01 जनवरी 2013
नए एक्ट से कमोडिटी फ्यूचर्स को लगेंगे पंख
आर. एस. राणा नई दिल्ली | Jan 01, 2013
एफसीआरए एक्ट नए साल में पारित होने की उम्मीद
रास्ता मुश्किलों भरा
:पूरे साल सरकार प्रयास करके भी एफसीआर पारित नहीं करवा पाई
:तृणमूल कांग्रेस और वामदलों का विरोधी अभी भी बरकरार
:शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश, लेकिन पास नहीं हो पाया
:लंबे अरसे अटका है एफसीआरए पास कराने का काम
नए वर्ष के दौरान फॉरवर्ड कॉन्ट्रेक्ट रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) विधेयक पारित होने से कमोडिटी के वायदा कारोबार में लिक्विडिटी बढऩे की संभावना है। इससे वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) को ज्यादा अधिकार मिलेंगे, जिससे बैंक, एफआईआई और संस्थागत निवेश का रास्ता साफ होगा। एफसीआरए बिल लागू होने के बाद कमोडिटी ट्रेडिंग में ऑप्शंस ट्रेडिंग (पुट और कॉल) की सुविधा भी शुरू हो सकेगी। साथ ही, नए प्रोडक्ट मसलन फ्रेट और मौसम की ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने में भी मदद मिलेगी। जिसका सीधा फायदा सभी संबंधित पक्षकारों को होगा।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एफसीआरए विधेयक पास होने से एफएमसी को ज्यादा अधिकार तो मिलेंगे ही, साथ में एफएमसी स्वयं ही कर्मचारियों और अधिकारियों की नियुक्तियां भी कर सकेगा। इससे जिंस वायदा कारोबार में मजबूती आएगी, जिसका किसानों और छोटे निवेशकों को निश्चित रूप से लाभ होगा।
उन्होंने बताया कि हाल ही में समाप्त हुए संसद सत्र में एफसीआरए को संसद की सूची में तो शामिल किया गया था, लेकिन उस पर चर्चा नहीं हो पाई। उन्होंने बताया कि अब एफसीआरए को आगामी बजट सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। हालांकि तृणमूल कांग्रेस के साथ ही वाम दलों द्वारा एफसीआरए का लगातार विरोध किया जाता रहा है। यही कारण है कि सप्रंग से तृणमूल कांग्रेस के अलग होने के बाद ही अक्टूबर में कैबिनेट कमेटी एफसीआरए बिल को मंजूरी दे पाई।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के पूर्व सचिव राजीव अग्रवाल के अनुसार एफसीआरए विधेयक पास होने के बाद एफएमसी को ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे। हालांकि यह सही है कि जिंस वायदा बाजार में कीमतें बढऩे का फायदा किसानों तक पहुंचाने के लिए एफएमसी को और कड़े कदम उठाने होंगे। एफसीआरए के आने से किसानों को भी इसका फायदा मिले, इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत बनाना होगा। एफसीआरए बिल आने से कमोडिटी एक्सचेंजों के कारोबार में पारदर्शिता बढ़ जाएगी।
उन्होंने बताया कि अभी तक एफएमसी डिफॉल्टरों पर केवल 1,000 से 25,000 रुपये तक की ही पेनाल्टी लगा सकता था लेकिन एफसीआरए बिल में पेनाल्टी की राशि को बढ़ाकर 50 लाख रुपये तक करने का प्रावधान किया गया है इससे डिफॉल्टरों की संख्या में कमी आएगी। इसी तरह से सदस्यों की सेवानिवृति आयु को मौजूदा 60 साल से बढ़ाकर 65 साल करने का प्रस्ताव किया गया है।
एफएमसी के सदस्यों की संख्या को भी वर्तमान सदस्यों 4 से बढ़ाकर 9 करने का इसमें प्रस्ताव इस विधेयक में किया गया है। एफसीआरए बिल लागू होने के बाद एफएमसी एक्सचेंजों से फीस के रूप में राजस्व भी जुटा सकेगा, जिससे उसके लिए आत्मनिर्भर बनना संभव हो सकेगा।
एफएमसी के सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2012-13 में अप्रैल से 15 दिसंबर तक कुल जिंसों का वायदा कारोबार 123 लाख करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 130 लाख करोड़ रुपये का हुआ था। इस दौरान एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार में जहां 20.21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है वहीं बुलियन वायदा के कारोबार में 26.24 फीसदी की कमी आई है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. निलांजन घोष ने बताया कि कमोडिटी वायदा कारोबार में इस समय निवेशक केवल जिंसों की वायदा ट्रेडिंग ही कर सकते हैं जबकि एफसीआरए विधेयक पास होने के बाद ऑप्शन और इंडेक्स जैसे उत्पाद भी शामिल किए जा सकेंगे। जिसका सबसे ज्यादा फायदा किसानों और छोटे निवेशकों को मिलेगा।
एफएमसी के पास अधिकार ज्यादा होंगे तो कीमतों के जोखिम प्रबंधन में कमी लाई जा सकेगी, साथ ही गड़बड़ी की आशंकाओं में भी कमी आएगी। नेशनल कमोडिटी एवं डेरीवेटिव एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीएक्स) के चीफ बिजनेस ऑफिसर विजय कुमार ने बताया कि एफसीआरए बिल लागू होने के बाद बैंक, एफआईआई और संस्थागत निवेशकों की ओर से निवेश होने की संभावना भी बन सकती है। छोटे निवेशकों के साथ-साथ कॉरपोरेट की रुचि भी कमोडिटी वायदा कारोबार में बढ़ेगी, जिससे जिंस वायदा कारोबार में लिक्विडिटी बढ़ जाएगी।
एफएमसी के पास प्रोडक्ट मंजूरी का अधिकार आ जाएगा। ऐसे में एफसीआरए को मंजूरी मिलने के बाद फ्रेट और मौसम की ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू की जा सकती है, साथ ही और भी नए प्रोडक्ट लॉच करने का रास्ता साफ होगा। मौसम की ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू होने से जिंस वायदा कारोबार में किसानों की भागीदारी, जो इस समय काफी है, भी बढऩे की संभावना है।
एसएमसी इन्वेस्टमेंट एंड एडवायजर लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डी. के. अग्रवाल ने बताया कि एफसीआरए बिल लागू होने के बाद एफएमसी एक्सचेंजों से फीस के रूप में राजस्व जुटा सकेगा। सेबी की तरह अधिकार मिलने के बाद एफएमसी के लिए नए उत्पादों मसलन ऑप्शन और फ्यूचर पेश करना संभव हो जाएगा।
साथ ही, शिकायत आदि का निपटारा एफएमसी द्वारा स्वयं ही किया जा सकेगा। सरकार से अनुमति लिए बगैर ही जिंस वायदा कारोबार के लिए दिशा-निर्देश तय किए जा सकेंगे। एफसीआरए बिल को मंजूरी मिलने से नियमन बेहतर होगा, जिसका फायदा निश्चित रूप से निवेशकों को मिलेगा। (Business bhaskar.....R S Rana)
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