14 जनवरी 2013
स्पॉट एक्सचेंज का नियंत्रण अभी मंडी बोर्ड के हाथों में
नियमन दुरुस्त होने से स्पॉट एक्सचेंजों में डिलीवरी निर्धारित समय में सुनिश्चित होगी
बदलाव की वजह:- कमोडिटी स्पॉट एक्सचेंजों में सौदे के 11वें दिन डिलीवरी देना अनिवार्य है लेकिन ढीले नियमन के चलते अभी डिलीवरी में देरी हो रही है। एफएमसी के अंतर्गत आने से स्पॉट एक्सचेंज भी वायदा अनुबंध (विनियमन) अधिनियम, 1952 (एफसीआरए) के अधीन आ जाएंगे। इससे कारोबारियों के हितों की भी रक्षा होगी।
नया प्रस्ताव:- भंडारण विकास एवं नियामक प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त वेयरहाउस को भी स्पॉट एक्सचेंजों से जोड़ा जाएगा। इससे किसानों को जिंसों की बिक्री करने में और आसानी होगी। किसान स्पॉट एक्सचेंज में अपनी उपज देश में किसी भी खरीदार को बेच सकेंगे और मान्यता प्राप्त गोदाम की रसीद देकर डिलीवरी दे सकेंगे।
कमोडिटी स्पॉट एक्सचेंजों को वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के अधीन लाने का मसौदा तैयार कर लिया गया है। एफएमसी ने मसौदा उपभोक्ता मामले मंत्रालय को सौंप दिया है तथा मंत्रालय जल्दी ही इस पर आगे की कार्यवाही शुरू करेगा। एफएमसी के अधीन आने से जिंस स्पॉट एक्सचेंजों के कारोबार में बढ़ोतरी होने की संभावना है, साथ ही इससे उपभोक्ताओं के हितों की भी रक्षा होगी। वर्तमान में जिंस स्पॉट एक्सचेंज एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्किट कमेटी (एपीएमसी) या मंडी बोर्ड के अधीन काम कर रहे हैं।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एफएमसी ने तैयार मसौदा मंत्रालय को सौंप दिया है तथा इस पर जल्द से जल्द आगे की कार्यवाही शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि जिंस स्पॉट एक्सचेंजों को सौदे के 11वें दिन जिंस की डिलीवरी देना अनिवार्य है लेकिन अभी डिलीवरी में देरी हो रही है।
एफएमसी के अधीन आने से जिंसों की डिलीवरी समय पर हो सकेगी जिससे किसानों के साथ ही व्यापारियों को भी राहत मिलेगी। एफएमसी के अंतर्गत आने से जिंस स्पॉट एक्सचेंज भी वायदा अनुबंध (विनियमन) अधिनियम, 1952 (एफसीआरए) के अधीन आ जाएंगे। इससे स्पॉट एक्सचेंजों के कारोबार में तो बढ़ोतरी होगी, ही साथ में उपभोक्ताओं के हितों की भी रक्षा होगी। उधर भंडारण विकास एवं नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) से मान्यता प्राप्त वेयरहाउस को स्पॉट एक्सचेंजों से जोड़ा जाएगा, ताकि किसानों को जिंसों की बिक्री करने में और आसानी हो।
इस समय देश में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) का नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) और नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) का एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज (एनस्पॉट) कार्य कर रहा है। उधर नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएमसीई) और अन्य एक्सचेंज भी स्पॉट एक्सचेंज शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।
इस समय जिंस स्पॉट एक्सचेंजों का दैनिक कारोबार करीब 1,000 करोड़ रुपये का हो रहा है। इसमें सबसे ज्यादा कारोबार एनएसईएल कर रहा है। एनएसईएल ने वर्ष 2008 में कारोबार शुरू किया था तथा इस समय करीब 33 जिंसों में कारोबार करने के लिए देश के 14 राज्यों में एनएसईएल ने अपने टर्मिनल स्थापित कर रखे हैं। एनएसईएल के साथ एफसीआई, हैफेड, एमएमटीसी, सीसीआई और नेफेड जैसी सार्वजनिक कंपनियां कारोबार कर रही हैं। एनस्पॉट एग्री में 9 जिंसों में कारोबार कर रहा है।
एनस्पॉट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एफएमसी नियामक बनने से जिंस स्पॉट एक्सचेंजों को नेशनल स्तर पर कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। उपभोक्ता मामले मंत्रालय जिंस वायदा बाजार के लिए नीतियां बनाता है जबकि एफएमसी देश के जिंस वायदा एक्सचेंजों के परिचालन पर निगाह रखता है। (Business Bhaskar)
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