18 जनवरी 2013
खाद्य विधेयक पर सौंपी रिपोर्ट
कांग्रेस के 'चिंतन शिविर' से एक दिन पहले संसदीय स्थायी समिति ने आज खाद्य सुरक्षा विधेयक पर बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट पेश की। इस विधेयक में देश की 75 फीसदी ग्रामीण और 50 फीसदी शहरी आबादी को बिना किसी विभेद के एकसमान 5 किलोग्राम अनाज मुहैया कराने का कानूनी अधिकार देने का प्राïवधान किया गया है। यह अनाज फ्लैट रेट (अपरिवर्तित दर) पर वितरित किया जाएगा। इसमें चावल की दर 3 रुपये, गेहूं की 2 रुपये और मोटे अनाजों की 1 रुपये प्रति किलोग्राम होगी।
अगर समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया जाता है तो खाद्य विधेयक के दायरे में देश की करीब 67 फीसदी आएगी। इससे पहले के मसौदा विधेयक में 64 फीसदी आबादी को इसके तहत लाने का सुझाव दिया गया था। नागपुर से कांग्रेस के सांसद और खाद्य पर संसदीय स्थायी समिति के चेयरमैन विलास मुत्तेमवार ने लोक सभा स्पीकर मीरा कुमार को रिपोर्ट सौंपने के बाद कहा, 'जब ये सिफारिशें विधेयक का हिस्सा बनेंगी, तब देश की आधी से ज्यादा आबादी को हर महीने कम से कम 5 किलोग्राम अनाज प्राप्त करने का कानूनी अधिकार मिल सकेगा।'
देश की बड़ी आबादी को कानूनन खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराना केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का महत्वकांक्षी कार्यक्रम है। मुत्तेमवार ने कहा, 'हमने सुझाव दिया है कि लाभार्थियों की एकमात्र श्रेणी होनी चाहिए और प्रति माह 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति के हिसाब से खाद्यान्न मिलना चाहिए।'
इस संसदीय समिति का सुझाव सरकार के खाद्य विधेयक के उस प्रावधान के खिलाफ है जिसमें लाभार्थियों को दो श्रेणी- प्राथमिक परिवार और सामान्य परिवार में बांटा गया है। इस विधेयक को लोकसभा में दिसंबर 2011 में पेश किया गया था। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को माकपा के एक सदस्य टी एन सीमा के एक असहमति पत्र के साथ सर्वसम्मति से अपनाया गया है। मुत्तेमवार ने कहा कि समिति, विधेयक के ग्रामीण आबादी के 75 फीसदी लोगों और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत लोगों को दायरे में लेने के प्रावधान पर सहमत थी। खाद्य विधेयक के तहत सरकार ने प्रस्ताव किया था कि प्राथमिक परिवारों को 7 किलोग्राम चावल और गेहूं प्रति माह प्रति व्यक्ति क्रमश: तीन रुपये और दो रुपये की दर से मिलना चाहिए। इसमें कहा गया था कि साधारण परिवारों को कम से कम तीन किलोग्राम खाद्यान्न न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के 50 फीसदी की दर पर मिलना चाहिए।
मुत्तेमवार ने कहा, 'हमने सरकार से गर्भवती महिला और बच्चे के जन्म के बाद दो वर्ष के लिए प्रति माह पांच किलोग्राम अतिरिक्त खाद्यान्न देने को कहा है।' खाद्यान्न की मात्रा को सात से घटाकर पांच किलोग्राम करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'समिति ने पाया कि मौजूदा उत्पादन और खरीद की प्रवृति को देखते हुए सात अथवा 11 किलोग्राम की अहर्ता व्यावहारिक नहीं होगी।' उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किग्रा की अर्हता के कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए 4.88 करोड़ टन और बाकी कल्याणकारी योजनाओं के लिए 80 लाख टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। इतनी मात्रा का प्रबंध किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वार्षिक खाद्य सब्सिडी जरूरत भी कम यानी करीब 1,12,000 करोड़ रुपये तक
ही होगी। (BS Hindi)
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