 रुपये प्रति दस ग्राम
घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में आई गिरावट से गहनों की निर्यात मांग बढऩे की संभावना है। ब्याह-शादियों का सीजन शुरू होने वाला है इसीलिए ज्वैलरी की घरेलू मांग में भी बढ़ोतरी हुई है। घरेलू बाजार में सोने के दाम शीर्ष स्तर से 18.9 फीसदी कम होकर 17 अप्रैल को 26,350 रुपये प्रति दस ग्राम रह गए थे।
जैम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के जयपुर रीजन के चेयरमैन राजीव जैन ने बताया कि घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में आई गिरावट से ज्वैलरी की निर्यात मांग बढऩे की संभावना है। आगामी दिनों में ज्वैलरी निर्यातकों को ज्यादा ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में घरेलू बाजार में सोने के दाम बढ़कर 32,500 रुपये प्रति दस ग्राम हो गए थे, जबकि 17 अप्रैल को इसका भाव घटकर 26,350 रुपये प्रति दस ग्राम रह गए।
ओम एक्सपोर्ट ज्वैलरी के पार्टनर एस. पी. बंसल ने बताया कि सोने की कीमतों में आई गिरावट से विश्वभर में ज्वैलरी की मांग पहले से दोगुनी हो गई है, इससे ज्वैलरी निर्यातकों को अच्छे ऑर्डर मिल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में सोने की कीमतों में गिरावट जारी रही तो गहनों के निर्यात में 20 से 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की संभावना है। दिल्ली बुलियन वेलफेयर ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वी के गोयल ने बताया कि सोने के नीचे भाव में घरेलू बाजार में भी गहनों की मांग में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिससे ज्वैलर्स के पास गहनों का स्टॉक कम हो गया है।
उन्होंने बताया कि ब्याह-शादियों का सीजन शुरू होने वाला है इसलिए खरीददार घटी कीमतों का फायदा उठाना चाहते हैं। इस समय गले के हार, कानों के झुमके और अंगूठियों की सबसे ज्यादा मांग बनी हुई है। गर्मियों का सीजन होने के कारण मानव निर्मित गहनों की आपूर्ति मांग के मुकाबले कम है।
नीचे भाव में मांग निकलने से दिल्ली सराफा बाजार में सोमवार को सोने की कीमतों में 300 रुपये की तेजी आकर भाव 27,400 रुपये प्रति दस ग्राम हो गए। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस दौरान सोने की कीमतों में 18 डॉलर प्रति औंस की तेजी आकर भाव 1,424 डॉलर प्रति औंस हो गए। विदेशी बाजार में 19 अप्रैल को सोने का भाव 1,406 डालर प्रति औंस पर बंद हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
ऑटो उद्योग की कमजोर मांग से नेचुरल रबर में और नरमी संभव
दोतरफा असर - घरेलू के साथ विदेशी बाजार में भी रबर के मूल्य पर दबाव
कमजोर खपत
घरेलू बाजार में रबर 65 फीसदी तक खपत ऑटो उद्योग में
ऑटो उद्योग की बिक्री में गिरावट से आई रबर में सुस्ती
चीन में भी रबर उत्पादों की मांग सुस्त बनी हुई है
इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी नेचुरल रबर की कीमतें कम
अमेरिका और यूरोप की इकोनॉमी में अभी कोई खास सुधार नहीं
कोट्टायम में रबर के दाम घटकर 155-160 रुपये प्रति किलो
ऑटो उद्योग की सुस्त मांग से घरेलू बाजार में नेचुरल रबर की कीमतों में और गिरावट की संभावना है। चालू महीने में कोट्टायम में नेचुरल रबर की कीमतों में 10 रुपये की गिरावट आकर सोमवार को भाव 155 से 160 रुपये प्रति किलो रह गए। एनएमसीई पर मई महीने के वायदा अनुबंध में सोमवार को नेचुरल रबर का भाव घटकर 15,480 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
रबर मर्चेंट्स एसोसिएशन के सचिव अशोक खुराना ने बताया कि घरेलू बाजार में नेचुरल रबर की कुल खपत में ऑटो उद्योग की 60 से 65 फीसदी हिस्सेदारी है। ऑटो उद्योग की बिक्री में गिरावट बनी हुई है इसीलिए घरेलू बाजार में नेचुरल रबर की कीमतों में मंदा बना हुआ है। चीन में रबर उत्पादों की मांग सुस्त होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी नेचुरल रबर की कीमतें घट रही है।
अमेरिका और यूरोप की इकोनॉमी में अभी बहुत सुधार नहीं हुआ है। ऐसे में घरेलू बाजार में नेचुरल रबर की मौजूदा कीमतों में और भी गिरावट की संभावना है।
