04 जनवरी 2013
कृषि जिंसों ने दिया ज्यादा मुनाफा
अमेरिकी महाद्वीप से मजबूत फंडामेंटल मदद से कृषि जिंसों ने 2012 में औद्योगिक उत्पादों की तुलना में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। जहां ब्राजील और अर्जेन्टीना में सूखे से कृषि जिसों की कीमतों में तेजी का रुझान है, वहीं भारत सरकार के कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के फैसले से कीमतें तेज रही हैं। दूसरी ओर वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्याप्त अनिश्चितता से औद्योगिक वस्तुओं की मांग कमजोर रही।
इलायची जैसी जिंसों ने 70 फीसदी प्रतिफल दिया है, जबकि हल्दी ने 38 फीसदी और सोयाबीन ने 29 फीसदी प्रतिफल दिया है। इस साल सोने और चांदी ने हमेशा की तरह इस बार भी दोहरे अंकों में प्रतिफल दिया है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने ने 30,703 रुपये प्रति 10 के स्तर पर पहुंचकर 12.66 फीसदी रिटर्न दिया है। इसी तरह चांदी 12.78 फीसदी चढ़कर वर्ष के अंत में 57,731 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है। ऐंजल ब्रोकिंग के सहायक निदेशक नवीन माथुर ने कहा, '2012 जिंस बाजार के लिहाज से केवल उत्साहजनक ही नहीं रहा, बल्कि बहुत सी कृषि जिंसों के अद्भूत रहा है, जो आपूर्ति चिंता की वजह से नई ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। ज्यादातर कृषि जिंसों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी जून-जुलाई के दौरान हुई। इसकी वजह भारत में मॉनसून सीजन 2012 के पहले दो महीनों में बारिश का कम होना और अमेरिका में सूखे की स्थिति पैदा होना थी।'
सीजन के उत्तराद्र्ध में मॉनसून के सक्रिय होने से बुआई और उत्पादन पर दबाव कुछ कम हुआ। इसके साथ ही रबी की अच्छी बुआई होने से 2012 की अंतिम तिमाही में कृषि जिंसों की कीमतों में तेजी पर रोक लगी है। इसके बावजूद फंडामेंटल की वजह से गेहूं की कीमतों में 28.7 फीसदी और कपास की कीमतों में 14.8 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
रेलिगेयर कमोडिटीज की एक हाल में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि केरल में प्रतिकूल मौसम की वजह से इस साल इलाचयी का उत्पादन घट सकता है। वर्ष 2011-12 के दौरान इलायची का उत्पादन 25 फीसदी बढ़कर 12,975 टन रहा, जो इससे पिछले वर्ष में 10,380 टन था। इससे भी अहम बात यह है कि ग्वाटेमाला में उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होने की बात कही जा रही है। इसलिए इस जिंस की कीमत को आपूर्ति में कमी के अनुमानों से समर्थन मिला।
रेलिगेयर कमोडिटीज के वरिष्ठ प्रबंधक (खुदरा शोध) प्रसून माथुर ने अनुमान जताया कि 2013 में कृषि जिंसों में तेजी रहने की संभावना है, क्योंकि भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत सी फसलों के उत्पादन में सुधार के अनुमानों से अभी तक ज्यादातर कृषि जिंसों की कीमतों का रुझान कमजोर रहा है। इस तरह अगले कुछ समय में बिक्री दबाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि अगले तीन महीने बाद नई फसलों की आवक शुरू हो जाएगी। लेकिन कम बारिश और मौसम की अनिश्चितता के कारण रबी फसलों के रकबे में गिरावट की रिपोर्ट मई से जारी रहेंगी। इससे 2013 की तीसरी तिमाही तक कृषि जिंसों की कीमतें मजबूत रहेंगी।
सरकार ने बेंचमार्क एमएसपी में 30 फीसदी की भारी बढ़ोतरी की है, जिससे कृषि जिंसों की कीमतों में उछाल को बल मिलेगा। कपास (मीडियम स्टेपल) का एमएसपी 2,800 से बढ़ाकर 3,600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। जबकि सोयाबीन (पीली) का एमएसपी 550 रुपये बढ़ाकर 2240 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। (BS Hindi)
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