28 जनवरी 2013
उत्पादन में दम से कीमतें होंगी कम
चालू रबी सीजन में तिलहन फसलों का रकबा बढऩे से इस साल उत्पादन बढऩे की संभावना है। मगर निर्यात माग घट सकती है। इससे कीमतों में गिरावट के आसार हैं। वैश्विक स्तर पर भी तिलहन की रिकॉर्ड पैदावार होने का अनुमान है। लिहाजा, इस साल तिलहन बाजार में फिलहाल तेजी की उम्मीद नहीं है।
चालू रबी सीजन में तिलहन फसलों की करीब 85 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि इस समय तक पिछले साल यह आंकड़ा करीब 82 लाख हेक्टेयर था। सरसों की बुआई पिछले साल के 64.66 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस साल 67 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है। मूंगफली का रकबा भी बढ़कर 6.82 लाख हेक्टेयर हो गया है जबकि पिछले साल 5.70 लाख हेक्टेयर था। रकबा बढऩे से कयास लगाया जा रहा है कि चालू रबी सीजन के दौरान तिलहन फसलों का उत्पादन करीब 15 फीसदी ज्यादा होगा।
यूएसडीए के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष 2012-13 में विश्व स्तर पर तिलहन का उत्पादन 4,658 लाख टन होने का अनुमान है। सोयाबीन का वैश्विक उत्पादन बढ़कर 2,694 लाख टन हो सकता है। अमेरिका और ब्राजील में रिकॉर्ड उत्पादन के कारण वैश्विक स्तर पर तिलहन का उत्पादन बढ़ा है, जिसका असर कीमतों पर देखने को मिल रहा है। सीबॉट में सोयाबीन की कीमतें 1700 डॉलर प्रति बुशल से गिरकर 1430 डॉलर प्रति बुशल पर पहुंच गई हैं। घरेलू बाजार में इस साल सोयाबीन की कीमतें 5,000 रुपये प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद ज्यादा पैदावार की खबर से लुढ़कनी शुरू हुईं और इस समय 3,300 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई हैं। सरसों की कीमतें 4,643 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई थीं जो अभी 4,000 रुपये के आसपास चल रही हैं। तिलहन का उत्पादन बढऩे का असर घरेलू बाजार पर पड़ सकता है। ऐंजल कमोडिटी की वेदिका नार्वेकर कहती हैं कि देश में उत्पादन बढऩे का बहुत ज्यादा असर कीमतों पर नहीं पड़ता है, क्योंकि जरूरत का एक बड़ा हिस्सा आयात होता है लेकिन वैश्विक स्तर पर उत्पादन बढऩे का असर कीमतों पर जरूर पड़ेगा और यह दिख भी रहा है। उनका मानना है कि अल्प अवधि के दौरान कीमतों में हल्की बढ़त हो सकती है लेकिन मार्च से नई फसल की आवक शुरू होने के बाद कीमतों में गिरावट का दौर शुरू हो जाएगा। कुल मिलाकर इस साल पिछले साल की तुलना में कीमतें कम ही रहेंगी।
एसएमसी कमोडिटी की रिपोर्ट के अनुसार तिलहन उत्पादक प्रमुख देश अर्जेंटीना में इस बार उत्पादन कम होने की खबर से बाजार में गरमाहट आ सकती थी लेकिन इसकी भरपाई अमेरिका और ब्राजील के रिकॉर्ड उत्पादन ने कर दी। इंडोनेशिया, ईरान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको और रूस में सोयाखली की खपत बढऩे और अमेरिका में पेराई बढऩे के कारण फिलहाल कीमतों को समर्थन मिल सकता है लेकिन बाजार में नई फसल की दस्तक से कीमतों में गिरावट शुरू हो सकती है। (BS Hindi)
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