विनको ऑटो इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर एम एल गुप्ता ने बताया कि घरेलू बाजार में नेचुरल रबर की खपत में कमी आई है। उधर, चीन की आयात मांग घटी है, जिसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय बाजार में नेचुरल रबर की कीमतों पर पड़ रहा है।
बैंकॉक में नेचुरल रबर के दाम घटकर सोमवार को 151-152 रुपये प्रति किलो (भारतीय मुद्रा में) रह गए जबकि पहली अप्रैल को इसका भाव 158-159 रुपये प्रति किलो था। घरेलू बाजार में मार्च महीने में नेचुरल रबर की खपत 4.1 फीसदी कम होकर 79,000 टन की हुई है जबकि मार्च 2012 में इसकी खपत 82,400 टन की हुई थी।
सूत्रों के अनुसार वियतनाम में हुई ग्लोबल रबर कांफ्रेंस-2012 में विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया था कि वर्ष 2013 में विश्व स्तर पर नेचुरल रबर की कीमतों में गिरावट बनी रहेगी तथा वर्ष 2014 के मध्य में ही इसकी कीमतों में सुधार आने की संभावना है।
भारतीय रबर बोर्ड के अनुसार वर्ष 2012-13 में नेचुरल रबर का उत्पादन 0.9 फीसदी बढ़कर 9,12,200 टन का हुआ है जबकि इस दौरान खपत में 0.8 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी होकर कुल खपत 9,71,980 टन की हुई है।
मार्च के अंत में घरेलू बाजार में नेचुरल रबर का स्टॉक 2,66,000 टन का है जो मार्च 2012 के 2,36,275 टन से ज्यादा है। मार्च में नेचुरल रबर का उत्पादन घटकर 52,000 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल मार्च में 55,300 टन का हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
Programme to provide pre-harvest crop estimate
New Delhi, Apr 23. The government has developed a
system for pre-harvest crop production forecast using
satellite data, Minister of State for Agriculture and Food
Processing Industries Tariq Anwar said today.
Under Space Agro-Meteorology and Land Based Observations
(FASAL) programme, the pre-harvest forecast would be available
using the satellite data provided by Indian Space Research
Organisation (ISRO), Anwar said in a written reply to the Lok
Sabha.
"Forecasting agriculture using FASAL programme has been
developed in collaboration with ISRO to have better
pre-harvest crop production forecast for major crop at state/
country level in the country using satellite data for
assessing cropped area and agro-meteorological model for
estimating yields," said Tariq.
Under the FASAL, pre-harvest satellite data of Rice
(karif and rabbi both), wheat, potato, mustard and jute are
obtained.
Tariq further informed that technologies developed by the
ISRO are now being implemented through the Mahalanobis
National Crop Forecast Center from April 2012.
The government had allotted Rs 8.66 crore for this
project during last fiscal.
PMEAC pegs 3.5 pc farm growth in FY'14 on normal monsoon
New Delhi, Apr 23. Agriculture and allied sector is
expected to grow at a faster rate of 3.5 per cent in 2013-14
fiscal if the country receives normal monsoon this year,
the Prime Minister's economic advisory panel said today.
The sector's growth pegged for this year is higher than
1.8 per cent estimated for 2012-13 fiscal by the Central
Statistical Organisation (CSO). The estimate for 2012-13 is
certain to be revised and it is likely that final growth
number may not exceed 2 per cent, it said.
"Under the circumstances, and in expectation of normal or
mostly normal rainfall, we have projected the farm sector to
grow by 3.5 per cent (in 2013-14)," Prime Minister's Economic
Advisory Council (PMEAC) Chairman C Rangarajan said in the
Economic Review for 2012-13.
However, if 2013 monsoon turns out to be significantly
below normal, even that may be harder to achieve, he said.
