16 जनवरी 2013
स्पॉट एक्सचेंज के नियंत्रण को लेकर बहस तेज
तेजी से बढ़ते हुए इलेक्ट्रॉनिक स्पॉट कमोडिटी एक्सचेंज के नियमन के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। इस बार केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने स्पॉट एक्सचेंजों को मंत्रालय के नियंत्रण में लाने की बात की है। स्पॉट एक्सचेंजों के नियमन को लेकर छिड़ी बहस में कृषि मंत्रालय के आ जाने के बाद यह मामला और भी पेचीदा हो गया है। इस फैसले के लटके होने की वजह से स्पॉट एक्सचेंजों में होने वाले इलेक्ट्रॉनिक गोदामों के रसीदों के कारोबार में देरी हो रही है।
वहीं उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस पूरे मसले पर काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका में है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्पॉट एक्सचेंजों के नियमन से जुड़े दो नियामक एफएमसी और डब्ल्यूडीआरए इसी मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं। अंतत: सरकार को ही देश भर के स्पॉट एक्सचेंजों के नियामक के बारे में फैसला लेना है।
देश में इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म वाले तीन राष्ट्रीय स्पॉट एक्सचेंज हैं। अनिल अंबानी समूह का रिलायंस स्पॉट एक्सचेंज जो वायदा एक्सचेंज आईसीईएक्स को भी नियंत्रित करता है। इसके अलावा दो अन्य एनसीडीइएक्स का एनसीडीइएक्स स्पॉट एक्सचेंज और एमसीएक्स समूह का नैशनल स्पॉट एक्सचेंज हैं। अब तीन इकाइयां स्पॉट एक्सचेंज का नियामक बनने की दौड़ में हैं। स्पॉट एक्सचेंजों में इलेक्ट्रॉनिक गोदामों की रसीदों के कारोबार का नियमन पिछले साल से ही सक्रिय हुई इकाई गोदाम नियामक वेयरहाउसिंग डेवलेपमेंट ऐंड रेग्युलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूआरडीए) के हाथों में ही रह सकता है।
रोचक बात यह है कि वायदा बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने काफी पहले उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर स्पॉट एक्सचेंजों के नियमन का अधिकार मांगा था। उनका कहना है कि वे वायदा बाजार के एक्सचेंजों का नियमन कर रहे हैं इसलिए स्पॉट एक्सचेंजों का नियमन भी उसके नियंत्रण में ही होना चाहिए। इससे स्पॉट जिंस बाजार के नियमन और विकास को मदद मिलेगी। देश में अभी तीन स्पॉट एक्सचेंज हैं और तीनों के प्रवर्तकों के पास वायदा बाजार एक्सचेंज भी हैं। खास बात यह है कि वायदा अनुबंध विनियमन अधिनियम की समीक्षा कर रही संसदीय समिति ने भी वायदा और स्पॉट कारोबार को एक ही नियामक के दायरे में लाने की सिफारिश की है। इसका मतलब है कि स्पॉट एक्सचेंजों को एफएमसी के अंतर्गत रखा जाना चाहिए।
पिछले साल डब्ल्यूडीआरए ने कई ड्राफ्ट नियम जारी किये थे। उनमें से एक इलेक्ट्रॉनिक वेयरहाउस रसीदों (ईडब्ल्यूआर) के नियमन और स्पॉट एक्सचेंजों को लेकर भी था। उनमें से ज्यादातर को तो अंतिम रूप दे दिया गया लेकिन ईडब्ल्यूआर का ड्राफ्ट अभी भी अधर में है। स्पॉट एक्सचेंज इलेक्ट्रॉनिक मंडियों या एपीएमसी(कृषि विपणन समिति) के तौर पर काम करते हैं। चंूकि स्पॉट एक्सचेंज ज्यादातर कृषि उत्पादों का ही कारोबार होने की उम्मीद है इसलिए कृषि मंत्रालय उनका नियमन चाहता है। ये एक्सचेंज इन दिनों राज्य सरकारों से उनके एपीएमसी कानून के अंतर्गत लाइसेंस ले रही हैं। कुछ जिंस समवर्ती सूची में आते हैं। (BS Hindi)
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