14 जनवरी 2013
चीनी उद्योग को नुकसान का रोग
चालू पेराई सत्र (अक्टूबर से दिसंबर 2012) की पहली तिमाही में भारत के चीनी उद्योग को 1,200 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है, क्योंकि मिलों की एक्स-मिल आमदनी उत्पादन लागत से काफी कम बनी हुई है।
उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को दिया जाने वाला राज्य परामर्शी मूल्य (एसएपी) 17 फीसदी बढ़ाया गया है मगर चीनी कीमतों में इस हिसाब से बढ़ोतरी का कोई आश्वासन नहीं दिया गया है। इससे राज्य की मिलों को पहली तिमाही में ही 673.75 करोड़ रुपये का घाटा होने की संभावना है।
इस क्षेत्र की सर्वोच्च कारोबारी संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के मुताबिक इस समय 121 मिलें चल रही हैं। इन्होंने दिसंबर 2012 को समाप्त तिमाही में 19.25 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। औसत रिकवरी 8.74 फीसदी रही है।
इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि पिछली तिमाही में चीनी कीमतों में लगातार गिरावट से वास्तविक आमदनी की तुलना में उत्पादन लागत बढ़ेगी। उनके अनुसार उत्तर प्रदेश में गन्ने की कीमतों को बढ़ाकर 280 रुपये प्रति क्विंटल करने से उत्पादन लागत 36 रुपये प्रति किलोग्राम आ रही है। इसके विपरीत मिलों को बिक्री से मिलने वाली कीमत 32.50 रुपये प्रति किलोग्राम है। इसका मतलब है कि उत्तर प्रदेश में चालू मिलों को चीनी उत्पादन पर 3.5 रुपये प्रति किलोग्राम का नुकसान हो रहा है। उत्तर प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है।
सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में तिमाही के दौरान कुल नुकसान 438.75 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। राज्य में 161 मिलें चालू हैं, जिन्होंने 29.07 लाख टन चीनी उत्पादित की है। हालांकि राज्य में एसएपी की व्यवस्था नहीं है । लेकिन ज्यादातर राजनेता किसानों को रिझाने के लिए चीनी मिलों से किसानों को प्रोत्साहन दिलाते रहे हैं। नतीजतन, राज्य में चीनी उत्पादन लागत 32 रुपये प्रति किलोग्राम आ रही है, जबकि एक्स-मिल आमदनी 30.5 रुपये प्रति किलोग्राम है। इससे राज्य की मिलों को चीनी उत्पादन पर 1.5 रुपये प्रति किलोग्राम का नुकसान हो रहा है।
राज्य में गन्ने की रिकवरी पिछले साल के जितनी ही 10.46 फीसदी है। महाराष्ट्र में गन्ने की रिकवरी में मामूली सुधार की वजह चीनी मिलों में आंशिक रूप से सूखा हुआ आ रहा गन्ना है।
इस्मा ने इस साल महाराष्ट्र में 65 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान जताया है, जो पिछले साल 91 लाख टन रहा था। कर्नाटक समेत अन्य राज्यों में चीनी मिलें न लाभ और न हानि या मामूली लाभ की स्थिति में हैं। चालू पेराई सत्र में 31 दिसंबर तक तमिलनाडु में चालू 38 मिलों ने 3 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। यहां एक्स-मिल कीमत 31 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि उत्पादन लागत 33 रुपये। इससे चालू पेराई सत्र की पहली तिमाही में राज्य की मिलों को 60 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
बॉम्बे शुगर एसोसिएशन के आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर से दिसंबर तक की तिमाही में चीनी की हाजिर कीमतें 8 फीसदी गिरी हैं। यह 3731 रुपये से गिरकर 3431 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं। हालांकि इस दौरान फंडामेंटल्स में कोई बदलाव नहीं आया है। सरकार ने भी लेवी चीनी या एथेनॉल की कीमतें बढ़ाने के बारे में
कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दिया है। इसलिए दिसंबर तिमाही में चीनी क्षेत्र में धारणा कमजोर ही बनी रही। (BS Hindi)
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