Monsoon rains are crucial for the farm sector, which
contributes about 15 per cent to the country's GDP, as only 40
per cent of the total cultivable area is under irrigation.
Last week, Agriculture Minster Sharad Pawar had said that
the India Meteorological Department (IMD) is expecting a
normal monsoon in 2013. IMD's first monsoon forecast will be
officially released on April 26.
According to the PMEAC, the growth estimated for 2013-14
fiscal is slightly lower than the average of the Eleventh Plan
(2007-12) period and comparatively slightly lower base of
2012-13 should be achievable.
To boost farm sector growth, the PMEAC has suggested
major reforms in agricultural marketing and supply chains.
"In order to meet the increased demand for perishable
farm produce - vegetables, fruit, eggs, meat and fish - at a
stable price that is rewarding to both the farmer and the
consumer, the supply chain needs to be modernised and
regulatory obstacles in the way cleared," it said.
The linkage to managing primary food inflation in this
regard is self-evident, the report said.
The current Agricultural Produce Marketing Committee Act
(APMC Act) in a number of states limits the freedom of farmers
to sell, and this has prevented the modernisation of the
supply chain.
This has often denied farmers a decent price, and
increased it excessively for the urban consumer, besides
sustaining wasteful practices, the PMEAC report said.
Analysing the performance of the farm sector in the last
year, the PMEAC said the sector growth may not exceed two per
cent because inadequate rainfall in the country, especially
in Maharashtra and Gujarat, has reduced the output of coarse
cereals and some other crops.
It is reported that horticulture output in 2012-13 was
also a bit weaker than in the previous year, it added.
'India would meet 172.20 million tons milk demand by 2020'
New Delhi, Apr 23. India's domestic demand of milk
and milk products would be around 172.20 million tonnes by
2020-21 and the country would have sufficient production to
meet such demand, the government said today.
"As per an assessment made by the Planning Commission, the
domestic demand for the milk by 2020-21 is expected to be
172.20 million tons.
"The milk production at national level is by large
sufficient to meet the demand of milk and milk products,"
Minister of State for Agriculture & Food Processing Industry
Charan Das Mahant said in a written reply to the Lok Sabha.
Meanwhile, Mahant said that state wise data of demand and
supply of milk and its based products was not available with
the government.
He also informed that at present, the government was not
providing any subsidy on export of milk products.
However, an incentive of 5 per cent duty credit on the
basis of Free on Board (FoB) on export of skimmed milk powder
(SMP) is being provided under Videsh Krishi and Gram Udyog
Yojna, Mahant said .
He further informed that the government is implementing
various schemes for dairy development in the country for
promoting village-based milk procurement systems through dairy
cooperatives.
These dairy cooperatives procure milk from the farmers on
the price determined by the dairy cooperative unions or the
concerned state milk federation.
Mahant said that the government is providing financial
assistance to these dairy cooperatives under its schemes
Rashtriya Krishi Vikas Yojna and National Mission for Protein
Supplements.
Moreover, the government has also taken various measures
under some centrally sponsored programmes to strengthen these
dairy cooperatives under Intensive Dairy Development Programme
(IDDP), Strengthing Infrastructure for Quality and Clean Milk
Production, Assistance to the Cooperatives, Dairy
Entrepreneurship Development Scheme and National Dairy Plan.
Till March this year, 3,134 such dairy cooperatives have
been established in Maharashtra under the IDDP.
Gold rises for fourth-day on global cues, local buying
New Delhi, Apr 23. Gold prices maintained an upward
trend for the fourth-straight day by adding Rs 200 to Rs
27,600 per 10 grams in the national capital today on sustained
buying by stockists and retailers.
However, silver lacked necessary follow up support and
dropped by Rs 800 to Rs 45,000 per kg.
Traders said increased buying by stockists and retailers
for the marriage season and a firming global trend mainly kept
an upward movement in gold prices.
Gold in New York, which normally set price trend on the
domestic front, shot up by USD 19.80 to USD 1426.30 an
ounce last night.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity advanced by Rs 200 each to Rs 27,600 and Rs 27,400 per
10 grams, respectively. It had gained Rs 1,050 in last three
sessions.
Sovereign, however, held steady at Rs 24,100 per piece of
eight gram in scattered deals.
