आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य तेलों के आयात में हुई बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और तिलहनों की कीमतों में आई गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार खाद्य तेलों पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव कैबिनेट सचिव के पास विचार के लिए भेजा हुआ है।
सूत्रों के अनुसार कृषि मंत्रालय ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव किया है, कैबिनेट सचिव की मंजूरी मिलने के बाद इस पर फैसला प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होनी वाली कैबिनेट की बैठक में होगा।
उद्योग ने केंद्र सरकार से खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क बढ़ाने की मांग को लेकर कई बार पत्र लिखा है, उद्योग के अनुसार क्रुड पॉम तेल के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 35 फीसदी और रिफाइंड तेलों के आयात पर शुल्क को 50 फीसदी करने की मांग की है। फसल सीजन 2016-17 में देश में तिलहनों की पैदावार ज्यादा हुई थी, साथ ही मई में जहां खाद्य तेलों के आयात में 35 फीसदी की वहीं जून में खाद्य तेलों का आयात 15 फीसदी ज्यादा हुआ है।
घरेलू बाजार में तिलहनों का उत्पादन होने के साथ ही आयात भी ज्यादा होने से सोयाबीन, सरसों और मूंगफली के दाम उत्पादक मंडियों में एमएसपी से नीचे बने हुए हैं, इस का असर चालू खरीफ में तिलहनों की बुवाई पर भी पड़ा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में तिलहनों की बुवाई अभी तक केवल 142.31 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 156.65 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई घटकर 95.66 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 106.66 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। सोपा के अनुसार महाराष्ट्र के मराठवाडा में बारिश की कमी से सोयाबीन की कुछ नुकसान होने का अनुमान है, जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में फसल की स्थिति काफी अच्छी है।........ आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य तेलों के आयात में हुई बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और तिलहनों की कीमतों में आई गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार खाद्य तेलों पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव कैबिनेट सचिव के पास विचार के लिए भेजा हुआ है।
सूत्रों के अनुसार कृषि मंत्रालय ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव किया है, कैबिनेट सचिव की मंजूरी मिलने के बाद इस पर फैसला प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होनी वाली कैबिनेट की बैठक में होगा।
उद्योग ने केंद्र सरकार से खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क बढ़ाने की मांग को लेकर कई बार पत्र लिखा है, उद्योग के अनुसार क्रुड पॉम तेल के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 35 फीसदी और रिफाइंड तेलों के आयात पर शुल्क को 50 फीसदी करने की मांग की है। फसल सीजन 2016-17 में देश में तिलहनों की पैदावार ज्यादा हुई थी, साथ ही मई में जहां खाद्य तेलों के आयात में 35 फीसदी की वहीं जून में खाद्य तेलों का आयात 15 फीसदी ज्यादा हुआ है।
घरेलू बाजार में तिलहनों का उत्पादन होने के साथ ही आयात भी ज्यादा होने से सोयाबीन, सरसों और मूंगफली के दाम उत्पादक मंडियों में एमएसपी से नीचे बने हुए हैं, इस का असर चालू खरीफ में तिलहनों की बुवाई पर भी पड़ा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में तिलहनों की बुवाई अभी तक केवल 142.31 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 156.65 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई घटकर 95.66 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 106.66 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। सोपा के अनुसार महाराष्ट्र के मराठवाडा में बारिश की कमी से सोयाबीन की कुछ नुकसान होने का अनुमान है, जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में फसल की स्थिति काफी अच्छी है।........ आर एस राणा
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