01 जनवरी 2013
उम्मीदें होंगी गुलजार
कड़े नियामकीय कदमों के बाद कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट खासा उत्साहित दिख रहा है। इन कदमों से कृषि जिंसों की कीमतों में अनिश्चितता 2012 के शुरुआती 4 प्रतिशत से कम होकर 1 प्रतिशत रह गई है। बाजार उम्मीद कर रहा है कि एफसीआरए (संशोधन) विधेयक से इस साल जिंस वादा कारोबार में तेजी आएगी।
2012 में हुई पांच प्रमुख चीजें
सोना आयात पर शुल्क हुआ चार गुना अधिक
सरकार ने सोना पर आयात शुल्क जनवरी में दोगुना कर 2 प्रतिशत और मार्च में इसे बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया। इससे सोना और महंगा हो गया। जानकारों का मानना है कि इससे सोने की तस्करी को बढ़ावा मिलेगा और आधिकारिक माध्यम से आयात 50 प्रतिशत तक कम हो जाएगा।
कृषि जिंसों की रिकॉर्ड कीमतें
भारत और अमेरिका में बारिश कम होने से कई कृषि जिंसों की कीमतें उछल गईं। शुरू में कम बारिश से न केवल बुआई पर असर पड़ा बल्कि इससे खरीफ फसल को भी नुकसान पहुंचा जिससे कीमतें स्वत: बढ़ गईं।
ग्वार वायदा पर प्रतिबंध
ग्वार सीड की कीमतों में नाटकीय बढ़ोतरी हुई। यह नवंबर 2011 के 4,000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर मार्च 2012 में 30,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गर्ईं। कीमतों में अनिश्चितता और कारोबार में धांधली के कई मामलों के बाद बाजार नियामक को मार्च 2012 में ग्वार सीड का वायदा कारोबार रोकना पड़ा। इसे मार्च-जून की अवधि में कारोबारी मात्रा खासी कम हो गई।
कपास
सरकार ने मार्च में कपास के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया लेकिन तुरंत ही रोक हटा दी। चूंकि, चीन ने कपास की खरीदारी में कमी कर दी। इसलिए वस्त्र मंत्रालय का 2013 में कपास निर्यात का अनुमान पिछले साल के स्तर का आधा रहेगा।
वित्त मंत्रालय से सकारात्मक संकेत
वित्त मंत्रालय ने पहली बार एफसीआरए (संशोधन) विधेयक पर सकारात्मक रुख दिखाया। इस विधेयक में वायदा बाजार आयोग को अधिक अधिकार देने की बात कही गई है। इस विधेयक में बैंकों को जिंस वायदा कारोबार में भाग लेने की अनुमति दी गई थी मगर विपक्षी दलों के विरोध के बाद यह प्रावधान वापस ले लिया गया।
2013 में उम्मीदें
अमेरिकी 'फिस्कल क्लिफ'
खर्च में कटौती के खतरे और कांग्रेस के विरोध के बाद जिंस बाजार अनिश्चितता में गोते लगा रहा है। बाजार जहां जनवरी के पहले सप्ताह में इस मुद्दे पर स्थिति साफ होने की उम्मीद कर रहा है, वहीं बाजार में रकम का प्रवाह बढऩे से मूल धातुओं को मदद मिलेगी।
एफसीआरए (संशोधन) विधेयक को मंजूरी
बजट सत्र में एफसीआरए (संशोधन) विधेयक पारित होने की उम्मीद है। इसका पारित होना इसलिए आवश्यक है क्योंकि बिना अधिकारों के नियामक नियमों का उल्लंघन करने वालों को सजा देने में असमर्थ हो पाएगा। इस विधेयक से एफएमसी को अमूर्त जिंस अनुबंधों के सौदों की भी अनुमति देने का अधिकार होगा।
अबाधित आपूर्ति के लिए डब्ल्यूडीआरए
सरकार ने वेयरहाउसिंग विकास और नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआर) बनाया। लेकिन वेयरहाउस की रसीदों (डब्ल्यूआर) के लेन-देन का प्राथमिक लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। हालांकि इस बारे में अंतिम दिशानिर्देश अभी जारी होने हैं लेकिन 2013 में डब्ल्यूआर का सूचीबद्ध होना संभव है। इससे भारत में जिंस क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी।
एक और एक्सचेंज
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज बनने का रास्ता साफ कर दिया है। यह भारत का राष्ट्रीय स्तर का छठा कमोडिटी डेरिवेटिव प्लेटफॉर्म होगा और 2013 से काम करना शुरू कर देगा।
सलाहकार उप-समिति
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 40 सदस्यों की सलाहकार समिति बनाई है जिसके अध्यक्ष एफएमसी प्रमुख रमेश अभिषेक हैं। पैनल ने कारेबार से जुड़ी समस्याओं की सूचना देने के लिए एक उप-समिति बनाई है। (BS Hindi)
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