On the other hand, silver ready dropped by Rs 800 to Rs
45,000 per kg and weekly-based delivery by Rs 1020 per kg.The
white metal had gained Rs 500 yesterday.
Silver coins also plunged by Rs 1,000 to Rs 75,000 for
buying and Rs 76,000 for selling of 100 pieces
Gold drops on China data, ending year's best run
London, Apr 23. Gold today fell, after rallying
for five days in its best run this year, declining with other
commodities after data showed China's manufacturing expanded
at a slower pace.
The gold lost 0.31 per cent to USD 1,421.90 an ounce.
Prices are 9.4 per cent below the USD 1,561.45 close on April
11, before they plunged 14 per cent in two days, the worst
slide since 1983. Silver also slumped 1.50 per cent to USD
23.06 an ounce.
The preliminary reading of 50.5 for a China Purchasing
Managers’ Index released by HSBC Holdings and Markit Economics
compared with a final 51.6 for March, adding to concern the
world’s second-biggest economy is faltering. The number was
below the median 51.5 estimate.
Bullion rallied for five days through yesterday, when it
reached a one-week high of USD 1,439.30, as physical purchases
increased.
The metal fell to a two-year low of USD 1,321.95 on
April 16. Volume on the Shanghai Gold Exchange's benchmark
cash contract jumped to a record yesterday, while sales of
gold coins at the US Mint are almost triple so far in April
compared with total sales a month earlier.
22 अप्रैल 2013
Conference on agro-technology commercialisation
Hyderabad, Apr 22. City-based International Crops
Research Institute for the Semi-Arid Tropics (ICRISAT) and the
Indian Council of Agricultural Research (ICAR) are organising
a one-day agro-technology commercialisation conference at
HITEX Exhibition Centre here on April 26.
The conference will showcase ready-to-commercialise
agro-technologies for crops, horticulture, food technology,
animal husbandry, cotton and jute fibre products and fisheries
sector.
Upcoming innovators will get a platform to present their
ideas and qualify for incubation services, ICRISAT release
said.
Coconut prices to remain stable
Coimbatore, Apr 22 With limited chances for price
increase, the coconut farmers are recommended to sell their
produce upon harvest without resorting to storage.
The nut weighing 600 gram and above will fetch higher prices
and one quintal, normally contained an average of 150 nuts,
Domestic Export and Market Intelligence Cell (DEMIC) of Tamil
Nadu Agricultural University said today.
Based on an analysis of market prices that prevailed in
Pollachi market in the district, DEMIC forecast that farm
price of coconut will rule beteen Rs. 4.50 to Rs.6.50 per nut
from April to June, depending on the size.
Coconut was grown in an area 2.13 million hectare in
India, with a total production of 15.35 million tonnes of
nuts. Tamil Nadu accounted for 21.81 per cent of the area and
31.02 per cent of production, Demic, quoting the First
Advances Estimate of Ministry of Agriculture, said.
Gold gains for third day on seasonal demand, global cues
New Delhi, Apr 22. Gold prices today rose by Rs 300
to trade at Rs 27,400 per ten grams here on increased demand
amid firming global trends.
Silver also snapped its six-day falling trend and
recovered by Rs 500 to Rs 45,800 per kg on increased offtake
by industrial units and coin makers.
Sentiment bolstered as stockists and retailers purchased
gold at existing lower levels due to the prevailing marriage
season, after the recent steep fall.
Gold in London, which normally sets price trend on the
domestic front, rose 1.3 per cent to USD 1,422.56 an ounce and
silver by 0.5 per cent to USD 23.36 an ounce.
Firming trend at the futures market, as speculators
indulged in covering their short position in the recent bear
phase, was another reason behind the upsurge.
On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent
purity shot up by Rs 300 each to Rs 27,400 and Rs 27,200 per
ten grams, respectively. Before the current Rs 750 gain in the
last two days, gold had tumbled Rs 3,250 in last week.
Sovereign moved up by Rs 100 to Rs 24,100 per piece of
eight gram.
Silver ready recovered by Rs 500 to Rs 45,800 per kg and
weekly-based delivery by Rs 370 to Rs 43,670 per kg. The white
metal had lost Rs 7,300 in the previous six sessions.
Silver coins also spurted by Rs 1,000 to Rs 76,000 for
buying and Rs 77,000 for selling of 100 pieces.
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