आर एस राणा
नई दिल्ली। जुलाई महीने में देशों में वनस्पति तेलों का आयात 34 फीसदी बढ़कर 1,524,724 टन का हुआ है जबकि पिछले साल जुलाई में वनस्पति तेलों का आयात केवल 1,140,685 टन का ही हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2016-17 के पहले 9 महीनों नवंबर-16 से जुलाई-17 के दौरान वनस्पति तेलों के आयात में 4 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 11,388,296 टन का हो चुका है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 10,903,728 टन का हुआ था।
एसईए के अनुसार पिछले तीन महीनों मई से जुलाई के दौरान वनस्पति तेलों के आयात में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। जबकि घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा है। केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है इसके बावजूद भी तिलहन की कीमतों में सुधार तो आया है लेकिन बड़ी तजी नहीं है। खाद्य तेलों में त्यौहारी मांग बनी हुई है इसलिए मौजूदा भाव में हल्का सुधार तो आ सकता है लेकि बड़ी तेजी नहीं है। चालू खरीफ में तिलहनों की बुवाई में जरुर कमी आई है।
विश्व बाजार में भाव कम होने के कारण जून के मुकाबले जुलाई में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आई थी। जून महीने में आरबीडी पामोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर 700 डॉलर प्रति टन था जोकि जुलाई में घटकर 683 डॉलर प्रति टन रह गया। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव इस दौरान 697 डॉलर से घटकर 681 डॉलर प्रति टन रह गया।.............. आर एस राणा
नई दिल्ली। जुलाई महीने में देशों में वनस्पति तेलों का आयात 34 फीसदी बढ़कर 1,524,724 टन का हुआ है जबकि पिछले साल जुलाई में वनस्पति तेलों का आयात केवल 1,140,685 टन का ही हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2016-17 के पहले 9 महीनों नवंबर-16 से जुलाई-17 के दौरान वनस्पति तेलों के आयात में 4 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 11,388,296 टन का हो चुका है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 10,903,728 टन का हुआ था।
एसईए के अनुसार पिछले तीन महीनों मई से जुलाई के दौरान वनस्पति तेलों के आयात में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। जबकि घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा है। केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है इसके बावजूद भी तिलहन की कीमतों में सुधार तो आया है लेकिन बड़ी तजी नहीं है। खाद्य तेलों में त्यौहारी मांग बनी हुई है इसलिए मौजूदा भाव में हल्का सुधार तो आ सकता है लेकि बड़ी तेजी नहीं है। चालू खरीफ में तिलहनों की बुवाई में जरुर कमी आई है।
विश्व बाजार में भाव कम होने के कारण जून के मुकाबले जुलाई में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आई थी। जून महीने में आरबीडी पामोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर 700 डॉलर प्रति टन था जोकि जुलाई में घटकर 683 डॉलर प्रति टन रह गया। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव इस दौरान 697 डॉलर से घटकर 681 डॉलर प्रति टन रह गया।.............. आर एस राणा
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