17 जनवरी 2013
कार्रवाई होगी नियम तोडऩे वाले स्पॉट एक्सचेंजों पर
आर एस राणा नई दिल्ली | Jan 17, 2013, 02:04AM IST
धज्जियां उड़ाईं
11वें दिन की डिलीवरी हो रही है 24-25 दिनों में
शॉर्टसेलिंग भी जमकर हो रही है स्पॉट एक्सचेंजों में
शॉर्टसेलिंग करने की अनुमति नहीं है इन एक्सचेंजों में
बिकवाली के लिए वेयरहाउस में माल रखा होना जरूरी
तीन ऑनलाइन स्पॉट एक्सचेंज काम कर रहे हैं देशभर में
स्पॉट एक्सचेंजों द्वारा जिंसों के डिलीवरी सौदों में निर्धारित मानकों का पालन नहीं करने से उपभोक्ता मामले मंत्रालय नाराज है। साथ ही स्पॉट एक्सचेंजों पर जिंसों की शॉर्टसेलिंग भी हो रही है जबकि स्पॉट एक्सचेंजों के लिए तय किए गए नियमों में इसका प्रावधान नहीं है। तय मानकों का पालन नहीं करने वाले स्पॉट एक्सचेंजों के खिलाफ उपभोक्ता मामले मंत्रालय जल्द ही कदम उठाएगा।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय (भारत सरकार) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तय किए नियमों के मुताबिक जिंस स्पॉट एक्सचेंजों को सौदा होने के बाद 11वें दिन डिलीवरी देना अनिवार्य है लेकिन स्पॉट एक्सचेंजों पर जिंसों की डिलीवरी 24 से 25 दिन बाद हो रही है जो गलत है।
इसके अलावा स्पॉट एक्सचेंजों पर शॉर्ट सेलिंग करने का भी कोई प्रावधान नहीं है इसके लिए वेयर हाउस में माल होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि जिंस स्पॉट एक्सचेंजों को तय किए नियमों को पालन करना होगा, ऐसा नहीं करने वाले एक्सचेंज के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। देश में इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म वाले तीन राष्ट्रीय स्पॉट एक्सचेंज इस समय कार्य कर रहे हैं।
इनमें अनिल अंबानी समूह का रिलायंस स्पॉट एक्सचेंज है। यह समूह वायदा एक्सचेंज आईसीईएक्स को भी नियंत्रित करता है। इसके अलावा, दो अन्य एनसीडीएक्स का एनसीडीएक्स स्पॉट एक्सचेंज है जो एग्री कमोडिटी में कारोबार करता है। एमसीएक्स समूह का नेशनल स्पॉट एक्सचेंज है जो एग्री कमोडिटी के अलावा बुलियन में भी कारोबार कर रहा है।
उन्होंने बताया कि शॉर्ट सेलिंग का प्रावधान केवल वायदा एक्सचेंजों में ही है। जिंस स्पॉट एक्सचेंजों पर नियंत्रण को लेकर वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) और भंडारण विकास एवं नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) दोनों दौड़ में लगे हुए हैं लेकिन इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है।
ऐसे में स्पष्ट नियामक नहीं होने का भी फायदा स्पॉट एक्सचेंज उठा रहे हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि स्पॉट एक्सचेंजों का नियामक बनने की दौड़ में लगे एफएमसी और डब्ल्यूडीआरए दोनों ही उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं। ऐसे में सरकार को ही फैसला करना होगा कि स्पॉट एक्सचेंजों का नियामक किसे बनाया जाए। ( Business Bhaskar.....R S Rana)
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